चक्र व के प्रवचन

Smiley face

21a. चालीसे का दूसरा इतवार

उत्पत्ति 22:1-2,9अ,10-13,15-18; रोमियों 8:31ब-34; मारकुस 9:2-10

(ब्रदर लुकस दमोर)


विश्वास के अभाव में कोई ईश्वर का कृपा-पात्र नहीं बन सकता। (इब्रनियों 11:6)

ख्रीस्त में मेरे प्यारे भाईयो एवं बहनों चालीसे के इस दूसरे रविवार में पिता ईश्वर हमसे यह कहते हैं कि यह मेरा परम प्रिय पुत्र है, इसकी सुनो। अर्थात् ईश्वर हमें येसु की वाणी को सुनने और उसे ग्रहण करने के लिए आहवान करते हैं।

आज के पहले पाठ में हमने सुना कि ईश्वर इब्राहीम की परीक्षा लेता है। क्या हम जानते हैं कि ईश्वर ने इब्राहिम की परीक्षा क्यो ली, हम यह सकते है कि ईश्वर ने इब्राहीम का विश्वास परखने के लिए परीक्षा ली होगी लेकिन ऐसा नहीं है। अर्थात् यह ईश्वर के प्रति उसकी वफादारी , ईमानदारी और पे्रम की परीक्षा थी। ईश्वर यह देखना चाहते थे कि इब्रहीम किसको ज्यादा प्यार करता है उन्हे या फिर अपने बेटे को? ईश्वर ने इब्राहीम को कई सालों बाद बुढ़ापे में पुत्र प्रदान किया जो इब्राहीम का दिल का टुकड़ा परम प्रिय और एकलौता पुत्र था। ईश्वर उसको बलिदान चढ़ाने को इब्राहीम को आदेश देते है। इब्राहीम इस संर्दश में कुछ नहीं कहता है। यदि आज हम में से किसी को अपने एकलौते पुत्र की बली चढ़ाने का आदेश दिया जाये तो हमारे पैरो से जम़ीन खिसक जायेगी, हमे कोई होश नहीं रहेगा और बेहोश की तरह हमारे मुह से कोई शब्द नहीं निकलेगा । लेकिन इब्राहीम को ऐसा कुछ नहीं होता है। वह अपने पुत्र की बली चढ़ाने के लिए तैयार हो जाता है। जब वह उसे मारने के लिए अपने हाथ में छुरी उठाता है तब ईश्वर का दूत उसे रोक देता है। क्योकि इब्राहीम ने अपने इस विश्वासपूर्ण कदम के द्वारा यह दर्षा दिया कि वह ईश्वर को अपने पुत्र से भी अधिक प्यार करता है। प्रभु ईश्वर उसकी आज्ञाकारिता पर बहुत प्रसन्न हुये । ईश्वर के प्रति उनके अटूट प्रेम और विश्वास ने उन्हे ऐसा करने के लिए धैर्य एवं साहस प्रदान किया।

इब्राहीम का अपने परमप्रिय पुत्र इसहाक का बलिदान प्रभु येसु के कलवारी पहाड़ पर बलिदान का आदीरूप अथवा प्रतीक है। यहाँ पर हम इन दोनो घटनाओं में कई समानतायें देखते है। इसहाक इब्राहीम का एकलौता व परम प्रिय पुत्र था (उत्पत्ति 22:2 ) उसी प्रकार प्रभु येसु भी पिता ईश्वर का एकलौता व परम प्रिय पुत्र था। (मार9:7, मत्ती 17:5, 3:17 )। इब्राहीम ने होम की लकड़ी इसहाक पर लाद दी (उत्पत्ति 22) प्रभु येसु भी अपने कंधों पर लकड़ी अर्थात् क्रूस उठाकर गये। इसहाक को बली चढ़ाने के लिए मोरिया नामक पहाड़ पर ले जाया गया, उसी प्रकार प्रभु येसु को बली चढ़ाने के लिए कलवारी नामक पहाड़ पर ले जाया गया। पुराने व्यवस्थान में इब्राहीम ने प्रतिकात्मक रूप से जो किया उसे प्रभु येसु ने स्वयं को बलिदान देकर पूर्ण किया। प्रभु येसु अपने उस क्रूस बालिदान के पहले अपने शिष्यों को अपनी ईश्वरीय महिमा के दर्षन कराना चाहते थे इसलिए वह अपने तीन शिष्यो याकूब, योहन, और पेत्रुस को लेकर ताबोर पर्वत पर जाते है वहाँ उनकी आँखों के सामने प्रभु येसु का रूपान्तरण हो जाता है। और पिता की यह वाणी सुनाई देती है- यह मेरा परम-प्रिय पुत्र है, इसकी सुनो। आज का दूसरा पाठ भी इस बात की पुष्टि करता है कि प्रभु येसु ईश्वर का नीजी पुत्र अर्थात् परम-प्रिय पुत्र है। पिता ईश्वर ने संसार के प्रति अपने प्रेम के कारण ही प्रभु येसु को क्रूस पर बली चढ़ने दिया। जैसा कि हम संत योहन के सुसमाचार 3:16 में पढ़ते है कि ईश्वर ने इस संसार को इतना प्यार किया कि उसने उसके लिए अपने एकलौते पत्र को अर्पित कर दिया, जिससे जो उसमें विश्वास करता है उसका सर्वनाश न हो बल्कि अनन्त जीवन प्राप्त करे। आज के दूसरे पाठ में प्रभु का वचन कहता है कि उसने अपने निजी पुत्र को भी नहीं बचाया उसने हम सब के लिए उसे समर्पित कर दिया।

इसलिए प्यारे भाईयों एवं बहनों आज के पाठ ईश्वर के मानव-जाति के प्रति अपने असीम प्रेम के ऊपर प्रकाश डालते हैं उस प्रेम से हमे कोई भी वंचित नहीं कर सकता । जैसा कि संत पौलुस रोमियों के पत्र में कहते हैं न विपत्ति, न अत्याचार, न भूख, न नग्नता, न जोखिम, या न ही तलवार। लेकिन उस प्रेम में बने रहने के लिए पिता ईश्वर रूपान्तरण के दृष्य में हम से बस एक ही बात कहते हैं । यह मेरा परम प्रिय पुत्र है। इसकी सुनो । जी हाँ मेरे प्यारे भाईयों एवं बहनों हमे पिता ईश्वर के असीम प्रेम बने रहने के लिए येसु के वचनों को सुनना और उनका अपने जीवन में पालन करते हुए जीवन जीना है ।


Copyright © www.jayesu.com
Praise the Lord!