28 दिसम्बर

पवित्र बालकपन का त्योहार

पहला पाठ: योहन का पहला पत्र 1:5-2:2

5) हमने जो सन्देश उन से सुना और तुम को भी सुनाते हैं, वह यह है- ईश्वर ज्योति है और उस में कोई अन्धकार नहीं!

6) यदि हम कहते हैं कि हम उसके जीवन के सहभागी हैं, किन्तु अन्धकार में चल रहे हैं, तो हम झूठ बोलते हैं और सत्य के अनुसार आचरण नहीं करते।

7) परन्तु यदि हम ज्योति में चलते हैं- जिस तरह वह स्वयं ज्योति में हैं- तो हम एक दूसरे के जीवन के सहभागी हैं और उसके पुत्र ईसा का रक्त हमें हर पाप से शुद्ध करता है।

8) यदि हम कहते हैं कि हम निष्पाप हैं, तो हम अपने आप को धोखा देते हैं और हम में सत्य नहीं है।

9) यदि हम अपने पाप स्वीकार करते हैं, तो वह हमारे पाप क्षमा करेगा और हमें हर अधर्म से शुद्ध करेगा; क्योंकि वह विश्वसनीय तथा सत्यप्रतिज्ञ है।

10) यदि हम कहते हैं कि हमने पाप नहीं किया है, तो हम उसे झूठा सिद्ध करते हैं और उसका सत्य हम में नहीं है।

1) बच्चो! मैं तुम लोगों को यह इसलिए लिख रहा हूँ कि तुम पाप न करो। किन्तु यदि कोई पाप करता, तो पिता के पास हमारे एक सहायक विद्यमान हैं, अर्थात् धर्मात्मा ईसा मसीह।

2) उन्होंने हमारे पापों के लिए प्रायश्चित किया है और न केवल हमारे पापों के लिए, बल्कि समस्त संसार के पापों के लिए भी।

सुसमाचार : सन्त मत्ती 2:13-18

(13) उनके जाने के बाद प्रभु का दूत युसुफ़ को स्वप्न में दिखाई दिया और यह बोला ’’उठिए! बालक और उसकी माता को लेकर मिस्र देश भाग जाइए। जब तक में आप से न कहूँ वहीं रहिए क्योंकि हेरोद मरवा डालने के लिए बालक को ढूँढ़ने वाला है।

(14) यूसुफ उठा और उसी रात बालक और उसकी माता को ले कर मिस्र देश चल दिया।

(15) वह हेरोद की मृत्यु तक वहीं रहा जिससे नबी के मुख से प्रभु ने जो कहा था, वह पूरा हो जाये - मैंने मिस्र देश से अपने पुत्र को बुलाया।

(16) हेरोद को यह देख कर बहुत क्रोध आया कि ज्योतिषियों ने मुझे धोखा दिया है। उसने प्यादों को भेजा और ज्योतिषियों से ज्ञात समय के अनुसार बेथलेहेम और आसपास के उन सभी बालकों को मरवा डाला, जो दो बरस के या और भी छोटे थे।

(17) तब नबी येरेमियस का यह कथन पूरा हुआ-

(18) रामा में रूदन और दारुण विलाप सुनाई दिया, राखेल अपने बच्चों के लिए रो रही है, और अपने आँसू किसी को पोंछने नहीं देती क्योंकि वे अब नहीं रहे।


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Praise the Lord!