दिसंबर 30, 2024, सोमवार

ख्रीस्त जयन्ती सप्ताह

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📒 पहला पाठ: योहन का पहला पत्र 2:12-17

12) बच्चो! मैं तुम्हें इसलिए लिख रहा हूँ कि उनके नाम के कारण तुम्हारे पाप क्षमा किये गये हैं।

13) पिताओ! मैं तुम्हें इसलिए लिख रहा हूँ कि तुम उसे जानते हो, जो आदिकाल से विद्यमान है। युवको! मैं तुम्हें इसलिए लिख रहा हूँ कि तुमने दुष्ष्ट पर विजय पायी है।

14) बच्चो! मैं तुम्हें इसलिए लिख रहा हूँ कि तुम पिता को जानते हो। पिताओं! मैं तुम्हें इसलिए लिख रहा हूँ कि तुम उसे जानते हो, जो आदि काल से विद्यमान है।युवको! मैं तुम्हें इसलिए लिख रहा हूँ कि तुम शक्तिशाली हो। तुम में ईश्वर का वचन निवास करता है और तुमने दुष्ट पर विजय पायी है।

15) तुम न तो संसार को प्यार करो और न संसार की वस्तुओं को। जो संसार को प्यार करता है, उस में पिता का प्रेम नहीं।

16) संसार में जो शरीर की वासना, आंखों का लोभ और धन-सम्पत्ति का घमण्ड है वह सब पिता से नहीं बल्कि संसार से आता है।

17) संसार और उसकी वासना समाप्त हो रही है; किन्तु जो ईश्वर की इच्छा पूरी करता है, वह युग-युगों तक बना रहता है।

📙 सुसमाचार : सन्त लूकस 2:36-40

36) अन्ना नामक एक नबिया थी, जो असेर-वंशी फ़नुएल की बेटी थी। वह बहुत बूढ़ी हो चली थी। वह विवाह के बाद केवल सात बरस अपने पति के साथ रह कर

37) विधवा हो गयी थी और अब चैरासी बरस की थी। वह मन्दिर से बाहर नहीं जाती थी और उपवास तथा प्रार्थना करते हुए दिन-रात ईश्वर की उपासना में लगी रहती थी।

38) वह उसी घड़ी आ कर प्रभु की स्तुति करने और जो लोग येरूसालेम की मुक्ति की प्रतीक्षा में थे, वह उन सबों को उस बालक के विषय में बताने लगी।

39) प्रभु की संहिता के अनुसार सब कुछ पूरा कर लेने के बाद वे गलीलिया-अपनी नगरी नाज़रेत-लौट गये।

40) बालक बढ़ता गया। उस में बल तथा बुद्धि का विकास होता गया और उसपर ईश्वर का अनुग्रह बना रहा।

📚 मनन-चिंतन

आज का सुसमाचार भविष्यवक्ता अन्ना की कहानी है। अन्ना एक बूढ़ी महिला थी. वह मन्दिर में रहती थी और रात-दिन पूजा करती थी। अन्ना सचमुच एक “ईश्वर की महिला“ थीं। अन्ना के पास अवश्य ही दूरदर्शिता का गुण था। वह उस बच्चे के आने की भविष्यवाणी करने लगी जिसका सभी लोग इंतज़ार कर रहे थे। उसने उस बच्चे के लिए भी धन्यवाद दिया जो आने वाला था और जो सभी लोगों को छुटकारा दिलाएगा। सुसमाचार यह नहीं बताता कि लोगों ने उस पर विश्वास किया या नहीं। क्या हम अन्ना की तरह हैं, जो भरोसा और विश्वास कि की यह बच्चा आएगा और सभी लोगों को बचाएगा? क्या हम येसु के आगमन के लिए तैयार हैं? कौन जानता है वो कब आँएगें!

फादर अल्फ्रेड डिसूजा (भोपाल महाधर्मप्रांत)

📚 REFLECTION


The Gospel for today is the story of Anna the prophetess. Anna was an old woman. She lived in the temple and she worshipped night and day. Anna truly was a “woman of God.” Anna must have had a gift of foresight. She began to prophesy of the coming of the child that all the people were waiting for. She also gave thanks for the child that would come and who would redeem all peoples. The Gospel doesn’t say whether the people believed her. Are we more like Anna, trusting and believing that this child would come and save all people? Are we prepared for Jesus’ coming? Who knows? Today may be the day!

-Fr. Alfred D’Souza (Bhopal Archdiocese)