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चक्र स - 02. आगमन का दूसरा इतवार

बारुक 5:1-9; फिलिप्पयों 1:4-6,8-11; लूकस 3:1-6

फादर डोमिनिक थॉमस – जबलपूर धर्मप्रान्त


नबी बारूक और नबी यिरमियाह का नबूबत कार्यकाल छठवें शताब्दी ई.पू. था। नबी बारूक, नबी यिरमियाह के सचिव थे। सन् 612 ई. पू. खलदैयियों के राजा नबूकदनेजर ने यूदा देश को अपने अधीन कर दिया। नबियों ने यहूदी लोगों को समझाया कि वे अपने पापों पर पश्चाताप करें और तभी उन्हें मुक्ति होगी। यहूदी नेताओं ने नबियों की बात न मानी और नबूकदनेजर के विरूद्ध विद्रोह किया और नबूकदनेजर ने 587 ई. पू. में येरूसलेम को तथा येरूसलेम मन्दिर को नष्ट कर दिया और यहूदि लोगों को निर्वासित कर बाबूल ले जाया गया। नबी बारूक और नबी यिरमियाह को भी निर्वासन में ले जाया गया।

नबी बारूक उन व्यथित, उदास, निर्वासित लोगों को बता रहे है, आज का पहला पाठ के द्वारा कि उनकी मुक्ति का दिन आ गया है और विलाप न करें। “येरूसलेम, अपने शोक और सन्ताप के वस्त्र उतार, और सदा के लिए ईश्वर की महिमा धारण कर। ... येरूसलेम, उठ खडे हो जा, पर्वत पर चढ कर पूर्व की ओर दृष्टि लगा। देख, प्रभु की आज्ञा से तेरे पुत्र पश्चिम और पूर्व से एकत्र हो गये है। वे आनन्द मना रहे है क्योंकि ईश्वर ने उन की सुध ली है (बारूक 5:1,5)। यह यहूदियों के लिए बहुत बडी खूशखबरी थी। नबी बारूक की यह भविष्यवाणी की पूर्ति सन् 538 ई. पू. में होती है जब पेसिया के राजा सैरा ने बाबूल पर कब्जा कर यहूदी लोगों को आजादी दी। उन लोगों ने यरूसलेम नगर की पुन:स्थापना और मन्दिर का पुनःनिर्माण किए। उस प्रकार यहूदी लोग यहोवा के नाम पर पुनः एकत्रित हो गए।

योहन बपतिस्ता आज के सुसमाचार में उद्घोषणा करते हैं कि न केवल यहूदी लोग बल्कि सब राष्ट्र के लोग मासीह की ओर आ जायेंगे। पाप की गुलामी में जीवन बिताने वाले लोगों को मसीह की ओर आना और मसीह को स्वीकार कर मसीह में जीना ही सच्ची आजादी है, सच्ची मुक्ति है। अतः पश्चाताप के जरिए ह्रदय को शुद्व करने के लिए योहन बपतिस्ता आह्वान करते है।

येरूसलेम शहर कलीसिया का प्रतीक है। कलीसिया में सब राष्ट्र के लोग एकत्रित हो जायेंगे और सब इश्वर के मुक्तिविधान का दर्शन करेंगे। मुक्ति केवल प्रभु येसु मसीह के द्वारा ही संभव है। “किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा मुक्ति नहीं मिल सकती; क्योंकि समस्त संसार में ईसा नाम के सिवा मनुष्यों को दूसरा नाम नहीं दिया गया है, जिसके द्वारा हमें मुक्ति मिल सकती है” (प्रेरित 4:12)।

विनम्र लोग ही ईश्वर द्वारा प्रदत्त मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं। योहन बपतिस्ता येसु समक्ष विनम्र होकर दीनता से येसु से मुक्ति हाजि़ल करने की इच्छा जाहिर करते हुए कहते हैं – “मुझे तो आपसे बपतिस्मा पाने की जरूरत है...” (मत्ति 3:14)। ऐसे विनम्र योहन बपतिस्ता को ईश्वर ने यर्दन नदी के आसपास के लोगों को तथा अन्य जगहों सें आये लोगों को पश्चाताप का सन्देश सुनाने और मसीह के लिए रास्ता तैयार करने के हेतु भेजा है।

पौलुस तथा फिलीप्पि की छोटी सी कलीयिसा विनम्रता एवं सुसमाचर प्रचार का अनूठा उदाहरण है। पौलुस आज के दूसरे पाठ में फिलिप्पि के ख्रीस्तीय लोगों को बताते है कि -

☞ येसु ख्रीस्त तथा उनके मुक्ति कार्य की ज्ञान उनमें गहरा होता जायें;

☞उनके बीच का आपसी प्रेम दिनों दिन बढता जायें;

☞ वे कलंक रहित जीवन बिताने के लिए हरगिज प्रयास करते रहें ताकि येसु मसीह अपना मुक्ति कार्य उन लोगों में पूरा करें।

यह आगमन काल का समय हम लोगों में येसु की ज्ञान गहरा कर दें; हम लोगों में आपसी प्यार बढता जायें तथा निष्कलंक जीवन बिताते हुए येसु की मुक्ति हम लोंगों में सम्पन्न हो जायें एवं येसु के मुक्ति कार्य को हर दिलों तक पहुँचा सकें।


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