रिहा होने के बाद पेत्रुस और योहन अपने लोगों के पास लौटे और महायाजकों तथा नेताओं ने उन से जो कुछ कहा था, वह सब बतलाया। वे उनकी बातें सुन कर यह कहते हुए एक स्वर से ईश्वर की स्तुति करने लगे, "हे प्रभु! तूने स्वर्ग और पृथ्वी बनायी, समुद्र भी, और जो कुछ उन में है। तूने पवित्र आत्मा द्वारा हमारे पिता, अपने सेवक दाऊद के मुख से यह कहा, राष्ट्रों में खलबली क्यों मची हुई है? देश-देश के लोग व्यर्थ ही बातें क्यों करते हैं? पृथ्वी के राजा विद्रोह करते हैं। वे प्रभु तथा उसके मसीह के विरुद्ध षड्यन्त्र रचते हैं। वास्तव में हेरोद और पिलातुस, गैरयहूदियों तथा इस्राएल के वंशों ने मिल कर इस शहर में तेरे परमपावन सेवक येसु के विरुद्ध, जिनका तूने अभिषेक किया, षड्यन्त्र रचा था। उन्होंने इस प्रकार वह सब पूरा किया, जिसे तू, शक्तिशाली विधाता, ने पहले से निर्धारित किया था। हे प्रभु! तू उनकी धमकियों पर ध्यान दे और अपने सेवकों को यह कृपा प्रदान कर कि वे निर्भीकता के साथ तेरा वचन सुनायें। तू अपना हाथ बढ़ा कर अपने परमपावन सेवक येसु के नाम पर स्वास्थ्यलाभ, चिह्न तथा चमत्कार प्रकट होने दे।" उनकी प्रार्थना समाप्त होने पर वह भवन, जहाँ वे एकत्र थे, हिल गया। सब पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो गये और निर्भीकता के साथ ईश्वर का वचन सुनाते रहे।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : हे प्रभु! तुझ पर भरोसा रखने वाले धन्य हैं! (अथवा : अल्लेलूया!)
1. राष्ट्रों में खलबली क्यों मची हुई है? देश-देश के लोग व्यर्थ की बातें क्यों करते हैं? पृथ्वी के राजा विद्रोह करते हैं। वे प्रभु तथा उसके मसीह के विरुद्ध षड्यन्त्र रचते हैं। वे कहते हैं हम ये बेड़ियाँ तोड़ डालें, हम यह जूआ उतार कर फेंक दें।
2. जो स्वर्ग में विराजमान है, वह हँसता है, प्रभु उन लोगों का उपहास करता हैं उसका क्रोध उन्हें आतंकित कर देगा, जब वह उन से यह कहेगा - मैंने अपने पवित्र पर्वत सियोन पर अपने राजा को नियुक्त किया है।
3. मैं ईश्वर की राजाज्ञा घोषित करूँगा। प्रभु ने मुझ से कहा, "तुम मेरे पुत्र हो, आज मैंने तुम को उत्पन्न किया है। मुझ से माँगो और मैं तुम्हें सभी राष्ट्रों का अधिपति तथा समस्त पृथ्वी का स्वामी बना दूँगा। तुम लोहे के दण्ड से उन पर शासन करोगे, तुम उन्हें मिट्टी के बरतनों की तरह चकनाचूर कर दोगे।"
अल्लेलूया! आप लोग मसीह के साथ जी उठे हैं जो ईश्वर के दाहिने विराजमान हैं – इसलिए आप ऊपर की चीजें खोजते रहें। अल्लेलूया!
निकोदेमुस नामक फरीसी यहूदियों की महासभा का सदस्य था। वह रात को येसु के पास आया और बोला, "रब्बी! हम जानते हैं कि आप ईश्वर की ओर से आये हुए गुरु हैं। आप जो चमत्कार दिखाते हैं, उन्हें कोई तब तक नहीं दिखा सकता जब तक कि ईश्वर उसके साथ न हो।" येसु ने उसे उत्तर दिया, "मैं आप से कहे देता हूँ - जब तक कोई दुबारा जन्म न ले, तब तक वह स्वर्ग का राज्य नहीं देख सकता"। निकोदेमुस ने उन से पूछा, "बूढ़ा हो जाने पर मनुष्य कैसे दुबारा जन्म ले सकता है? क्या वह अपनी माता के गर्भ में दूसरी बार प्रवेश कर जन्म ले सकता है? येसु ने उत्तर दिया, "मैं आप से कहे देता हूँ - जब तक कोई जल और पवित्र आत्मा से जन्म न ले, तब तक वह ईश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकता। जो देह से उत्पन्न होता है, वह देह है और जो आत्मा से उत्पन्न होता है, वह आत्मा है। आश्चर्य न कीजिए कि मैंने यह कहा है आप को दुबारा जन्म लेना है। पवन जिधर चाहता है, उधर बहता है। आप उसकी आवाज सुनते हैं, किन्तु यह नहीं जानते कि वह किधर से आता और किधर जाता है। वह, जो आत्मा से जन्मा है, ऐसा ही है।"
प्रभु का सुसमाचार।
पवित्र आत्मा के अभिषेक के बाद शिष्यों में साहस एवं उत्साह बढ़ गया। वे निर्भीक होकर प्रभु के सुसमाचर का प्रचार करते हैं। कोई भी उन्हें बाधा नहीं पहुंचा सकता है। महायाजक एवं नेताओं ने उन्हें येसु के नाम को न लेने की चेतावनी दी, लेकिन फिर भी वे आगे बढ़ते गये। आत्मा से परिपूर्ण होकर वे निर्भीकता से वचन को सुनाते रहे।
निकोदेमुस महासभा का सदस्य था। उन्होंने अपना विश्वास प्रभु पर प्रकट किया। प्रभु येसु उन्हें जल और आत्मा से जन्म लेने को कहते हैं, जिसे वह समझ नहीं पाता हैं। प्रभु येसु उन्हें आत्मा एवं जल, जो बपतिस्मा का प्रतिक ग्रहण कर प्रभु का सच्चा शिष्य बनने के लिए बताते हैं। क्या हम निर्भीक होकर वचन सुनाते हैं? आइये, हम प्रभु के सच्चे शिष्य बनने का प्रयास करें।
✍ - फादर साइमन मोहता (इंदौर धर्मप्रांत)
After the anointing of the Holy Spirit, courage and enthusiasm increased among the disciples. They boldly preach the gospel of the Lord. No one can hinder them. The high priests and leaders warned them not to take the name of Jesus, but they still went ahead. Filled with the Spirit, he continued to speak the word boldly.
Nicodemus was a member of the Sanhedrin. He expressed his faith in the Lord. Lord Jesus tells him to be born of water and spirit, which he does not understand. The Lord Jesus tells him to become true disciples of the Lord by receiving the Spirit and the water, which symbolize baptism. Do we proclaim the word of God boldly? Come, let us try to be true disciples of the Lord.
✍ -Fr. Simon Mohta (Indore Diocese)
येसु के समय फरीसियों में से सभी फरीसी येसु के विरुद्ध नहीं थे; निकोदेमुस के समान कुछ फरीसी होंगे जिन्हे येसु के प्रति लगाव और उन पर भरोसा था। वे येसु को ईश्वर का पुत्र तो नही मानते थे परंतु येसु के प्रति यह धारणा तो थी कि वे ईश्वर द्वारा भेजा हुआ रब्बी या नबी है। आज हम सुसमाचार पढ़ते है जिसमंे एक फरिसी निकोदेमुस रात में येसु से मिलने के लिए आता है। निकोदेमुस येसु द्वारा किए गए कार्यों और चमत्कारों से मुग्ध था और उसकी धारणा थी कि यह कार्य तब तक कोई दिखा नहीं सकता, जब तक कि ईश्वर उसके साथ न हो। यहॉं पर हम देखते हैं कि निकोदेमुस ने येसु से कुछ सवाल नहीं पूछा अपितु उनके द्वारा किए गए चमत्कारों के विषय मंे केवल टिप्पणी की।
येसु के पास कई लोग आते थे। वे लोग या तो किसी चमत्कार के लिए या चंगाई के लिए या उन्हे फसाने के लिए या उनके शब्दों या शिक्षा को सुनने के लिए या कुछ प्रशनों के जवाब के लिए येसु के पास आते थे। मारकुस 10ः17 में एक धनी युवक येसु के पास दौड़ता हुआ आया और उनके सामने घुटने टेक कर उसने यह पूछा, ‘‘भले गुरु! अनन्त जीवन प्राप्त करने के लिए मुझे क्या करना चाहिए?’’ येसु ने अनंत जीवन पाने के लिए उस युवक में जो कमी थी उसे बता दिया। येसु उसके स्थिति को अच्छी तरह जानते थे कि उसे अपने धन से बहुत लगाव है। येसु उन सबके मनोस्थिति को अच्छी तरह से जानते थे जो उनके पास आया करते थे। यह हमंे समारी स्त्री के वार्तालाप में भी पता चलता है (योहन 4)।
उसी प्रकार येसु निकोदेमुस के मनोस्थिति को जानते थे, इसलिए निकोदेमुस के कुछ भी पूॅंछने से पहले ही येसु निकोदेमुस से बोलते है कि जब तक कोई दुबारा जन्म न ले, तब तक वह स्वर्ग का राज्य नहीं देख सकता। आगे चलकर येसु निकोदेमुस के दुविधा को दूर करते हुए कहते है जब तक कोई जल और पवित्र आत्मा से जन्म न ले, तब तक वह ईश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकता।
यहॉं पर येसु दो महत्वपूर्ण शिक्षा देते है - वह है जल से जन्म अर्थात् बपतिस्मा और पवित्र आत्मा से जन्म पवित्र आत्मा को ग्रहण करण। बपतिस्मा कमजोर मानव स्वभाव के प्रति मृत्यु या अपने पापों के प्रति मृत्यु तथा पवित्र आत्मा ग्रहण कर एक नया व्यक्ति बनना है। जो बपतिस्मा हमने ग्रहण किया है वह हमें हमारे पापमय स्वाभाव अर्थात शरीर की वासनाओं को दमन करके के आत्मा के अनुसार जीवन बिताने के लिए प्रेरित करें। हमें हमेशा अपने आप को यह स्मरण दिलाना चाहिए जो संत पौलुस रोमियो 8ः13-15 में कहते है, ‘‘यदि आप शरीर की वासनाओं के अधीन रह कर जीवन बितायेंगे, तो अवश्य मर जायेंगे। लेकिन यदि आप आत्मा की प्रेरणा से शरीर की वासनाओं का दमन करेंगे, तो आप को जीवन प्राप्त होगा। जो लोग ईश्वर के आत्मा से संचालित हैं वे सब ईश्वर के पुत्र है।’’ यदि हम उसके संतान है तो हम उसकी राज्यकीय विरासत के भागी है। आईये हम अधिक से अधिक आत्मा की प्रेरणा के अनुसार चलें जैसे संत पौलुस हमें गलातियों 5ः25 में हमें हिदायत देते है, ‘‘यदि हमें आत्मा द्वारा जीवन प्राप्त हो गया है, तो हम आत्मा के अनुरूप जीवन बितायें।’’ आमेन
✍ - फादर डेन्नीस तिग्गा
During the time of Jesus not all the Pharisees were against Jesus, like Nicodemus there may be other Pharisees too who had concern and belief on Jesus. They may not be considering him to be the Son of God but surely they hold opinion about Jesus to be the Rabbi or Prophet send by God. Today we read the Gospel in which Nicodemus, a Pharisee who came to meet Jesus at night. Nicodemus was fascinated by the works and miracles performed by Jesus and he hold that this can’t be perform by any human person unless God is with him. But here we see that Nicodemus didn’t ask any question but only commented on the miracles perform by Jesus.
We know that many came to Jesus either for healing or miracle or to trap him or to hear his words or to get some answers of the questions regarding life. We find in Mark 10:17 a rich young man ran up and knelt before Jesus, and asked him, “Good Teacher, what must I do to inherit eternal life?” Jesus answers him by telling the thing which was lacking on him to inherit the eternal life. Jesus already knew his situation that he was attached to his great possessions. Jesus knew the mind and situation of everyone those who came to him. This we come to know very well in the conversation with the Samaritan woman (Jn 4).
Similarly Jesus knew the mind of Nicodemus and before been asked of anything by Nicodemus Jesus tells Nicodemus that no one can see or enter the Kingdom of God unless one is born anew. Later Jesus clarifies the doubt of Nicodemus by telling that unless one is born of water and Spirit, he cannot enter the Kingdom of God.
Here Jesus is telling about two important teachings that are ‘born of Water’ which is Baptism and ‘spirit’ which is the Holy Spirit. Baptism is nothing but dying of the human nature or dying of our sins and becoming a new person by receiving the Holy Spirit. May the baptism what we have received always remind us to die of our sinful nature i.e. flesh and live according to the spirit. We must always remind ourselves what St. Paul says in Romans 8:13-14, “for if you live according to the flesh you will die, but if by the Spirit you put to death the deeds of the body and you will live. For all who are led by the Spirit of God are sons of God,” here sons of God means the heirs of his Kingdom. So let us walk more and more by the spirit as St. Paul in Galatians 5:25 instruct us, “If we live by the Spirit, let us also walk by the Spirit.” Amen
✍ -Fr. Dennis Tigga