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09. पवित्र परिवार का पर्व_2017

प्रवक्ता 3:2-6, 12-14; कलोसियों 3:12-21; लूकस 2:22-40

फादर शैल्मोन अंथोनी


आज माता कलीसिया पवित्र परिवार का पर्व मना रही है। कैथलिक चर्च में नज़रेत के पवित्र परिवार को एक आदर्श के रूप प्रस्तुत किया है और माता कलीसिया सारे परिवारों से यह आग्रह करती है कि वे नज़रेत के पवित्र परिवार के समान बनें। नज़रेत के पवित्र परिवार एक आदर्श परिवार इसलिए है कि इस परिवार के तीनों सदस्यों को हम ईश्वर की इच्छा के अनुसार अपना जीवन बिताते हुए पाते हैं। एक कुवॉरी के गर्भवति होने पर समाज की प्रतिक्रिया अच्छी तरह जानते हुए भी माता मरियम ईश्वर की इच्छा के आनुसार अपना जीवन बिताती है। माता मरियम के साथ रहने से पहले ही उन्हें गर्भवति पाये जाने के कारण उनको चुपके से परित्याग कर उनके इज्जत बचाने को सोचने वाले संत यूसूफ, ईश्वर की आज्ञानुसार गर्भवती कुवांरी मरियम को अपनी पत्नी के रूप स्वीकार करते हैं। और प्रभु येसु, पिता ईश्वर के एकलौते पुत्र होने के बावजूद भी पिता की इच्छा के अनुसार संत यूसूफ और माता मरियम के अधीन रहते। (लूकस 2:51)

संत पौलूस एफेसियों के नाम पत्र में कहते हैं कि स्वर्ग और पृथ्वी पर प्रत्येक परिवार का मूल आधार पिता ईश्वर है। (एफे 3:14) इस वचन से यह स्पष्ट है कि ईश्वर ही दुनिया के हर एक परिवार को रूप देने वाले हैं। या फिर हम ऐसा भी कह सकते है कि जब लोग ईश्वर की इच्छा के अनुसार एक साथ जीवन बिताते हैं तब वे परिवार बन जाते हैं। इसलीए जो ईश्वर की इच्छा के विरूद्ध एक साथ रहते हैं उनको हम परिवार नहीं कह सकते हैं क्योंकि वहाँ ईश्वर का सान्निध्य नहीं है और इस कारण से वे एक शरीर नहीं हैं भले ही वे एक साथ रहते हैं।

परिवार ईश्वर की सृष्टि का ’मास्टर पीस’ (श्रेष्ठ काम) है। इस कारण से ईश्वर के लिए परिवार सब से महत्वपूर्ण है। आदि से ही ईश्वर ने परिवार की योजना बनाई थी। उत्पत्ति ग्रन्थ अध्याय दो में हम पढ़ते हैं कि ईश्वर ने जब मनुष्य को गढ़ा तब उसे नर और नारी के रूप में बनाया। जब अपना प्रतिरूप बनाया गया मनुष्य सभी पापी बन गया तब उसे बचाने के लिए भी ईश्वर, इब्रहीम और उनके परिवार को चुनते हैं और सदियों के बाद जब पापी मनुष्य को बचाने के लिए ईश्वर को खुद आना पडा तो ईश्वर एक परिवार में जन्म लेते हैं। योहन के सुसमाचार में हम प्रभु येसु को अपना पहला चमत्कार एक विवाह के समय करते हुए देखते हैं। (योहन 2:1-12) येसु उनका पहला चमत्कार येरूसालेम मंदिर में, किसी सभागृह में या कहीं अन्य जगह में कर सकते थे, लेकिन येसु ने एक परिवार रूप लेने के आनन्दमय अवसर पर किया। संत मत्ती के सुसमाचार में प्रभु येसु ने स्वर्गराज्य की तुलना एक विवाह भोज के साथ की। (मत्ती 22:1-2)

कलीसिया के लिए परिवार जीवन का पुण्य स्थान या पूजन-स्थान है। परिवार एक मन्दिर है जहॉ जीवन को आवश्यक पोषण मिलता है। केवल एक परिवार में ही जीवन का अच्छा विकास होता है। माता कलीसिया के लिए परिवार एैसी जगह है जहॉ पवित्र त्रित्व के पिता, पुत्र एवं पवित्र आत्मा के समान एकता हो। (सी.सी.सी 2205) माता कलिसीया के लिए हर एक परिवार घरेलू गिरजा है। कलीसिया की एकता बनाये रखने में परिवार की अहम भूमिका है। (सी.सी.सी. 2204)

ईसाई परिवारों को पवित्र बनाने रखने के लिए परिवार के सदस्यों के कुछ कार्य करना बहुत जरूरी है। इसके बारें में धर्मग्रन्थ में स्पष्ट रूप में लिखा गया है। संत पौलूस कहते हैं कि पति अपने पत्नि को उसी तरह प्यार करे, जिस तरह मसीह ने कलीसिया को प्यार किया। (एफे 5:25) और संत पेत्रुस कहते है, “पतियों! आप भी अपनी पत्नि का ध्यान रखें और उसे ”अबला“ समझ कर तथा अपने साथ अनन्त जीवन के अनुग्रह की उत्तराधिकारिणी जान कर उसका समुचित आदर करें। (1पेत्रुस 3:7) पत्नी प्रभु जैसे अपने पति के अधीन रहे। (एफे 5:22, पेत्रुस 3:2) पत्नियों! आप लोगों का श्रृंगार बाहरी-केश प्रसाधन, स्वर्ण आभूषण तथा सुन्दर वस्त्र नहीं हो। वह हृदय के अभ्यन्तर का, विनम्र तथा शॉत स्वभाव का अनश्वर अलंकरण हो, जो ईश्वर की दृष्टि में महत्व सखता है। (1पेत्रुस 3:3-4) और बच्चों से धर्मग्रन्थ कहता है कि वे उनके माता-पिता की आज्ञा माने, क्योंकि यह उचित है। (एफे 6:1)

आज कल टूटे परिवारों की संख्या दुनिया में और कलीसिया में बढती जा रही है। परिवारों की यह बुरी एवं दयनीय अवस्था देख कर कलीसिया चिंतित है। क्योंकि परिवारों के बिना हम एक सुन्दर दुनिया की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं और इस के अतिरिक्त पवित्र परिवार के बिना इस दुनिया में हम स्वर्ग नहीं ला सकते हैं। इसलिए परिवार को रूप देने वाले वही पिता ईश्वर से हम प्रार्थना करें कि वे इसको पवित्र भी करने की कृपा प्रदान करें।


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