परिवार की आशिष

(साघारण अवधि में)


पुरोहित : पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम पर।

सब : आमेन।

पुरोहित : पिता ईश्वर और हमारे प्रभु येसु ख़ीस्त से आप लोगों को कृपा और शान्ति मिले ।

सब : और आपको भी ।

पुरोहित : प्रिय भाइयो और बहनो, परिवार, जो विवाह संस्कार द्वारा खरीस्त की कृपा और नवजीवन ग्रहण करता है, कलीसिया और समाज के लिए अनन्य रूप से महत्त्वपूर्ण है ; वह इनका प्रथम और परमावश्यक कोशाणु है। इस समारोह द्वारा हम प्रभु की आशिष माँगते हैं, जिससे इस परिवार के सदस्य आपस में कृपा के सहकारी और जीवन की विभिन्न परिस्थितियों में विश्वास के प्रचारक बनें | ईश्वर की सहायता पर आश्रित रहकर और अपना समस्त जीवन सुसमाचार के अनुरूप बना कर आप अपना कर्तव्य पूरा करेंगे, जिससे संसार में ख्रीस्त के साक्षी सिद्ध हों ।

(कोई भी व्यक्ति इस पाठ को पढ़े):

पाठक : कुरिन्थियों के नाम संत पौलुस का पहला पत्र (12:12-14)
मनुष्य का शरीर एक है, यद्यपि उसके बहुत-से अंग होते हें और सभी अंग, अनेक होते हुए भी, एक ही शरीर बन जाते हैं। खरीस्त के विषय में भी यही बात है। हम यहूदी हों या यूनानी, दास हों या स्वतंत्र, हम सब के सब एक ही आत्मा का बपतिस्मा ग्रहण कर एक ही शरीर बन गए हैं। हम सब को एक ही आत्मा का पान कराया गया है। शरीर में भी तो एक नहीं, बहुत-से अंग हैं ।
प्रभु की वाणी!

सब : ईश्वर को धन्यवाद!

(अथवा - एफेसियों 4:1-6 या 1 कुरिन्थियों 12:31-13:7)


(पुरोहित इस अवसर पर पवित्र वचन पर आधारित प्रवचन दे सकते हैं)


विश्वासियों के निवेदन


पुरोहित : पिता के सहशाश्वत शब्द, येसु खीस्त ने मनुष्यों के बीच एक परिवार में जीवन-यापन करने और उसे स्वर्गिक आशिष से परिपूरित करने की कृपा की है । उन्हीं से हम दीनतापूर्वक प्रार्थना करें कि वे दयापूर्वक इस परिवार की रक्षा करें; अतः हम बोलें :

सब : हे प्रभु, अपनी शांति में इस परिवार की रक्षा कर |
• तूने मरियम और योसेफ के अधीन रह कर पारिवारिक जीवन को प्रतिष्ठित किया; अपनी उपस्थिति से इस परिवार को पवित्र कर ।
• तू पिता के कार्यों में लगा रहता था; यह वर दे कि हर परिवार में ईश्वर की उपासना और उसका आदर किया जाए।
• तू ने अपने परिवार को प्रार्थना, प्रेम और ईश्वर की इच्छा के पालन का अपूर्व उदाहरण स्वरूप प्रस्तुत किया; इस परिवार को अपनी कृपा से पवित्र कर और इसे अपने प्रचुर वरदान दे |
• तू ने अपने पड़ोसियों को प्यार किया और उनसे प्रेम पाया; सब परिवारों को शान्ति और परस्पर प्रेम में स्थापित कर ।
• तू ने गलीली के काना नगर में जल को दाखरस में बदल कर पारिवारिक जीवन के आरम्भ को अपने प्रथम चमत्कार द्वारा आनन्दमय बनाया; इस परिवार के दुःखों और चिन्ताओं को कृपापूर्वक हल्का कर और मधुरतापूर्वक उन्हें आनन्द में बदल दे ।
• परिवार की एकता को दृष्टि में रख कर तू ने कहा : “जिसे ईश्वर ने जोड़ा है, उसे कोई मनुष्य अलग न करे”; इस दम्पति को तेरे प्रेम के दृढ़ बंधन में सदा जुड़े रहने दे ।


पुरोहित : अब हम पिता ईश्वर से प्रार्थना करें, जैसे प्रभु येसु ने हमें सिखाया है : हे हमारे पिता ....

आशिष की प्रार्थना

पुरोहित : हे ईश्वर, अपनी प्रजा के निर्माता और दयामय पुनरुद्धारक, तेरी इच्छा है कि विवाह-बंधन में स्थापित परिवार खीस्त तथा कलीसिया की मुक्ति का साधन बन जाए। हम तुझसे निवेदन करते हैं : तेरे नाम में एकत्र इस परिवार पर अपनी प्रचुर आशिष बरसा। जो एक प्रेम में संयुक्त हो जाते हैं, ये आत्मा में उत्साह से भर कर और प्रार्थना में स्थिर रह कर एक दूसरे की चिन्ता करें, एक दूसरे की आवश्यकता पूरी करें, और वचन तथा उदाहरण से विश्वास के प्रचारक बनें। हम यह प्रार्थना करते हैं अपने प्रभु ख्रीस्त के द्वारा ।

सब : आमेन |


पुरोहित : प्रभु येसु, जो नाजरेत में अपने परिवार के साथ रहे, आपके परिवार में सदा निवास करें, इसे हर बुराई से बचा रखें और आप सब को एक मन और एक हृदय बनने की कृपा प्रदान करें ।

सब : आमेन।


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Praise the Lord!