चक्र अ के प्रवचन

पास्का इतवार (दिन का मिस्सा)

पाठ: प्रेरित-चरित 10:34अ,37-43; कलोसियों 3:1-4; योहन 20:1-9 या लूकस 24:13-35

प्रवाचक: थॉमस फिलिप


यह सर्वविदित है कि पास्का पूजन-वर्ष का मुख्य पर्व है। संत पापा लियो प्रथम इसे महान पर्व मानते थे और कहा करते थे कि खीस्त जयंती पर्व को पास्का पर्व की तैयारी में मनाया जाता है।

पास्का पर्व में मानव इतिहास की उस महानतम घटना का हम सम्मानपूर्वक स्मरण करते हैं जब सर्वशक्तिमान ईश्वर ने प्रभु येसु को मृत्यु से पुनर्जीवित कर सभी मनुष्य जाति के लिये एक महान आशा की प्रतिज्ञा को पूर्ण किया। उस महान घड़ी में, जब समय पूर्ण हुआ तब संसार के प्रारंभ से लेकर वर्तमान और भविष्य के सभी विश्वासियों को ईश्वर द्वारा मुक्ति का वरदान प्राप्त हुआ।

प्रभु येसु के महिमामय पुनरुत्थान को महिमान्वित करने के लिये हम ज़रा इस बात पर मनन करें कि यदि प्रभु येसु मृत्यु से पुनर्जीवित नहीं हुए होते तो क्या होता? संत पौलुस कहते हैं, ‘‘यदि आप लोग मसीह के साथ ही जी उठे हैं - जो ईश्वर के दाहिने विराजमान हैं - तो ऊपर की चीज़ें खोजते रहें। आप पृथ्वी पर की नहीं, ऊपर की चीज़ों की चिंता किया करें। आप तो मर चुके हैं, आपका जीवन मसीह के साथ ईश्वर में छिपा हुआ है‘‘।

आज इस सुन्दर पास्का रविवार में खीस्त में हमारा आनंद कई रूपों में प्रकट होता है। हम आनंद और धन्यवाद के भाव हृदय में लेकर पास्का बलिदान में भाग लेते हैं। घरों में दावतों में परिवार के सभी सदस्य और मित्र एकत्रित होते हैं। नन्हें बच्चों को माता-पिता के साथ ज्यादा समय तक बिताने, खेलने-कूदने और मनोरंजन करने का समय मिलता है।

इन सब बाहरी आनंद के मध्य हम उन लोगों को न भूलें जो इस पास्का के आनंद को अनुभव नहीं कर पाते हैं। ये वे लोग हैं जो बीमारियों से पीड़ित होकर अस्पतालों में पडे़ हुए हैं, जो जेलों में कैद हैं और समाज द्वारा भुला दिये गये हैं, जिनका देश युद्ध की विभीषिका झेल रहा है। ये सब दुखी लोग भी अपने तरीके से प्रभु के पुनरुत्थान के आनंद में शामिल होते हैं। हमारा प्रभु उनका भी प्रभु है। उनका हृदय भी यह जानकर आनंदित होता है कि प्रभु सचमुच जी उठे हैं। 

पुनरुत्थान के बाद प्रभु ने कई लोगों को दर्षन दिया। पुनर्जीवित प्रभु के दर्षन की घटनाओं में हम कुछ समानताएं पाते हैं। पहला, जिस किसी को भी प्रभु ने दर्षन दिया वह कुछ नकारात्मक मनोदशा में पाया गया था। महिलायें डरी हुई थी, एम्माउस जानेवाले शिष्य दुखी और निराश थे, शिष्य डर के मारे द्वार बंद किये बैठे थे। थॉमस अविश्वासी था। लेकिन प्रभु के दर्षन से यह नकारात्मक मनोदशा सकारात्मक मनोदशा में परिवर्तित हो गई। दुःख के स्थान पर खुशी छा गई, संदेह की जगह विश्वास और निराशा के बदले आशा जगमगा उठी। दूसरा, जिसने भी पुनर्जीवित प्रभु का दर्षन किया, वह प्रभु को पहचानने में मंदा था। यह बात एम्माउस जानेवाले शिष्य, मरियम मगदलेना, थॉमस आदि के बारे में स्पष्ट नज़र आती है। 

तीसरी समानता यह है कि पुनर्जीवित प्रभु ने अपने दर्षकों को, अपने बारे में जाकर दूसरों को बताने को कहा था। 

आज जब हम पुनरुत्थान का पर्व मना रहे हैं, शायद हम भी दुखी हैं, डरे हुए हैं, संदेही हैं। प्रभु हमारे दुख को आनन्द में बदलेंगे, हमारी निराशा को आशा का जामा पहनायेंगे तथा हमारे संदेह को विश्वास रूपी चट्टान में परिवर्तित करेंगे। वे हमारी नकारात्मक मनोदशा को सकारात्मक भावों में ढाल देंगे। इसके अतिरिक्त प्रभु हम से चाहते हैं कि हम उनके साक्षी बनें। हम दूसरों के समान मन, वचन, कर्म से पुनरुत्थान की घोषणा करें।

प्रभु येसु मसीह के महिमामय पुनरुत्थान के साक्षी जो कलीसिया के प्रारंभ से हुए हैं, उनके साथ हम भी एक होकर प्रभु के अनंत और महिमामय परिवार के सदस्य बनेंगे। इस संसार में हमारा जीवन अस्थायी है। हमें जो अनुभव और आनंद बाद में मिलने वाला है वह इससे बेहतर और महान है। जब तक हमें वह प्राप्त नहीं हो जाता तब तक हम अन्य भाइयों और बहनों के साथ पास्का का आनंद मनायें और इस आनंद को उन लोगों में बांटे जिन्होंने इसे अनुभव नहीं किया है और उन लोगों के साथ जिन्हें समाज ने ठुकरा दिया है ताकि वे भी हमारे आनंद में सहभागी हों।

आज आप खीस्त की आत्मा को ग्रहण कर जाइये और कम से कम उन लोगों के जीवन में प्रभु येसु के आनंद फैलाईये जो आपसे किसी न किसी रूप से जुडे़ हों।


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Praise the Lord!