आध्यात्मिक मन्ना

ईश्वर के राज्य की खोज कीजिए

फ़ादर फ़्रांसिस स्करिया


francis scaria मारकुस 10:35-45 में हम देखते हैं कि ज़बेदी के पुत्र याकूब और योहन ईसा के पास आ कर बोले, ''गुरुवर ! हमारी एक प्रार्थना है। आप उसे पूरा करें।'' (36) ईसा ने उत्तर दिया, ''क्या चाहते हो? मैं तुम्हारे लिए क्या करूँ?'' (37) उन्होंने कहा, ''अपने राज्य की महिमा में हम दोनों को अपने साथ बैठने दीजिए- एक को अपने दायें और एक को अपने बायें''। (38) ईसा ने उन से कहा, ''तुम नहीं जानते कि क्या माँग रहे हो। जो प्याला मुझे पीना है, क्या तुम उसे पी सकते हो और जो बपतिस्मा मुझे लेना है, क्या तुम उसे ले सकते हो?'' (39) उन्होंने उत्तर दिया, ''हम यह कर सकते हैं''। इस पर ईसा ने कहा, ''जो प्याला मुझे पीना है, उसे तुम पियोगे और जो बपतिस्मा मुझे लेना है, उसे तुम लोगे; (40) किन्तु तुम्हें अपने दायें या बायें बैठने देने का अधिकार मेरा नहीं हैं। वे स्थान उन लोगों के लिए हैं, जिनके लिए वे तैयार किये गये हैं।''

एक बात तो साफ़ है कि जो प्रभु के महिमा में प्रवेश करना चाहते हैं, उन्हें प्रभु के साथ दुख भी सहना है। याकूब और योहन यह नहीं जानते हैं कि वे वस्तव में क्या माँग रहे हैं। वे अब यह समझ भी नहीं सकते हैं। कभी-कभी बच्चे एसी चीज़ों की माँग करते हैं, जिसे उन्हें माँगना नहीं चाहिए? बच्चों की बात तो हम समझ सकते हैं। लेकिन कभी-कभी बडे लोग भी ऐसी चीज़ों की माँग करते हैं जिसे उन्हें माँगना नहीं चाहिए। अगर ईश्वर हमसे कहते हैं कि तुम कुछ भी माँग लो, तो हम उनसे क्या माँगेगे? हम अच्छी या बुरी चीज़ उन से माँग सकते हैं।

संत मारकुस 6: हम एक दर्दनाक घटने का विवरण सुनते हैं। मारकुस 6:19-28 “ हेरोदियस योहन से बैर करती थी और उसे मार डालना चाहती थी; किन्तु वह ऐसा नहीं कर पाती थी, (20) क्योंकि हेरोद योहन को धर्मात्मा और सन्त जान कर उस पर श्रद्धा रखता और उसकी रक्षा करता था। हेरोद उसके उपदेश सुन कर बड़े असमंजस में पड़ जाता था। फिर भी, वह उसकी बातें सुनना पसन्द करता था। (21) हेरोद के जन्मदिवस पर हेरोदियस को एक सुअवसर मिला। उस उत्सव के उपलक्ष में हेरोद ने अपने दरबारियों, सेनापतियों और गलीलिया के रईसों को भोज दिया। (22) उस अवसर पर हेरोदियस की बेटी ने अन्दर आ कर नृत्य किया और हेरोद तथा उसके अतिथियों को मुग्ध कर लिया। राजा ने लड़की से कहा, ''जो भी चाहो, मुझ से माँगो। मैं तुम्हें दे दॅूंँगा'', (अ23) और उसने शपथ खा कर कहा, ''जो भी माँगो, चाहे मेरा आधा राज्य ही क्यों न हो, मैं तुम्हें दे दूँगा''। (24) लड़की ने बाहर जा कर अपनी माँ से पूछा, ''मैं क्या माँगूं?'' उसने कहा, ''योहन बपतिस्ता का सिर''। (25) वह तुरन्त राजा के पास दौड़ती हुई आयी और बोली, ''मैं चाहती हूँ कि आप मुझे इसी समय थाली में योहन बपतिस्ता का सिर दे दें'' (26) राजा को धक्का लगा, परन्तु अपनी शपथ और अतिथियों के कारण वह उसकी माँग अस्वीकार करना नहीं चाहता था। (27) राजा ने तुरन्त जल्लाद को भेज कर योहन का सिर ले आने का आदेश दिया। जल्लाद ने जा कर बन्दीगृह में उसका सिर काट डाला (28) और उसे थाली में ला कर लड़की को दिया और लड़की ने उसे अपनी माँ को दे दिया।“ हम राजाओं के पहला ग्रन्थ अध्याय 3 में पढते हैं कि जब ईश्वर ने राजा सुलेमान से कहा कि तुम मुझ से कुछ भी माँगो तो तुम्हें दिया जायेगा, तो सुलेमान अपने लिए प्रज्ञा का वरदान माँगा और ईश्वर सुलेमान से बहुत खुश हुए।

1 रजाओं 3:5-15 “ गिबओन में प्रभु रात को सुलेमान को स्वप्न में दिखाई दिया। ईश्वर ने कहा, ÷÷बताओ, मैं तुम्हें क्या दे दूँ?'' (6) सुलेमान ने यह उत्तर दिया, ÷÷तू मेरे पिता अपने सेवक दाऊद पर बड़ी कृपा करता रहा। वह सच्चाई, न्याय और निष्कपट हृदय से तेरे मार्ग पर चलते रहे, इसलिए तूने उन्हें एक पुत्र दिया, जो अब उनके सिंहासन पर बैठा है। (7) प्रभु! मेरे ईश्वर! तूने अपने इस सेवक को अपने पिता दाऊद के स्थान पर राजा बनाया, लेकिन मैं अभी छोटा हूँ। मैं यह नहीं जानता कि मुझे क्या करना चाहिए। (8) मैं यहाँ तेरी चुनी हुई प्रजा के बीच हूँ। यह राष्ट्र इतना महान् है कि इसके निवासियों की गिनती नहीं हो सकती। (9) अपने इस सेवक को विवेक देने की कृपा कर, जिससे वह न्यायपूर्वक तेरी प्रजा का शासन करे और भला तथा बुरा पहचान सके। नहीं तो, कौन तेरी इस असंख्य प्रजा का शासन कर सकता है?'' (10) सुलेमान का यह निवेदन प्रभु को अच्छा लगा। (11) प्रभु ने उसे से कहा, ÷÷तुमने अपने लिए न तो लम्बी आयु माँगी, न धन-सम्पत्ति और न अपने शत्रुओं का विनाश। (12) तुमने न्याय करने का विवेक माँगा है। इसलिए मैं तुम्हारी इच्छा पूरी करूँगा। मैं तुम को ऐसी बुद्धि और ऐसा विवेक प्रदान करता हूँ कि तुम्हारे समान न तो पहले कभी कोई था और न बाद में कभी कोई होगा। (13) और जो तुमने नहीं माँगा, मैं वह भी तुम्हें दे देता हूँ, अर्थात् ऐसी धन-सम्पत्ति तथा ऐसा ऐश्वर्य, जिससे कोई भी राजा तुम्हारी बराबरी नहीं कर पायेगा। (14) और यदि तुम अपने पिता दाऊद की तरह मेरे नियमों तथा आदेशों का पालन करते हुए मेरे मार्ग पर चलोगे, तो मैं तुम्हें लम्बी आयु प्रदान करूँगा।'' (15) सुलेमान की नींद खुल गयी और उसने समझ लिया कि मैंने स्वप्न देखा है। येरुसालेम में लौट आने पर उसने प्रभु की मंजूषा के सामने होम बलियाँ और शान्ति-बलियाँ चढ़ायीं और अपने सब सेवकों को भोज दिया।

संत याकूब कहते हैं, “यदि आप लोगों में किसी में प्रज्ञा का अभाव हो, तो वह ईश्वर से प्रार्थना करे और उसे प्रज्ञा मिलेगी; क्योंकि ईश्वर खुले हाथ और खुशी से सबों को देता है। (याकूब 1:5)

मत्ती 6:31-33 में प्रभु समझाते हैं कि हमें क्या माँगना चाहिए।

मत्ती 6:31-33 “ इसलिए यह कहते हुए चिंता मत करो- हम क्या खायें, क्या पियें, क्या पहनें। (32) इन सब चीजों की खोज में गैर-यहूदी लगे रहते हैं। तुम्हारा स्वर्गिक पिता जानता है कि तुम्हें इन सभी चीजों की ज’रूरत है। (33) तुम सब से पहले ईश्वर के राज्य और उसकी धार्मिकता की खोज में लगे रहो और ये सब चीजें, तुम्हें यों ही मिल जायेंगी।“


Copyright © www.jayesu.com
Praise the Lord!