Johnson

चक्र स - वर्ष का छब्बीसवाँ इतवार

आमोस 6:1अ, 4-7; 1 तिमथी 6:11-16; लूकस 16:19-31

फादर जॉन्सन बी. मरिया (ग्वालियर धर्मप्रान्त)


पवित्र बाइबिल में उपस्थित चारों पवित्र सुसमाचार ही अनौखे हैं| प्रत्येक सुसमाचार की अपनी-अपनी विशेषताएं हैं| सन्त लूकस के अनुसार सुसमाचार में हमें कुछ ऐसे दृष्टान्त मिलते हैं जो दूसरे सुसमाचारों में नहीं मिलते| उन्हीं में से एक है धनी व्यक्ति और दरिद्र लाजरुस का दृष्टान्त| यह दृष्टान्त विभिन्न संदेशों से भरा हुआ है| इस दृष्टान्त का प्रत्येक पात्र, प्रत्येक घटना, प्रत्येक दृश्य बहुत कुछ सन्देश देता है| पिछले रविवार को हमने प्रभु येसु के इन शब्दों पर मनन-चिंतन किया था कि झूठे धन से अपने लिये मित्र बना लो ताकि वे परलोक में तुम्हारा स्वागत करें| हममें से किसी ने भी परलोक के दर्शन नहीं किये हैं, क्योंकि जो परलोक जाता है वह वापस लौटकर नहीं आता, लेकिन प्रभु येसु हमें उस लोक की झलक दिखाते हैं| आज के सुसमाचार से हमें पता चलता है कि ईश्वर सबका हिसाब चुकाते हैं| आईये आज के इस दृष्टान्त को एवं उसके सन्देश को हम गहराई से समझें|

यह दृष्टान्त एक अमीर व्यक्ति के उल्लेख से शुरू होता है जो बैंगनी वस्त्र और मलमल पहनकर प्रतिदिन दावत बुलाया करता था| बैंगनी वस्त्र शाही अंदाज़ को बयाँ करता है| जब सैनिक लोग प्रभु येसु को राजा बनाकर उनका उपहास करते थे तो उन्हें बैंगनी वस्त्र पहना देते थे| (मारकुस 15:17)| यह बैंगनी वस्त्र कोई साधारण लोगों का वस्त्र नहीं था| सामान्य लोग सस्ते, सूती वस्त्र पहनते थे, लेकिन जो महँगे वस्त्र खरीद सकते थे, वे ही बैंगनी और मलमल के कपड़े पहनते थे| यानि कि वह व्यक्ति बहुत धनी था, क्योंकि वह प्रतिदिन दावत बुलाया करता था| आश्चर्यजनक बात यह है कि उस धनी व्यक्ति का कोई नाम तक नहीं बताया गया है जबकि पवित्र बाइबिल के अनुसार किसी के नाम का बहुत महत्व है| इस व्यक्ति का नाम शायद इसलिए नहीं बताया गया कि स्वर्ग में नामी-गिरामी लोग भी गुमनाम हो जाते हैं, और पृथ्वी पर गुमनाम लोग भी स्वर्ग में नामी-गिरामी लोग हो जाते हैं|

इस कहानी का दूसरा पात्र लाज़रुस नामक कंगाल व्यक्ति है जो उस धनी व्यक्ति के फाटक पर पड़ा रहता था| एक कंगाल का नाम बताया गया है लेकिन एक धनी का नाम तक कोई मायने नहीं रखता| वह कंगाल भूख से तडपता था, फोड़ों के कारण कष्ट में था, और कुत्ते उसके घावों को चाटते थे, यानि कि वे घाव सूखकर भरने, या ठीक होने की बजाय हमेशा ताज़ा बने रहते थे, और उसका दर्द कभी कम नहीं होता था| वहीँ दूसरी ओर धनी व्यक्ति के साथ एकदम उल्टा था, वह रोज दावत उड़ाया करता था, उसके शरीर को अपार सुख था, कोई चिंता, दुःख या परेशानी नहीं थी| ना लाज़रुस को उससे कोई शिकायत थी और न उसे लाज़रुस से कोई लेना-देना बल्कि वह तो उस कंगाल को अपने फाटक पर पड़े रहने देता था| लेकिन जब दोनों परलोक जाते हैं, तो लाज़रुस को आराम मिलता है और धनी को कष्ट| आखिर लाज़रुस को किस कारण पिता इब्राहीम की गोद में बैठने का सौभाग्य मिला और धनी व्यक्ति को किस बात की सज़ा मिली?

पवित्र कलीसिया हमें सिखाती है कि पाप के अनेक प्रकारों में से दो प्रकार ये भी हैं – हमारे आचरण से होने वाले पाप और हमारे अनाचरण से होने वाले पाप (Sins of commission and sins of omission)| यानि कि एक वे पाप जो हमारे कुछ गलत करने के कारण होते हैं और दूसरे वे पाप जो हमारे कुछ भला नहीं करने के कारण होते हैं| हमें न केवल अपने आप को गलत करने से रोकना है बल्कि हमें भला भी करते रहना है| कभी-कभी हम सोचते हैं कि हम तो कुछ गलत नहीं कर रहे इसलिए ईश्वर हमें दण्ड नहीं देंगे। लेकिन हम भूल जाते हैं कि हमें जो भला करना चाहिए अगर वह नहीं करते हैं तो भी हम पाप करते हैं| उस अमीर व्यक्ति को इसी बात की सज़ा मिली कि उसने अपनी ज़िन्दगी में अपने धन-दौलत और ऐशो-आराम का भरपूर मज़ा लिया लेकिन एक दरिद्र, दुखी और लाचार के बारे में कोई परवाह नहीं की| अगर ईश्वर ने हमें धन-दौलत और आरामदायक जीवन दिया है तो न केवल हमें उसके लिए ईश्वर को धन्यवाद देना चाहिए बल्कि दीन-दुखियों के लिए भी उस धन-दौलत का उपयोग करना चाहिए|

लाज़रुस ने कष्ट उठाया इसलिए उसे परलोक में सांत्वना मिली| प्रभु येसु ने स्वयं वादा किया है - “धन्य हैं वे जो शोक करते हैं, उन्हें सांत्वना मिलेगी| (मत्ती 5:5)| इस दृष्टान्त के दोनों पात्रों में से मैं कौन हूँ- वह धनी व्यक्ति जिसे ईश्वर ने सुखमय जीवन दिया है और जो दूसरों की परवाह नहीं करता या वह कंगाल जो अपने कष्ट और परेशानी में भी ईश्वर पर भरोसा रखता है और परलोक में सांत्वना पाने का पात्र बन जाता है?


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