कलीसियाइ इतिहास

4 - प्रोटेस्टेन्ट धर्मसुधार तथा त्रेन्त की महासभा

कई चुनौतियों के बावजूद भी प्रभु के संरक्षण तथा पवित्र आत्मा के मार्गदर्षन में कलीसिया आगे बढ़ती रही। बारहवीं सदी के मध्य में फ्रांसीसी राजा फिलिप (Philip the Fair) ने कलीसिया से कर वसूल करना चाहा। इस पर पापा बोनिफस आठवें ने कलीसिया पर कर लगानेवालों को कलीसिया से निष्कासित करने की धमकी दी। इस का राजा फिलिप पर कोई असर नहीं पड़ा। संत पापा ने सन् 1302 में एक आदेशपत्र जारी कर फ्रांसीसी राष्ट्र के ऊपर भी पापा का अधिकार होने का दावा किया। इसके विरोध में सितंबर सन् 1303 में राजा फिलिप ने पापा को कैदी बना लिया और कुछ ही दिनों में पापा का निधन हुआ। पापा बोनिफस आठवें के उत्तराधिकारी पापा बेनेड़िक्ट ग्यारहवें और पापा क्लेमेन्ट पाँचवें पर फ्रांसीसी शासकों का बडा प्रभाव था। फलस्वरूप सन् 1309 में पापा क्लेमेन्ट पाँचवें ने अपना निवास स्थान रोम से स्थानान्तरिक कर फ्रांसीसी नगर अविन्जोन में कर लिया। साधारणतः संत पापा रोम में रहते थे। ज्यादातर लोग इसे कलीसिया की परम्परा ही मानते थे क्योंकि रोम संत पेत्रुस का धर्मप्रान्त था और पेत्रुस और पौलुस रोम में ही शहीद हुए थे। इसलिए यह कलीसिया में गंभीर संकट का कारण बना। सन् 1376 तक संत पापा अविन्जोन में ही रहे। इतिहासकार इस अवधि को कलीसिया की ’’बेबीलोनिया की क़ैद’’ (Babylonian Captivity of the Church) कहते हैं। सन् 1376 में संत पापा गे्रगोरी नवें ने अपना आस्थान पुनः रोम में स्थापित किया। सन् 1378 में पापा गे्रगोरी नौंवें की मृत्यु पर रोम में नये पापा का चुनाव हुआ। इससे असंन्तुष्ट कुछ कार्डिनलों ने मिलकर अविन्जोन में दूसरे पापा का चुनाव किया। दोनों पापा और उनके अनुयायी वैधता का दावा करते थे। यह संकट तब और अधिक गहरा गया जब कुछ कार्डिनलों ने दोनों पापाओं को अवैध मानकर पीसा नगर में नये पापा का चुनाव किया। परन्तु किसी ने अपना स्थान नहीं छोड़ा। इस प्रकार कलीसिया में सबसे निन्दात्मक विच्छिन्न सम्प्रदाय (schism) प्रकट हुआ और एक ही समय तीन पापा कार्य कर रहे थे - हर एक अपनी वैधता का दावा करते रहे। कलीसिया के सदस्य बड़ी उलझन में पड़ गये कि किसको वैध पापा मानें। सन् 1417 में पापा मार्टिन पाँचवें के चुनाव के साथ ही इस विच्छिन्न सम्प्रदाय का अन्त हुआ। यह ’’पाश्चात्य विच्छिन्न सम्प्रदाय’’ (Western Schism) के नाम से जाने जाता है। हम इसका अन्दाज़ा नहीं लगा सकते हैं कि इस लज्जाजनक घटनाक्रम का विश्वासियों पर कितना हानिकारक प्रभाव पड़ा होगा और इससे उनके विश्वास को कितना आघात पहुँचा होगा।

इस विकट परिस्थिति के साथ-साथ अन्य कई कारक भी कलीसिया को आध्यात्मिकता से दूर ले गये। ईशशास्त्र के क्षेत्र में भी बड़ी अवनति हुई। ईशशास्त्र और दर्शनशास्त्र में एक प्रकार की शुष्कता प्रकट हुई। दोनों अव्यावहारिक बनते गये। कलीसिया की आय भी घटती गई। तो संत पापा और धर्माध्यक्ष इस स्थिति से उबरने के लिए विभिन्न प्रकार के कर वसूल करने लगे। पूर्ण और आंशिक दंड मुक्ति के लिए विविध शुल्क दरों को निर्धारित किये गये। हालाँकि भक्ति और धार्मिक रीति-रिवाज पनपते दिखाई दे रहे थे, किन्तु वास्तविक धर्मानुराग कम ही दिखाई देता था। संक्षेप में एक प्रकार की संासारिकता और लौकिकता प्रबल होती गई। इस संदर्भ में जर्मनी के मार्टिन लूथर ने सन् 1517 में कलीसिया के विरुद्ध एक आंदोलन शुरू किया। उन्होंने संत पापा और धर्माध्यक्षों की कड़ी आलोचना की, पूजन-विधि तथा धार्मिक शिक्षा का बहिष्कार किया, कलीसिया में प्रचलित कई प्रथाओं की निन्दा की और लोगों को यह सिखाया कि उन्हें बाइबिल के अलावा किसी भी शिक्षा पर ध्यान देने की कोई ज़रूरत नहीं है। उन्होंने सिखाया कि विश्वास ही किसी को मुक्ति दिला सकता है न कि संस्कार तथा धर्मविधि। जीन काल्विन और उलरिह स्विंग्ली ने मार्टिन लूथर के साथ मिलकर इस आंदोलन को पूरे यूरोप में फैलाया। कलीसिया में हलचल मच गयी। बडी संख्या में लोगों ने इन प्रोटेस्टेन्ट सुधारकों का समर्थन किया। सन् 1521 में संत पापा ने लूथर को कलीसिया से निष्कासित किया। इस प्रकार कलीसिया में विभाजन हुआ। मार्टिन लूथर के अनुसार सारी कैथलिक कलीसिया भौतिकवाद और कानूनी कार्यवाहियों से ऊपर से नीचे तक दूषित है। मार्टिन लूथर के अनुयायियों ने कैथलिक कलीसिया से अलग होकर प्रोटेस्टेन्ट कलीसिया को रूप दिया।

एंग्लिकन कलीसिया की शुरुआत कुछ नैतिक तथा राजनैतिक कारणों से हुई थी। इंग्लैंड का राजा हेनरी आठवाँ अपनी पत्नी केथरिन से संम्बंध-विच्छेद कर दूसरी स्त्री से विवाह करना चाहता था। संत पापा क्लेमेन्ट सातवें ने इसके लिए अनुमति देने से इनकार किया। इसपर राजा ने सन् 1529 में कार्डिनल वॉल्सी, जो संत पापा को इस मामले में मना नहीं सके, को केन्टरबेरी के महाधर्माध्यक्ष के पद से हटाया। राजा हेनरी ने 1534 में अपने आप को इग्लैंड की कलीसिया का परमाध्यक्ष घोषित किया तथा संत पापा के साथ सम्बन्धों को तोड दिया। इस प्रकार ऐंग्लिकन कलीसिया की शुरुआत हुई।

प्रोटेस्टेन्ट आंदोलन के खिलाफ़ संत पापा पौलुस तृतीय ने प्रतिक्रियास्वरूप कलीसियाई धर्म सुधार के लिए सन् 1545 में इटली के त्रेन्त (Trent) नगर में धर्माध्यक्षों की महासभा बुलाई। इस महसभा में लूथर की कलीसिया विरोधी शिक्षाओं का खण्डन किया गया। महासभा बुलाने में विलम्ब होने के कारण विभाजन ने जड पकड ली थी और मेल-मिलाप संभव नहीं था। महासभा ने कलीसिया के सात संस्कारों के प्रभु ख्रीस्त के द्वारा स्थापित होने की शिक्षा और विश्वास के साथ-साथ अच्छे कर्मों की ज़रूरत पर जोर दिया। त्रेन्त की महासभा ने कलीसिया में प्रचलित कई कुप्रथाओं तथा भ्रष्टाचार की निन्दा की और इन बुराईयों को दूर करने के लिए समुचित कार्रवाई की। इस प्रकार इस महासभा ने कलीसिया के पुनरुद्धार का काम आरंभ किया। महासभा के अन्त तक प्रोटेस्टेन्ट सुधारक आधे यूरोप को अपने प्रभाव में ला चुके थे। कई धर्मात्माओं तथा धर्मसमाजों ने इस प्रभाव से कलीसिया के सदस्यों को बचाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। कई लोगों ने प्रोटेस्टेन्ट शिक्षा तथा सिद्धान्तों को छोड़कर कैथलिक कलीसिया में अपना विश्वास पुनः जताया। प्रोटेस्टेन्ट कलीसिया में कई प्रकार की भिन्नता उत्पन्न होती गई।


1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
1. पाश्चात्य विच्छिन्न सम्प्रदाय किसे कहते हैं? इसका कलीसिया पर क्या प्रभाव पड़ा?
2. मार्टिन लूथर ने कलीसिया के विरुद्ध आंदोलन क्यों और कैसे शुरू किया?
3. ऐंग्लिकन कलीसिया की शुरुआत कैसे हुई?
4. प्रोटेस्टेंट आंदोलन के प्रति कलीसिया की क्या प्रतिक्रिया थी?
5. प्रोटेस्टेंट आंदोलन का कलीसिया पर क्या प्रभाव पड़ा?

2. रिक्त स्थानों की पूर्ति करो।
1. एंग्लिकन कलीसिया की शुरुआत कुछ...............एवं....................कारणों से हुई।
2. ...................... महासभा ने मार्टिन लूथर की कलीसिया विरोधी शिक्षाओं का खण्डन किया।
3. बारहवी सदी के मध्य में .............................ने कलीसिया से कर वसूल करना चाहा।
4. पेत्रुस और पौलुस .............................. में शहीद हुये।
5. ...................ने अपने आप को इग्लैंड की कलीसिया का परमाध्यक्ष घोषित किया।

3. सही जोड़ी बनाइए।
त्रेन्त की महासभा - संत पापा पौलुस तृतीय
एंग्लिकन कलीसिया - मार्टिन लूथर
प्रोटेस्टेन्ट आन्तोलन - राजा हेनरी आठवॉ






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