चक्र - ब - वर्ष का सोलहवाँ सामान्य इतवार



पहला पाठ : यिरमियाह का ग्रन्थ 23:1-6

1) “धिक्कार उन चरवाहों को जो मेरे चरागाह की भेड़ों को नष्ट और तितर-बितर हो जाने देते हैं!“ यह प्रभु की वाणी है।

2) इसलिए प्रभु, इस्राएल का ईश्वर अपनी प्रजा को चराने वालों से यह कहता है, “तुम लोगों ने मेरी भेड़ों को भटकने और तितर-बितर हो जाने दिया; तुमने उनकी देखरेख नहीं की। देखो! मैं तुम लोगों को तुम्हारे अपराधों का दण्ड दूँगा।“ यह प्रभु की वाणी है।

3) “इसके बाद मैं स्वयं अपने झुण्ड की बची हुई भेड़ों को उन सभी देशों से एकत्र कर लूँगा, जहाँ मैंने उन्हें बिखेर दिया है; मैं उन्हें उनके अपने मैदान वापस ले चलूँगा और वे फलेंगी-फूलेंगी।

4) मैं उनके लिए ऐसे चरवाहों को नियुक्त करूँगा, जो उन्हें सचमुच चरायेंगे। तब उन्हें न तो भय रहेगा, न आतंक और न उन में से एक का भी सर्वनाश होगा।“ यह प्रभु की वाणी है।

5) प्रभु यह कहता है: “वे दिन आ रहे हैं, जब मैं दाऊद के लिए एक न्यायी वंशज उत्पन्न करूँगा। वह राजा बन कर बुद्धिमानी से शासन करेगा और अपने देश में न्याय और धार्मिकता स्थापित करेगा।

6) उसके राज्यकाल में यूदा का उद्धार होगा और इस्राएल सुरक्षित रहेगा और उसका यह नाम रखा जायेगा- प्रभु ही हमारी धार्मिकता है।“

दूसरा पाठ: एफ़ेसियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 2:13-18

13) आप लोग पहले दूर थे, किन्तु ईसा मसीह से संयुक्त हो कर आप अब मसीह के रक्त द्वारा निकट आ गये है;

14) क्योंकि वही हमारी शान्ति हैं। उन्होंने यहूदियों और गैर-यहूदियों को एक कर दिया है। दोनों में शत्रुता की जो दीवार थी, उसे उन्होंने गिरा दिया है।

15) और अपनी मृत्यु द्वारा विधि-निषेधों की संहिता को रद्द कर दिया। इस प्रकार उन्होंने यहूदियों तथा गैर-यहूदियों को अपने से मिला कर एक नयी मानवता की सृष्टि की और शान्ति की स्थापित की है।

16) उन्होंने क्रूस द्वारा दोनों का एक ही शरीर में ईश्वर के साथ मेल कराया और इस प्रकार शत्रुता को नष्ट कर दिया।

17) तब उन्होंने आ कर दोनों को शान्ति का सन्देश सुनाया - आप लोगों को, जो दूर थे और उन लोगों को, जो निकट थे;

18) क्योंकि उनके द्वारा हम दोनों एक ही आत्मा से प्रेरित हो कर पिता के पास पहुँच सकते हैं।

सुसमाचार : सन्त मारकुस का सुसमाचार 6:30-34

30) प्रेरितो ने ईसा के पास लौट कर उन्हें बताया कि हम लोगों ने क्या-क्या किया और क्या-क्या सिखलाया है।

31) तब ईसा ने उन से कहा, ’’तुम लोग अकेले ही मेरे साथ निर्जन स्थान चले आओ और थोड़ा विश्राम कर लो’’; क्योंकि इतने लोग आया-जाया करते थे कि उन्हें भोजन करने की भी फुरसत नही रहती थी।

32) इस लिए वे नाव पर चढ़ कर अकेले ही निर्जन स्थान की ओर चल दिये।

33) उन्हें जाते देख कर बहुत-से लोग समझ गये कि वह कहाँ जा रहे हैं। वे नगर-नगर से निकल कर पैदल ही उधर दौड़ पड़े और उन से पहले ही वहाँ पहुँच गये।

34) ईसा ने नाव से उतर कर एक विशाल जनसमूह देखा। उन्हें उन लोगों पर तरस आया, क्योंकि वे बिना चरवाहे की भेड़ों की तरह थे और वह उन्हें बहुत-सी बातों की शिक्षा देने लगे।


मनन-चिंतन

Have a break have a kit-kat. अंतराल लो kit-kat खाओ. Break हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। आज के सुसमाचार में हम देखते है कि प्रेषित कार्य के बाद वापस लौटे शिष्यों को प्रभु आराम करने का निमत्रंण देते है।

फादर जैरी ओरबोस अपनी श्रमततल व्तइवे एक किताब में येसु द्वारा दिये गये इस आराम के तीन कारण बताते है। शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक।

शारीरिक: शिष्यों ने अपना प्रेषित कार्य इतने जोशखरोश के साथ किया कि उनके पास आराम के बारे में सोचने तक का समय नहीं था। उन्होंने उनकी शारीरिक क्षमता की परवाह न रखते हुए काम किया। यदि इस गति के साथ वे काम करना जारी रखते तो वे शायद बीमार भी हो सकते थे। इस बात को मन में रखते हुए प्रभु उन्हें आराम करने के लिए कहते है।

मानसिक: बाइबिल में हम देखते है कि जब कुछ महिलाऐं बच्चों को आर्शीवाद के लिए प्रभु के पास लाती है तो शिष्यगण नाराज हो कर उनको दूर कर देते है। भीड बढ़ने पर उनकी आशंका होती थी। यहॉं पर हम देखते है कि वे पहले से ही थक चुके थे और ऊपर से भीड उमड पड रही थी। उनके अच्छे कार्यों को प्रभु गुस्से में डुबाना नहीं चाहते थे। भीड में शिष्य चिडचिडेपन के कारण लोगों से गुस्सा कर सकते थे। यह सब देखते हुए येसु ने उनको आराम करने भेजा।

आध्यात्मिक: आष्टा सेमिनारी में हमारा ARA (Action Reflection Action) नामक कार्यक्रम हुआ करते थे। इसका उद्देश्य यह था कि लोगों के बीच सामाजिक जागरूकता के कार्य करने के बाद मनन चिंतन करके और भी अच्छी तरीके से उसको करना। यही योजना प्रभु के मन में थी। उन्होंने अपने शिष्यों को आराम करने के लिए इसीलिए कहा कि वे अपने कार्यों पर मनन-चिन्तन करें और यह समझे की प्रभु की कृपा कितनी बडी मात्रा में उनके कार्यों पर बनी रही। यह आराम उनके आगे के मिशन कार्यों के लिए जोश और ऊर्जा प्रदान कर सकता था।

हम सब अपनी गाडियों की सर्विसिंग कराते है इस तरह हम गाडी को break या विश्राम देते है। इंजन का तेल (Engine oil) बदलने से तथा पहियों को तेल से रमाने से गाडी की क्षमता बढ़ जाती है। इस प्रकार गाडी के समान हमें भी विश्राम की जरूरत है लेकिन ज्यादातर लोग यह विश्राम लेना नहीं चाहते हैं।

पुराने जमाने में कपडे धोने और बर्तन मांझने में बहुत समय लगता था। कुॅए और हैंडपंप से पानी निकालते थे, चूल्हा लकडी से जलाते थे। यह सब करने के लिए भी बहुत समय लगता था लेकिन फिर भी लोगों के पास आराम करने के लिए, break लेने के लिए पर्याप्त समय था। आजकल कपडे और बर्तन धोने के लिए मशीन है, पानी नल खोलने पर उपलब्ध है, गैस और बिजली से चूल्हे जलते है। इस मशीनों के कारण समय की काफी बचत होती है। फिर भी आज break लेने के लिए किसी के पास समय नहीं है। सब व्यस्त रहते है।

वैसे तो प्राकृतिक तौर पर तो हम सब break लेते है। सुबह से tea break, lunch break शाम को लंबे आराम के लिए सोने का break लेते है। break लेना भूल जाते है या लेना नहीं चाहते है उनके लिए भी प्रकृति का नियम है - बीमारी। किसी के बीमार होने से उनको तीन-चार दिन लगातार break मिलता है।

हम सबको break लेने की आदत अपनाना चाहिए। Break लेने से हम अपने शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक क्षमता बडा सकते है। साथ साथ और भी ऊर्जा के साथ प्रभु के लिए काम कर सकते है।

फादर मेलविन चुल्लिकल


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