तुम अनाथ नहीं हो!

प्रभु येसु अपने शिष्यों से कहते हैं, “मैं तुम लोगों को अनाथ छोडकर नहीं जाऊँगा” (योहन 14:18)। येसु का शिष्य कभी अनाथ नहीं हो सकता। अनाथ वह होता है जिसके माता-पिता नहीं हो। येसु में विश्वास करने वालों के लिए ईश्वर पिता हैं। येसु ने अपने शिष्यों को ईश्वर को ’पिता’ कह कर पुकारना सिखाया। येसु ने क्रूस पर मरते समय अपनी माता को हमारी माता बनाया ।

इसलिए प्रभु येसु का शिष्य कभी अनाथ नहीं बन सकता। एक व्यक्ति के लिए ईश्वर से अधिक महान और शक्तिशाली पिता कौन हो सकता है? ख्रीस्तीय विश्वासियों का पिता उत्तम पिता है। इसी प्रकार हमारे लिए माता मरियम से अधिक कृपापूर्ण और महान माता कौन हो सकती है? वे उत्तम माता हैं। इसके अलावा येसु कहते हैं कि पिता “तुम्हें एक दूसरा सहायक प्रदान करेगा, जो सदा तुम्हारे साथ रहेगा” (योहन 14:16)। “वह तुम्हारे साथ रहता और तुम में निवास करता है” (योहन 14:17)।

यह स्पष्ट है कि किसी भी ख्रीस्तीय विश्वासी को स्वर्गिक पिता, स्वर्गिक माता तथा स्वर्गिक सहायक का संरक्षण हमेशा मिलता है। इसलिए स्तोत्रकार कहता है, “तुम, जो सर्वोच्च के आश्रय में रहते और सर्वशक्तिमान् की छत्रछाया में सुरक्षित हो, तुम प्रभु से यह कहो: “तू ही मेरी शरण है, मेरा गढ़, मेरा ईश्वर; तुझ पर ही भरोसा रखता हूँ”। (स्तोत्र 91:1-2)

वास्तव में ईश्वर का प्यार और संरक्षण एक माँ के प्यार और संरक्षण से ज़्यादा प्रभावशाली है। नबी इसायाह के ग्रन्थ में हम पढ़ते हैं, “क्या स्त्री अपना दुधमुँहा बच्चा भुला सकती है? क्या वह अपनी गोद के पुत्र पर तरस नहीं खायेगी? यदि वह भुला भी दे, तो भी मैं तुम्हें कभी नहीं भुलाऊँगा” (इसायाह 49:15)। ईश्वर हमें इस दुनिया में हमारी माँ से अधिक प्यार करते हैं। मत्ती 7:11 में प्रभु येसु कहते हैं, “बुरे होने पर भी यदि तुम लोग अपने बच्चों को सहज ही अच्छी चीजें देते हो, तो तुम्हारा स्वर्गिक पिता माँगने वालों को अच्छी चीजें क्यों नहीं देगा?” इसका अर्थ सहज ही हम यह निकाल सकते हैं कि हमारे स्वर्गिक पिता इस दुनिया में हमारे पिता से कहीं अधिक भले हैं। स्तोत्र 27:10 में स्तोत्रकार कहता है, “मेरे माता-पिता भले ही मुझे छोड़ दें- प्रभु मुझे अपनायेगा।”

हमें अपने स्वर्गिक पिता से कितना बडा संरक्षण प्राप्त होता है! स्तोत्र 23:4 में स्तोत्रकार कहता है, “चाहे अँधेरी घाटी हो कर जाना पड़े, मुझे किसी अनिष्ट की शंका नहीं, क्योंकि तू मेरे साथ रहता है। मुझे तेरी लाठी, तेरे डण्डे का भरोसा है”। क्या हम अपने को कभी अनाथ महसूस कर सकते हैं?

-फ़ादर फ़्रांसिस स्करिया


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