चालीसा काल का दूसरा सप्ताह, मंगलवार



पहला पाठ : इसायाह का ग्रन्थ 1:10,16-20

10) सोदोम के शासको! प्रभु की वाणी सुनो। गोमारा की प्रजा! ईश्वर की शिक्षा पर ध्यान दो।

16) स्नान करो, शुद्ध हो जाओ। अपने कुकर्म मेरी आँखों के सामने से दूर करो। पाप करना छोड़ दो,

17) भलाई करना सीखो। न्याय के अनुसार आचरण करो, पद्दलितों को सहायता दो, अनाथों को न्याय दिलाओ और विधवाओं की रक्षा करो।“

18) प्रभु कहता है: “आओ, हम एक साथ विचार करें। तुम्हारे पाप सिंदूर की तरह लाल क्यों न हों, वे हिम की तरह उज्जवल हो जायेंगे; वे किरमिज की तरह मटमैले क्यों न हों, वे ऊन की तरह श्वेत हो जायेंगे।

19) यदि तुम अज्ञापालन स्वीकार करोगे, तो भूमि की उपज खा कर तृप्त हो जाओगे।

20) किन्तु यदि तुम अस्वीकार कर विद्रोह करोगे, तो तलवार के घाट उतार दिये जाओगे।“ यह प्रभु की वाणी है।

सुसमाचार : सन्त मत्ती 23:1-12

1) उस समय ईसा ने जनसमूह तथा अपने शिष्यों से कहा,

2) ’’शास्त्री और फरीसी मूसा की गद्दी पर बैठे हैं,

3) इसलिए वे तुम लोगों से जो कुछ कहें, वह करते और मानते रहो; परंतु उनके कर्मों का अनुसरण न करो,

4) क्योंकि वे कहते तो हैं, पर करते नहीं। वे बहुत-से भारी बोझ बाँध कर लोगों के कन्धों पर लाद देते हैं, परंतु स्वंय उँगली से भी उन्हें उठाना नहीं चाहते।

5) वे हर काम लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए करते हैं। वे अपने तावीज चैडे़ और अपने कपड़ों के झब्बे लम्बे कर देते हैं।

6) भोजों में प्रमुख स्थानों पर और सभागृहों में प्रथम आसनों पर विराजमान होना,

7) बाज़ारों में प्रणाम-प्रणाम सुनना और जनता द्वारा गुरुवर कहलाना- यह सब उन्हें बहुत पसन्द है।

8) ’’तुम लोग ’गुरुवर’ कहलाना स्वीकार न करो, क्योंकि एक ही गुरू है और तुम सब-के-सब भाई हो।

9) पृथ्वी पर किसी को अपना ’पिता’ न कहो, क्योंकि तुम्हारा एक ही पिता है, जो स्वर्ग में है।

10 ’आचार्य’ कहलाना भी स्वीकार न करो, क्योंकि तुम्हारा एक ही आचार्य है अर्थात् मसीह।

11) जो तुम लोगों में से सब से बड़ा है, वह तुम्हारा सेवक बने।

12) जो अपने को बडा मानता है, वह छोटा बनाया जायेगा। और जो अपने को छोटा मानता है, वह बडा बनाया जायेगा।

📚 मनन-चिंतन

संत पेत्रुस हम लोगों से कहते है कि आप लोग चुने हुए वंश, राजकीय यसजक वर्ग, पवित्र राष्ट्र तथा ईश्वर की निजी प्रजा हैं, जिससे आप उसके महान कार्यो का बखान करें। पहले आप प्रजा नहीं थे, अब आप ईश्वर की प्रजा हैं। पहले आप कृपा से वंचित थे, अब आप उसके कृपापात्र हैं। (1 पेत्रुस 2:9-10) इस कारण से आज के पहले पाठ में ईश्वर सोदोम के शासको से एवं गोमोरा की प्रजा से कहते है कि स्नान करें, शुद्व हो जाए। अपने कुकर्म मेरी ऑखों के सामने से दूर करें, पाप करना छोड दे, भलाई करना सीखे।

पुराने विधान में हम लोग ईश्वर व्दारा बार बार अपनी प्रजा से यह कहते हुए हम पढते है कि पवित्र बनो, क्योंकि मैं प्रभु तुम्हारा ईश्वर पवित्र हॅू। (लेवि 11:44-45, 19:2, 20:7,26) योशुआ ने लोगों से कहा अपने को पवित्र बनाये सखो, क्योंकि कल प्रभु तुम्हारी ऑखों के सामने चमत्कार करेगा। (योशुआ 3:5) प्रभु ने मूसा से कहा, तुम लोगों के पास जा कर आदेश दो कि वे आज और कल अपने को पवित्र करें और अपने वस्त्र धो लें। वे परसों के लिए अपने को तैयार करें, क्योंकि परसों प्रभु सभी लोगों के सामने सीनई पर्वत पर उतरेगा। (निर्गमन 19:10-11) नये विधान में संत पेत्रुस कहते है आप को जिसने बुलाया, वह पवित्र है। आप भी उसके सदृश अपने समस्त आचरण में पवित्र बनें। (1 पेत्रुस 1:15)

हम अपने आप से पूछें कि क्या मैं ईश्वर की दृष्टि में पवित्र हॅू या नहीं। अगर हम पवित्र नहीं है तो आज के पाठ द्वारा ईश्वर आप को भी बुला रहे है कि आओ मेरे पास। चाहे आप कितने भी घोर पापी क्यों न हो ईश्वर प्यार से आप को भी बुल रहे है। इसलिए हम आज के पहले पाठ में सुनते है कि आओ, हम एक साथ विचार करें। तुम्हरे पाप सिंदूर की तरह लाल क्यों न हों, वे हिम की तरह उज्जल हो जायेगें; वे किरमिज की तरह मटमैले क्यों न हों, वे ऊन की तरह श्वेत हो जायेंगे। (इसायाह 1:18)। आईए हम ईश्वर का यह बुलावे को स्वीकार करते हुए उनके पास जाये और अपने आप को आध्यात्मिक रुप से शुद्व करें।


-फादर शैलमोन आन्टनी


📚 REFLECTION


St. Peter says in 1Pet 2:9-10 you are a chosen race, a royal priesthood, a holy nation, Gods own people, in order that you may proclaim the mighty acts of him who called you out of darkness into his marvelous light. Because of this in the first reading God is telling the rulers of Sodom and people of Gomorrah that wash yourselves; make yourselves clean; remove the evil of your doings from before my eyes; cease to do evil, learn to do good.

In the Old Testament there are very many references where God says be holy as I am your God is holy (Lev 11:44-45, 19:2; 20:7,26). Joshua says to the people Sanctify yourselves; for tomorrow the Lord will do wonders among you (Joshua 3:5). The Lord said to Moses: “Go to the people and consecrate them today and tomorrow. Have them wash their clothes and prepare for the third day, because on the third day the Lord will come down upon Mount Sinai in the sight of all the people. (Ex 19:10-11) in the New Testament St. Peter (1Pet 1:15) says instead as he who called you is holy, be holy yourselves in all your conduct.

Let us ask ourselves that are we holy in the sight of God? If not. Through the first reading the Lord is calling you close to him. No matter how grievous sinner you are, yet the Lord is calling you to himself. “Come now, let us argue it out, says the Lord: though your sins are like scarlet, they shall be like snow; though they are red like crimson, they shall become like wool (Isa 1:18). Come let us politely accept this invitation of God and go to him and cleanse ourselves spiritually.

-Fr. Shellmon Antony


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Praise the Lord!