02 अक्टूबर

पवित्र संरक्षक दूतॊ का पर्व

📒 पहला पाठ : निर्गमन ग्रन्थ 23:20-23

20) मैं एक दूत को तुम्हारे आगे-आगे भेजता हूँ। वह रास्तें में तुम्हारी रक्षा करेगा और तुम्हें उस स्थान ले जायेगा, जिसे मैंने निश्चित किया है।

21) उसका सम्मान करो और उसकी बातें सुनो। उसके विरुद्ध विद्रोह मत करो। वह तुम्हारा अपराध नहीं क्षमा करेगा, क्योंकि उसे मेरी ओर से अधिकार मिला है।

22) यदि तुम उसकी बातें मानोगे, तो मैं तुम्हारे शत्रुओं का शत्रु और तुम्हारे विरोधियों का विरोधी बनूँगा।

23) मेरा दूत तुम्हारे आगे-आगे चलेगा और तुम्हें अमोरियों, हित्तियों, परिज्जियों, कनानियों, हिव्वियों, तथा यबूसियों के देश पहुँचा देगा और मैं उनका सर्वनाश करूँगा।

📙 सुसमाचार : सन्त मत्ती का सुसमाचार 18:1-5,10

1) उस समय शिष्य ईसा के पास आ कर बोले, ’’स्वर्ग के राज्य में सबसे बड़ा कौन है?’’

2) ईसा ने एक बालक को बुलाया और उसे उनके बीच खड़ा कर

3) कहा, ’’मैं तुम लोगों से यह कहता हूँ- यदि तुम फिर छोटे बालकों-जैसे नहीं बन जाओगे, तो स्वर्ग के राज्य में प्रवेश नहीं करोगे।

4) इसलिए जो अपने को इस बालक-जैसा छोटा समझता है, वह स्वर्ग के राज्य में सबसे बड़ा है।

5) और जो मेरे नाम पर ऐसे बालक का स्वागत करता है, वह मेरा स्वागत करता है।

10) ’’सावधान रहो, उन नन्हों में एक को भी तुच्छ न समझो। मैं तुम से कहता हूँ- उनके दूत स्वर्ग में निरन्तर मेरे स्वर्गिक पिता के दर्शन करते हैं।

📚 मनन-चिंतन

ईश्वर हमसे प्यार करता है! इस प्यार का अनुभव करने का एक तरीका संरक्षक दूतों के माध्यम से है। आज कलीसिया संरक्षक स्वर्गदूतों का त्यौहार मनाती है। हम सभी को हमारी रक्षा करने के लिए स्वर्गदूतों की ज़रूरत है, और सुसमाचार हमें बताता है कि हम सभी के पास एक संरक्षक दूत है! यह बहुत ही सुखद बात है। आज का सुसमाचार का पाठ कल का पाठ अधिक अंतिम वाक्य है, जो कहता है, "सावधान रहो, उन नन्हों में एक को भी तुच्छ न समझो। मैं तुमसे कहता हूं - उनके दूत स्वर्ग में निरंतर मेरे स्वर्गिक पिता के दर्शन करते हैं"।

ईश्वर ने हमारी रक्षा के लिए स्वर्गदूतों को नियुक्त किया है। इसका अर्थ है कि ईश्वर हमसे प्यार करता है और इसलिए वह हमें संरक्षक दूतों के माध्यम से अपनी दिव्य सुरक्षा प्रदान करता है। प्रभु कहता है, " यदि तुम उसकी बातें मानोगे और मैं जो कुछ कहूंगा, वह सब पूरा करोगे, तो मैं तुम्हारे शत्रुओं का शत्रु और तुम्हारे विरोधियों का विरोधी बनूँगा। मेरा दूत तुम्हारे आगे- आगे चलेगा"। यह हमारे दुश्मनों से सुरक्षा का एक निश्चित तरीका है।

आज का सुसमाचार पाठ बच्चों की सुरक्षा के प्रति हमारे कर्तव्यों के बारे में भी याद दिलाता है। बच्चों के खिलाफ लगातार बढ़ते अपराधों के संदर्भ में यह एक दिव्य अनुस्मारक है।

क्या मुझे अक्सर डर लगता है और क्या मैं अपने आप कों असुरक्षित महसूस करता हूँ? याद रखें - अगर ईश्वर हमारे साथ हैं तो कौन हमारे विरुद्ध हो सकता हैं? हम यह भी सवाल करें - बच्चों और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए मुझे क्या करने की आवश्यकता है?

- फादर जोली जोन (इन्दौर धर्मप्रांत)


📚 REFLECTION

God loves us. One way of experiencing that love is through the guardian angels. Today the church celebrates the feast of guardian angels. We all need angels to protect us, and the gospel tells us that we all have one! That’s a matter of great comfort. Today’s gospel passage is the same as yesterday, except for the last verse, which says, “See that you never despise any of these little ones, for I tell you that their angels in heaven are continually in the presence of my Father in heaven”.

God has set his angels to watch over us. It means that God loves us and therefore he provides us his divine protection through the guardian angels. The Lord says, "If you listen carefully to his voice and do all that I say, I shall be enemy to your enemies, foe to your foes. My angel will go before you". This is a sure way of protection from our enemies.

The gospel passage also reminds us about our duties towards the protection of children. In the context of ever-increasing crimes against children this is a divine reminder.

Am I often afraid and do I feel insecure? Remember - if God is with us who can be against us? Let us also ask ourselves - What do I need to do to protect children and their rights?

-Fr. Jolly John (Indore Diocese)


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Praise the Lord!