पवित्र क्रूस की नौरोजी प्रार्थना

पर्व दिवस - जुन 21

(फ़ादर रोनाल्ड वॉन)

पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम पर। आमेन्


प्रारंभिक प्रार्थना

हे प्रभु येसु, आप ने मानव-मुक्ति के लिए स्वयं गौशाले की दरिद्रता में मनुष्य के रूप में जन्म लिया। मानव बनकर आपने मनुष्य जाति को पिता परमेश्वर की इच्छानुसार आचरण करने की शिक्षा दी। आपने अपने समर्पित जीवन द्वारा उस शिक्षा को जीवन के कार्यों में ढाला, अपने दुःखभोग द्वारा शिक्षा की सच्चाई प्रमाणित की तथा अंत में क्रूस पर मर कर उसे परिपूर्णता तक पहुँचा दिया। आपने बताया कि हमारे सिर का बाल-बाल गिना हुआ है तथा हमारे पिता की इच्छा के बिना गौरेये भी नहीं गिरते। इस तरह हम पिता की नज़रों में मूल्यवान हैं। इस विश्वास को आत्मसात कर आपने निर्भीकता का जीवन बिताया। आपने सत्य को घोषित किया तथा बताया कि सत्य हमें आजाद कर देगा। आपने अपने क्रूस-मरण के द्वारा जीवन की क्षणभंगुता तथा अंनत जीवन का पाठ पढाया। हम क्रूस के सत्य को स्वीकारते हैं तथा उसे अपने जीवन के कार्यों द्वारा घोषित करने के लिए आपसे विश्वास तथा साहस का वरदान माँगते हैं।

हे प्रभु येसु, आपने रोगियों को चंगा किया, अंधों को दृष्टि दी, पापियों को पश्चात्ताप का वरदान दिया, मृतकों को जिलाया, भूखों को रोटी दी, तिरस्कृतों को सम्मान दिया, दरिद्रों को सुसमाचार सुनाया, खोजने वालों को पा जाने की आशा दी, खोए हुओं को लौटने का मार्ग दिखाया, विरोधियों के लिए प्रार्थना की दी तथा प्रभु के अनुग्रह का वर्ष घोषित किया। आपने किसी को भी निराश नहीं किया। हे येसु हम आपके दुःखभोग की याद करते हैं तथा क्रूस की मुक्ति के रहस्य पर विश्वास करते हुए उसे देखते हैं। अपने वचनों, ’’जब मैं पृथ्वी से ऊपर उठाया जाऊँगा, तो सब मनुष्यों को अपनी ओर आकर्षित करूँगा।’’ (योहन 12:32) को याद कीजिए और हमें पाप की दासता से मुक्त कीजिये, हमारी ज़रूरतों में हमारी सहायता कीजिए, हमारे रोगों को चंगा कीजिए, हमारे दुःखों में सांत्वना दीजिए, हमारे जीवन के खालीपन को क्रूस की प्रज्ञा से भरिये तथा हमारी मृत्यु की घड़ी में हमें स्वर्गराज्य में प्रवेश का आश्वासन दीजिए। हमारे परिवारों तथा प्रियजनों को मतभेद, विभाजन, आपसी झगडों, अषुद्धता, रोगों, अनैतिकता तथा अंधकार की बातों से मुक्ति प्रदान कीजिए। इस नौरोजी प्रार्थना में हमारे विषेष निवेदनों पर दयादृष्टि डालिए तथा उन्हें पिता की इच्छानुसार मुझे प्रदान कीजिए। हम विश्वास करते हैं कि आप हमारे निवेदनों को नियत समय, उचित अवसर तथा प्रचुर मात्रा में प्रदान करेंगे। इसी विश्वास और भरोसे के साथ हम पवित्र क्रूस के आदर में इस नौरोजी प्रार्थना को करते हैं।



पहला दिन

आत्मत्याग के वरदान के लिए

हे प्रभु येसु आपने अपने अनुयायियों से कहा, ’’जो मेरा अनुसरण करना चाहता है, वह आत्मत्याग करे और अपना क्रूस उठाकर मेरे पीछे हो ले।’’ (मारकुस 8:34) हे प्रभु, जब हम अपने जीवन की तकलीफों तथा पारिवारिक दुःखों को देखते हैं तो पाते है कि हमारी तकलीफों का मूल कारण हमारा स्वार्थ, अह्म एवं अहंकार है। हम अधिकत्तर शरीर की इच्छाओं एवं विषय-वासनाओं से प्रेरित होकर वही करना चाहते हैं जो आपकी दृष्टि में बुरा है। हम स्वीकार करते हैं कि हमारी महत्वाकांक्षाओं ने दूसरों के जीवन में मुष्किलें डाली तथा उनके स्वतंत्र जीवन में बाधा उत्पन्न की। इस तरह, हे प्रभु, हम जानते है कि हम में आत्मत्याग की बडी कमी है। अपनी ही बातों में डूबकर हम आपको जो प्रिय हैं उनके बारे में कम ही सोचते है। हम दूसरों की आवश्यकताओं तथा इच्छाओं के प्रति उदासीन रहते हैं। हमारी स्वार्थपरता हमारे जीवन में उत्तेजना एवं एकाकीपन को जन्म देती है और इसके परिणामस्वरूप हम आपकी कृपा एवं मुक्ति से वंचित रहते हैं।

हे प्रभु, हमें सांसारिक बातों का त्याग करने की प्रेरणा तथा मनोबल दीजिए। हम भी ऊपर की चीजें खोजते रहें तथा अपने आत्मत्याग के द्वारा जीवन में अनुकम्पा, सहानुभूति, विनम्रता, कोमलता और सहनशीलता धारण करें (दे. कलोसियों 3:1-15) तथा संत पौलुस के समान कह सकें, ’’मैं केवल हमारे प्रभु ईसा मसीह के क्रूस पर गर्व करता हूँ। उन्हीं के कारण संसार मेरी दृष्टि में मर गया है और मैं संसार की दृष्टि में’’। (गलातियों 6:14)

(अपनी व्यक्तिगत आवश्यकताओं को मौन रूप से क्रूसित प्रभु को चढ़ायें।)



दूसरा दिन

पश्चात्ताप एवं पापक्षमा के वरदान के लिए

हे क्रूसित प्रभु येसु! आपने आपके साथ क्रूस पर चढायें गये डाकू को स्वर्गराज्य में प्रवेश का वचन दिया। कितना महान और अविस्मणीय है आपका प्रेम एवं क्षमाशीलता! ’’इस्राएल का परमपावन प्रभु-ईश्वर यह कहता है, ’’पश्चात्ताप और स्वीकृति में तुम्हारा कल्याण है।’’ (इसायाह 30:15) इसलिये आपने पष्चात्तापी जकेयुस के घर में मुक्ति के आगमन की घोषणा की, आँसुओं से आपके पैर धोने वाली पापिनी स्त्री के पापों को क्षमा किया और समारी स्त्री के अनिच्छुक हृदय को वचनों के द्वारा खोला। इस प्रकार आपने प्रत्येक को स्वीकारा तथा नवजीवन प्रदान किया। आपने स्वयं कहा, ’’मैं धर्मियों को नहीं, पापियों को पश्चात्ताप के लिए बुलाने आया हूँ’’। (लूकस 5:32) हे प्रभु हम भी स्वीकार करते हैं कि हम पापी है तथा हमें भी पश्चात्ताप के वरदान की अत्यंत आवश्यकता है। ’’ईश्वर ने आपको शासक एवं मुक्तिदाता का उच्च पद देकर अपने दाहिने बैठा दिया है, जिससे वह आपके द्वारा हमको पश्चात्ताप और पापक्षमा प्रदान करे’’। (दे. प्रेरित चरित 5:31) हमारे पापमय जीवन के कुचक्र को तोडने में हमारी मदद कीजिए। हमें अपने पाप की आदतों से छुड़ाकर उनकी स्मृति मिटा दीजिए। बुराई की मनोवृति को दूर कीजिए। हमें भी पष्चात्तापी डाकू की तरह आपके क्रूस में आपकी दया और क्षमा की महिमा के अनुभव करने का वरदान प्रदान कीजिए।

हमें सिखलाईए कि ’’ईश्वर की असीम दयालुता, सहनशीलता और धैर्य हमें पश्चात्ताप की ओर ले जाना चाहती है।’ (रोमियों 2:4) हममें स्वर्ग राज्य में प्रवेश पाकर अंनत जीवन पाने की इच्छाशक्ति का संचार कीजिए। हमारी अंतरात्मा को आपके सान्निध्य के लिये इतना व्याकुल कीजिए जिससे वह भी पुकार उठे, ’’ईसा! जब आप अपने राज्य में आयेंगे, तो मुझे याद कीजिएगा’’। (लूकस 23:42) जो भी पष्चात्ताप एवं प्रायश्चित के कार्य हमारे लिये उचित एवं उपयुक्त हो उन्हें करने की कृपा भी हमें प्रदान कीजिए। हमारी अन्य आवश्यकताओं पर भी ध्यान दीजिए।

(अपनी व्यक्तिगत आवश्यकताओं को मौन रूप से क्रूसित प्रभु को चढ़ाये।)



तीसरा दिन

हमारे कार्य एवं परिश्रम में पूर्णता एवं सफलता के वरदान के लिए

हे प्रभु येसु आपने कहा था, ’’मेरा पिता अब तक काम कर रहा है और मैं भी काम कर रहा हूँ।’’ (योहन 5:17) पिता ईश्वर को समर्पित आपका परिश्रम व्यर्थ नहीं गया तथा आपके दुःखभोग, क्रूस-मरण तथा पुनरूत्थान के द्वारा पिता ने आपके कार्यों को महिमा प्रदान की। ’हे प्रभु आपने हमें इसलिए चुना एवं नियुक्त किया कि हम जाकर फल उत्पन्न करें तथा हमारा फल बना रहे’। (दे. योहन 15:16) आपने अशर्फियों के दृष्टांत के माध्यम से बताया कि आप हमें आलसी और निकम्मे सेवकों के रूप में नहीं बल्कि परिश्रमी एवं ईमानदार सेवकों के रूप में देखना चाहते हैं। (दे. मत्ती 25:14-30)

हे प्रभु आपके पवित्र क्रूस की इस नौरोजी प्रार्थना में हम अपने जीवन के कार्यों एवं परिश्रमों को आपके चरण में चढ़ाते हैं। हमारे जीवन में कई बार हम भी असफलता का अनुभव करते हैं। कभी-कभी हमारे कार्यों से हमें संतुष्टि नहीं मिलती। अनेक बार हम जल्दी ही निरुत्साहित हो जाते हैं जिससे जीवन एवं परिवार की निरंतरता पर बुरा प्रभाव पड़ता है। यह सही है कि, ’’यदि प्रभु ही घर नहीं बनाये, तो राजमिस्त्रयों का श्रम व्यर्थ है। यदि प्रभु ही नगर की रक्षा नहीं करें, तो पहरेदार व्यर्थ ही जागते हैं।’’(स्तोत्र 127:1) हम भी पवित्र बाइबिल की इस चेतावनी को सुनते हैं तथा आपसे विनती करते हैं कि आप हमारे कार्यों एवं परिश्रमों को आशिष प्रदान करें, जिससे कार्यों को सफलता तथा परिश्रम को परिपूर्णता प्राप्त हो। हमारी कार्य-योजनाओं को अंतर्दृष्टि प्रदान कीजिए। हमारी कल्पना-शक्ति को रचनात्मक बनाईए। हमारी इच्छा-शक्ति को दृढता प्रदान कीजिए तथा हमारे लक्ष्यों को उनकी परिपूर्णता तक पहुँचा दीजिए।

पवित्र क्रूस का चिन्ह हमें प्रलोभनों एवं कमजोरियों में विजय प्राप्त करने का विश्वास प्रदान करता रहे ताकि हम भी तीस गुणा, साठ गुणा तथा सौ गुणा फल उत्पन्न कर सकें।

(अपनी व्यक्तिगत आवश्यकताओं को मौन रूप से क्रूसित प्रभु को चढ़ायें।)



चैथा दिन

क्षमाशीलता के वरदान के लिए

हे क्रूसित प्रभु येसु, आपने हमें एक दूसरे को क्षमा करने की शिक्षा प्रदान की है। आपने अपने विरोधियों से भी घृणा नहीं की। क्रूस पर घोर यातनाएं सहकर भी आपने पिता से निवेदन किया कि वे आपके दोषियों को क्षमा करे। हे प्रभु इस तरह आपने क्षमाशीलता को परिपूर्णता तक पहुँचा दिया तथा क्रूस की काठ को ईश्वरीय कृपा का सर्वोत्तम उपकरण बनाया।

क्षमाशीलता के अभाव में हमारे हृदय में क्रोध, बदले, ईष्र्या, असुरक्षा तथा घृणा की भावनाएं जन्म लेती है। इस प्रकार अंधकार की बातें हमारे दैनिक व्यवहार को प्रभावित करती हैं। हम न सिर्फ अषंात रहते हैं बल्कि हम ईश्वर की कृपा भी उचित रूप से ग्रहण करने में असमर्थ होते हैं।

हे क्रूसित येसु, हमारे जीवन में ऐसे अनेकों अवसर हैं जब लोगों ने हमें अकारण ही दुःख पहुँचाया, हमारे हितों को हानि पहुँचायी, हमारे साथ भेदभाव किया, अन्याय एवं अधर्म के कार्य किये लेकिन जो कुछ आपके साथ हुआ उन सब की तुलना में ये सब नगण्य हैं। हे येसु के मुक्तिदायक क्रूस! हमारे विरोधियों एवं अपराधियों पर कृपा दृष्टि डालिये। उनके पापों को क्षमा कीजिए, सोच-विचारों को पवित्र कीजिए तथा उनकी योजनाओं पर पवित्र क्रूस की छाया पडने दीजिए जिससे वे अपने जीवन को बदल सकें। हे क्रूस पर विजयी येसु हम आपके ’सर्वश्रेष्ठ नाम’ पर अपने अपराधियों को क्षमा करते हैं तथा प्रतिशोध की बातों का परित्याग करते हैं। हम अपने अपराधियों को आपके न्याय पर छोडते हैं क्योंकि लिखा है, ’’प्रतिशोध मेरा अधिकार है, मैं ही बदला चुकाऊँगा...इसलिए आप लोग बुराई से हार न मानें, बल्कि भलाई के द्वारा बुराई पर विजय प्राप्त करें।’’ (रोमियों 12:19-21) इन मनोभावों के साथ हम हमारी अन्य आवश्यकताओं को भी तुझे चढाते हैं।

(अपनी व्यक्तिगत आवश्यकताओं को मौन रूप से क्रूसित प्रभु को चढ़ायें।)



पाँचवाँ दिन

माता मरियम की भक्ति के लिए

हे प्रभु, क्रूस पर अपार दुःख में एवं आकाश और धरती के बीच झूलते हुए भी आपने हम मनुष्यों को नहीं भुलाया तथा क्रूस पर से अपनी माता को हमारी भी माता बनाया जब आपने अपनी माता से उन्हें योहन को सौंपते हुये कहा, ’’भद्रे! यह आपका पुत्र है’’। (योहन 19-26-27) हे क्रूसित प्रभु येसु, आपके इस महान उपहार के लिए धन्यवाद। हमें शक्ति एवं प्रेरणा प्रदान कीजिए ताकि हम माता मरियम की भक्ति के द्वारा निरंतर आपके पास आते रहें। माता मरियम की उपस्थिति को हमारे जीवन में महसूस करने का वरदान दीजिए। जिस तरह माता मरियम ने आपके स्वर्गारोहण के बाद शिष्यों को बिखरने नहीं दिया बल्कि उनके साथ अटारी में प्रार्थना करती रही उसी तरह आपके द्वारा नियुक्त हमारी स्वर्गीक माता हमारे लिए निरंतर पिता परमेश्वर और आप से निवेदन करती रहें।

पवित्र आत्मा द्वारा गर्भवती हुयी माता मरियम सभी विवाहित महिलाओं को संतान-प्राप्ति का वरदान प्रदान दिलायें। जिस प्रकार माता मरियम को जीवन में संत यूसुफ का संरक्षण एवं सहारा प्राप्त हुआ उसी प्रकार प्रत्येक महिला अपने पति का संरक्षण एवं सहारा प्राप्त करे। हे येसु जिस प्रकार आप उम्र एवं प्रज्ञा में माता मरियम एवं संत यूसुफ के संरक्षण में बढ़ते गये उसी प्रकार हमारे बच्चे भी पर माता मरियम के साये में विकसित होते जाए।

हे मधुर येसु! जिस प्रकार आपके जीवन का हर क्षण माता मरियम के साये में बीता उसी प्रकार हमारे जीवन के प्रत्येक क्षण एवं चरण को भी माता मरियम की भक्ति एवं सान्निध्य से धन्य बना दीजिए। हमें माता मरियम की भक्ति प्रदान कीजिए तथा हमारी अन्य आवश्यकताओं को भी पूरा कीजिए।

(अपनी व्यक्तिगत आवश्यकताओं को मौन रूप से क्रूसित प्रभु को चढ़ायें।)



छठवाँ दिन

आशावान बने रहने के लिए

हे क्रूसित प्रभु येसु, कलवारी पर्वत पर, क्रूस की काठ पर ठुके हुये, कांटों के मुकुट से छेदित, शिष्यों द्वारा परित्यक्त, आकाश और धरती के बीच झूलते हुए आपकी स्थिति घोर निराशाजनक थी। लेकिन आपने निराशा के अंधकार को अस्वीकार कर पूर्ण विश्वास के साथ पिता परमेश्वर के हाथों में अपनी आत्मा सौंप दी।

हमारे जीवन में भी निराशा रूपी बातें निरंतर हृदय का द्वार खटखटाती रहती हैं। बीमारी एवं दुर्घटनाएं हमारे ख्रीस्तीय विश्वास को चुनौती देती हैं, गरीबी एवं अभाव की स्थिति हमारा मन भटकाती है, लोकप्रिय बनने का प्रलोभन सदैव प्रबल बना रहता है, अनैतिकता के चलन में ख्रीस्तीय मूल्यों का महत्व अप्रासंगिक प्रतीत होता है तथा हम नषे, अनैतिकता, रंग-रैलियों आदि बुराईयों के गलत मार्गों में जीवन की खुशी ढूंढने की कोशिष करने लगते हैं।

हे क्रूसित प्रभु येसु, जीवन की निराशा में हमें आपके पास आना सिखलाईए। क्योंकि ’’धन्य है वह मनुष्य जो प्रभु पर भरोसा रखता है, जो प्रभु का सहारा लेता है!’’ (यिरमियाह 17:7) हमें इस विश्वास में बने रहने दीजिए क्योंकि आप सत्यप्रतिज्ञ ईश्वर हैं तथा आप अपनी प्रतिज्ञाएं पूरा करने का सामथ्र्य रखते हैं। प्रतिकूल परिस्थितियों में भी हमें कहना सिखाइए कि, ’’प्रभु! तू ही मेरी ढाल और गौरव है। तू ही मेरा सिर ऊँचा करता है। मैं प्रभु को ऊँचे स्वर में पुकारता हूँ, वह अपने पवित्र पर्वत से मुझे उत्तर देता है।’’ (स्तोत्र 3:4-5) हमारी असफलता में भी पिता ईश्वर को धन्यवाद कहने का साहस प्रदान कीजिए जो आपके द्वारा हमें विजय प्रदान करते हैं।’ (दे. 1 कुरि. 15:57) आप में ’आशा के कारण हम सुरक्षा का अनुभव करें। हे राजाओं के राजा एवं प्रभुओं के प्रभु! अमरता के एकमात्र स्रोत्र! अगम्य ज्योति में निवास करने वाले प्रभु! (दे. 1तिमथी 6:16) हम दृढ़-सकंल्प करते हैं कि जीवन की निराशा को कभी हमें नष्ट करने नहीं देगे ’’क्योंकि हम जानते है कि हमने किस पर भरोसा रखा है और वह हमें....उस दिन तक सुरक्षित रखने में समर्थ है।’’ (दे. 2 तिमथी 1:12)

(अपनी व्यक्तिगत आवश्यकताओं को मौन रूप से क्रूसित प्रभु को चढ़ायें।)



सातवाँ दिन

पवित्र आत्मा के वरदानों के लिए

हे क्रूसित प्रभु येसु! आपने कहा था ’’तुम्हारा कल्याण इसी में है कि मैं चला जाऊँ।...जिससे पिता तुम्हें दूसरा सहायक प्रदान करेगा, जो सदा तुम्हारे साथ रहेगा। वह सत्य का आत्मा है जो पाप, धार्मिकता और दण्डाज्ञा के विषय में संसार का भ्रम प्रमाणित कर देगा।’’ (दे. योहन 14,16) हे येसु, पवित्र आत्मा के वरदानों के बिना हमारा ख्रीस्तीय जीवन दुर्बल बना रहता है तथा हम इस गुजरती दुनिया को अपना वास्तविक जीवन मानकर सांसारिक बातों में लगकर अंनत जीवन की सच्चाई को भूल जाते हैं।

जब अटारी में प्रार्थना करते हुए माता मरियम, शिष्यों एवं अन्यों पर पवित्र आत्मा उतरे तब उनमें मुक्ति के ज्ञान, साहस तथा नवीनता का उदगम हुआ। इस पर प्रभु का नाम घोषित हुआ तथा कलीसिया का जन्म हुआ। हमारे जीवन में भी आत्मा के वरदानों द्वारा नवीनता एवं रचनात्मकता प्रदान कीजिए ताकि हम अपना दुर्बल मानव स्वाभाव त्याग कर आत्मा की प्रेरणा से पुकार कर कहें, ’’अब्बा, हे पिता!’’ क्योंकि आत्मा स्वयं हमें आश्वासन देता है कि हम सचमुच ईश्वर की संतान हैं।’’ ईश्वर की संतान बनकर हम भी मसीह के साथ ईश्वर की विरासत के भागी बन जायें। (दे. रोमियों 8)

हम आत्मा के वरदान से पाप, निराशा, भ्रम एवं प्रलोभनों में पड़ी मानवजाति को ईश्वरीय मार्ग दिखा सकें तथा येसु ख्रीस्त को साहस एवं निर्भीकता से मानवजाति का मुक्तिदाता घोषित कर सकें। हम ख्रीस्त में अपने विश्वास को पहचान सकें ’जिससे हम निर्भयता, पवित्रता और धार्मिकता से जीवन भर ईश्वर के सम्मुख उनकी सेवा कर सकें,’ (दे. लूकस 1:75) तथा प्रभु के नाम की दुहाई देकर बच जायें।

(अपनी व्यक्तिगत आवश्यकताओं को मौन रूप से क्रूसित प्रभु को चढ़ायें।)



आठवाँ दिन

प्रार्थना करने के वरदान के लिए

हे क्रूसित प्रभु येसु, आपने अपने जीवन में हमेषा प्रार्थना के द्वारा पिता की इच्छा को जाना। अपने व्यस्त जीवन के बीच भी आपने प्रार्थना करने का समय ढूंढा। जीवन के प्रत्येक महत्वपूर्ण निर्णय आपने प्रार्थना करने के बाद लिये। इस प्रकार आपका सम्पूर्ण जीवन प्रार्थना में पिता परमेश्वर के साथ संयुक्त बना रहा। आपने कहा, ’’जो कुछ भी तुम विश्वास के साथ प्रार्थना में माँगोगे, वह तुम्हें मिल जायेगा।’’(मत्ती 21:22) हमें भी प्रार्थना एवं विश्वास में आपके पास आना सिखलाईए। हमारा विश्वास दृढ़ एवं गहरा कीजिए जिससे जब तक पिता की इच्छा हमारे जीवन में पूरी नहीं होती तब तक हम आशा में आनन्दित होकर, संकट में धैर्य रखकर, निरंतर प्रार्थना में आपसे माँगते रहें। (दे. रोमियों 12:12) क्योंकि आप ने हमें समझाया कि हमें ’’नित्य प्रार्थना करनी चाहिए और कभी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए।’’(लूकस 18:1)

प्रलोभनों के अवसर पर हमारे दुर्बल मानव स्वाभाव को प्रार्थना की गरिमामय आभा से आलोकित करने का वरदान दीजिए। हमें शीघ्र ही स्मरण कराईए कि आप सत्यप्रतिज्ञ एवं सामथ्र्यशाली ईश्वर हैं जो कहते हैं, ’’दुहाई देने से पहले ही, मैं उन्हें उत्तर दूँगा; उनकी प्रार्थना पूरी होने से पहले ही, मैं उसे स्वीकार करूँगा।’’ (इसायाह 65:24) हे मेरे प्रभु! ’’मेरे मुख से बात निकल ही नहीं पायी कि प्रभु! तू उसे पूरी तरह जान गया। तेरी यह सूक्ष्म दृष्टि मेरी समझ से परे हैं।’’(स्तोत्र 139:4,6) हे विश्वमंडल के परमेश्वर! कितना महान है तेरा प्रेम एवं योजनाएं। हमें आशा, धैर्य एवं सहनशीलता के साथ आपके द्वारा निर्धारित उपयुक्त समय तथा कल्याण के दिन की प्रतीक्षा करने का वर दीजिए, जब प्रभु अपनी मुक्ति के रहस्य हमारे तथा हमारे परिवारों के लिए प्रकट करेंगे।

(अपनी व्यक्तिगत आवश्यकताओं को मौन रूप से क्रूसित प्रभु को चढ़ायें।)



नवाँ दिन

मृतकों की आत्मशांति एवं सुखद मृत्यु के लिए

हे क्रूसित प्रभु, क्रूस पर आपकी मृत्यु जीवन का अंत नहीं बल्कि एक नयी शुरूआत थी। आपने अपनी मृत्यु एवं पुनरूत्थान के द्वारा मृत्यु के बाद के जीवन को प्रमाणित किया। ईशवचन साक्ष्य देते हुए कहता है कि आपके प्राण त्यागते ही, ’’कब्रें खुल गयी और बहुत से मृत संतों के शरीर पुनर्जीवित हो गये। वे ईसा के पुनरुत्थान के बाद कब्रों से निकले और पवित्र नगर जाकर बहुतों को दिखाई दिये।’’ (मत्ती 27:52-53) हे क्रूसित एवं पुनरुत्थित प्रभु येसु! हम अपने सभी मृतजनों की आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। जिस प्रकार आप अधोलोक में उतरे तथा तीसरे दिन जी उठे उसी प्रकार हमारे मृत प्रियजनों के पापों को भी क्षमा कीजिए तथा उन्हें अधोलोक से पिता के पास चिरस्थायी शांति में निवास करने का वर दीजिये।

हे क्रूसित प्रभु! मनुष्य का जीवन एवं मृत्यु पिता ईश्वर का दान है। ईश्वर द्वारा निर्धारित समय में मनुष्य जन्म लेता तथा मृत्यु के मुख में समा जाता है। हम प्रार्थना करते हैं कि आप जो जीवन एवं मृत्यु के स्वामी हैं हमें सुखद मृत्यु प्रदान करने की कृपा करे। जिस प्रकार दो डाकुओं के बीच टंगे रहकर आपने एक को स्वर्गराज्य का वरदान दिया उसी प्रकार हमारे जीवन को भी धन्य कीजिए। हमारे जीवन के अंतिम क्षणों में हमारे साथ बने रहिए तथा हमें पूर्ण ख्रीस्तीय तैयारी एवं विश्वास के साथ साहसपूर्वक इस संसार से विदा लेने का मनोबल एवं वरदान प्रदान कीजिए।

(अपनी व्यक्तिगत आवश्यकताओं को मौन रूप से क्रूसित प्रभु को चढ़ायें।)



पवित्र क्रूस की स्तुति विनती

हे प्रभु हम पर दया कर ............... हे प्रभु हम पर दया कर।

हे ख्रीस्त हम दया कर ............... हे ख्रीस्त हम पर दया कर।

हे प्रभु दया हम कर ............... हे प्रभु हम पर दया कर।

हे ख्रीस्त हमारी विनती सुन ............... ............... हे ख्रीस्त हमारी विनती पूरी कर।

हे स्वर्गवासी पिता परमेश्वर ............... हम पर दया कर।

हे पुत्र ईश्वर संसार के मुक्तिदाता ............... हम पर दया कर।

हे पवित्र आत्मा ईश्वर ............... हम पर दया कर।

हे पवित्र त्रिएक एक परमेश्वर ............... हम पर दया कर।

हे क्रूस, सभी ख्रीस्तानों की आशा

हे क्रूस, मृतकों का पुनरुत्थान

हे क्रूस, भटकों के वापसी का मार्ग

हे क्रूस, खोए हुयों के मुक्तिदाता

हे क्रूस, लंगडों की बैसाखी

हे क्रूस, अंधों की आँखें

हे क्रूस, दुर्बलों का सामथ्र्य

हे क्रूस, रोगियों का स्वास्थ्य

हे क्रूस, पुरोहितों का लक्ष्य

हे क्रूस, निराश्रितों का आश्रय

हे क्रूस, निराशजनों की आशा

हे क्रूस, हताषजनों का उत्साह

हे क्रूस, मुक्ति का साधन

हे क्रूस, अंनत जीवन का द्वार/मार्ग

हे क्रूस, स्वर्ग का द्वार

हे क्रूस, पापियों की शरण

हे क्रूस, पीड़ितों के विश्राम

हे क्रूस, दासों की स्वतंत्रता

हे क्रूस, निर्धनों का धन

हे क्रूस, अंधकार में भटकने वालों के प्रकाश

हे क्रूस, ईश्वर की प्रज्ञा

हे क्रूस, अज्ञानियों का ज्ञान

हे क्रूस, जीवन का नियम

हे क्रूस, नबियों द्वारा घोषित

हे क्रूस, प्रेरितों द्वारा प्रचारित

हे क्रूस, शहीदों की महिमा

हे क्रूस, कुँवारियों का आदर्श

हे क्रूस, पुरोहितों का आनन्द

हे क्रूस, धर्मियों की आशा

हे क्रूस, विनम्रों की प्रतिज्ञा

हे क्रूस, दयालुओं का पुरस्कार

हे क्रूस, शोकाकुलों की सांत्वना

हे क्रूस, कलीसिया की नींव

हे क्रूस, संसार की मुक्ति

हे क्रूस, भूखों की रोटी

हे क्रूस, प्यासों का जल

हे क्रूस, वस्त्रोंहीनों के वस्त्र


हे परमेश्वर के मेमन, तू संसार के पाप हर लेता है प्रभु, हमें क्षमा प्रदान कर।

हे परमेश्वर के मेमन, तू संसार के पाप हर लेता है प्रभु हमारी प्रार्थना पूर्ण कर।

हे परमेश्वर के मेमन, तू संसार के पाप हर लेता है हम पर दया कर


हे ख्रीस्त हम आपकी आराधना करते और आपको धन्य मानते हैं।

क्योंकि आपने अपने पवित्र दुःख, मरण एवं पुनरूत्थान द्वारा इस दुनिया को बचाया है।


हम प्रार्थना करें-

हे प्रभु येसु ख्रीस्त आपने संसार की मुक्ति के लिए गौशाले में जन्म लिया तथा क्रूस की काठ पर मर गये। हम आपके अयोग्य सेवक आपके पवित्र दुःखभोग की याद करते हुये प्रार्थना करते हैं कि अपने पवित्र क्रूस और मृत्यु द्वारा हमें नरक की दासता से मुक्ति दिलाइए तथा उस भले डाकू के समान स्वर्ग में हमारा स्थान भी सुनिश्चित करा दीजिए। जो युगानुयुग जीते और राज्य करते हैं। आमेन।



पर्व के दिन की प्रार्थना

हे परम पावन क्रूस! मानव-मुक्ति के स्रोत्र! मुक्ति के मार्ग पर चलने वालों के लिए ईश्वर का सामथ्र्य एवं प्रज्ञा। संसार के ज्ञानियों एवं चतुर लोगों के लिए बाधा एवं मूर्खता, लेकिन तुझ में विश्वास करने वालों के लिए ईश्वरीय प्रज्ञा का असीमित भंडार एवं मुक्ति का स्रोत्र। हे ईश्वर की रहस्यमय प्रज्ञा तथा उद्देश्य! जिसे पिता ने संसार की सृष्टि के पहले ही हमारी महिमा के लिये निर्धारित किया था। हम आपके क्रूस के पर्व के दिन आपकी आराधना करते और आपको धन्य मानते हैं।

हे मधुर येसु आपकी मुक्तिदायक दया एवं अनुकम्पा के लिए धन्यवाद। आपने अपने जीवन द्वारा हमें दिव्य जीवन का अनुग्रह प्रदान किया है। आपने अपने दैहिक शरीर द्वारा हमें स्वर्गीक महिमा प्रदान की तथा अपने वचनों द्वारा स्वर्गराज्य की शांति दी जो यह संसार नहीं दे सकता। अपने अतुल्य प्रेम के द्वारा उस ख्रीस्तीय बुलाहट एवं विश्वास की रक्षा कीजिए जो आपने हमें बपतिस्मा संस्कार में दी है। अपने प्रेम के वरदानों के प्रति हमारी आँखें खोल दीजिए, जिससे हम खुले हृदय से आपकी सेवा कर सकें।

हे येसु आपका क्रूस उठाकर मदद करने वाले कुरेन निवासी सिमोन के समान हमें भी दूसरों का दर्द बाँटने की इच्छाशक्ति प्रदान कीजिए। आपको अंगोछा देने वाली वेरोनिका के समान हमें भी लोगों की जरूरतों के प्रति संवेदनशील बनाइये। आपके दुःखों पर रोने और कलपने वाली येरुसालेम की स्त्रियों के समान हमें भी दूसरों के दुखों पर शोक मनाने का धैर्य एवं साहस दीजिए। कलवारी पर क्रूस के नीचे खडे़ शतपति के समान आपकी ईश्वरीयता का अनुभव करने एवं उसे घोषित करने का सौभाग्य हमें दीजिए। भले डाकू के समान हमें भी स्वर्गराज्य में प्रवेश करने के लिए पश्चातापपूर्ण हृदय से प्रार्थना करने की कृपा प्रदान कीजिए। हमें अनुग्रह प्रदान कीजिए जिससे हम भी अपने जीवन का क्रूस निडर होकर धैर्य के साथ ढो सकें तथा जीवन की तकलीफों को बिना कुढकुढाये खुशी के साथ वहन कर सकें। आपका क्रूस सदैव हमारे सामने विजय की पताका के समान लहराता रहे तथा हम अपने विश्वास एवं आचरण में सदैव पवित्र क्रूस के मूल्यों एवं शिक्षा का पालन कर सकें। आमेन।


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