चालीसा काल का तीसरा सप्ताह, शुक्रवार



पहला पाठ : होशेआ का ग्रन्थ 14:2-10

2) इस्राएल! अपने प्रभु-ईश्वर के पास लौट आओ, क्योंकि तुम अपने पापों के कारण गिर गये हो।

3) प्रार्थना का चढावा ले कर प्रभु के पास आओ और उस से यह कहो, ’’हमारा अपराध मिटा दे और हमारा सद्भाव ग्रहरण कर। हम तुझे बलिपशुओं के स्थान पर यह निवेदन चढाते हैं।

4) अस्सूर हमें बचाने में असमर्थ है। हम फिर कभी अपने घोडों पर भरोस नहीं रखेंगे और अपने हाथों की बनायी हुई मुर्ति से नहीं कहेंगे- तू हमारा ईश्वर है। प्रभु! तू ही अनाथ पर दया करता है।’’

5) मैं उनके विश्वासघात का घाव भर दूँगा। मैं सारे हृदय से उन को प्यार करूँगा; क्योंकि मेरा क्रोध उन पर से दूर हो गया है।

6) मैं इस्राएल के लिए ओस के सदृश बन जाऊँगा। वह सोसन की तरह खिलेगा और लेबानोन के बालूत की तरह जडे जमायेगा।

7) उसकी टहानियाँ फैलेंगी, उसकी शोभा जैतून के सदृश होगी और उसकी सुगन्ध लेबानोन के सदृश।

8) इस्राएली फिर मेरी छत्रछाया में निवास करेंगे और बहुत-सा अनाज उगायेंगे। वे दाखबारी की तरह फलेंगे-फूलेंगे और लेबानोन की अंगूरी की तरह प्रसिद्ध हो जायेंगे।

9) अब एफ्राईम को देवमूर्तियों से क्या? मैं ही उसकी सुनता और उसकी सुध लेता हूँ। मैं सदाबाहर सनोबर के सदृश हूँ- मुझ से ही उसे फल मिलते हैं।

10) जो समझदार है, वह इन बातों पर विचार करे। जो बुद्धिमान है, वह इन्हें अच्छी तरह जान ले। प्रभु के मार्ग सीधे हैं- धर्मी उन पर चलते हैं, किन्तु पापी उन पर ठोकर खा कर गिर जाते हैं।

सुसमाचार : सन्त मारकुस 12:28b-34

28) तब एक शास्त्री ईसा के पास आया। उन से पूछा, “सबसे पहली आज्ञा कौन सी है?“

29) ईसा ने उत्तर दिया, “पहली आज्ञा यह है- इस्राएल, सुनो! हमारा प्रभु-ईश्वर एकमात्र प्रभु है।

30) अपने प्रभु-ईश्वर को अपने सारे हृदय, अपनी सारी आत्मा, अपनी सारी बुद्धि और सारी शक्ति से प्यार करो।

31) दूसरी आज्ञा यह है- अपने पड़ोसी को अपने समान प्यार करो। इनसे बड़ी कोई आज्ञा नहीं।“

32) शास्त्री ने उन से कहा, “ठीक है, गुरुवर! आपने सच कहा है। एक ही ईश्वर है, उसके सिवा और कोई नहीं है।

33) उसे अपने सारे हृदय, अपनी सारी बुद्धि और अपने सारी शक्ति से प्यार करना और अपने पड़ोसी को अपने समान प्यार करना, यह हर प्रकार के होम और बलिदान से बढ़ कर है।“

34) ईसा ने उसका विवेकपूर्ण उत्तर सुन कर उस से कहा, “तुम ईश्वर के राज्य से दूर नहीं हो’’। इसके बाद किसी को ईसा से और प्रश्न करने का साहस नहीं हुआ।

📚 मनन-चिंतन

पूरे धर्मग्रन्थ में बहुत सेरे नियम दिया गया है । इसलिस एक शास्त्री ने येसु से पूछा- इन सारे नियमों में सर्वप्रथम नियम क्या है? या सबसे पहली आज्ञा कौन सी है? और येसु सबसे सुन्दर तरिके से सारे नियमों का सत बताते हुए कहते है कि हमारा प्रभु ईश्वर एकमात्र प्रभु है। अपने प्रभु ईश्वर को अपने सारे ह्रदय, अपनी सारी आत्मा, अपनी सारी बुद्धि और सारी शक्ति से प्यार करो। दूसरी आज्ञा यह है- अपने पडोसी को अपने समान प्यार करो।

हमें क्यों ईश्वर को सारे ह्रदय से प्यार करना है? क्योकि ईश्वर हमारा सृष्टिकर्ता है, हमें सबकुछ देनेवाला है और वह ईश्वर हमें खुद से ज्यादा प्यार करते है; वह ईश्वर इनसान बना और क्रूस पर अपना जीवन हमारे लिए अर्पित किया और वह ईश्वर हमें मुक्ति देनेवाला है। इस दुनिया में केवल ईश्वर हमें अनन्तकाल से प्यार करते आ रहे है। (यिरमियाह 31:3) दुनिया के प्रारंभ से पहले हमें जान लिया (एफेसियों 1:4) इसलिए येसु कहते है जो अपने पिता या अपनी माता को मुझ से अधिक प्यार करता है, वह मेरे योग्य नहीं। जो अपने पुत्र या अपनी पुत्री को मुझ से अधिक प्यार करता है, वह मेरे योग्य नहीं। (मत्ती 10:37)

ईश्वर को प्यार करने के साथ साथ हमें अपने पडोसियों को भी प्यार करना है। पडोसी को अपने समान प्यार करना है। क्योंकि जैसे ईश्वर ने हमें बनाया वैसे अपने पडोसी को भी वही ईश्वर ने बनाया है। जैसे ईश्वर हमें प्यार करते है वैसे ईश्वर हमारे पडोसीयों को भी प्यार करते है। हमारा ईश्वर ऐसे प्रभु है कि वह भले और बुरे, दोनों पर अपना सूर्य उगाता तथा धर्मी और अधर्मी, दोनों पर पानी बरसाता है। (मत्ती 5:45) भले समारी के दृष्टान्त द्वारा प्रभु येसु स्पष्ट रूप में हमें समझाते है कि पडोसी कौन है। हर एक जरूरतमंत व्यक्ति हमारे पडोसी है; भले वह दूसरे धर्म का क्यों न हो, दूसरे राष्ट्र का क्यों न हो आदि।

आईए हम वही ईश्वर से कृपा मांगे कि हम उनकी आज्ञाओं को अपने जीवन में पूरी कर सकें।


-फादर शैलमोन आन्टनी


📚 REFLECTION


There are so many laws given in the Old Testament. Therefore a scribe asked Jesus among all the commandments which is the first one? Which is the most important one? Jesus very beautifully summarizes all the commandments into two. Love your God with whole your heart, with all your soul, with all our mind and with all your strength.

Why should we love God with all our heart? Because God is our creator, He is the one who gives everything to us and that God loves us more that he loves himself. That’s why God became man and died on the cross showing that he loves us more than his own live. He is the one who gives us eternal life. And only God is loving us from eternally (Jer 31:3) I have loved you with an everlasting love. Eph 1:4 God has been loving us from the very beginning of the world. Therefore Jesus says in Mat 10:37 whoever loves father or mother more than me is not worthy of me; and whoever loves son or daughter more than me is not worthy of me.

We also need to love our neighbors and we love God. We need to love our neighbors as we love ourselves. Because as God has created us so also he has created them also. And as God loves us so also he loves our neighbors. Mt 5:45 for God makes his sun rise on the evil and on the good, and sends rain on the righteous and on the unrighteous. Through the parable of the Good Samaritan Jesus has clearly told us that the one who is in need in our neighbor; no matter he be of another religion, another cast, another nation etc. but he is our neighbor. Come let us ask the Lord to give us the grace to fulfill these commandments without fail.

-Fr. Shellmon Antony


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Praise the Lord!