चक्र - स - वर्ष का इकत्तीसवाँ इतवार



पहला पाठ : प्रज्ञा ग्रन्थ 11:22-12:2

22) प्रभु! तेरी दृष्टि में समस्त संसार तराजू के पासंग के बराबर है अथवा प्रातःकाल भूमि पर गिरने वाली ओस की बूँद की तरह।

23) तू सब पर दया करता है, क्योंकि तू सर्वशक्तिमान् है। तू मनुष्य के पापों को इसलिए अनदेखा करता है, कि वह पश्चात्ताप करें।

24) तू सब प्राणियों को प्यार करता है और अपनी बनायी हुई किसी वस्तु से घृणा नहीं करता। यदि तुझे किसी वस्तु से घृणा हुई होती तो तूने उसे नहीं बनाया होता।

25) यदि तू उसे नहीं चाहता, तो कुछ भी अस्तित्व में नहीं बना रहता; यदि तूने उसे नहीं बुलाया होता, तो कुछ भी सुरक्षित नहीं रहता।

26) प्रभु! तू सारी सृष्टि की रक्षा करता है, क्योंकि वह तेरी है। तू सब प्राणियों को प्यार करता है;

12:1) क्योंकि तेरा अविनाशी आत्मा सब में व्याप्त है।

2) प्रभु! तू अपराधियों को थोड़ा-थोड़ा कर के दण्ड देता है। तू उन्हें चेतावनी देता और उन्हें उनके पापों का स्मरण दिलाता है, जिससे वे बुराई से दूर रहे और तुझ पर भरोसा रखें।

3) तूने अपनी पवित्र भूमि के पुराने निवासियों के साथ ऐसा व्यवहार किया,

दूसरा पाठ : 2 थेसलनीकियों 1:11-2:2

11) हम निरन्तर आप लोगों के लिए यह प्रार्थना करते हैं कि ईश्वर आप को अपने बुलावे के योग्य बनाये और आपकी प्रत्येक सदिच्छा तथा विश्वास से किया हुआ आपका प्रत्येक कार्य अपने सामर्थ्य से पूर्णता तक पहुँचा दे।

12) इस प्रकार हमारे ईश्वर की और प्रभु ईसा मसीह की कृपा के द्वारा हमारे प्रभु ईसा मसीह का नाम आप में गौरवान्वित होगा और आप लोग भी उन में गौरवान्वित होंगे।

2:1) भाइयो! हमारे प्रभु ईसा मसीह के पुनरागमन और उनके सामने हम लोगों के एकत्र होने के विषय में हमारा एक निवेदन, यह है।

2) किसी भविष्यवाणी, वक्तव्य अथवा पत्र से, जो मेरे कहे जाते हैं, आप लोग आसानी से यह समझ कर न उत्तेजित हों या घबरायें कि प्रभु का दिन आ चुका है।

सुसमाचार : लूकस 19:1-10

1) ईसा येरीख़ो में प्रवेश कर आगे बढ़ रहे थे।

2) ज़केयुस नामक एक प्रमुख और धनी नाकेदार

3) यह देखना चाहता था कि ईसा कैसे हैं। परन्तु वह छोटे क़द का था, इसलिए वह भीड़ में उन्हें नहीं देख सका।

4) वह आगे दौड़ कर ईसा को देखने के लिए एक गूलर के पेड़ पर चढ़ गया, क्योंकि वह उसी रास्ते से आने वाले थे।

5) जब ईसा उस जगह पहुँचे, तो उन्होंने आँखें ऊपर उठा कर ज़केयुस से कहा, "ज़केयुस! जल्दी नीचे आओ, क्योंकि आज मुझे तुम्हारे यहाँ ठहरना है"।

6) उसने, तुरन्त उतर कर आनन्द के साथ अपने यहाँ ईसा का स्वागत किया।

7) इस पर सब लोग यह कहते हुए भुनभुनाते रहे, "वे एक पापी के यहाँ ठहरने गये"।

8) ज़केयुस ने दृढ़ता से प्रभु ने कहा, "प्रभु! देखिए, मैं अपनी आधी सम्पत्ति ग़रीबों को दूँगा और मैंने जिन लोगों के साथ किसी बात में बेईमानी की है, उन्हें उसका चैगुना लौटा दूँगा"।

9) ईसा ने उस से कहा, "आज इस घर में मुक्ति का आगमन हुआ है, क्योंकि यह भी इब्राहीम का बेटा है।

10) जो खो गया था, मानव पुत्र उसी को खोजने और बचाने आया है।"

मनन-चिंतन

स्तोत्र 14:1-2 में, प्रभु का वचन हमें बताता है कि मूर्ख प्रभु ईश्वर के अस्तित्व को नकारते हैं जबकि बुद्धिमान उनको खोजते रहते हैं। इसी बात को Ps 53:1-2 में भी दोहराया गया है। पवित्र वचन हमें बताता है, "ईश्वर यह जानने के लिए स्वर्ग से मनुष्यों पर दृष्टि दौड़ाता है कि उन में कोई बुद्धिमान हो, जो ईश्वर की खोज में लगा रहता हो" (स्तोत्र 14: 2)। 1इतिहास 22:19 हमें निमन्त्रण देता है, "अब अपने सारे हृदय और सारी आत्मा से प्रभु, अपने ईश्वर की खोज में लगे रहो"। यिरमियाह 29: 13-14 एक बहुत बड़ा वादा करता है- “यदि तुम मुझे सम्पूर्ण हृदय से ढूँढ़ोगे, तो मैं तुम्हे मिल जाऊँगा“- यह प्रभु की वाणी है- “और मैं तुम्हारा भाग्य पलट दूँगा। मैं तुम्हें उन सब राष्ट्रों और उन सब स्थानों से, जहाँ मैंने तुम्हें निर्वासित कर दिया है, यहाँ फिर एकत्रित करूँगा।“ यह प्रभु की वाणी है। “मैं तुम्हें फिर उसी जगह ले आऊँगा, जहाँ से मैंने तुम्हें निर्वासित कर दिया था।'' ज़केयुस और येसु के बीच हुई मुलाकात में प्रभु के ये सभी उदार वचन पूरे हुए। ज़केयुस उत्सुकता से प्रभु की तलाश कर रहा था और प्रभु ने खुद को ढूंढने दिया, न केवल पाये जाने दिया, बल्कि ज़कयुस को उनकी निकटता का अनुभव भी करने दिया। ज़केयुस प्रभु के प्रभाव से अछूता नहीं रह सकता था। उसने अपनी संपत्ति के प्रति आसक्ति और अपने पिछले सभी लगाव को छोड़ दिया क्योंकि उसने येसु में सबसे बड़ा खजाना पाया। ज़केयुस ने प्रभु को पाने के लिए अपना सब कुछ छोड दिया, तो इसके ठीक विपरीत मारकुस 10:17-31 में हम उस अमीर युवक को पाते हैं जो उदास होकर चला गया था क्योंकि वह अपनी सम्पत्ति का त्याग करना नहीं चाहता था। ज़केयुस ने पवित्र ग्रन्थ के उस आह्वान को समझ लिया जो कहता है, “प्रभु-भक्तों! प्रभु पर श्रद्धा रखो! श्रद्धालु भक्तों को किसी बात की कमी नहीं।" (स्तोत्र 34:10)।

-फादर फ्रांसिस स्करिया


REFLECTION

In Psalm 14: 1-2, the Word of God tells us that the foolish negate the existence of God while the wise seek God. This is repeated in Ps 53 too. The Word tells us, “The Lord looks down from heaven on humankind to see if there are any who are wise, who seek after God” (Ps 14:2). 1Chron 22:19 admonishes us, “Now set your mind and heart to seek the Lord your God”. Jer 29:13-14 makes a huge promise- “When you search for me, you will find me; if you seek me with all your heart, I will let you find me, says the Lord, and I will restore your fortunes and gather you from all the nations and all the places where I have driven you, says the Lord, and I will bring you back to the place from which I sent you into exile.” All these magnanimous words of the Lord are fulfilled in the meeting between Zachaeus and Jesus. Zachaeus was eagerly seeking the Lord and the Lord let himself be found, not only to be found but also to be experienced closely by Zachaeus. Zachaeus could not remain unchanged. He gives up all his previous attachment to properties and possessions as he finds the greatest treasure in Jesus. We can very find the contrast between the Rich Tax Collector Zachaeus gave up everything for the sake of Jesus and the Rich young man who went away sad for he was unwilling to give up what he possessed (cf. Mk 10:17-31) Zachaeus was able to give up everything because he has come to believe the Word that tells, “The young lions suffer want and hunger, but those who seek the Lord lack no good thing” (Ps 34:10).

-Fr. Francis Scaria


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Praise the Lord!