आध्यात्मिक मन्ना

बलिदान से ज़्यादा महत्वपूर्ण बातें

फ़ादर फ़्रांसिस स्करिया


बलिदान हर धर्म में बहुत महत्व रखता है। पुराने व्यवस्थान में हम देखते हैं कि हाबिल के समय से ईश्वर की आराधना के रूप में बलिदान चढ़ाये जाते थे। नूह, इब्राहीम, इसहाक, याकूब और दाऊद जैसे महान व्यक्तियों ने ईश्वर की आराधना करते हुए बलिदान चढ़ाये। इब्रानियों के नाम पत्र में कहा गया है कि “प्रधानायाजक ही, वर्ष में एक बार, पिछले कक्ष में वह रक्त लिये प्रवेश करता था, जिसे वह अपने और प्रजा के दोषों के लिए प्रायश्चित के रूप में चढ़ाता था।“ (इब्रानियों 9:7) फिर भी पवित्र ग्रन्थ कहता है कि कुछ बातें बलिदान से ज़्यादा महत्व रखती हैं।

जब मूसा की अगुवाई में ईश्वर इस्राएलियों को मिस्र देश से छुड़ा कर प्रतिज्ञात देश की ओर ले जा रहे थे तो अमालेकियों ने रफीदीम में इस्राएलियों पर आक्रमण किया (देखिए निर्गमन 17:8-16)। जब साऊल इस्राएलियों का पहला राजा बनाया गया, तब ईश्वर ने चाहा की इस्राएली सेना अमालेक पर छापा मारें और उनका सर्वनाश करें। ईश्वर से प्रेरणा पाकर समुएल ने साऊल से कहा, “अब जाकर अमालेक पर छापा मारो और उनके पास जो कुछ है, उसका सर्वनाश करो। उन पर दया मत करो। क्या पुरुष, क्या स्त्री, क्या बालक, क्या दुधमुँहे शिशु, क्या गाय, क्या भेड़, क्या ऊँट, क्या गधा,-सब का वध करो।’’ (1 समुएल 15:3) लेकिन साऊल ने “अमालेकियों के राजा अगाग को जीवित पकड़ लिया और उसकी सारी प्रजा को तलवार से घाट उतार डाला। लेकिन साऊल और उसके लोगों ने अगाग, सर्वोत्तम भेड़ों, गायें, मोटे-मोटे बछड़ो और मेमनों को -वह सब कुछ, जो मूल्यवान् था, बचा लिया; उनका संहार नहीं किया। उन्होंने केवल बेकार और रद्दी चीजों का विनाश किया।” (समुएल 15:8-9) ताकि वे उन्हें प्रभु ईश्वर को बलि चढ़ायें। इसपर अप्रसन्न हो कर नबी समुएल ने राजा साऊल से कहा, “क्या होम और बलिदान प्रभु को इतने प्रिय होते हैं, जितना उसके आदेश का पालन? नहीं! आज्ञापालन बलिदान से कहीं अधिक उत्तम है और आत्मसमर्पण भेड़ों की चरबी से बढ़ कर है।“

सूक्ति 21:3 के अनुसार “बलिदान की अपेक्षा सदाचरण और न्याय प्रभु की दृष्टि में कहीं अधिक महत्व रखते हैं।” आमोस 5:21-27 में इसी बात की पुष्टि होती है। होशेआ 6:6 कहता है, “मैं बलिदान की अपेक्षा प्रेम और होम की अपेक्षा ईश्वर का ज्ञान चाहता हूँ।” मारकुस 12:32-34 में हम देखते हैं कि जब एक यहूदी शास्त्री ने कहा कि ईश्वर को “सारे हृदय, अपनी सारी बुध्दि और अपनी सारी शक्ति से प्यार करना और अपने पड़ोसी को अपने समान प्यार करना, यह हर प्रकार के होम और बलिदान से बढ़ कर है” तो येसु ने उस कथन पर अपनी मुहर लगाते हुए उस से कहा, “तुम ईश्वर के राज्य से दूर नहीं हो’’।

मत्ती 5:23-24 में प्रभु येसु कहते हैं, “जब तुम वेदी पर अपनी भेंट चढ़ा रहे हो और तुम्हें वहाँ याद आये कि मेरे भाई को मुझ से कोई शिकायत है, तो अपनी भेंट वहीं वेदी के सामने छोड़ कर पहले अपने भाई से मेल करने जाओ और तब आ कर अपनी भेंट चढ़ाओ।“ एक प्रकार से येसु यह सिखा रहे थे कि मेल मिलाप के बिना बलिदान का कोई प्रभाव नहीं होगा।

इस प्रकार ईश-वचन के अनुसार आज्ञापालन, आत्मसमर्पण, सदाचरण, न्याय, प्रेम, ईश्वर का ज्ञान, ईश्वर को सारे हृदय, सारी बुध्दि तथा सारी शक्ति से प्यार करना, पडोसी को अपने समान प्यार करना और मेल-मिलाप बलिदान से ज़्यादा महत्व रखते हैं। हरेक मिस्सा बलिदान की शुरूआत में हम अपने दिल की जाँच करते हैं। हो सकता है कि आज तक हमने इन बातों पर ध्यान न दिया हो। आईए हम दृढ़संकल्प करें कि आज से हम इन बातों पर विशेष ध्यान देंगे, जो ईश्वर के समक्ष बलिदान से ज़्यादा महत्व रखती हैं।


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