आध्यात्मिक मन्ना

जो मेरा अनुसरण करना चाहता है...

फ़ादर जॉन्सन बी० मरिया


Johnson Maria प्रभु येसु ने उनका अनुसरण करने वालों के लिए एक शर्त रखी है कि, “जो मेरा अनुसरण करना चाहता है, वह अपना क्रूस उठाकर मेरे पीछे हो ले.” सभी ख्रीस्तीयों ने अपने बपतिस्मा द्वारा प्रभु येसु के इस आह्वान को स्वीकार किया है. हमारी इस स्वीकृति के द्वारा हम उस अनन्त पुरुस्कार के सहभागी बन जाते हैं जिसका वादा प्रभु येसु ने हमसे किया है, और वह वादा है स्वर्ग में हमारे लिए अनंत जीवन. इसके सम्बन्ध में संत योहन हमें याद दिलाते हैं कि “ईश्वर ने संसार को इतना प्यार किया कि उसने उसके लिए अपने एकलौते पुत्र को अर्पित कर दिया, जिससे जो उसमें विश्वास करता है, उसका सर्वनाश न हो बल्कि अनंत जीवन प्राप्त करे, (योहन 3:16).” और हमने अपने बपतिस्मा द्वारा ईश्वर के उसी एकलौते पुत्र में अपने विश्वास की घोषणा की है. प्रभु येसु में अपने बपतिस्मा द्वारा हमें नया जीवन मिला है. संत पौलुस हमसे कहते हैं कि बपतिस्मा द्वारा हमें नवजीवन मिला है और हमारा पुराना जीवन मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ाया जा चुका है. (देखें रोमियों के नाम पत्र 6:4-14)

इस भूमिका को याद रखते हुए यदि हमें आधुनिक युग में प्रभु येसु के सच्चे अनुयायी बनना है तो कड़ी चुनौतियों का सामना करना पडेगा. आजकल चारों ओर ऐसी परिस्थितियाँ हैं जो हमारे लिए सच्चा ख्रीस्तीय जीवन जीने के लिए अनेकों बाधाएं उत्पन्न करती हैं. यदि हम चाहे टेलिविज़न चालू करें, या फिर कोई भी समाचार पत्र या पत्रिका उठाकर पढ़ें, हर तरफ ऐसी खबरें भरी पड़ीं हैं जो मानव जीवन की नैतिकता के पतन की ओर इंगित करती हैं. इतने सारे अपराध, उपभोक्तावादी सोच, नई-नई विचारधाराएँ जो आसानी से आनन्दमय जीवन का भरोसा दिलाती हैं, सुबह से लेकर शाम तक हमें ऐसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है जो जाने-अनजाने में हमारे समक्ष प्रभु येसु का अनुसरण करने में बाधाएं पैदा कर देती हैं. हममें पवित्र आत्मा निवास करता है और ईश्वर का वही आत्मा हमारा ईश्वरीय जीवन जीने में उचित मार्गदर्शन करता है. लेकिन यदि बार-बार हम उसकी प्रेरणा को अनसुना कर देंगे तो धीरे-धीरे हमारी अंतरात्मा पवित्र आत्मा की प्रेरणा के प्रति उदासीन हो जायेगी, और हम पाप के चंगुल में फंसते जायेंगे, और हमें इस बात का तनिक भी आभास नहीं होगा कि हम ईश्वर से कितनी दूर चले गए हैं.

कहा जाता है कि यदि एक मेंढक को उबलते पानी में डालो तो वह थोडा भी तापमान अधिक होने पर मर जाता है, लेकिन यदि उसे समान्य तापमान वाले पानी में डालो और धीरे-धीरे उस पानी को गरम करो तो वह बहुत देर तक उस गरम पानी को सह सकता है. हम जब पानी के अंदर होते हैं तो हमें उसका हानिकारक तापमान महसूस नहीं होता लेकिन अगर कोई बाहर से उसे छुए तो बता सकता है कि हम कितने ठन्डे या गरम पानी में हैं. उसी प्रकार जब हम अपने चारों ओर पापमय वातावरण पाते हैं तो हमें अपनी आध्यात्मिक हानि का आभास नहीं होता. लेकिन यदि कोई हमसे बेहतर आध्यात्मिक जीवन जीने वाला व्यक्ति है तो वह हमारी कमजोरी हमें बता सकता है.

कई बार हम अपने अंदर तथा अपने चारों ओर व्याप्त पाप को नहीं पहचान पाते. हम बहुत सारे छोटे-छोटे पापों को नज़रंदाज़ कर देते हैं. पूर्व संत पिता सन्त योहन पौलुस द्वितीय ने एक बार कहा था कि आज की पीढ़ी का सबसे बड़ा पाप खुद पाप को पहचानने में उदासीन होना ही है. इस दुनिया में ऐसा कौन व्यक्ति है जिसने पाप नहीं किया, हम सब पापी हैं. फिर हम इस बात के प्रति क्यों उदासीन हो जाते हैं? माता कलीसिया हमें चालीसा काल के रूप में ऐसा समय प्रदान करती है कि जब हम अपने जीवन की अंधी दौड़ में कुछ पल रुककर सोचें कि क्या मैं बपतिस्मा में मिले उसी नवजीवन को जी रहा हूँ या इस संसार का जीवन जी रहा हूँ? क्या मैं बपतिस्मा द्वारा प्रभु येसु के अनुसरण करने के निमंत्रण को भूल गया हूँ और अपना क्रूस रास्ते में ही छोड़ दिया है? ख्रीस्तीय जीवन चुनौती भरा जीवन है, क्रूस ढोने का जीवन है. चालीसा काल हमें अपने दयालु पिता की ओर वापस मुड़ने का निमंत्रण देता है. ईश्वर हम सबको ऎसी कृपा दे कि हम अपने स्वर्गीय पिता के दयालु प्रेम को पहचान कर अपने पापों से विमुख होकर सारे ह्रदय से उसकी ओर लौटें.


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