चालीसा काल का पाँचवाँ सप्ताह, शनिवार



पहला पाठ : एज़ेकिएल का ग्रन्थ 37:21-28

21) और उन से कहो: प्रभु-ईश्वर यह कहता है- मैं इस्राएलियों को उन राष्ट्रों में से इकट्ठा करूँगा, जहाँ वे चले गये हैं। मैं उन्हें चारों दिशाओं से इकट्ठा करूँगा और उन्हें उनकी निजी भूमि वापस ले जाऊँगा।

22) मैं अपने देश में तथा इस्राएल के पर्वतों पर उन्हें एक राष्ट्र बना दूँगा और एक ही राजा उन सब का राजा होगा। वे अब से न तो दो राष्ट्र होंगे और न दो राज्यों में विभाजित।

23) वे फिर घृणास्पद मूर्तिपूजा और अधर्म से अपने को दूशित नहीं करेंगे। उन्होंने मरे साथ कितनी बार विश्वासघात किया! फिर भी मैं उन सब पापों से उन्हें छुडाऊँगा और शुद्ध करूँगा वे मेरी प्रजा होंगे और मैं उनका ईश्वर होऊँगा।

24) मेरा सेवक दाऊद उनका राजा बनेगा आर उन सबों का एक ही चरवाहा होगा। वे मरे नियमों पर चलेंगे और मेरी आज्ञाओं को विधिवत् पालन करेंगे।

25) वे और उनके पुत्र-पौत्र सदा-सर्वदा अपने पूर्वजों के देश में निवास करेंगे, जिस मैंने अपने सेवक याकूब को दे दिया है। मेरा सेवक दाऊद सदा के लिए उनका राजा होगा।

26) मैं उनके लिए शांति का विधान निर्धारित करूँगा, एक ऐसा विधान, जो सदा बना रहेंगा। मैं उन्हें फिर बसाऊँगा, उनकी संख्या बढाऊँगा और उनके बीच सदा के लिए अपना मन्दिर बनाऊँगा।

27) मैं उनके बीच निवास करूँगा, मैं उनका ईश्वर होऊँगा और वे मेरी प्रजा होंगे।

28) जब मेरा मंदिर सदा के लिए उनके बीच स्थापित होगा, तब सभी राष्ट्र यह जान जायेंगे कि मैं प्रभु हूँ, जो इस्राएल को पवत्रि करता है।’’

सुसमाचार : सन्त योहन का सुसमाचार 11:45-56

45) जो यहूदी मरियम से मिलने आये थे और जिन्होंने ईसा का यह चमत्कार देखा, उन में से बहुतों ने उन में विश्वास किया।

46) पंरतु उन में से कुछ लोगों ने फरीसियों के पास जाकर बताया कि ईसा ने क्या किया था।

47) तब महायाजकों और फरीसियों ने महासभा बुलाकर कहा ’’हम क्या करें? वह मनुष्य बहुत से चमत्कार दिखा रहा है।

48) यदि हम उसे ऐसा करते रहने देंगे, तो सभी उस में विश्वास करेंगे ओर रोमन लोग आकर हमारा मन्दिर और हमारा राष्ट्र नष्ट कर देंगे।’’

49) उन में से एक ने जिसका नाम केफस था और जो उस वर्ष प्रधान याजक था उन से कहा, ’’आप लोगो की बुद्वि कहाँ हैं?

50) आप यह नही समझते कि हमारा कल्याण इस में है कि जनता के लिये एक ही मनुष्य मरे और समस्त राष्ट्र का सर्वनाश न हो।

51) उसने यह बात अपनी ओर से नहीं कही। उसने उस वर्ष के प्रधानयाजक के रूप में भविष्यवाणी की कि ईसा राष्ट्र के लिये मरेंगे

52) और न केवल राष्ट्र के लिये बल्कि इसलिये भी कि वे ईश्वर की बिखरी हुई संतान को एकत्र कर लें।

53) उसी दिन उन्होनें ईसा को मार डालने का निश्चय किया।

54) इसलिये ईसा ने उस समय से यहूदियों के बीच प्रकट रूप से आना-जाना बन्द कर दिया। वे निर्जन प्रदेश के निकटवर्ती प्रांत के एफ्राइम नामक नगर गये और वहाँ अपने शिष्यों के साथ रहने लगे।

55) यहूदियों का पास्का पर्व निकट था। बहुत से लोग पास्का से पहले शुद्वीकरण के लिये देहात से येरुसालेम आये।

56) वे ईसा को ढूढ़ते थे और मन्दिर में आपस में कहते थे ’’आपका क्या विचार है? क्या वह पर्व के लिये नहीं आ रहे हैं?’’

📚 मनन-चिंतन

ईश्वर की दृष्टि में हमेंशा हमारे लिए अच्छी योजना है। जैसे कि वचन में कहता है यिरमियाह 29:11 - क्योंकि मैं तुम्हारे लिए निर्धारित अपनी योजनाएॅ जानता हॅू-यह प्रभु की वाणी है- तुम्हारे हित की योजनाएॅ, अहित की नहीं, तुम्हारे लिए आशामय भविष्य की योजनाएॅ। ईश्वर ने हमें बरबाद करने के लिए नहीं, बल्कि अच्छ जीवन बिताने के लिए बनाया है। प्रभु कहते है एज़ेकिएल 33:11 मुझे दुष्ट की मृत्यु से प्रसन्नता नहीं होती, बल्कि इस से होती है कि दुष्ट अपना कुमार्ग छोड़े दे और जीवित रहे। यह उस समय साकार होता है कि जब हम उनकी इच्छाओं के अनुसार जीवन बिताते है।

आज के पहले पाठ एज़ेकिएल 37:21-22 में ईश्वर कहते है कि मैं इस्राएलियों को उन राष्ट्रों से जहॉ वे दासता में है, वापस ले आ आऊॅगा और उन्हें उनकी निजी भूमि वापस ले आऊॅगा। और उन सब के लिए एक ही राजा होगा। प्यारे विश्वासियों यह प्रभु येसु के बारे में बताया गया भविष्यवाणी है। जैसे येसु ने कहा योहन 10: 16 कि तब एक ही झुण्ड होगा और एक ही गड़ेरिया। कलोसियों 3:11 जहॉ न यूनानी है या यहूदी, न ख़तना है या ख़तने का अभाव, न बर्बर है, न स्कूती, न दास और न स्वतन्त्र। वहॉ केवल मसीह हैं, जो सब कुछ और सब में हैं। 1कुरिन्थियों 15:28 जब सब कुछ पुत्र के अधीन कर दिया जायेगा, तब पुत्र स्वयं उस ईश्वर के अधीन हो जायेगा, जिसने सब कुछ उसके अधीन कर दिया और इस प्रकार ईश्वर सब पर पूर्ण शासन करेगा।

इस कार्य को पूरा करने के लिए पिता ईश्वर ने अपने एकलौते पुत्र को इस दुनिया में भेजा। संत पौलूस कहते है रोमियों 5:10 कि जब येसु इस दुनिया में आये तब हम सब घोर पाप करने के कारण ईश्वर के शत्रु थे। लेकिन ईश्वर करूणा सागर है। जैसे कि हम पहले पाठ में ईश्वर कहते हुए सुना कि इस्राएलियों ने मेरे साथ कितनी बार विश्वासघात किया! फिर भी मैं उन सब पापों से उन्हें छुड़ाऊॅगा और शुद्ध करूॅूगा।

यह करने केलिए येसु को हमारे पापों के प्रायश्चित के लिए अपने आप को बली के रूप में अर्पित करना पडा। इस चालिसा काल में हम उसी प्रभु येसु के चरणों में जायें और विनती करें कि वे हमें पूर्ण चंगाई प्रदान करें ताकी हम सब शुद्ध हो जाये।


-फादर शैलमोन आन्टनी


📚 REFLECTION


God has a wonderful plan for everyone of us. As the word of God says in Jer 29:11 For surely I know the plans I have for you, sys the Lord, plans for your welfare and not for harm, to give you a future with hope. Remember God did not created us to destroy our life, but to live a good life. In Ezek 33:11 God says I have no pleasure in the death of the wicked, but that the wicked turn from their ways and live. Our life becomes most beautiful when we live our lives according to the plan of God.

In the first reading God says Ezk 37:21-22 I will take the people of Israel from the nations among which they have gone, and will gather them from every quarter, and bring them to their own land. I will make them one nation in the land, on the mountains of Israel; and one king shall be king over them all. This is a prophesy about Jesus himself. Jesus himself says in Jn 10:16 I have other sheep that do not belong to this fold. I must bring them also, and they will listen to my voice. So there will be one flock one shepherd. In Col 3:11 in that renewal there is no longer Greek and Jew, circumcised and uncircumcised, barbarian, Scythian, slave and free; but Christ is all and in all. 1Cor 15:28 when all things are subjected to him, then the Son himself will also be subjected to the one who put all things in subjection under him, so that God may be all in all.

In order to fulfill this mission God the Father sent Jesus into this world. St. Paul says in Rom 5:10 that when we were because of our sins, enemies of God at that time God sent his Son. God is compassionate. We see this face of God in today’s first reading that Israelites abandoned God many time, yet the Lord says I will wash them of their sins, I will show mercy. In order this dream come true Jesus had to sacrifice his life on the cross; he had to shed his blood. In this season of lent let’s all go to the feet of the crucified Jesus and ask the Lord to cleanse us thoroughly from all our sins and make us clean.

-Fr. Shellmon Antony


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Praise the Lord!