Smiley face

चक्र स - 08. ख्रीस्त जयन्ती (दिन की मिस्सा)

इसायाह 52:7-10; इब्रानियों 1:1-6; योहन 1:1-18 या 1:1-5, 9-14

(फादर थॉमस फ़िलिप)


इब्रानियों के नाम पत्र की शुरूआत में हम पढ़ते हैं ‘‘प्राचीनकाल में ईश्वर बारम्बार और विविध रूपों में हमारे पुरखों से नबियों द्वारा बोला था। अब अंत में वह हम से पुत्र द्वारा बोला है। उसने उस पुत्र के द्वारा समस्त विश्व की सृष्टि की और उसी को सब कुछ का उत्तराधिकारी नियुक्त किया है’’ (इब्रानियों 1:1-2)। ये शब्द मुझे एक नास्तिक की कहानी याद दिलाते हैं। इस नास्तिक की बहुत ही धार्मिक पत्नी और दो बच्चे थे। वह क्रिसमस की संध्या थी और उसकी पत्नी और बच्चे रात्रि मिस्सा जाने की तैयारी कर रहे थे। पहले की तरह इस बार भी पत्नी ने उससे चर्च चलने का सहृदय अनुरोध किया जिसे उसने स्वाभाविक रूप से ठुकराकर एक प्रश्न किया ‘ईश्वर इंसान ही क्यों बना?’ उसकी पत्नी उसे कुछ जवाब न देकर चुपचार बच्चों को लेकर चर्च चली गयी। उस शाम बहुत ठण्ड थी और रात में बहुत तेज बर्फीली आँधी चली। ठण्ड लगने पर उसने एक कोने में आग जलाई और अपने आप को उस भंयकर ठण्ड से बचाने की कोशिश करने लगा।

कुछ समय बाद उसने दरवाजे पर खटखटाहट की आवाज सुनी। उसने खिड़की से बाहर झाँककर देखा तो पाया कि हंसों का एक समूह अपने आप को उस असहनीय ठण्ड से बचाने के लिए अंदर घुसने का प्रयास कर रहा था। उसे यह सब देखकर बहुत दुख हुआ और उसने उनकी मदद करने की सोची। इस कारण उसने अपना गैराज खोला और वहाँ पर भी आग लगाई ताकि हंस अंदर आ सकें। परन्तु जब भी वे उसे देखते थे वे भाग जाते और जब वह वापस जाता तो वे भी वापस अपने स्थान पर आ जाते थे। तब उसने रोटियों के कुछ टुकड़े जमीन पर फैला दिए जिससे हंस आकर्षित होकर अंदर आ जाए। परन्तु वह इसमें भी कामयाब नहीं हुआ। तब उसे एक विचार आया, वह बाहर गया और उन हंसों का पिंजरा खोला जिन्हें वह कई सालों से अपने घर में पाल रहा था और उन्हें बाहर भेज दिया। जब बाहर से आये हंसों ने देखा कि पालतु हंसों को उस व्यक्ति से कोई खतरा नहीं है और वे सहज़ ही उसके आसपास घुम रहें है तो वे भी आकर्षित हो गये और अंदर आ गये। वह अपनी आराम कुर्सी पर बैठ कर इस घटना पर विचार करने लगा और उसे अनुभव हुआ कि ईश्वर को इंसान क्यों बनना पड़ा।

अगर ईश्वर हमारे अलावा कोई दूसरा रूप धारण कर लेता तो षायद हम भी वही करते जो उन हंसों ने किया- उनसे दूर भाग जाते। इसके अतिरिक्त हम तो ईश्वर के प्रतिरूप और उसके सदृश्य बनाए गए हैं और ईश्वर इसके सिवाय और कौन सा रूप हमारे बीच में रहने के लिए लेता? ईश्वर अपने बच्चों के साथ रहना चाहते है इसलिए उन्होंने एक सेवक का रूप धारण किया, ताकि वह दूसरों की सेवा कर सकें न कि सेवा कराएं। क्रिसमस वह समय है जब हम फिर से हमारे जीवन में ईश्वर की उपस्थिति को याद करते हैं।

सृष्टि की शुरूआत से ही ईश्वर मनुष्य से संवाद में रहा। उन्होंने अपने आप को मनुष्य के सामने बिजली, बादलों, आग, वायु इत्यादि द्वारा प्रकट किया। वह विभिन्न नबियों द्वारा उनसे बोले। फिर भी मनुष्य ईष्वरीय मार्ग से भटक गया। वह मनुष्यों को दोषी नहीं ठहराना चाहते थे। उन्होंने मुनष्य के साथ धैर्य रखा तथा विभिन्न माध्यमों से उनको अपने पास वापस लाने की कोशिश की। परन्तु मनुष्यों ने इस पर ज्यादा ध्यान नही दिया। अंत में ईश्वर ने अपने इकलौते पुत्र को हमारे बीच में भेजने का निश्चय किया। इस तरह क्रिसमस का समारोह ईश्वर की दयालुता, उदारता का उत्सव बन जाता है। संत योहन हमें यह बताते हैं कि प्रारंभ से ही वचन ईश्वर के साथ था और सारी सृष्टि उसके द्वारा उत्पन्न हुई और वह ईश्वर की महिमा का प्रतिबिम्ब और उनके तत्व का प्रतिरूप है। दूसरे शब्दों में, ईश्वर इंसान बना। यह एक ऐसी सच्चाई है जिसे हमें बिना किसी सन्देह के समझना और स्वीकार करना है। इस विष्वास में हम बुलाए गए और जीते हैं। इसलिये हम निराश, हताश एवं चिंतित नहीं है। हमारी जड़, हमारी आशा और हमारा भविष्य येसु ख्रीस्त में है और वह मज़बूत है।

इस प्रकार हमारे मुक्तिदाता के जन्म का समारोह हमारे सामने एक चुनौती रखता है- हमारे ईश्वर की उदारता की घोषणा की चुनौती, और एक दूसरे के प्रति दयालु रहने की चुनौती। नबी इसायह के ग्रंथ में हम पढ़ते हंै कि जो शान्ति घोषित करता, सुसमाचार सुनाता तथा कल्याण का संदेश लाता है उसके चरण पर्वतों पर कितने रमणीय है (इसायाह 52)।

हमारा क्रिसमस समारोह केवल पवित्र यूखारिस्त मनाने, फटाके फोड़ने या बड़े भोज करने या किसी मौज मस्ती तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए। बल्कि हमें इससे ऊपर उठकर और अल्प सुविधा प्राप्तों, बीमारों, पीड़ितों, ज़रूरत मंदों और पददलितों को वह खुश खबरी सुनाना चाहिए जो ईश्वर इस दुनिया में लाये थे। स्वर्ग में परमेश्वर की महिमा और धरती पर उसके कृपापात्रों को शांति। यही हमारा नारा होना चाहिए और हम सब अपने में, अपने परिवार में, समाज में और संसार में विस्तार रूप से शांति लाने के लिए कड़ी मेहनत करें। हम आशा करें कि यह क्रिसमस समारोह हमारे जीवन में एक प्रेरणा बने जिससे हम ईश्वर की असीम प्रेम और शांति को मानव जाति को सुना सकें, बता सकें।


Copyright © www.jayesu.com
Praise the Lord!