Smiley face

12. प्रभु-प्रकाश पर्व

इसायाह 60:1-6; एफ़ेसियों 3:2-3,5-6; मत्ती 2:1-12

फादर फ्रांसिस स्करिया


आज कलीसिया प्रभु प्रकाश का त्योहार मना रही है। यूनानी मूल भाषा में एपीफ़निया (ἐπιφάνεια, epiphaneia) का अर्थ है प्रकटीकरण। बालक येसु दुनिया के सामने प्रकट किये जाते हैं। वे न केवल नाज़रेत के यूसुफ और मरियम के परिवार के लिए आये, बल्कि सारी दुनिया और सारी मानव जाति के लिए। सारी दुनिया के प्रतिनिधि बन कर पूर्व से तीन ज्योतिषी प्रभु की खोज में आते हैं। वे कई लोगों से पूछ-ताछ कर बेथलेहेम पहुँच जाते हैं। वे चरनी में लेटे हुए बालक को उनकी माता मरियम के साथ देखते हैं और उन्हें साष्टांग प्रणाम करते हैं। फिर वे अपना-अपना सन्दूक खोल कर उन्हें सोना, लोबान और गन्धरस चढ़ाते हैं।

ज्योतिषियों ने एक तारा उदित होते देखा था। तारे आसमान में उदित होते हैं। बहुत-से लोगों ने उस तारे को देखा होगा, लेकिन मनुष्यों में समय के चिह्नों पर ध्यान देने तथा उन्हें पहचानने वाले बिरले हैं। पवित्र बाइबिल में प्रभु हमेशा विश्वासियों को सतर्क तथा जागरूक रहने का अनुदेश देते हैं। इन गुणों के सिवा कोई भी प्रभु के आगमन को पहचान नहीं पाता। इसी कारण दूसरे लोगों ने शायद इस तारे पर ध्यान नहीं दिया। संत योहन ख्रिसोस्तोम का कहना है कि यह मानना गलत है कि ज्योतिषियों ने तारे को उदित होते देख कर अपनी यात्रा शुरू की। वास्तव में जब उन्होंने यात्रा शुरू की, तब उन्हें एक तारा दिखायी देने लगा। संत का संदेश यह है कि जब हम ईश्वर की खोज में निकलते हैं, तब हमें ईश्वर स्वयं मार्ग दिखाते हैं। संत ख्रिसोस्तोम यह भी कहते हैं, “तारा कुछ समय के लिए उन्हें दिखायी नहीं देता, उनके पास कोई दूसरा विकल्प भी नहीं था और उन्हें यहूदियों से पूछ-ताछ करना पडता है। इस प्रकार प्रभु येसु के जन्म की घोषणा यहूदियों के बीच में होती है।“ (संत मत्ती पर प्रवचन 7)

संत मत्ती यह नही बताते हैं कि कितने ज्योतिषी आये थे। न ही वे यह बताते हैं कि उनके नाम क्या थे। मत्ती यह बताते हैं कि ज्योतिषियों ने आकर बालक येसु को सोना, लोबान और गंधरस की भेंट चढ़ायी। स्पेन की एक परम्परा के अनुसार मेलखियोर, गास्पर तथा बलथासर नाम के तीन राजा अरब देशों, पूर्वी देशों तथा अफ्रीकी देशों के प्रतिनिधियों के रूप में बालक येसु से मिलने घोडे, ऊँट तथा हाथी पर आये थे। कुछ परम्पराओं के अनुसार तीन ज्ञानी येसु से मिलने आये थे। ज्योतिषी, ज्ञानी, राजा – ये सब हमें यह बताते हैं बेथलेहेम के गोशाला के सामने दुनिया की संस्कृतियों, परम्पराओं, शास्त्रों तथा ताकतों का संगम था।

दानिएल के ग्रन्थ के अध्याय 2 में हम पढ़ते हैं कि राजा नबुकदनेज़र ने स्वप्न देखे। दानिएल ने उस स्वप्न का अर्थ बताते हुए कहा कि दुनिया के राज्य नष्ट हो जायेंगे। फिर, “स्वर्ग का ईश्वर एक ऐसे राज्य की स्थापना करेगा, जो अनंत काल तक नष्ट नहीं होगा और जो दूसरे राष्ट्र के हाथ नहीं जायेगा। वह इन राज्यों को चूर-चूर कर नष्ट कर देगा और सदा बना रहेगा।“ (दानिएल 2:44) मसीह राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु है (प्रकाशना 19:16)।

तारा देखने के बाद ज्योतिषियों को कई दिनों तक यात्रा करना पडती है, रास्ते में कई लोगों से पूछ-ताछ करना पडती है। तभी वे बालक येसु का दर्शन कर पाते हैं। वे बालक को साष्टांग प्रणाम करते हैं। दूसरी तरफ़ हम हेरोद को पाते हैं जो न केवल राजाओं के राजा के आधिपत्य को स्वीकार नहीं करता बल्कि उन्हें मरवा डालने की हर संभव कोशिश करता है। इस दुनिया में रहते समय कई चीज़ें, कई घटनाएं तथा कई व्यक्ति हमें ईश्वर का संकेत प्रदान करते हैं। उन संकेतों तथा चिह्नों को पहचानने के लिए हमें सतर्क और जागरूक रहना पडता है। कभी-कभी हमें दूसरों से सलाह-मशवरा लेना पडता है। मेहनत और इंतज़ार ईश्वरीय अनुभव के लिए जरूरी है।

हम भी ज्योतिषियों की तरह सतर्क और जागरूक रहें ताकि हम समय के चिह्नों को पहचान सकें, प्रभु की खोज में निकलने की हिम्मत करें। हम बेथलेहेम के तारे के समान दूसरों के लिए ईश्वरीय अनुभव प्राप्त करने के साधन या माध्यम बन सकें।

बेथलेहेम की ओर जाते समय ज्योतिषी तारा देख कर उसके मार्गदर्शन के अनुसार चल रहे थे। अपनी वापसी में पवित्र वचन कहता है कि “वे दूसरे रास्ते से अपने देश चले गये” (मत्ती 2:12)। येसु से मिलने के बाद हमारा मार्ग ही बदल जाता है, हमारे जीवन में परिवर्तन आता है। पवित्र बाइबिल में ऐसे बहुत से उदाहरण हैं जिन में येसु से मुलाकात करने के बाद लोगों का मार्ग बदल जाता है। प्रभु प्रकाश का त्योहार हमें अपने पापमय पुराने मार्गों को बदल कर ईश्वर के इशारे पर चलने का आह्वान करता है। यही कृपा हम परम पिता ईश्वर से माँगे।


Copyright © www.jayesu.com
Praise the Lord!