चक्र अ के प्रवचन

वर्ष का तेईसवाँ इतवार

पाठ: यिरमियाह 20:7-9; रोमियों 12:1-2; मत्ती 16:21-27

प्रवाचक: फादर वर्गीस पल्लिपरम्पिल


संत मारकुस के सुसमाचार अध्याय 12 में हम एक घटना देखते हैं जिस में प्रभु येसु मंदिर के खजाने के सामने बैठे हैं और लोगों को उस में सिक्के डालते हुए देखते हैं। बहुत से धनी व्यक्तियों ने उस खजाने में अपना दान डाला। एक कंगाल विधवा भी वहाँ आयी और उस ने दो अधेले अर्थात एक पैसा उस खजाने में डाल दिया। इस पर प्रभु ने उस विधवा की प्रशंसा करते हुए अपने शिष्यों से कहा कि खज़ाने में पैसे डालने वालों में से इस विधवा ने सब से अधिक डाला है क्योंकि सब ने अपनी समृद्धि के अनुसार बड़ी-बड़ी राशि डाली परन्तु इस विधवा ने गरीबी एवं तंगी का जीवन जीते हुए भी अपनी जीविका के लिए जो कुछ था वह सब कुछ दे डाला।

इस घटना की एक विशेषता यह है कि प्रभु ने उस महिला के दान पर ध्यान देते हुए उसकी प्रशंसा की। शायद प्रभु के शिष्यों और वहाँ उपस्थित लोगों ने इस गरीब विधवा तथा उसके दान पर ध्यान ही नहीं दिया होगा। लेकिन प्रभु ने उस विधवा एवं उसके दान को देखा और उसके इस कार्य के लिए उसकी प्रशंसा भी की।

सुसमाचारों में हम देखते हैं कि प्रभु मनुष्यों की छोटी सी छोटी भलाई पर भी ध्यान देते हैं और उसकी प्रशंसा करते हैं विशेषकर जब लोग इन भलाइयों को अनदेखा करते हैं।

आज के सुसमाचार व पहले पाठ में ईश्वर का वचन हमें पापियों को गलत मार्गों से छुड़ाने और उन्हें ईश्वर के वचनों के आधार पर चलने में मदद करने के हमारे कर्तव्य की याद दिलाते हैं। संत याकूब 5:19-20 में वचन कहते है जो किसी पापी को कुमार्ग से वापस ले आता है वह उसकी आत्मा को मृत्यु से बचाता है और बहुत से पाप ढाँक देता है। पापियों को गलत मार्गों अथार्त पाप-मार्ग से छुड़ाना और उन्हें ईश्वर के वचनों के आधार पर चलने में सहायता देना सभी विश्वासियों का कर्तव्य है। प्रभु येसु ने अपने जीवन काल में हमेशा यही किया है। सुसमाचार की एक घटना के आधार पर हम देख सकते हैं कि प्रभु कैसे लोगों को पापों से दूर व ईश्वर के करीब लाते हैं।

संत लूकस के सुसमाचार अध्याय 7 में हम प्रभु येसु को एक फरीसी के घर में भोजन करते हुए देखते हैं। वहाँ एक स्त्री आती हैं और अपने आँसुओं से उनके चरण भिगोने लगती है और अपने केशों से उसे पोछती है। वहाँ जितने भी लोग उपस्थित थे वे सभी उस स्त्री से परिचित थे क्योंकि वह एक पापिनी स्त्री थी। इसे देख कर सभी आश्चर्यचकित थे क्योंकि प्रभु ने एक पापिनी स्त्री को अपने पास आने दिया। सब लोग इस स्त्री के बारे में जानते थे। लेकिन उन सभी लोगों से ज़्यादा प्रभु उस स्त्री के पापों को जानते थे फिर भी प्रभु ने लोगों को उसके पापों के बारे में नही बताया बल्कि उनके प्रति उसके प्यार की प्रशंसा की। सभी ने उस स्त्री में बुराइयाँ देखीं परन्तु प्रभु ने उसकी भलाई को देखा। प्रभु लोगों में उनकी भलाई को देखते हैं भले ही वह भलाई छोटी ही क्यों न हो और उनकी प्रशंसा भी करते हैं। यह बात लोगों को पापों से दूर जाने और प्रभु के करीब रहने की प्रेरणा एवं कृपा देती है।

उड़ाऊ पुत्र के दृष्टान्त में भी हम यही देखते हैं कि उड़ाउ पुत्र का भाई अपने पिता से उड़ाऊ पुत्र की गलतियों व पापों के बारे में कहता है। लेकिन पिता, पुत्र की गलतियों व कमज़ोरियों को नहीं बल्कि उसकी अच्छाइयों को देखता है और खुश है कि वह घर वापस आया है। बहुत सारी गलतियों के बावजूद पिता अपने पुत्र की प्रशंसा करता है।

संत लूकस के सुसमाचार अध्याय 10 में हम एक दृष्टान्त पढ़ते हैं, जिसमें दो लोग प्रार्थना करने के लिए मंदिर में जाते हैं। एक फरीसी और एक नाकेदार। फरीसी उस नाकेदार में बहुत-सी गलतियाँ व कमियाँ देखता है, लेकिन प्रभु उस नाकेदार में भी भलाई देखते हैं और उस नाकेदार की प्रशंसा करते हैं।

हम भी अक्सर एक-दूसरें में गलतियों को ढूँढते हैं और उसकी चर्चा भी लोगों से करने लगते हैं। लोगों की भलाई देखने में हम भी अक्सर चूक जाते हैं। आज हम प्रभु से दूसरों की भलाई देखने की कृपा माँगे ताकि हम भी प्रभु के समान लोगों को पापों से दूर और प्रभु के करीब लाने में सफल हो जाएं।


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Praise the Lord!