Smiley face

64. वर्ष का तैंतीसवाँ इतवार (2015)

दानिएल 12:1-3; इब्रानियों 10:11-14,18; मारकुस 13:24-32

डीकन प्रीतम वसुनिया (इन्दौर धर्मप्रांत)


हमारे सेमिनरी जीवन में एक पूरा साल सिर्फ अध्यात्मिकता के लिए होता है जिसमें हम सालभर बाइबल के गहन पठन, मनन चिंतन प्रार्थना व त्याग तपस्या में बिताते हैं। इस संदर्भ में मैं अपने साथियों के साथ वर्ष 2011-12 में आद्यात्मिक साधना केंद्र रिसदा, बिलासपुर में था। और शायद आप लोगों को याद होगा कि उन दिनों 2012 में दुनिया के अंत होने की एक अपवाह फैली थी। जिसे टीवी अखबार व सोषियल मिडिया ने भी बहुत जोर-षोर से उछाला था। मैं वास्तव में मैं इस प्रकार की बातों पर विश्वास नहीं करता और न ही इन्हें अधिक महत्व देता हूँ। पर उस साल हुआ यूँ कि 31 दिसम्बर मध्य रात्री की मिस्सा के बाद बारीष होना शुरू हुई, इसलिए मिस्सा के तुरन्त बाद हम सब जाकर सो गये। हम जाकर सोये ही थे कि इतनी तेज हवा चलने लगी कि कई खडकी दरवाजे जोर-जोर से टकराने लगे। कुछ खिडिकियों के काँच भी टूट गये। बाहर झाँककर देखा तो बडे-बडे ओले गिर रहे थे। मुझे ये सब देखकर डर लगने लगा; मैं सोचने लगा कि कहीं जो भविष्यवाणी की गयी थी वो सही तो नहीं हो रही है। लेकिन थोडे समय बाद सब कुछ सामान्य हो गया। आज जब मैं उस घटना के बारे में सोचता हूँ तो स्वयं से पूछता हूँ कि मुझे आखिर डर किस बात का लग रहा था। मरने का? मरना तो मुझे एक न एक दिन है ही। तो फिर डर किस बात का था? मुझे डर इस बात का था कि मैं तैयार नहीं था। मैं मरने के लिए तैयार नहीं था। मुझे ये भय सता रहा था कि अगर मैं उस घडी मर जाता तो क्या मैं स्वर्ग पहूँच पाता? क्या मैं प्रभु के न्याय-सिंहासन के सामने खडे होकर खुद को निर्दोष साबित करने की स्थिति में था? वो दिन भले ही मेरे जीवन का अंतिम दिन नहीं था पर मेरे अंतिम दिन के बारे में मुझे कुछ सिखा गया।

आज प्रभु अपने दिव्य वचनों द्वारा हमें संसार के अंत के बारे में बताते हैं। पहला पाठ हमसे कहता है - ‘‘उस समय घोर संकट होगा, जैसा कि राष्ट्रों की उत्पत्ति से अब तक कभी नहीं हुआ है। किंतु उस समय तुम्हारी प्रजा बच जायेगा - वे सब, जिनका नाम पुस्तक में लिखा रहेगा’’ (दानिएल 12:1) तो जिनका नाम जीवन ग्रंथ में लिखा हुआ होगा वही उस महा संकट से बच पायेंगे। यह अंतिम दिन कब आयेगा ‘‘उस दिन व उस घडी के बारे में कोई भी नहीं जानता; न तो स्वर्गदूत और न ही पुत्र। केवल पिता जानता है।’’ उस समय के बारे में जानने का अधिकार पिता ने पुत्र तक को नहीं दिया तो इंसान कैसे उस के बारे में बतलाने का दावा कर सकते हैं। यदि हम सच्चे अर्थों में ख्रीस्तीय हैं; यदि हम प्रभु के वचनों पर विश्वास करते हैं, तो हम कभी भी झूठी भविष्यवाणियों पर विश्वास नहीं करेंगे। हमारे पास प्रभु के वचन की गवाही है और प्रभु हमसे कहते हैं कि ‘‘आकाश और पृथ्वी टल जाये तो टल जाये, परन्तु मेरे शब्द नहीं टल सकते’’ (मार 13:31)।

आज का दूसरा पाठ हमारे अंत के बारे में हम से कहता है कि हमें इसे लेकर डरने की कोई बात नहीं है। क्योंकि वचन कहता है कि जो प्रभु की प्रजा है जो प्रभु के लोग हैं, जिनने मसीह में विश्वास किया है उनके लिए, ये एक उम्मिद व आषा का विषय है कि हमारे पापों के लिए बलीदान चढने के बाद, मसीह सदा के लिए ईश्वर के दाहिने विराजमान हो गये हैं, जब तक उसका शत्रु शैतान हरा न दिया जाये। हमारे प्रभु हामारे लिए स्वर्ग में स्थान तैयार करने हमसे पहले गये हैं।

आज प्रभु हमसे बस यही कहना चाहते हैं कि हम सब का अंत निश्चित है सब कुछ का नष्ट हो जाना है हमारा शरीर, हमारी संपत्ति व हमारे रिष्ते ये सब। इसलिए संत पेत्रुस 2 पेत्रुस 3:11 यदि यह सब कुछ इस प्रकार नष्ट होने को है, तो आप लागों को चाहिए कि पवित्र तथा भक्तिपूर्ण जीवन व्यक्तित करें। और उत्सुकता से ईश्वर के दिन की प्रतीक्षा करें।’’ हम उत्सुकता से प्रभु के दिन की प्रतीक्षा कब कर सकते हैं, जब हम तैयार होंगे।

प्रभु येसु ने गेथसेमनी बारी में संत पेत्रुस, याकुब और योहन से जो कहा था आज हमसे भी कहते हैं - ‘‘जागते रहो और प्रार्थना करते रहो जिससे कि तुम परीक्षा में न पड जाओ’’ (मत्ती 26:41)। प्रभु हमें समय के पहले आगाह कर रहे हैं, क्योंकि हम उसकी प्रिय संतानें हैं। वो हमें बचाना चाहता है; हमें मृत्यु, पाप व अंधकार से बचाना चाहता है। बपतिस्मा संस्कार में उस मसीह को धारण कर हम ज्योति की संतान बन गये हैं इसिलिए संत पौलुस 1 थेस. 5:4 में हम से कहते हैं - ‘‘भाईयों आप लोग अंधकार में नहीं हैं जो वह दिन आप पर चोर की तरह अचानक आ पडे। आप सब ज्योति की संतान है, दिन की संतान है। हम रात या अंधकार के नहीं हैं। इसलिए हम दूसरों की तरह नहीं सोयें, बल्कि जागते हुवे सतर्क रहें।’’

जि हाँ, प्यारे भाईयों और बहनों प्रभु का आगमन निश्चित है और हमारा न्याय निश्चित है। प्रभु का वचन आज के पहले पाठ में हमसे कहता है उस दिन ‘‘जो लोग पृथ्वी की मिट्टी में में सोये हुए थे, वे बडी संख्या में जाग जायेंगे, कुछ अनन्त जीवन के लिए और कुछ अनंन्तकाल तक तिरस्कृत और कलंकित होने के लिए। और धर्मी आकाश की ज्योति तरह प्रकाशमान होंगे। और जिन्होंने बहुतों को धार्मिकता की शिक्षा दी है, वे अनन्त काल तक तारों की तरह चमकते रहेंगे।

आईये हम पवित्र युखरिस्त में प्रभु येसु को ग्रहणकर उससे मिल के एक हो जायें। हम पापों भरी हमारी जिंदगी में सो न जायें लेकिन पवित्रता में जागते रहें; प्रार्थना करते रहें; संस्कारों में भाग लेते रहें; सबों से मेल-जोल बनाये रखें; भात्र-प्रेम में बढते जायें, न किसी का बूरा सोचें और न हीं किसी का बूरा करें; जिस प्रकार प्रभु ने हमें प्यार किया है हम भी एक दूसरे को प्यार करते हुवे हमारा यह दुनियाई जीवन बितायें। ताकि जब प्रभु का बुलावा हमें आएगा, जब प्रभु अपने दूतों की सेना सहित हमारा न्याय करने आयेगा तो हम उसका स्वर्गीय पुरूस्कार पाने के योग्य पाये जायें न कि उसका दंड। संत पौलुस हमसे कहते हैं कि ‘‘ईश्वर यह नहीं चाहता है कि हम उसके कोप-भाजन बनें, बल्कि अपने प्रभु मसीह के द्वारा मुक्ति प्राप्त करें। मसीह हमारे लिए मरे, जिससे हम चाहे जीवित हों या मर गये हों, उन से संयुक्त होकर जीवन बितायें। (1 थेस. 5:9-10)

आमेन।


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