चक्र - स - पास्का इतवार



दिन का मिस्सा बलिदान

पहला पाठ : प्रेरित-चरित 10:34a. 37-43

34) पेत्रुस ने कहा, "मैं अब अच्छी तरह समझ गया हूँ कि ईश्वर किसी के साथ पक्ष-पात नहीं करता।

37) नाज़रेत के ईसा के विषय में यहूदिया भर में जो हुआ हैं, उसे आप लोग जानते हैं। वह सब गलीलिया में प्रारंभ हुआ-उस बपतिस्मा के बाद, जिसका प्रचार योहन किया था।

38) ईश्वर ने ईसा को पवित्र आत्मा और सामर्थ्य से विभूषित किया और वह चारों ओर घूम-घूम कर भलाई करते रहें और शैतान के वश में आये हुए लोगों को चंगा करते रहें, क्योंकि ईश्वर उनके साथ था

39) उन्होंने जो कुछ यहूदिया देश और येरुसालेम में किया, उसके साक्षी हम हैं। उन को लोगों ने क्रूस के काठ पर चढ़ा कर मार डाला;

40) परंतु ईश्वर ने उन्हें तीसरे दिन जिलाया और प्रकट होने दिया-

41) सारी जनता के सामने नहीं, बल्कि उन साक्षियों के सामने, जिन्हें ईश्वर ने पहले ही से चुन लिया था। वे साक्षी हम हैं। मृतकों में से उनके जी उठने के बाद हम लोगों ने उनके साथ खाया-पिया

42) और उन्होंने हमें आदेश दिया कि हम जनता को उपदेश दे कर घोषित करें कि ईश्वर ने उन्हें जीवितों और मृतकों का न्यायकर्ता नियुक्त किया हैं।

43) उन्हीं के विषय में सब नबी घोषित करते है कि जो उन में विश्वास करेगा, उसे उनके नाम द्वारा पापों की क्षमा मिलेगी।"

दूसरा पाठ : कलोसियों 3:1-4

1) यदि आप लोग मसीह के साथ ही जी उठे हैं- जो ईश्वर के दाहिने विराजमान हैं- तो ऊपर की चीजें खोजते रहें।

2) आप पृथ्वी पर की नहीं, ऊपर की चीजों की चिन्ता किया करें।

3) आप तो मर चुके हैं, आपका जीवन मसीह के साथ ईश्वर में छिपा हुआ है।

4) मसीह ही आपका जीवन हैं। जब मसीह प्रकट होंगे, तब आप भी उनके साथ महिमान्वित हो कर प्रकट हो जायेंगे।

अथवा दूसरा पाठ : 1 कुरिन्थियों 5: 6b-8.

6) आप लोगों का आत्मसन्तोष आप को शोभा नहीं देता। क्या आप यह नहीं जानते कि थोड़ा-सा ख़मीर सारे सने हुए आटे को ख़मीर बना देता है?

7) आप पुराना ख़मीर निकाल कर शुद्ध हो जायें, जिससे आप नया सना हुआ आटा बन जायें। आप को बेख़मीर रोटी-जैसा बनना चाहिए क्योंकि हमारा पास्का का मेमना अर्थात् मसीह बलि चढ़ाये जा चुके हैं।

8) इसलिए हमें न तो पुराने खमीर से और न बुराई और दुष्टता के खमीर से बल्कि शुद्धता और सच्चाई की बेख़मीर रोटी से पर्व मनाना चाहिए।

सुसमाचार योहन 20:1-9

1) मरियम मगदलेना सप्ताह के प्रथम दिन, तडके मुँह अँधेरे ही कब्र के पास पहुँची। उसने देखा कि कब्र पर से पत्थर हटा दिया गया है।

2) उसने सिमोन पेत्रुस तथा उस दूसरे शिष्य के पास, जिसे ईसा प्यार करते थे, दौडती हुई आकर कहा, "वे प्रभु को कब्र में से उठा ले गये हैं और हमें पता नहीं कि उन्होंने उन को कहाँ रखा है।"

3) पेत्रुस और वह दूसरा शिष्य कब्र की ओर चल पडे।

4) वे दोनों साथ-साथ दौडे। दूसरा शिष्य पेत्रुस को पिछेल कर पहले कब्र पर पहुँचा।

5) उसने झुककर यह देखा कि छालटी की पट्टियाँ पडी हुई हैं, किन्तु वह भीतर नहीं गया।

6) सिमोन पेत्रुस उसके पीछे-पीछे चलकर आया और कब्र के अन्दर गया। उसने देखा कि पट्टियाँ पडी हुई हैं।

7) और ईसा के सिर पर जो अँगोछा बँधा था वह पट्टियों के साथ नहीं बल्कि दूसरी जगह तह किया हुआ अलग पडा हुआ है।

8) तब वह दूसरा शिष्य भी जो कब्र के पास पहले आया था भीतर गया। उसने देखा और विश्वास किया,

9) क्योंकि वे अब तक धर्मग्रन्थ का वह लेख नहीं समझ पाये थे कि जिसके अनुसार उनका जी उठना अनिवार्य था।


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