पवित्र आत्मा के आदर में नौरोजी प्रार्थना

पहला दिन

पवित्र आत्मा! प्रकाश के स्वामी! अपने निर्मल स्वर्गिक शिखर से अपना शुद्ध प्रकाश प्रदान कीजिए।

विषय :- पवित्र आत्मा

एक ही बात महत्वपूर्ण है – अनन्त मुक्ति। इसलिए हमें एक ही चीज़ से डरना चाहिए – पाप। पाप अज्ञानता, बलहीनता तथा उदासीनता का परिणाम है। पवित्र आत्मा प्रकाश, बल तथा प्रेम का आत्मा है। अपने सात वरदानों से, वे हमारे मन को आलोकित करते हैं, हमारी इच्छा-शक्ति को मज़बूत करते हैं तथा ईश्वरीय प्रेम से हमारे हृदय को प्रज्ज्वलित करते हैं। अपनी मुक्ति को सुनिश्चित करने हेतु हमें इस दिव्य आत्मा का आह्वान करना चाहिए क्योंकि “आत्मा भी हमारी दुर्बलता में हमारी सहायता करता है। हम यह नहीं जानते कि हमें कैसे प्रार्थना करनी चाहिए, किन्तु हमारी अस्पष्ट आहों द्वारा आत्मा स्वयं हमारे लिए विनती करता है।” (रोमियों 8:26)

प्रार्थना

हे सर्वशक्तिमान और शाश्वत ईश्वर, आपने जल तथा पवित्र आत्मा से हमें नया जन्म देने तथा हमारे सब पापों को क्षमा करने की कृपा की है, अपने सात वरदानों – प्रज्ञा, समझ, ज्ञान, परामर्श, दृढ़ता, धर्मनिष्ठा तथा ईश्वर का भय - के अपने पवित्र आत्मा को हम पर भेजिए। अमेन।


हे हमारे पिता .... (1 बार)

प्रणाम मरिया .... (1 बार)

पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो ... (7 बार)


पवित्र आत्मा को समर्पण-प्रार्थना

हे ईश्वर के शाश्वत आत्मा, अनगिनित स्वर्गिक गवाहों के सामने घुटने टेक कर मैं अपने शरीर और आत्मा को आपको समर्पित करता हूँ। मैं आपकी पवित्रता की चमक, आपके त्रुटिहीन न्याय की उत्सुकता तथा आपके प्रेम की शक्ति की आराधना करता हूँ। आप मेरी आत्मा की शक्ति और ज्योति हैं। आप में ही मैं जीवित रहता तथा चलता-फिरता हूँ। आप की कृपा के प्रति अविश्वस्त रह कर मैं आप को दुख देना नहीं चाहता हूँ। सारे हृदय से मेरी विनती है कि मुझे आप के विरुद्ध छोटे से छोटे पाप से भी दूर रखिए। कृपया मेरी हर सोच पर पहरा दीजिए। कृपा कीजिए कि मैं हमेशा आपकी ज्योति को देख सकूँ, आपकी वाणी सुन सकूँ तथा आपके अनुग्रहपूर्ण प्रेरणाओं का पालन कर सकूँ। मैं आप से लिपट जाता हूँ तथा स्वयं को आपको समर्पित करता हूँ। मेरी दुर्बलता में मेरी रक्षा कीजिए। प्रभु येसु के छेदे हुए पैरों को छू कर, उनके पाँच घावों की ओर दृष्टि डाल कर, उनके पावन रक्त पर आस्था रख कर और उनके खुले बगल तथा छेदित हृदय की आराधना करते हुए आप से, हे आराधना के योग्य आत्मा, मेरी दुर्बलता में मेरे सहायक, मैं प्रार्थना करता हूँ कि मुझे अपनी कृपा में बने रहने तथा कभी आप के विरुध्द पाप न करने में सहायता दें। मुझे कृपा प्रदान कीजिए, हे पवित्र आत्मा, पिता और पुत्र के आत्मा, कि मैं हमेशा और हर जगह आप से कह सकूँ, “बोल प्रभु, तेरा दास सुन रहा है”, आमेन।


पवित्र आत्मा के सात वरदानों के लिए प्रार्थना

हे प्रभु येसु ख्रीस्त, स्वर्ग में आरोहित होने से पहले आपने प्रतिज्ञा की थी कि अपने प्रेरितों तथा शिष्यों की आत्माओं में अपने कार्य को पूरा करने हेतु पवित्र आत्मा भेजेंगे। मुझे वही पवित्र आत्मा प्रदान कीजिए जिससे वे मेरी आत्मा में आपकी कृपा तथा आपके प्रेम के कार्य को पूर्ण करें। मुझे प्रज्ञा का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि मैं इस दुनिया की नाशवान चीज़ों की उपेक्षा करूँ और केवल शाश्वत चीज़ों की कामना करूँ। मेरे मन को अपने दिव्य सत्य की ज्योति से आलोकित करने वाली समझ का आत्मा प्रदान कीजिए। मुझे अपने परामर्श का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि मैं ईश्वर को प्रसन्न करने तथा स्वर्ग प्राप्त करने का सब से अच्छा मार्ग चुन सकूँ। मुझे दृढ़ता का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि मैं आप के साथ मेरा क्रूस ढ़ो सकूँ तथा अपनी मुक्ति की सब बाधाओं को धीरज के साथ दूर कर सकूँ। मुझे ज्ञान का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि मैं ईश्वर तथा स्वयं को जान सकूँ और संतों के विज्ञान में अग्रसर हो सकूँ। मुझे धर्मनिष्ठा का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि ईश्वर की सेवा मुझे मधुर तथा मिलनसार लगे। मुझे ईश्वर के भय का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि ईश्वर के प्रति प्रेममय श्रध्दा से भर जाऊँ और किसी भी तरह उन्हें अप्रसन्न न करूँ। प्यारे प्रभु, मुझे अपने सच्चे शिष्य के चिह्न से अंकित कीजिए तथा हर कार्य में अपने पवित्र आत्मा से अनुप्राणित कीजिए आमेन।


दूसरा दिन

दरिद्रों के पिता, आइए। सदा बने रहने वाले खजाने, आइए। जीवितों की ज्योति, आइए।


विषय :- ईश्वर के भय का वरदान।

ईश्वरीय भय का वरदान हमें ईश्वर के प्रति सर्वोच्च सम्मान से भर देता है तथा पाप के द्वारा उन्हें चोट पहुँचाने से बचाये रखता है। यह एक ऐसा भय है जो नरक के विचार से नहीं बल्कि अपने स्वर्गिक पिता के प्रति आदर तथा पुत्रानुरूप अधीनता की भावनाओं से उत्पन्न होता है। यह भय प्रज्ञा की शुरूआत है जिसके कारण ईश्वर से हमें दूर रखने वाले दुनियावी सुखों से हम बचे रह सकते हैं। “जो प्रभु का भय रखते हैं, वे उनकी आज्ञाओें का पालन करते हैं और उनके आगमन के दिन तक धैर्य रखेंगे” (प्रवक्ता 2:21)।


प्रार्थना

हे पवित्र भय के धन्य आत्मा, मेरे हृदय के अन्तरतम में प्रवेश कीजिए ताकि मैं आपको, हे मेरे प्रभु और ईश्वर, मेरे सामने हमेशा रख सकूँ। आपको अपमानित करने वाली हर चीज़ से दूर रहने में मेरी सहायता कीजिए। मुझे इस योग्य बनाइए कि मैं स्वर्ग में आपकी दिव्य महिमा के सामने प्रस्तुत हो सकूँ, जहाँ आप पावन त्रित्व की एकता में युगानुयुग जीते और राज्य करते हैं। आमेन।


हे हमारे पिता .... (1 बार)

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पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो ... (7 बार)


पवित्र आत्मा को समर्पण-प्रार्थना

हे ईश्वर के शाश्वत आत्मा, अनगिनित स्वर्गिक गवाहों के सामने घुटने टेक कर मैं अपने शरीर और आत्मा को आपको समर्पित करता हूँ। मैं आपकी पवित्रता की चमक, आपके त्रुटिहीन न्याय की उत्सुकता तथा आपके प्रेम की शक्ति की आराधना करता हूँ। आप मेरी आत्मा की शक्ति और ज्योति हैं। आप में ही मैं जीवित रहता तथा चलता-फिरता हूँ। आप की कृपा के प्रति अविश्वस्त रह कर मैं आप को दुख देना नहीं चाहता हूँ। सारे हृदय से मेरी विनती है कि मुझे आप के विरुद्ध छोटे से छोटे पाप से भी दूर रखिए। कृपया मेरी हर सोच पर पहरा दीजिए। कृपा कीजिए कि मैं हमेशा आपकी ज्योति को देख सकूँ, आपकी वाणी सुन सकूँ तथा आपके अनुग्रहपूर्ण प्रेरणाओं का पालन कर सकूँ। मैं आप से लिपट जाता हूँ तथा स्वयं को आपको समर्पित करता हूँ। मेरी दुर्बलता में मेरी रक्षा कीजिए। प्रभु येसु के छेदे हुए पैरों को छू कर, उनके पाँच घावों की ओर दृष्टि डाल कर, उनके पावन रक्त पर आस्था रख कर और उनके खुले बगल तथा छेदित हृदय की आराधना करते हुए आप से, हे आराधना के योग्य आत्मा, मेरी दुर्बलता में मेरे सहायक, मैं प्रार्थना करता हूँ कि मुझे अपनी कृपा में बने रहने तथा कभी आप के विरुध्द पाप न करने में सहायता दें। मुझे कृपा प्रदान कीजिए, हे पवित्र आत्मा, पिता और पुत्र के आत्मा, कि मैं हमेशा और हर जगह आप से कह सकूँ, “बोल प्रभु, तेरा दास सुन रहा है”, आमेन।


पवित्र आत्मा के सात वरदानों के लिए प्रार्थना

हे प्रभु येसु ख्रीस्त, स्वर्ग में आरोहित होने से पहले आपने प्रतिज्ञा की थी कि अपने प्रेरितों तथा शिष्यों की आत्माओं में अपने कार्य को पूरा करने हेतु पवित्र आत्मा भेजेंगे। मुझे वही पवित्र आत्मा प्रदान कीजिए जिससे वे मेरी आत्मा में आपकी कृपा तथा आपके प्रेम के कार्य को पूर्ण करें। मुझे प्रज्ञा का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि मैं इस दुनिया की नाशवान चीज़ों की उपेक्षा करूँ और केवल शाश्वत चीज़ों की कामना करूँ। मेरे मन को अपने दिव्य सत्य की ज्योति से आलोकित करने वाली समझ का आत्मा प्रदान कीजिए। मुझे अपने परामर्श का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि मैं ईश्वर को प्रसन्न करने तथा स्वर्ग प्राप्त करने का सब से अच्छा मार्ग चुन सकूँ। मुझे दृढ़ता का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि मैं आप के साथ मेरा क्रूस ढ़ो सकूँ तथा अपनी मुक्ति की सब बाधाओं को धीरज के साथ दूर कर सकूँ। मुझे ज्ञान का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि मैं ईश्वर तथा स्वयं को जान सकूँ और संतों के विज्ञान में अग्रसर हो सकूँ। मुझे धर्मनिष्ठा का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि ईश्वर की सेवा मुझे मधुर तथा मिलनसार लगे। मुझे ईश्वर के भय का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि ईश्वर के प्रति प्रेममय श्रध्दा से भर जाऊँ और किसी भी तरह उन्हें अप्रसन्न न करूँ। प्यारे प्रभु, मुझे अपने सच्चे शिष्य के चिह्न से अंकित कीजिए तथा हर कार्य में अपने पवित्र आत्मा से अनुप्राणित कीजिए आमेन।


तीसरा दिन

हे सर्वोत्तम सान्त्वनादाता, दुखित दिलों की दिलासा, हम पर नवीन करने वाली शांति बरसा दीजिए।


विषय :- धर्मनिष्ठा का वरदान

धर्मनिष्ठा का वरदान हमारे हृदय में ईश्वर, हमारे प्रेमी पिता, के प्रति पुत्रानुरूप स्नेह उत्पन्न करता है। वह हमें उनके खातिर उनके प्रति समर्पित व्यक्तियों तथा वस्तुओं, उनके अधिकार प्राप्त लोगों, उनकी धन्य माता, संतों, कलीसिया तथा उसके दृश्य शीर्ष, हमारे माता-पिता, अधिकारियों, हमारे देश तथा उसके शासकों को प्यार करने तथा उनका आदर करने की प्रेरणा देता है। धर्मनिष्ठा का वरदान प्राप्त व्यक्ति अपने धर्म के पालन को एक बोझिल कर्तव्य नहीं बल्कि एक रमणीय सेवा मानता है। जहाँ प्रेम है, वहाँ कोई बोझ नहीं।


प्रार्थना

हे धन्य धर्मनिष्ठा के आत्मा, आइए, मेरे हृदय को अपने अधीन कीजिए। उसमें ईश्वर के प्रति एक ऐसा प्रेम भर दीजिए कि मुझे उनकी सेवा में ही संतुष्टि प्राप्त हो और उनके खातिर अपने आप को सभी वैध अधिकार के अधीन कर सकूँ। आमेन।


हे हमारे पिता .... (1 बार)

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पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो ... (7 बार)


पवित्र आत्मा को समर्पण-प्रार्थना

हे ईश्वर के शाश्वत आत्मा, अनगिनित स्वर्गिक गवाहों के सामने घुटने टेक कर मैं अपने शरीर और आत्मा को आपको समर्पित करता हूँ। मैं आपकी पवित्रता की चमक, आपके त्रुटिहीन न्याय की उत्सुकता तथा आपके प्रेम की शक्ति की आराधना करता हूँ। आप मेरी आत्मा की शक्ति और ज्योति हैं। आप में ही मैं जीवित रहता तथा चलता-फिरता हूँ। आप की कृपा के प्रति अविश्वस्त रह कर मैं आप को दुख देना नहीं चाहता हूँ। सारे हृदय से मेरी विनती है कि मुझे आप के विरुद्ध छोटे से छोटे पाप से भी दूर रखिए। कृपया मेरी हर सोच पर पहरा दीजिए। कृपा कीजिए कि मैं हमेशा आपकी ज्योति को देख सकूँ, आपकी वाणी सुन सकूँ तथा आपके अनुग्रहपूर्ण प्रेरणाओं का पालन कर सकूँ। मैं आप से लिपट जाता हूँ तथा स्वयं को आपको समर्पित करता हूँ। मेरी दुर्बलता में मेरी रक्षा कीजिए। प्रभु येसु के छेदे हुए पैरों को छू कर, उनके पाँच घावों की ओर दृष्टि डाल कर, उनके पावन रक्त पर आस्था रख कर और उनके खुले बगल तथा छेदित हृदय की आराधना करते हुए आप से, हे आराधना के योग्य आत्मा, मेरी दुर्बलता में मेरे सहायक, मैं प्रार्थना करता हूँ कि मुझे अपनी कृपा में बने रहने तथा कभी आप के विरुध्द पाप न करने में सहायता दें। मुझे कृपा प्रदान कीजिए, हे पवित्र आत्मा, पिता और पुत्र के आत्मा, कि मैं हमेशा और हर जगह आप से कह सकूँ, “बोल प्रभु, तेरा दास सुन रहा है”, आमेन।


पवित्र आत्मा के सात वरदानों के लिए प्रार्थना

हे प्रभु येसु ख्रीस्त, स्वर्ग में आरोहित होने से पहले आपने प्रतिज्ञा की थी कि अपने प्रेरितों तथा शिष्यों की आत्माओं में अपने कार्य को पूरा करने हेतु पवित्र आत्मा भेजेंगे। मुझे वही पवित्र आत्मा प्रदान कीजिए जिससे वे मेरी आत्मा में आपकी कृपा तथा आपके प्रेम के कार्य को पूर्ण करें। मुझे प्रज्ञा का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि मैं इस दुनिया की नाशवान चीज़ों की उपेक्षा करूँ और केवल शाश्वत चीज़ों की कामना करूँ। मेरे मन को अपने दिव्य सत्य की ज्योति से आलोकित करने वाली समझ का आत्मा प्रदान कीजिए। मुझे अपने परामर्श का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि मैं ईश्वर को प्रसन्न करने तथा स्वर्ग प्राप्त करने का सब से अच्छा मार्ग चुन सकूँ। मुझे दृढ़ता का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि मैं आप के साथ मेरा क्रूस ढ़ो सकूँ तथा अपनी मुक्ति की सब बाधाओं को धीरज के साथ दूर कर सकूँ। मुझे ज्ञान का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि मैं ईश्वर तथा स्वयं को जान सकूँ और संतों के विज्ञान में अग्रसर हो सकूँ। मुझे धर्मनिष्ठा का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि ईश्वर की सेवा मुझे मधुर तथा मिलनसार लगे। मुझे ईश्वर के भय का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि ईश्वर के प्रति प्रेममय श्रध्दा से भर जाऊँ और किसी भी तरह उन्हें अप्रसन्न न करूँ। प्यारे प्रभु, मुझे अपने सच्चे शिष्य के चिह्न से अंकित कीजिए तथा हर कार्य में अपने पवित्र आत्मा से अनुप्राणित कीजिए आमेन।


चौथा दिन

परिश्रम में आप हैं विश्राम, ग्रीष्म में आप हैं शीतल छाया, शोक में आप हैं सान्त्वना।


विषय :- दृढ़ता का वरदान

दृढ़ता के वरदान के द्वारा डर का सामना करने के लिए हमारी आत्मा सक्षम बनती है। यह हमारे कर्तव्यों को निभाने में अन्त तक हमारा समर्थन करता है। दृढ़ता बिना किसी हिचकिचाहट के सबसे कठिन कार्यों को करने, खतरों का सामना करने तथा अत्याचारों को सहने के लिए हमारी इच्छा शक्ति को एक आवेग तथा ऊर्जा प्रदान करती है। “जो अन्त तक धीर बना रहेगा, उसी को मुक्ति मिलेगी” (मत्ती 24:13)।


प्रार्थना

आइए, हे दृढ़ता के आत्मा, मुसीबत और विपत्ति के समय मेरी आत्मा को शान्त बनाये रखिए, पवित्र बने रहने के मेरे प्रयत्नों का समर्थन कीजिए, मेरी कमजोरियों को दूर कीजिए, शत्रुओं के सभी हमलों का सामना करने का धीरज प्रदान कीजिए ताकि मुझे कभी हार न मानना पडे और आप मेरे ईश्वर - जो सर्वोत्तम भलाई हैं - से अलग न हो जाऊँ। आमेन।


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पवित्र आत्मा को समर्पण-प्रार्थना

हे ईश्वर के शाश्वत आत्मा, अनगिनित स्वर्गिक गवाहों के सामने घुटने टेक कर मैं अपने शरीर और आत्मा को आपको समर्पित करता हूँ। मैं आपकी पवित्रता की चमक, आपके त्रुटिहीन न्याय की उत्सुकता तथा आपके प्रेम की शक्ति की आराधना करता हूँ। आप मेरी आत्मा की शक्ति और ज्योति हैं। आप में ही मैं जीवित रहता तथा चलता-फिरता हूँ। आप की कृपा के प्रति अविश्वस्त रह कर मैं आप को दुख देना नहीं चाहता हूँ। सारे हृदय से मेरी विनती है कि मुझे आप के विरुद्ध छोटे से छोटे पाप से भी दूर रखिए। कृपया मेरी हर सोच पर पहरा दीजिए। कृपा कीजिए कि मैं हमेशा आपकी ज्योति को देख सकूँ, आपकी वाणी सुन सकूँ तथा आपके अनुग्रहपूर्ण प्रेरणाओं का पालन कर सकूँ। मैं आप से लिपट जाता हूँ तथा स्वयं को आपको समर्पित करता हूँ। मेरी दुर्बलता में मेरी रक्षा कीजिए। प्रभु येसु के छेदे हुए पैरों को छू कर, उनके पाँच घावों की ओर दृष्टि डाल कर, उनके पावन रक्त पर आस्था रख कर और उनके खुले बगल तथा छेदित हृदय की आराधना करते हुए आप से, हे आराधना के योग्य आत्मा, मेरी दुर्बलता में मेरे सहायक, मैं प्रार्थना करता हूँ कि मुझे अपनी कृपा में बने रहने तथा कभी आप के विरुध्द पाप न करने में सहायता दें। मुझे कृपा प्रदान कीजिए, हे पवित्र आत्मा, पिता और पुत्र के आत्मा, कि मैं हमेशा और हर जगह आप से कह सकूँ, “बोल प्रभु, तेरा दास सुन रहा है”, आमेन।


पवित्र आत्मा के सात वरदानों के लिए प्रार्थना

हे प्रभु येसु ख्रीस्त, स्वर्ग में आरोहित होने से पहले आपने प्रतिज्ञा की थी कि अपने प्रेरितों तथा शिष्यों की आत्माओं में अपने कार्य को पूरा करने हेतु पवित्र आत्मा भेजेंगे। मुझे वही पवित्र आत्मा प्रदान कीजिए जिससे वे मेरी आत्मा में आपकी कृपा तथा आपके प्रेम के कार्य को पूर्ण करें। मुझे प्रज्ञा का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि मैं इस दुनिया की नाशवान चीज़ों की उपेक्षा करूँ और केवल शाश्वत चीज़ों की कामना करूँ। मेरे मन को अपने दिव्य सत्य की ज्योति से आलोकित करने वाली समझ का आत्मा प्रदान कीजिए। मुझे अपने परामर्श का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि मैं ईश्वर को प्रसन्न करने तथा स्वर्ग प्राप्त करने का सब से अच्छा मार्ग चुन सकूँ। मुझे दृढ़ता का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि मैं आप के साथ मेरा क्रूस ढ़ो सकूँ तथा अपनी मुक्ति की सब बाधाओं को धीरज के साथ दूर कर सकूँ। मुझे ज्ञान का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि मैं ईश्वर तथा स्वयं को जान सकूँ और संतों के विज्ञान में अग्रसर हो सकूँ। मुझे धर्मनिष्ठा का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि ईश्वर की सेवा मुझे मधुर तथा मिलनसार लगे। मुझे ईश्वर के भय का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि ईश्वर के प्रति प्रेममय श्रध्दा से भर जाऊँ और किसी भी तरह उन्हें अप्रसन्न न करूँ। प्यारे प्रभु, मुझे अपने सच्चे शिष्य के चिह्न से अंकित कीजिए तथा हर कार्य में अपने पवित्र आत्मा से अनुप्राणित कीजिए आमेन।


पाँचवाँ दिन

हे अमर ज्योति! हे दिव्य प्रकाश! हमारे दिलों में प्रवेश कर हमारे अन्तरतम को भर दीजिए।


विषय :- ज्ञान का वरदान

ज्ञान का वरदान सृष्ट वस्तुओं का उनके वास्तविक मूल्यों के आधार अर्थात ईश्वर के साथ उनके संबंधों के आधार पर मूल्यांकन करने के लिए हमारी आत्माओं को सक्षम बनाता है। ज्ञान प्राणियों के ढोंग को उजागर करता है, उनकी शून्यता को प्रकट करता है, और ईश्वर की सेवा के साधन बनने के उनके एकमात्र उद्देश्य को इंगित करता है। यह हमें प्रतिकूल परिस्थितियों में भी ईश्वर की प्रेममय देखभाल दर्शाता है और हर परिस्थिति में उनकी महिमा गाने को प्रेरित करता है। इसके प्रकाश से प्रेरित होकर हम प्रथम चीज़ों को प्रथम स्थान देने तथा ईश्वर के साथ मित्रता को सर्वोच्च मानने लगते हैं। “ज्ञान मनुष्य के लिए जीवन का स्रोत है” (सूक्ति 16:22)।


प्रार्थना

ज्ञान के धन्य आत्मा, आइए! मेरी सहायता कीजिए कि मैं स्वर्गिक पिता की इच्छा को समझ सकूँ। मुझे दुनियावी वस्तुओं की क्षणभंगुरता की शिक्षा दीजिए ताकि मैं मोहमाया से बच कर उन चीज़ों का उपयोग, उन से परे आपकी तथा आपके अनन्त पुरस्कार की ओर दृष्टि डाल कर केवल आपकी महिमा के लिए कर सकूँ। आमेन।


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पवित्र आत्मा को समर्पण-प्रार्थना

हे ईश्वर के शाश्वत आत्मा, अनगिनित स्वर्गिक गवाहों के सामने घुटने टेक कर मैं अपने शरीर और आत्मा को आपको समर्पित करता हूँ। मैं आपकी पवित्रता की चमक, आपके त्रुटिहीन न्याय की उत्सुकता तथा आपके प्रेम की शक्ति की आराधना करता हूँ। आप मेरी आत्मा की शक्ति और ज्योति हैं। आप में ही मैं जीवित रहता तथा चलता-फिरता हूँ। आप की कृपा के प्रति अविश्वस्त रह कर मैं आप को दुख देना नहीं चाहता हूँ। सारे हृदय से मेरी विनती है कि मुझे आप के विरुद्ध छोटे से छोटे पाप से भी दूर रखिए। कृपया मेरी हर सोच पर पहरा दीजिए। कृपा कीजिए कि मैं हमेशा आपकी ज्योति को देख सकूँ, आपकी वाणी सुन सकूँ तथा आपके अनुग्रहपूर्ण प्रेरणाओं का पालन कर सकूँ। मैं आप से लिपट जाता हूँ तथा स्वयं को आपको समर्पित करता हूँ। मेरी दुर्बलता में मेरी रक्षा कीजिए। प्रभु येसु के छेदे हुए पैरों को छू कर, उनके पाँच घावों की ओर दृष्टि डाल कर, उनके पावन रक्त पर आस्था रख कर और उनके खुले बगल तथा छेदित हृदय की आराधना करते हुए आप से, हे आराधना के योग्य आत्मा, मेरी दुर्बलता में मेरे सहायक, मैं प्रार्थना करता हूँ कि मुझे अपनी कृपा में बने रहने तथा कभी आप के विरुध्द पाप न करने में सहायता दें। मुझे कृपा प्रदान कीजिए, हे पवित्र आत्मा, पिता और पुत्र के आत्मा, कि मैं हमेशा और हर जगह आप से कह सकूँ, “बोल प्रभु, तेरा दास सुन रहा है”, आमेन।


पवित्र आत्मा के सात वरदानों के लिए प्रार्थना

हे प्रभु येसु ख्रीस्त, स्वर्ग में आरोहित होने से पहले आपने प्रतिज्ञा की थी कि अपने प्रेरितों तथा शिष्यों की आत्माओं में अपने कार्य को पूरा करने हेतु पवित्र आत्मा भेजेंगे। मुझे वही पवित्र आत्मा प्रदान कीजिए जिससे वे मेरी आत्मा में आपकी कृपा तथा आपके प्रेम के कार्य को पूर्ण करें। मुझे प्रज्ञा का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि मैं इस दुनिया की नाशवान चीज़ों की उपेक्षा करूँ और केवल शाश्वत चीज़ों की कामना करूँ। मेरे मन को अपने दिव्य सत्य की ज्योति से आलोकित करने वाली समझ का आत्मा प्रदान कीजिए। मुझे अपने परामर्श का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि मैं ईश्वर को प्रसन्न करने तथा स्वर्ग प्राप्त करने का सब से अच्छा मार्ग चुन सकूँ। मुझे दृढ़ता का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि मैं आप के साथ मेरा क्रूस ढ़ो सकूँ तथा अपनी मुक्ति की सब बाधाओं को धीरज के साथ दूर कर सकूँ। मुझे ज्ञान का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि मैं ईश्वर तथा स्वयं को जान सकूँ और संतों के विज्ञान में अग्रसर हो सकूँ। मुझे धर्मनिष्ठा का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि ईश्वर की सेवा मुझे मधुर तथा मिलनसार लगे। मुझे ईश्वर के भय का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि ईश्वर के प्रति प्रेममय श्रध्दा से भर जाऊँ और किसी भी तरह उन्हें अप्रसन्न न करूँ। प्यारे प्रभु, मुझे अपने सच्चे शिष्य के चिह्न से अंकित कीजिए तथा हर कार्य में अपने पवित्र आत्मा से अनुप्राणित कीजिए आमेन।


छठवाँ दिन

अगर आप अपनी कृपा वापस लेते, तो मानव में कुछ भी निर्मल नहीं रहता, सभी भलाई बुराई में परिणित होती।


विषय :- समझ का वरदान

पवित्र आत्मा का वरदान, समझ, हमारे पावन धर्म की सच्चाईयों को जानने में हमारी सहायता करता है। विश्वास के द्वारा हम उन्हें जानते हैं, परन्तु समझ के द्वारा हम उनके मूल्यों को समझने तथा उनका आस्वादन करने लगते हैं। यह हमें ईश्वर द्वारा प्रकट सच्चाईयों का आन्तरिक अर्थ जानने के लिए सक्षम बनाता है। फलस्वरूप हम जीवन की नवीनता में अग्रसर होते हैं। फिर हमारा विश्वास निष्फल तथा निष्क्रिय नहीं रहता, बल्कि एक ऐसी जीवनशैली की वृध्दि करता है जो अपने आन्तरिक विश्वास का प्रभावशाली साक्ष्य देती रहती है। हम ईश्वर को प्रसन्न करते हुए तथा ईश्वर की अधिकाधिक समझ हासिल करते हुए आगे बढ़ते रहेंगे।


प्रार्थना

हे समझ के आत्मा आइए, हमारे मन को आलोकित कीजिए ताकि हम मुक्ति के सारे रहस्यों पर विश्वास कर सकें और मुक्ति प्राप्त कर आपके प्रकाश में अनन्त ज्योति को देख सकें; और महिमा के प्रकाश में आपका, पिता ईश्वर का तथा पुत्र ईश्वर का सच्चा दर्शन कर पायें। आमेन।


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पवित्र आत्मा को समर्पण-प्रार्थना

हे ईश्वर के शाश्वत आत्मा, अनगिनित स्वर्गिक गवाहों के सामने घुटने टेक कर मैं अपने शरीर और आत्मा को आपको समर्पित करता हूँ। मैं आपकी पवित्रता की चमक, आपके त्रुटिहीन न्याय की उत्सुकता तथा आपके प्रेम की शक्ति की आराधना करता हूँ। आप मेरी आत्मा की शक्ति और ज्योति हैं। आप में ही मैं जीवित रहता तथा चलता-फिरता हूँ। आप की कृपा के प्रति अविश्वस्त रह कर मैं आप को दुख देना नहीं चाहता हूँ। सारे हृदय से मेरी विनती है कि मुझे आप के विरुद्ध छोटे से छोटे पाप से भी दूर रखिए। कृपया मेरी हर सोच पर पहरा दीजिए। कृपा कीजिए कि मैं हमेशा आपकी ज्योति को देख सकूँ, आपकी वाणी सुन सकूँ तथा आपके अनुग्रहपूर्ण प्रेरणाओं का पालन कर सकूँ। मैं आप से लिपट जाता हूँ तथा स्वयं को आपको समर्पित करता हूँ। मेरी दुर्बलता में मेरी रक्षा कीजिए। प्रभु येसु के छेदे हुए पैरों को छू कर, उनके पाँच घावों की ओर दृष्टि डाल कर, उनके पावन रक्त पर आस्था रख कर और उनके खुले बगल तथा छेदित हृदय की आराधना करते हुए आप से, हे आराधना के योग्य आत्मा, मेरी दुर्बलता में मेरे सहायक, मैं प्रार्थना करता हूँ कि मुझे अपनी कृपा में बने रहने तथा कभी आप के विरुध्द पाप न करने में सहायता दें। मुझे कृपा प्रदान कीजिए, हे पवित्र आत्मा, पिता और पुत्र के आत्मा, कि मैं हमेशा और हर जगह आप से कह सकूँ, “बोल प्रभु, तेरा दास सुन रहा है”, आमेन।


पवित्र आत्मा के सात वरदानों के लिए प्रार्थना

हे प्रभु येसु ख्रीस्त, स्वर्ग में आरोहित होने से पहले आपने प्रतिज्ञा की थी कि अपने प्रेरितों तथा शिष्यों की आत्माओं में अपने कार्य को पूरा करने हेतु पवित्र आत्मा भेजेंगे। मुझे वही पवित्र आत्मा प्रदान कीजिए जिससे वे मेरी आत्मा में आपकी कृपा तथा आपके प्रेम के कार्य को पूर्ण करें। मुझे प्रज्ञा का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि मैं इस दुनिया की नाशवान चीज़ों की उपेक्षा करूँ और केवल शाश्वत चीज़ों की कामना करूँ। मेरे मन को अपने दिव्य सत्य की ज्योति से आलोकित करने वाली समझ का आत्मा प्रदान कीजिए। मुझे अपने परामर्श का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि मैं ईश्वर को प्रसन्न करने तथा स्वर्ग प्राप्त करने का सब से अच्छा मार्ग चुन सकूँ। मुझे दृढ़ता का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि मैं आप के साथ मेरा क्रूस ढ़ो सकूँ तथा अपनी मुक्ति की सब बाधाओं को धीरज के साथ दूर कर सकूँ। मुझे ज्ञान का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि मैं ईश्वर तथा स्वयं को जान सकूँ और संतों के विज्ञान में अग्रसर हो सकूँ। मुझे धर्मनिष्ठा का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि ईश्वर की सेवा मुझे मधुर तथा मिलनसार लगे। मुझे ईश्वर के भय का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि ईश्वर के प्रति प्रेममय श्रध्दा से भर जाऊँ और किसी भी तरह उन्हें अप्रसन्न न करूँ। प्यारे प्रभु, मुझे अपने सच्चे शिष्य के चिह्न से अंकित कीजिए तथा हर कार्य में अपने पवित्र आत्मा से अनुप्राणित कीजिए आमेन।


सातवाँ दिन

हमारे घावों को चंगा कीजिए, हमारी शक्ति को नवीन बनाइए; हमारे सूखेपन पर अपनी ओस बरसा दीजिए; हमारे अपराधों के दाग धो डालिए।


विषय :- परामर्श का वरदान

परामर्श का वरदान हमारी आत्मा को अलौकिक विवेक से संपन्न करता है तथा कठिन परिस्थितियों में भी सही और सूक्ष्म रीति से न्याय करने के लिए सक्षम बनाता है। माता-पिता, शिक्षक, सार्वजनिक सेवक तथा ख्रीस्तीय नागरिक की दैनिक जिम्मेदारियों को निभाते समय उत्पन्न होने वाले परामर्श का वरदान ज्ञान तथा समझ के द्वारा प्राप्त सिध्दांतों का उपयोग कर वर्तमान समय के अनगिनित मामलों को निपटाने में हमारी मदद करता है। मुक्ति की खोज में, परामर्श एक अलौकिक सामान्य ज्ञान तथा अमूल्य खजाना है। “सब से महत्वपूर्ण बात यह है कि तुम सर्वोच्च प्रभु से प्रार्थना करो, जिससे वह तुम को सत्य के मार्ग पर ले चले” (प्रवक्ता 37:19)।


प्रार्थना

हे परामर्श के आत्मा, आइए, मेरी हर तरह से मदद कीजिए और सारे मार्गों पर मेरा मार्गदर्शन कीजिए ताकि मैं आप की पावन इच्छा का पालन कर सकूँ। मेरे हृदय को भलाई की ओर अभिमुख कीजिए; उसे बुराई से दूर रखिए और आपकी आज्ञाओं के सीधे मार्ग से अनन्त जीवन के लक्ष्य की ओर निर्देशित कीजिए, जिसकी प्राप्ति मेरी बडी अभिलाषा है। आमेन।


हे हमारे पिता .... (1 बार)

प्रणाम मरिया .... (1 बार)

पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो ... (7 बार)


पवित्र आत्मा को समर्पण-प्रार्थना

हे ईश्वर के शाश्वत आत्मा, अनगिनित स्वर्गिक गवाहों के सामने घुटने टेक कर मैं अपने शरीर और आत्मा को आपको समर्पित करता हूँ। मैं आपकी पवित्रता की चमक, आपके त्रुटिहीन न्याय की उत्सुकता तथा आपके प्रेम की शक्ति की आराधना करता हूँ। आप मेरी आत्मा की शक्ति और ज्योति हैं। आप में ही मैं जीवित रहता तथा चलता-फिरता हूँ। आप की कृपा के प्रति अविश्वस्त रह कर मैं आप को दुख देना नहीं चाहता हूँ। सारे हृदय से मेरी विनती है कि मुझे आप के विरुद्ध छोटे से छोटे पाप से भी दूर रखिए। कृपया मेरी हर सोच पर पहरा दीजिए। कृपा कीजिए कि मैं हमेशा आपकी ज्योति को देख सकूँ, आपकी वाणी सुन सकूँ तथा आपके अनुग्रहपूर्ण प्रेरणाओं का पालन कर सकूँ। मैं आप से लिपट जाता हूँ तथा स्वयं को आपको समर्पित करता हूँ। मेरी दुर्बलता में मेरी रक्षा कीजिए। प्रभु येसु के छेदे हुए पैरों को छू कर, उनके पाँच घावों की ओर दृष्टि डाल कर, उनके पावन रक्त पर आस्था रख कर और उनके खुले बगल तथा छेदित हृदय की आराधना करते हुए आप से, हे आराधना के योग्य आत्मा, मेरी दुर्बलता में मेरे सहायक, मैं प्रार्थना करता हूँ कि मुझे अपनी कृपा में बने रहने तथा कभी आप के विरुध्द पाप न करने में सहायता दें। मुझे कृपा प्रदान कीजिए, हे पवित्र आत्मा, पिता और पुत्र के आत्मा, कि मैं हमेशा और हर जगह आप से कह सकूँ, “बोल प्रभु, तेरा दास सुन रहा है”, आमेन।


पवित्र आत्मा के सात वरदानों के लिए प्रार्थना

हे प्रभु येसु ख्रीस्त, स्वर्ग में आरोहित होने से पहले आपने प्रतिज्ञा की थी कि अपने प्रेरितों तथा शिष्यों की आत्माओं में अपने कार्य को पूरा करने हेतु पवित्र आत्मा भेजेंगे। मुझे वही पवित्र आत्मा प्रदान कीजिए जिससे वे मेरी आत्मा में आपकी कृपा तथा आपके प्रेम के कार्य को पूर्ण करें। मुझे प्रज्ञा का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि मैं इस दुनिया की नाशवान चीज़ों की उपेक्षा करूँ और केवल शाश्वत चीज़ों की कामना करूँ। मेरे मन को अपने दिव्य सत्य की ज्योति से आलोकित करने वाली समझ का आत्मा प्रदान कीजिए। मुझे अपने परामर्श का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि मैं ईश्वर को प्रसन्न करने तथा स्वर्ग प्राप्त करने का सब से अच्छा मार्ग चुन सकूँ। मुझे दृढ़ता का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि मैं आप के साथ मेरा क्रूस ढ़ो सकूँ तथा अपनी मुक्ति की सब बाधाओं को धीरज के साथ दूर कर सकूँ। मुझे ज्ञान का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि मैं ईश्वर तथा स्वयं को जान सकूँ और संतों के विज्ञान में अग्रसर हो सकूँ। मुझे धर्मनिष्ठा का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि ईश्वर की सेवा मुझे मधुर तथा मिलनसार लगे। मुझे ईश्वर के भय का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि ईश्वर के प्रति प्रेममय श्रध्दा से भर जाऊँ और किसी भी तरह उन्हें अप्रसन्न न करूँ। प्यारे प्रभु, मुझे अपने सच्चे शिष्य के चिह्न से अंकित कीजिए तथा हर कार्य में अपने पवित्र आत्मा से अनुप्राणित कीजिए आमेन।


आठवाँ दिन

मेरे हठीले दिल को झुका दीजिए, जो ठण्डा है, उसे गरम कीजिए और जो जमा है, उसे पिघलाइए।


विषय :- प्रज्ञा का वरदान

जिस प्रकार प्रेम अन्य सभी गुणों को अपने में समाता है, उसी प्रकार प्रज्ञा सभी वरदानों में सब से परिपूर्ण है। जैसा कि लिखा गया है, “मुझे उसके साथ-साथ सब उत्तम वस्तुएँ मिल गयी और उसके हाथों से अपार धन-सम्पत्ति” (प्रज्ञा 7:11)। प्रज्ञा का वरदान ही हमारे विश्वास को पुष्ट करता, आशा को मजबूत करता, प्रेम को पूर्ण बनाता तथा उच्चतम रीति से पुण्य के अभ्यास को बढ़ावा देता है। प्रज्ञा ईश्वरीय बातों को विवेचित करने तथा उनका आस्वादन करने के लिए हमारे मन को आलोकित करती है जिससे दुनियावी खुशियाँ अपना स्वाद खो देती हैं तथा ख्रीस्त का क्रूस स्वादिष्ट बनता है जैसे कि हमारे मुक्तिदाता कहते हैं, ”अपना क्रूस उठा कर मेरे पीछे हो ले” (मत्ती 16:24) क्योंकि “मेरा जूआ सहज है और मेरा बोझ हल्का” (मत्ती 11:30)।


प्रार्थना

प्रज्ञा के आत्मा, आइए और मेरी आत्मा के सामने स्वर्गिक चीज़ों के रहस्यों, उनकी महानता, शक्ति तथा सुन्दरता को प्रकट कीजिए। मुझे सिखाइए कि मैं इस पृथ्वी की अस्थायी खुशियों व संतुष्टियों को त्याग कर उनको प्यार करूँ। मुझे कृपा दीजिए कि मैं उनको प्राप्त करूँ और हमेशा के लिए उन्हें अपना सकूँ। आमेन।


हे हमारे पिता .... (1 बार)

प्रणाम मरिया .... (1 बार)

पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो ... (7 बार)


पवित्र आत्मा को समर्पण-प्रार्थना

हे ईश्वर के शाश्वत आत्मा, अनगिनित स्वर्गिक गवाहों के सामने घुटने टेक कर मैं अपने शरीर और आत्मा को आपको समर्पित करता हूँ। मैं आपकी पवित्रता की चमक, आपके त्रुटिहीन न्याय की उत्सुकता तथा आपके प्रेम की शक्ति की आराधना करता हूँ। आप मेरी आत्मा की शक्ति और ज्योति हैं। आप में ही मैं जीवित रहता तथा चलता-फिरता हूँ। आप की कृपा के प्रति अविश्वस्त रह कर मैं आप को दुख देना नहीं चाहता हूँ। सारे हृदय से मेरी विनती है कि मुझे आप के विरुद्ध छोटे से छोटे पाप से भी दूर रखिए। कृपया मेरी हर सोच पर पहरा दीजिए। कृपा कीजिए कि मैं हमेशा आपकी ज्योति को देख सकूँ, आपकी वाणी सुन सकूँ तथा आपके अनुग्रहपूर्ण प्रेरणाओं का पालन कर सकूँ। मैं आप से लिपट जाता हूँ तथा स्वयं को आपको समर्पित करता हूँ। मेरी दुर्बलता में मेरी रक्षा कीजिए। प्रभु येसु के छेदे हुए पैरों को छू कर, उनके पाँच घावों की ओर दृष्टि डाल कर, उनके पावन रक्त पर आस्था रख कर और उनके खुले बगल तथा छेदित हृदय की आराधना करते हुए आप से, हे आराधना के योग्य आत्मा, मेरी दुर्बलता में मेरे सहायक, मैं प्रार्थना करता हूँ कि मुझे अपनी कृपा में बने रहने तथा कभी आप के विरुध्द पाप न करने में सहायता दें। मुझे कृपा प्रदान कीजिए, हे पवित्र आत्मा, पिता और पुत्र के आत्मा, कि मैं हमेशा और हर जगह आप से कह सकूँ, “बोल प्रभु, तेरा दास सुन रहा है”, आमेन।


पवित्र आत्मा के सात वरदानों के लिए प्रार्थना

हे प्रभु येसु ख्रीस्त, स्वर्ग में आरोहित होने से पहले आपने प्रतिज्ञा की थी कि अपने प्रेरितों तथा शिष्यों की आत्माओं में अपने कार्य को पूरा करने हेतु पवित्र आत्मा भेजेंगे। मुझे वही पवित्र आत्मा प्रदान कीजिए जिससे वे मेरी आत्मा में आपकी कृपा तथा आपके प्रेम के कार्य को पूर्ण करें। मुझे प्रज्ञा का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि मैं इस दुनिया की नाशवान चीज़ों की उपेक्षा करूँ और केवल शाश्वत चीज़ों की कामना करूँ। मेरे मन को अपने दिव्य सत्य की ज्योति से आलोकित करने वाली समझ का आत्मा प्रदान कीजिए। मुझे अपने परामर्श का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि मैं ईश्वर को प्रसन्न करने तथा स्वर्ग प्राप्त करने का सब से अच्छा मार्ग चुन सकूँ। मुझे दृढ़ता का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि मैं आप के साथ मेरा क्रूस ढ़ो सकूँ तथा अपनी मुक्ति की सब बाधाओं को धीरज के साथ दूर कर सकूँ। मुझे ज्ञान का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि मैं ईश्वर तथा स्वयं को जान सकूँ और संतों के विज्ञान में अग्रसर हो सकूँ। मुझे धर्मनिष्ठा का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि ईश्वर की सेवा मुझे मधुर तथा मिलनसार लगे। मुझे ईश्वर के भय का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि ईश्वर के प्रति प्रेममय श्रध्दा से भर जाऊँ और किसी भी तरह उन्हें अप्रसन्न न करूँ। प्यारे प्रभु, मुझे अपने सच्चे शिष्य के चिह्न से अंकित कीजिए तथा हर कार्य में अपने पवित्र आत्मा से अनुप्राणित कीजिए आमेन।


नौवाँ दिन

आप पर विश्वास रख कर आपकी आराधना करने वालों पर अपने सात वरदानों को लेकर उतरिए। उनकी मृत्यु पर उन्हें विश्राम दीजिए, उन्हें सर्वोच्च में अपने साथ रहने दीजिए; उन्हें अनन्त खुशियाँ प्रदान कीजिए। आमेन।


विषय :- पवित्र आत्मा के फल

पवित्र आत्मा के फल अलौकिक गुणों को परिपूर्ण करते हुए ईश्वरीय प्रेरणा के अधीन रह कर उनका अभ्यास करने में हमें सक्षम बनाते हैं। जैसे-जैसे हम पवित्र आत्मा के निर्देशन में ईश्वर के ज्ञान और प्रेम में बढ़ते हैं, हमारी सेवा अधिक ईमानदार तथा उदार होती जाती है तथा सद्गुणों का अभ्यास अधिक परिपूर्ण बनता है। सद्गुणों के ऐसे कार्य हमारे हृदयों को आनन्द तथा सान्त्वना से भर देते हैं जिन्हें पवित्र आत्मा के फल कहा जाता है। ये फल सद्गुणों के अभ्यास को अधिक आकर्षक बनाते हैं तथा ईश्वर की सेवा में और अधिक महान प्रयत्नों के लिए प्रोत्साहन देते हैं।


प्रार्थना

हे दैविक आत्मा आकर मेरे हृदय को अपने फलों – प्रेम, आनन्द, शांति, धैर्य, दयालुता, भलाई, उदारता, सौम्यता, वफ़ादारी, विनयशीलता, आत्म-संयम तथा शुध्दता - से भर दीजिए ताकि मैं ईश्वर की सेवा में थक न जाऊँ परन्तु विश्वस्तता से आपकी प्रेरणा के अधीन रह कर आप, पिता तथा पुत्र के प्रेम में अनन्त काल के लिए एक होने के योग्य पाया जाऊँ। आमेन।


हे हमारे पिता .... (1 बार)

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पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो ... (7 बार)


पवित्र आत्मा को समर्पण-प्रार्थना

हे ईश्वर के शाश्वत आत्मा, अनगिनित स्वर्गिक गवाहों के सामने घुटने टेक कर मैं अपने शरीर और आत्मा को आपको समर्पित करता हूँ। मैं आपकी पवित्रता की चमक, आपके त्रुटिहीन न्याय की उत्सुकता तथा आपके प्रेम की शक्ति की आराधना करता हूँ। आप मेरी आत्मा की शक्ति और ज्योति हैं। आप में ही मैं जीवित रहता तथा चलता-फिरता हूँ। आप की कृपा के प्रति अविश्वस्त रह कर मैं आप को दुख देना नहीं चाहता हूँ। सारे हृदय से मेरी विनती है कि मुझे आप के विरुद्ध छोटे से छोटे पाप से भी दूर रखिए। कृपया मेरी हर सोच पर पहरा दीजिए। कृपा कीजिए कि मैं हमेशा आपकी ज्योति को देख सकूँ, आपकी वाणी सुन सकूँ तथा आपके अनुग्रहपूर्ण प्रेरणाओं का पालन कर सकूँ। मैं आप से लिपट जाता हूँ तथा स्वयं को आपको समर्पित करता हूँ। मेरी दुर्बलता में मेरी रक्षा कीजिए। प्रभु येसु के छेदे हुए पैरों को छू कर, उनके पाँच घावों की ओर दृष्टि डाल कर, उनके पावन रक्त पर आस्था रख कर और उनके खुले बगल तथा छेदित हृदय की आराधना करते हुए आप से, हे आराधना के योग्य आत्मा, मेरी दुर्बलता में मेरे सहायक, मैं प्रार्थना करता हूँ कि मुझे अपनी कृपा में बने रहने तथा कभी आप के विरुध्द पाप न करने में सहायता दें। मुझे कृपा प्रदान कीजिए, हे पवित्र आत्मा, पिता और पुत्र के आत्मा, कि मैं हमेशा और हर जगह आप से कह सकूँ, “बोल प्रभु, तेरा दास सुन रहा है”, आमेन।


पवित्र आत्मा के सात वरदानों के लिए प्रार्थना

हे प्रभु येसु ख्रीस्त, स्वर्ग में आरोहित होने से पहले आपने प्रतिज्ञा की थी कि अपने प्रेरितों तथा शिष्यों की आत्माओं में अपने कार्य को पूरा करने हेतु पवित्र आत्मा भेजेंगे। मुझे वही पवित्र आत्मा प्रदान कीजिए जिससे वे मेरी आत्मा में आपकी कृपा तथा आपके प्रेम के कार्य को पूर्ण करें। मुझे प्रज्ञा का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि मैं इस दुनिया की नाशवान चीज़ों की उपेक्षा करूँ और केवल शाश्वत चीज़ों की कामना करूँ। मेरे मन को अपने दिव्य सत्य की ज्योति से आलोकित करने वाली समझ का आत्मा प्रदान कीजिए। मुझे अपने परामर्श का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि मैं ईश्वर को प्रसन्न करने तथा स्वर्ग प्राप्त करने का सब से अच्छा मार्ग चुन सकूँ। मुझे दृढ़ता का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि मैं आप के साथ मेरा क्रूस ढ़ो सकूँ तथा अपनी मुक्ति की सब बाधाओं को धीरज के साथ दूर कर सकूँ। मुझे ज्ञान का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि मैं ईश्वर तथा स्वयं को जान सकूँ और संतों के विज्ञान में अग्रसर हो सकूँ। मुझे धर्मनिष्ठा का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि ईश्वर की सेवा मुझे मधुर तथा मिलनसार लगे। मुझे ईश्वर के भय का आत्मा प्रदान कीजिए ताकि ईश्वर के प्रति प्रेममय श्रध्दा से भर जाऊँ और किसी भी तरह उन्हें अप्रसन्न न करूँ। प्यारे प्रभु, मुझे अपने सच्चे शिष्य के चिह्न से अंकित कीजिए तथा हर कार्य में अपने पवित्र आत्मा से अनुप्राणित कीजिए आमेन।



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Praise the Lord!