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29. पास्का इतवार (दिन)

प्रेरित चरित 10:34अ,37-43; कलोसियों 3:1-4 या कलोसियो 5:6ब-8; योहन 20:1-9 या मारकुस 16:1-8

(फादर सिलबेरियुस तिग्गा)


पुनरुत्थान और जीवन क्या है? हमें ज्ञात है तथा हमारा अनुभव है कि जीवन एक संघर्ष है और मृत्यु जीवन-संघर्ष का अन्त, लेकिन जीवन का अंत नहीं। पुनरुत्थान से तात्पर्य नवजीवन है। मृत्यु नहीं रह जाती है। आत्मा हमारे नष्वर शरीर का त्याग कर नवजीवन में प्रवेश करती है। इसका निष्कर्ष निकाला जाये तो यह क्रिया-कलाप ईश्वर की शक्ति के द्वारा एक परिवर्तन मात्र है। जब कुछ परिवर्तन होता है, तभी कुछ नयापन सामना आता है। इसी भांति जीवन के बाद मृत्यु, तथा मृत्यु के पश्चात् पुनर्जीवन प्राप्त होता है। यही हमारा ख्रीस्तीय विष्वास है क्योंकि प्रभु येसु ने कहा है कि अंतिम दिन मैं तुम्हें पुनर्जीवित करूँगा। प्रभु ने स्वयं कहा है, ’’पुनरुत्थान और जीवन मैं हूँ’’।

परिवर्तन प्रकृति में ईश्वर के क्रिया-कलाप है। ऋतुएं बदलती है, रात-दिन आते-जाते हैं, सुबह होती है और फिर शाम। अंततः रात्रि, फिर नया दिन, नया सबेरा होता है। इस तरह सब कुछ परिवर्तनशील है। उदाहरण के लिए हमारे जीवन को ही लीजिए- बचपन, किशोरावस्था, युवावस्था तथा वृद्धावस्था। हम निश्चय ही जीवन में परिवर्तन चाहते हैं, अपने जीवन में कुछ नयापन चाहते हैं। अतः हमें नयापन लाने के लिए मृत्यु को सहर्ष स्वीकार करना होगा। हमें इस नष्वर शरीर को त्यागना होगा जिससे हम पुनर्जीवित प्रभु के साथ एक हो सकेंगे।

आज हमारे लिए खुशी, उल्लास तथा आनन्द का दिन है क्योंकि हम सभी प्रभु के साथ जी उठे हैं। प्रभु का जी उठना हमारी मृत्यु पर विजय का प्रतीक है। उनका जी उठना हमारे पापों का विनाश है। अब मृत्यु नहीं रह गयी। शैतान की शक्तियों का अंत हो गया। प्रभु येसु ख्रीस्त हमारे लिए विजयी झण्डा लिये खडे़ हैं। प्रभु की मृत्यु पर विजय हमारे लिए नये जीवन की शुरूआत है, एक नया जन्म एवं जिन्दगी है।

इस दुनिया में हरेक मनुष्य अच्छा जीवन जीना चाहता है, जिंदगी के हर सपने को साकार करना चाहता है। उसके अनेक अरमान होते हैं। उसमें बहुत कुछ करने की जिज्ञासा होती है। साथ ही उसे मान-सम्मान पाने की लालसा भी होती है। लेकिन हमारे प्रभु येसु ख्रीस्त ने अपने अरमान और लक्ष्य पाने नहीं बल्कि पिता की आज्ञानुसार हम सबों को पाप के बंधनों से मुक्त कर स्वर्गराज्य में नवजीवन प्राप्त करने का दरवाजा खोलने हेतु अपने आप को सूली पर समर्पित कर दिया और हमारी सेवा के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। सचमुच ईश्वर ने मानव-मुक्ति के लिए अपने पुत्र को भी त्यागने से इंकार नहीं किया। प्रभु येसु ने हम मनुष्यों के लिए क्या नहीं किया? उन्होंने अंधों को दृष्टिदान, लंगड़ों को चलने की शक्ति, कोढि़यों को चंगाई, मुरदों को जीवन, बंदियों को रिहाई तथा पापियों को पाप क्षमा प्रदान की। लेकिन इस दुनिया के लोग येसु के सेवा-कार्य को पहचान नहीं पाये। उन्होंने येसु को धरती और आसमान के बीच टांग दिया। सारी जिंदगी लोगों की सेवा में लगे येसु को न तो इस धरती पर जन्म लेने के लिए जगह दी गयी और न ही उनके शरीर को दफनाने हेतु 6 फुट की ज़मीन। लेकिन अपने पुनरुत्थान के द्वारा येसु ने यह साबित कर दिया कि वे ईश्वर के पुत्र हैं, पुनर्जीवित प्रभु है। उनके पुनरुत्थान का दिन आज हमारे लिए उल्लास का अवसर है क्योंकि अब हमारे लिए मृत्यु नहीं रह गयी है। मृत्यु का बंधंन टूट गया है। शैतान के शिकंजे खुल गये हैं। प्रभु ने हमारे लिए स्वर्ग का दरवाजा सदा-सदा के लिए खोल दिया है।

यदि हम प्रभु के पुनरुत्थान पर विश्वास नहीं करते हैं तो हमारा विश्वास अधूरा रह जाता है। हमारी जीवन यात्रा अधूरी रह जाती है और हम स्वर्गराज्य में प्रवेश पाने के योग्य नहीं रह जाते हैं।

पास्का का रहस्य नया-पुराना, शाश्वत-क्षणिक, भ्रष्ट-ईमानदार, नश्वर-अनश्वर इत्यादि है। नियम के तहत पास्का पुराना है किन्तु शब्द के अनुसार यह नया है। आदर्श नमूने के तहत यह क्षणिक है, किन्तु उसकी कृपा शाश्वत है। यह बलि का मेमना मानव-जाति के पापों के कारण भ्रष्ट है किन्तु प्रभु का जीवन ईमानदारी है। यह नश्वर है क्योंकि उनको धरती के गर्त्त में दफनाया गया किन्तु वे अनश्वर हैं क्योंकि वे मृतकों में से जी उठे हैं।

सुसमाचार बताता है कि मरियम मग्देलेना बड़े सबेरे येसु की कब्र पर गयी। तब उन्होंने देखा की कब्र का पत्थर लुढ़का हुआ था। संत मारकुस के अनुसार यह पत्थर बहुत बड़ा तथा भारी था। (देखिये मारकुस 16:14) इसलिए पत्थर हटाना आसान काम नहीं था अब सवाल यह था किसने कब्र के पत्थर को लुढ़काया? न तो येसु के शिष्यों ने और न ही किसी अन्य व्यक्ति ने पत्थर को लुढ़काया बल्कि येसु ने स्वयं पापी रूपी पत्थर को हटाया। उन्होंने मृत्यु की मोहर को हटाया। पुनरुत्थान हमारे विश्वास का केन्द्र है। यह येसु की ईश्वरीयता का प्रमाण है तथा सुसमाचार की सच्चाई है। यह हमारे जी उठने की प्रतिक्षा का स्रोत्र है। आइए पुनर्जीवित प्रभु की शक्ति से हमारे जीवन से हम भी पाप रूपी पत्थर का हटाये रखने की कोशिष करते रहें।


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