Smiley face

चक्र स - 10. ईशमाता मरियम का महापर्व

गणना 6:22-27; गलातियों 4:4-7; लूकस 2:16-21

फादर डोमिनिक वेगस, एस.वी.डी.


सन् 451 की बात है, ऐफेसुस के महासभा में अनेक ईशशास्त्री और विद्वान एकत्रित हुए थे। वहाँ माता मरियम के विषय पर चर्चा और विचार विमश हुआ। किसी एक ईशज्ञानी ने माता मरियम की भुमिका पर कहा- माता मरियम प्रभु येसु की माता है क्योंकि उन्होंने ईश्वर के एकलौते पुत्र को जन्म दिया जो स्वयं ईश्वर है इसीलिए माता मरियम हमारे लिए ईश माता है।

कितना सुनहरा दिन है आज जब हम ईशमाता मरियम का पर्व वर्ष के पहले दिन मनाते हैं। यह पर्व हमारे विश्वास और आशा का पर्व है। हम ईशमाता मरियम की मध्यस्ता द्वारा नव वर्ष की शुरूआत करते है। उन्हीं के संरक्षण में हमारी सारी प्रार्थनाएँ और याचनाएँ माता के चरणों में समर्पित करते हैं।

मुझे आज के दिन बाइबिल का एक दृश्य याद आता है- जब पेत्रुस, प्रभु येसु के रूपांतरण पर कहते हैं-प्रभु! यहाँ होना हमारे लिए कितना अच्छा है-

यहीं पंक्तियाँ आज ईशमाता मरिश्म के पावन पर्व पर कहना चाहूँगा- माता मरियम का ईश्वर में विश्वास हमेशा दृढ़ रहा। उन्होंने अपने पुत्र येसु में विश्वास किया, पिता ईश्वर में विश्वास किया और एक नाजरेत शहर की नारी रहकर प्रभु के मुक्ति कार्य का समर्थन किया।

माता मरियम का जीवन सरल और सादगी से भरा हुआ था। हमेशा से वे दुसरों की सेवा करती रही। माता मरियम के जीवन में उन्होंने अपनी हर भुमिका को निभाया।

कलीसिया में ईशमाता मरियम का पर्व नव वर्ष के पहले दिन मनाया जाता है क्योंकि वह माता मरियम के प्रति सम्मान और गर्व व्यक्त करती है। ईश्वर की मुक्ति योजना में अहम भुमिकाउनकी रही। वह कलीसिया की स्थापना में शिष्यों के साथ मौजूद रही। वह कलीसिया की माता है। सभी विश्वासियों की माता है; वह हमारी माता है।

आज के सुसमाचार में माता मरियम अपने जीवन में ईश्वर के शब्द को हदय में स्थान प्रदान करती है। ईश्वर के शब्द को जीवन में स्थान प्रदान करने के बाद वह उसे अकुंरित करती है जब ईश्वर का शब्द माता मरियम द्वारा पैदा होकर इस धरती पर जन्म लेता है। माता मरियम के इस महान कार्य के लिए कलीसिया ईशमाता का पर्व मनाती है। ईश्वरीय शब्द को इस संसार में जन्म देना बहुत ही कठिन कार्य है पर बडी सहनशीलता के साथ माता मरियम इस कार्य को दिशा और रूप् देती है। ईश्वर के शब्द पर मनन चिंतन करती है। वह अपने जीवन द्वारा सुसमाचार की घोषणा करती है। ईश्वरीय शब्द से शुरू हुई यात्रा को वह हर्ष और उल्लास के साथ प्रभु के जन्म पर प्रकट करती है। इसलिए माता मरियम ईशमाता कहलाती है।

संत अगस्टीन कहते हैं- ‘‘माता मरियम ने प्रभु येसु को ह्रदय में सर्वप्रथम जन्म दिया’’।

जब हम माता मरियम को येसु की माता और कलीसिया की माता कहते हैं तो हमें उन्हें ईशमाता का स्थान अपने ह्रदय में प्रदान करना है। नववर्ष पर हम अनेक संकल्प लेते हैं ताकि हमारा साल भर के जीवन में हमें सफलता प्राप्त हो। माता मरियम के जीवन में सभी संभव हुआ क्योंकि वें प्रभु के शब्द का पालन करती रही और उनकी कृपापात्री बनी रही। ईश्वर के वचन का पालन करना ही हम सभी के लिए अति आवश्यक है। हम अपने दैनिक जीवन को माता मरियम के चरणों में समर्पित करे और इस नववर्ष में यह संकल्प करें कि हम भी ईश्वर की ईच्छा के अनुसार जीवन व्यतीत करेंगे।


Copyright © www.jayesu.com
Praise the Lord!