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चक्र स - 52. वर्ष का इक्कीसवाँ इतवार

इसायाह 66:19-21; इब्रानियों 12:5-7,11-13; लूकस 13:22-3

(फादर प्रीतम वसुनिया - इन्दौर धर्मप्रांत)


डामसुस के सांता मार्था के गिरजाघर में संत पिता फ्रांसिस ने कहा था, ‘‘प्रभु येसु के खून से हम सब का उद्धार हुआ है, सब का केवल कैथोलिक ही नहीं सब, हर कोई को उनके खून से मुक्ति मिली है। किसी ने पूछा पिताजी क्या नास्तिकों का भी? वे बोले हाँ नास्तिक भी उनकी मुक्ति के भागीदार हैं। और उनका रक्त हमें उनके प्रथम श्रेणी के बच्चों में मिला लेता है। हम उनके रंग-रूप में गढे गये हैं और मसीहा का रक्त हर एक को मुक्ति प्रदान करता है। पर चुनाव या विकल्प हमारा है, हम उस मुक्ति को गले लगायें या फिर ठुकरा दें।

आज के सुसमाचार में प्रभु येसु हमसे कहते हैं कि द्वार तो खुला हुआ है, लेकिन वह संकरा है। संकरे द्वार से प्रवेश करने का पूरा-पूरा प्रयत्न करो।

प्रभु येरूसालेम के रास्ते पर आगे बढ रहे थे कि किसी ने उनसे पूछा, ‘‘गुरूवर क्या थोडे ही लोग मुक्ति पायेंगे?’’ वह व्यक्ति स्वर्ग जाने वालों की संख्या व कौन-कौन उसमें प्रवेश कर पायेगा उसकी जानकारी चाह रहा था। यह बडी दिलचस्प बात है कि प्रभु येसु प्रष्न को एक तरफ कर देते हैं। संख्या जानने की जिज्ञासा के बजाय प्रभु के लिए महत्वपूर्ण बात यह थी कि यदि कोई वास्तव में स्वर्ग जाने परमपिता ईश्वर के साथ बैठकर स्वर्गीय भोज में भाग लेने की रूची रखता है तो उसे आज ही प्रभु के सुसमाचार को सुनने व उसपर चलने के लिए उसे निर्णय लेना पडेगा।

स्वर्ग जाने वाला द्वारा संकरा है लेकिन वह प्रतिबंधित नहीं है। प्रभु येसु के अनुसार यह द्वार सब के लिए खुला हुआ है, कोई प्रतिबंध नहीं, कोई टैक्स नहीं। लेकिन स्वर्ग जाने वाला द्वार संकरा है। फिर भी यह सभी राष्ट्रों के लोगों के स्वागत के लिए पर्याप्त रूप से विस्तृत है। शायद येसु को सुनने वालों में से कई उनका निष्कर्ष सुनकर आष्चर्यचकित हो गये होंगे। ‘‘पूर्व और पष्चिमय उत्तर और दक्षिण से लोग आकर ईश्वर के राज्य के भोज में भागी होंगे। और देखो, जो पिछले हैं वे अगले जायेंगे, और जो अगले हैं वे पिछले हो जायेंगे।’’ जो लोग स्वर्ग में अपना प्रवेश स्व्तः ही (ऑटोमैटिकली) हो जायेगा ये सोच कर बैठे थे वे अंत में अपने आप को दरवाजे से बाहर पायेंगे, जब दरवाजा बंद कर दिया जायेगा। फिर भी दरवाजा पर्याप्त चैडा है कि वह अपने अंदर विश्व के हर एक कोने से आये हुए लोगों को लेले। संत योहन ने प्रकाशना ग्रथ में जो दिव्य दर्शन देखा था उसमें वे प्रभु येसु के इन शब्दों की पुष्टी करते हैं जहाँ लिखा है - ‘‘इसके बाद मैंने सभी राष्ट्रों, वंशों, प्रजातियों और भाषाओं का एक ऐसा विशाल जनसमूह देखा, जिसकी गिनती कोई नहीं कर सकता। वे उजले वस्त्र पहने तथा हाथ में खजूर की डालियाँ लिये सिंहासन तथा मेमने के सामने खडे थे। और ऊँचे स्वर से पुकार-पुकार कह रहे थे, ‘‘सिंहासन पर विराजमान हमारे ईश्वर और मेमने की जय!’’ (प्रकाशना 7:9-10)

अधिकतर यहूदियों ने स्वर्ग को हल्के में लिया। बहुतों का ये मानना था कि सभी, जो बहुत ही बूरे हैं उनको छोडकर बाकी सब यहूदी स्वर्ग जायेंगे। वे हमेशा अपने आप को स्वर्ग राज्य अंदर के लोग समझते थे। वे अपने आपको उद्धार पाये हुवे लोग समझते थे। सिर्फ इसलिए कि वे यहूदी थे। वे बडे गर्व से कहा करते थे अब्राहम हमारे पिता है। प्रभु की यह शिक्षा उन यहूदियों के लिए थी के लिए थी जो ऐसी धारणा लिये बैठे थे। परन्तु आज हमारे लिए इसके क्या मायने हैं। ख्रीस्तीय होने के नाते हम सब ईश्वर की प्रजा के सदस्य बन गये हैं। जिस प्रकार इस्राएली लोग सिनाई पर्वत पर ठहराये गये विधान के तहत व अब्राहम के साथ निर्धारित विधान के अनुसार, ईश प्रजा के भागीदार बन गये। उसी प्रकार ख्रीस्तीय लोग बपतिस्मा के द्वारा ईश परिवार एवं प्रजा के सदस्य बन गये हैं। पुराने विधान के लोगों के समान हम भी नये विधान के अब्राहम के वंषज हैं। हम भी उनकी तरह विषेषाधिकार प्राप्त लोग बन गये हैं। हम भी स्वर्ग राज्य अंदर के लोग बन गये हैं। अन्य धर्मों एवं पंथों की तुलना में हमारे पास मुक्ति की परिपूर्णता है। लेकिन हम हमारे इस विषेषाधिकार पर ही निर्भर नहीं रह सकते। हम इसके लिए दावा नहीं कर सकते। संत लूकस के सुसमाचार में हम सुनते हैं - ‘‘प्रभु हमने आपके सापने खाया पिया और हमारे बाजारों में आपने उपदेश दिया’’ परन्तु वह तुम से कहेगा, मैं नहीं जानता कि तुम कौन हो।’’ फिर हम कहेंगे प्रभु हमने गिरजाघर में जाकर प्रार्थना की मिस्सा बलिदान में भाग लिया नोवेना प्रार्थना की आदि। प्रभु कहेंगे कुकर्मियों तुम मुझ से दूर हट जाओ। क्योंकि यह सच है कि हम प्रभु येसु के द्वारा मुक्त कर दिये गये हैं। पर इसका मतलब ये नहीं कि हम आराम से बैठ जायें। वचन कहता है - ‘‘संकरे द्वार से प्रवेश करने का पूरा-पूरा प्रयत्न करो।’’ हमें प्रयत्न करते रहना है। संकरे द्वार से प्रवेश करने का पूरा - पूरा प्रयत्न करना, प्रभु येसु ने हमारे लिए, हमारी मुक्ति के जो किया है उसके प्रति हमारा एक प्रत्यिुतर है। प्रभु ईश्वर ने हम सब से प्रेम किया है वे हमसे हमेशा प्यार करते ही रहते हैं। लेकिन यदि हम उनके प्रेम का विनिमय नहीं करते अथवा बदले में प्यार नहीं लौटते तो फिर उनके प्यार का आनन्द हम नहीं ले पायेंगे। मुक्ति की घटना भी ऐसी ही है। यह एक तरफा नहीं है। यदि मुक्ति कार्य एक तरफा होता है तो वह पूर्ण नहीं है। यदि मुक्तिकार्य में सिर्फ येसु ही कार्यरत हैं और ख्रीस्तीय अपनी ओर से इसमें भागीदारी नहीं देते, अपनी ओर से प्रयास नहीं करते तो इसका प्रभाव हमारे जीवन में नहीं आयेगा। द्वितीय वाटीकन महासभा का संविधान ल्युमन जेन्स्युम कहता है कि कोई व्यक्ति यद्यपि वह कलीसिया रूपी शरीर का अंग है पर प्रेम व सेवा के मार्ग पर नहीं चलता तो वह कलीसिया की गोद में तो जरूर रहता है पर केवल शारीरिक रूप में उसकी आत्मा ईश्वर से दूर है। जो कोई अपने मन वचन व कर्म से ईश्वर के मार्ग पर नहीं चलता उसकी वाणी को सुनकर अपने जीवन द्वारा उसका जवाब नहीं देता तो न केवल उसका उद्धार ही नहीं होगा परन्तु उसका निर्णय बडी ही कठोरता एवं क्रूरता से किया जायेगा। जो बाहर के समझे जाते हैं वे प्रभु भोज के भागीदार बनेंगे और अंदर वाले बाहर कर दिये जायेंगे। इसीलिए आज का वचन कहते है - जो अगले हैं वे पिछले हो जायेंगे और जो पिछले हैं वे अलगे हो जायेंगे। अंतिम न्याय के दिन एक बडा उलट-फेर होगा। जिन्हें हम अंदर देखने का सोच रहे थे होंगे वे बाहर हो जायेंगे। कई बिषपगण, फादरगण, सिस्टरगण व दुनिया की दृष्टी में धार्मिक माने जाने वाले ख्रीस्तीय विश्वासीगण बाहर हो जायेंगे। और जिन्हें हम श्रापित नीच व बिना महत्व के सोचते हैं वे ही प्रभु के साथ भोजन की मेज़ पर बैठकर स्वर्गीय प्रभु भोज का लुफ्त उठायेंगे।

संकरे द्वार का एक अन्य उदाहरण प्रभु हमें दूसरे शब्दों में देते हैं। ‘‘मैं तुमसे यह भी कहता हूँ सूई के नाके से हो कर ऊँट का निकलना अधिक सहज है, किंतु धनी का ईश्वर के राज्य में प्रवेश करना कठिन है।’’ (मत्ती 19:24) रास्ता बडा संकरा है केवल इंसान ही उसमें प्रवेश कर सकता है। धन-दौलत नहीं। यदि किसी को अपने धन पर बहुत अधिक भरोसा है तो वे याद रखें कि संकरे द्वार से प्रवेश करते समय वह कहीं वहीं अटक के न रह जायें। इसान ही ज्यादा महत्व रखता है धन-दौलत नहीं।

तो आईये हम हमारे जीवन में एक अच्छा इंसान बनें। जो ईश वचन का अपने मन वचन व कर्मों से प्रत्युत्तर देता हो, जो औरों में मसीह का चेहरा देखता हो। जो अपने लिए स्वर्ग में धन जमा करता हो। ताकि जब हमारा बुलावा आयेगा तो हम बिना बैग, बिना लगेज के उस द्वार से प्रवेश करते हुवे उस राज्य में प्रविष्ठ हो जायें जहाँ हमारे पिता ने हमारे लिए अनन्तकाल तक निवास करने के लिए घर तैयार कर रखा है। जहाँ हम हमारे सृष्टिकर्ता के साथ हम एक ही टेबल पर बैठकर भोजन करेंगे।


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