15 अगस्त

माता मरियम का स्वर्गारोपण; स्वतंत्रता दिवस

📒 पहला पाठ : प्रकाशना ग्रन्थ 11:19a;12:1-6a,10ab

19) तब स्वर्ग में ईश्वर का मन्दिर खुल गया और मन्दिर में ईश्वर के विधान की मंजूषा दिखाई पड़ी।

1) आकाश में एक महान् चिन्ह दिखाई दिया: सूर्य का वस्त्र ओढ़े एक महिला दिखाई पड़ी। उसके पैरों तले चन्द्रमा था और उसके सिर पर बारह नक्षत्रों का मुकुट।

2) वह गर्भवती थी और प्रसव-वेदना से पीडि़त हो कर चिल्ला रही थी।

3) तब आकाश में एक अन्य चिन्ह दिखाई पड़ा- लाल रंग का एक बहुत बड़ा पंखदार सर्प। उसके सात सिर थे, दस सींग थे और हर एक सिर पर एक मुकुट था।

4) उसकी पूँछ ने आकाश के एक तिहाई तारे बुहार कर पृथ्वी पर फेंक दिये। वह पंखदार सर्प प्रसव-पीडि़त महिला के सामने खड़ा रहा, जिससे वह नवजात शिशु को निगल जाये।

5) उस महिला ने एक पुत्र प्रसव किया, जो लोह-दण्ड से सब राष्ट्रों पर शासन करेगा। किसी ने उस शिशु को उठाकर ईश्वर और उसके सिंहासन तक पहुंचा दिया

6) और वह महिला मरुभूमि की ओर भाग गयी, जहाँ ईश्वर ने उसके लिए आश्रय तैयार करवाया था और उसे बारह सौ साठ दिनों तक भोजन मिलने वाला था।

10) मैंने स्वर्ग में किसी को ऊँचे स्वर से यह कहते सुना, ’अब हमारे ईश्वर की विजय, सामर्थ्य तथा राजत्व और उसके मसीह का अधिकार प्रकट हुआ है; क्योंकि हमारे भाइयों का वह अभियोक्ता नीचे गिरा दिया गया है, जो दिन-रात ईश्वर के सामने उस पर अभियोग लगाया करता था।

📕 दूसरा पाठ: कुरिन्थियों के नाम सन्त पौलुस का पहला पत्र 15:20-27a

20) किन्तु मसीह सचमुच मृतकों में से जी उठे। जो लोग मृत्यु में सो गये हैं, उन में वह सब से पहले जी उठे।

21) चूँकि मृत्यु मनुष्य द्वारा आयी थी, इसलिए मनुष्य द्वारा ही मृतकों का पुनरूत्थान हुआ है।

22) जिस तरह सब मनुष्य आदम (से सम्बन्ध) के कारण मरते हैं, उसी तरह सब मसीह (से सम्बन्ध) के कारण पुनर्जीवित किये जायेंगे-

23) सब अपने क्रम के अनुसार, सब से पहले मसीह और बाद में उनके पुनरागमन के समय वे जो मसीह के बन गये हैं।

24) जब मसीह बुराई की सब शक्तियों को नष्ट करने के बाद अपना राज्य पिता-परमेश्वर को सौंप देंगे, तब अन्त आ जायेगा;

25) क्योंकि वह तब तक राज्य करेंगे, जब तक वह अपने सब शत्रुओं को अपने पैरों तले न डाल दें।

26) सबों के अन्त में नष्ट किया जाने वाला शत्रु है- मृत्यु।

27) धर्मग्रन्थ कहता है कि उसने सब कुछ उसके अधीन कर दिया है; किन्तु जब वह कहता है कि ’’सब कुछ उसके अधीन हैं’’, तो यह स्पष्ट है कि ईश्वर, जिसने सब कुछ मसीह के अधीन किया है, इस ’सब कुछ’ में सम्मिलित नहीं हैं।

📙 सुसमाचार : सन्त लूकस का सुसमाचार 1:39-56

39) उन दिनों मरियम पहाड़ी प्रदेश में यूदा के एक नगर के लिए शीघ्रता से चल पड़ी।

40) उसने ज़करियस के घर में प्रवेश कर एलीज़बेथ का अभिवादन किया।

41) ज्यों ही एलीज़बेथ ने मरियम का अभिवादन सुना, बच्चा उसके गर्भ में उछल पड़ा और एलीज़बेथ पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो गयी।

42) वह ऊँचे स्वर से बोली उठी, ’’आप नारियों में धन्य हैं और धन्य है आपके गर्भ का फल!

43) मुझे यह सौभाग्य कैसे प्राप्त हुआ कि मेरे प्रभु की माता मेरे पास आयीं?

44) क्योंकि देखिए, ज्यों ही आपका प्रणाम मेरे कानों में पड़ा, बच्चा मेरे गर्भ में आनन्द के मारे उछल पड़ा।

45) और धन्य हैं आप, जिन्होंने यह विश्वास किया कि प्रभु ने आप से जो कहा, वह पूरा हो जायेगा!’’

46) तब मरियम बोल उठी, ’’मेरी आत्मा प्रभु का गुणगान करती है,

47) मेरा मन अपने मुक्तिदाता ईश्वर में आनन्द मनाता है;

48) क्योंकि उसने अपनी दीन दासी पर कृपादृष्टि की है। अब से सब पीढि़याँ मुझे धन्य कहेंगी;

49) क्योंकि सर्वशक्तिमान् ने मेरे लिए महान् कार्य किये हैं। पवित्र है उसका नाम!

50) उसकी कृपा उसके श्रद्धालु भक्तों पर पीढ़ी-दर-पीढ़ी बनी रहती है।

51) उसने अपना बाहुबल प्रदर्शित किया है, उसने घमण्डियों को तितर-बितर कर दिया है।

52) उसने शक्तिशालियों को उनके आसनों से गिरा दिया और दीनों को महान् बना दिया है।

53) उसने दरिंद्रों को सम्पन्न किया और धनियों को ख़ाली हाथ लौटा दिया है।

54) इब्राहीम और उनके वंश के प्रति अपनी चिरस्थायी दया को स्मरण कर,

55) उसने हमारे पूर्वजों के प्रति अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार अपने दास इस्राएल की सुध ली है।’’

56) लगभग तीन महीने एलीज़बेथ के साथ रह कर मरियम अपने घर लौट गयी।

📚 मनन-चिंतन

आज का यह दिन ना केवल हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि आज हमारा स्वतंत्रता दिवस है, बल्कि संसार की समस्त कलीसिया के लिए भी यह दिन विशेष है क्योंकि हम स्वर्ग में धन्य कुँवारी माता मरियम के उदग्रहण का पर्व मनाते हैं। यद्यपि माता मरियम के स्वर्ग में उदग्रहण की याद में हम यह त्योहार मनाते थे लेकिन अधिकारिक तौर इस त्योहार को मनाने की घोषणा हमारे देश की स्वतंत्रता से तीन साल बाद 1950 में हुई। इस पर्व की घोषणा सन्त पापा पीयूस 12वें के द्वारा प्रेरितिक विधान मुनिफिचेंतिस्सिमुस देओस में 1 नवम्बर 1950 की थी। तभी से यह पर्व बड़े हर्षोल्लास, भक्ति एवं प्रेम के साथ 15 अगस्त के दिन मनाया जाता है।

कलीसिया की आधिकारिक घोषणा के अनुसार, “हम ईश्वर की प्रेरणा द्वारा इसकी घोषणा करते और परिभाषित करते हैं कि ईश्वर की निष्कलंक माता धन्य कुँवारी मरियम का जब इस पृथ्वी का कार्य पूरा हुआ तो आत्मा और शरीर सहित उन्हें स्वर्ग में उदग्रहित कर लिया गया।” (मुनिफिचेंतिस्सिमुस देओस, 44)। माता मरियम ने मानव मुक्ति के ईश्वर के विधान में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी तो उनका प्रिय पुत्र जिसे उसने बड़ी नाज़ों से पाला था, उन्हें यहीं मृत्युलोक में कैसे छोड़ देता? वह अपनी प्यारी माँ को अपनी उपस्थिति में सदा सर्वदा रहने के लिए स्वर्ग में क्यों नहीं बुलाएगा? हमारा विश्वास है कि माता मरियम अपने पुत्र के पास स्वर्ग में विराजमान होकर सदा हमारे लिए प्रार्थना करती रहती हैं।

- फादर जॉन्सन बी. मरिया (ग्वालियर धर्मप्रान्त)


📚 REFLECTION

Today is very special day not only for our country as we celebrate the Independence Day of our country, but also for the whole Church as we celebrate the solemnity of the Assumption of the Blessed Virgin Mary into heaven. Though we had been commemorating the event of the Assumption of Our Lady, but this feast was officially declared after 3 years of our country getting freedom. This feast was declared by Pope Pius XII on 1 November, 1950 in the Apostolic constitution Munificentissimus Deus. Since then it has been officially being celebrated in the whole Church widely with lot of devotion and love.

The Dogma declares that, “We proclaim and define it to be a dogma revealed by God that the Immaculate Mother of God, Mary ever Virgin, when the course of her earthly life was finished, was taken up body and soul into the glory of heaven” (Munificentissimus Deus, 44). Mother Mary played such a vital role in the plan of God for the salvation of humanity, then why would that loving son whom Mother Mary brought up with great love, leave her here on earth. Why wouldn’t he call her to himself, with him forever in Heaven? We know that even today our mother prays unceasingly to her son for the world.

-Fr. Johnson B.Maria (Gwalior)


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Praise the Lord!