समस्त पृथ्वी पर एक ही भाषा और एक ही बोली थी। पूर्व में यात्रा करते समय लोग शिनआर देश के एक मैदान में पहुँचे और वहाँ बस गये। उन्होंने एक दूसरे से कहा, "आओ! हम ईंटें बना कर आग में पकायें"। वे पत्थर के लिए ईंट और गारे के लिए डामर काम में लाते थे। फिर वे बोले, "आओ! हम अपने लिए एक शहर बना लें और एक ऐसी मीनार जिसका शिखर स्वर्ग तक पहुँचे। हम अपने लिए नाम कमा लें, जिससे हम सारी पृथ्वी पर बिखर न जायें"। तब ईश्वर उतर कर वह शहर और मीनार देखने आया, जिन्हें मनुष्य बना रहे थे, और उसने कहा, "ये सब एक ही राष्ट्र हैं और एक ही भाषा बोलते हैं। यह तो उनके कार्यों का आरंभ मात्र है। आगे चल कर वे जो कुछ भी करना चाहेंगे, वह उनके लिए असंभव नहीं होगा। इसलिए हम उतर कर उनकी भाषा में ऐसी उलझन पैदा करें कि वे एक दूसरे को न समझ पायें"। इस प्रकार ईश्वर ने उन्हें वहाँ से सारी पृथ्वी पर बिखेरा और उन्होंने अपने शहर का निर्माण अधूरा छोड़ दिया। उस शहर का नाम बाबुल रखा गया, क्योंकि ईश्वर ने वहाँ पृथ्वी भर की भाषा में उलझन पैदा की और वहाँ से मनुष्यों को सारी पृथ्वी पर विखेर दिया।
प्रभु की वाणी।
मूसा ईश्वर से मिलने के लिए पर्वत पर चढ़ा और ईश्वर ने वहाँ उस से कहा, "तुम याकूब के घराने से यह कहोगे और इस्राएल के पुत्रों को यह बता दोगे 'तुम लोगों ने स्वयं देखा है कि मैंने मिस्र के साथ क्या-क्या किया और किस तरह मैं तुम लोगों को गरूड़ के पंखों पर बैठा कर यहाँ अपने पास ले आया। यदि तुम मेरी बात मानोगे और मेरे विधान के अनुसार चलोगे, तो तुम सब राष्ट्रों में से मेरी अपनी प्रजा बन जाओगे, क्योंकि समस्त पृथ्वी मेरी है। तुम मेरे लिए याजकों का राजवंश तथा पवित्र राष्ट्र बन जाओगे।' यही संदेश इस्स्राएल के पुत्रों को सुनाओ।” मूसा ने लौट कर प्रजा के नेताओं को बुलाया और जो कुछ प्रभु ने उस से कहा था, वह सब उनके सामने प्रस्तुत किया। सब लोगों ने एक ही स्वर से यह उत्तर दिया, "ईश्वर जो कुछ कहता है, हम वह सब पूरा करेंगे"। तीसरे दिन प्रातःकाल बादल गरजे, बिजली चमकी, पर्वत पर काले बादल छा गये और तुरही का प्रचंड निनाद सुनाई पड़ा। शिविर में सभी लोग कांपने लगे। तब मूसा ईश्वर से भेंट करने के लिए लोगों को शिविर से बाहर ले गये और वे पहाड़ के नीचे खड़े हो गये। सिनाई पर्वत धूएँ से ढका हुआ था, क्योंकि ईश्वर अग्नि के रूप में उस पर उतरा था। धूआँ भट्ठी के धूएँ की तरह ऊपर उठ रहा था और सारा पहाड़ जोर से काँप रहा था। तुरही का निनाद बढ़ता जा रहा था। मूसा बोले, और ईश्वर ने उसे मेघगर्जन में से उत्तर दिया। ईश्वर सिनाई पर्वत की चोटी पर उतरा। उसने मूसा को पर्वत की चोटी पर बुलाया और मूसा ऊपर चला गया।
प्रभु की वाणी।
प्रभु का हाथ मुझे छू गया और प्रभु के आत्मा ने मुझे ले जा कर एक घाटी में उतार दिया, जो हड्डियों से भरी हुई थी। उसने मुझे उनके बीच चारों ओर घुमाया। वे हड्डियाँ बड़ी संख्या में घाटी के धरातल पर पड़ी हुई थीं। और एकदम सूख गयी थीं। उसने मुझ से कहा, "हे मनुष्य! क्या इन हड्डियों में फिर जीवन आ सकता है?” मैंने उत्तर दिया "हे प्रभु-ईश्वर! तू ही जानता है"। इस पर उसने मुझ से कहा, "इन हड्डियों से भविष्यवाणी करो। इन से यह कहो, 'हे सूखी हड्डियो! प्रभु की वाणी सुनो। प्रभु-ईश्वर इन हड्डियों से यह कहता है - मैं तुम में प्राण डालूँगा और तुम जीवित हो जाओगी। मैं तुम पर स्नायुएँ लगाऊँगा, तुम में मांस भरूँगा, तुम पर चमड़ा चढ़ाऊँगा। तुम में प्राण डालूँगा, तुम जीवित हो जाओगी और तुम जानोगी कि मैं प्रभु हूँ।” मैं उसके आदेश के अनुसार भविष्यवाणी करने लगा। मैं भविष्यवाणी कर ही रहा था कि एक खड़खड़ाती आवाज सुनाई पड़ी और वे हड्डियाँ एक दूसरी से जुड़ने लगीं। मैं देख रहा था कि उन पर स्नायुएँ लगीं, उन में मांस भर गया, उन पर चमड़ा चढ़ गया, किन्तु उन में प्राण नहीं थे। उसने मुझ से कहा, "हे मनुष्य! प्राणवायु को संबोधित कर भविष्यवाणी करो। यह कह कर भविष्यवाणी करो - 'प्रभु-ईश्वर यह कहता है। हे प्राणवायु! चारों दिशाओं से आओ और उन मृतकों में प्राण फूँक दो जिस से उन में जीवन आ जाये'।” मैंने उसके आदेशानुसार भविष्यवाणी की और उन में प्राण आये। वे पुनर्जीवित हो कर अपने पैरों पर खड़ी हो गयीं – वह एक विशाल बहुसंख्यक सेना थी। तब उसने मुझ से कहा, "हे मनुष्य! ये हड्डियाँ समस्त इस्राएली हैं। वे कहते रहते हैं - हमारी हड्डियाँ सूख गयी हैं। हमारी आशा टूट गयी है। हमारा सर्वनाश हो गया है। तुम उन से कहोगे, 'प्रभु यह कहता है- मैं तुम्हारी कब्रों को खोल दूँगा। हे मेरी प्रजा! मैं तुम लोगों को कब्रों से निकाल कर इस्राएल की धरती पर वापस ले जाऊँगा। हे मेरी प्रजा! जब मैं तुम्हारी कब्रों को खोल कर तुम लोगों को उन में से निकालूँगा, तो तुम लोग जान जाओगे कि मैं ही प्रभु हूँ। मैं तुम्हें अपना आत्मा प्रदान करूँगा और तुम में जीवन आ जायेगा। मैं तम्हें तुम्हारी अपनी धरती पर बसाऊँगा और तुम लोग जान जाओगे कि मैंने, जो प्रभु हूँ, यह कहा और पूरा भी किया है। यह प्रभु का कहना है'।”
प्रभु की वाणी।
प्रभु कहता है, "मैं सब शरीरधारियों पर अपना आत्मा उतारूंगा। तुम्हारे पुत्र और पुत्रियाँ भविष्यवाणी करेंगे, तुम्हारे बड़े-बूढ़े स्वप्न देखेंगे और तुम्हारे नवयुवकों को दिव्य दर्शन होंगे। उन दिनों में मैं दास-दासियों पर भी अपना आत्मा उतारूंगा। मैं आकाश में और पृथ्वी पर ये चिह्न प्रकट करूँगा - रक्त, अग्नि और धूएँ के खंभे। प्रभु के महान् तथा भयंकर दिन के आगमन के पहले सूर्य अंधकारमय और चन्द्रमा रक्तमय हो जायेगा। जो प्रभु के नाम की दुहाई देंगे, वे बच जायेंगे"।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : हे प्रभु, अपना आत्मा भेज कर पृथ्वी का रूप नया कर दे। (अथवा : अल्लेलूया।)
1. मेरी आत्मा प्रभु का गुणगान करे। हे प्रभु! मेरे ईश्वर! तू कितना महान् है! तू महिमा तथा प्रताप से समन्वित है, तू प्रकाश को चादर की तरह ओढ़े है।
2. हे प्रभु! तेरे मार्ग असंख्य हैं। तू जो भी करता है, अच्छा ही करता है। पृथ्वी तेरे वैभव से भरी पूरी है। मेरी आत्मा प्रभु का गुणगान करे।
3. सब तुझ से यह आशा करते हैं कि तू समय पर उन्हें भोजन प्रदान करे। तू उन्हें दे देता है और वे बटोर लेते हैं, तू अपना हाथ खोलता है और वे तृप्त हो जाते हैं।
4. तू उनके प्राण वापस लेता है, तो वे मरते और फिर मिट्टी में मिल जाते हैं। तू प्राण फूंक देता है, तो वे पुनर्जीवित हो जाते हैं, और तू पृथ्वी का रूप नया कर देता है।
भाइयो! हम जानते हैं कि समस्त सृष्टि अब तक मानो प्रसव पीड़ा में कराहती रही है। और सृष्टि ही नहीं, हम भी भीतर ही भीतर कराहते हैं। हमें तो पवित्र आत्मा के पहले कृपादान मिल चुके हैं, किन्तु हम ईश्वर की संतान होने के नाते अपने शरीर की मुक्ति की राह देख रहे हैं। हमारी मुक्ति अब तक आशा का ही विषय है। यदि कोई वह बात देखता है, जिसकी वह आशा करता है, तो यह आशा नहीं कही जा सकती। जिस बात को कोई देखता है, वह उसकी आशा कैसे कर सकता है? हम उसी की आशा करते हैं, जिसे हम अब तक नहीं देख सके हैं, इसलिए हमें धैर्य के साथ उसकी प्रतीक्षा करनी पड़ती है। आत्मा भी हमारी दुर्बलता में हमारी सहायता करता है। हम तो यह नहीं जानते कि हमें कैसे प्रार्थना करनी चाहिए। किन्तु हमारी अस्पष्ट आहों द्वारा आत्मा स्वयं हमारे लिए विनती करता है। ईश्वर हमारे हृदय का रहस्य जानता है। वह समझता है कि आत्मा क्या कहता है, क्योंकि आत्मा ईश्वर के इच्छानुसार सन्तों के लिए विनती करता है।
प्रभु की वाणी।
अल्लेलूया, अल्लेलूया! हे पवित्र आत्मा! आ कर, अपने विश्वासियों का हृदय भर दे और उन में अपने प्रेम की आग सुलगा। अल्लेलूया!
पर्व के अंतिम और मुख्य दिन येसु उठ खड़े हो गये और पुकार कर कहने लगे, "यदि कोई प्यासा हो, तो वह मेरे पास आये; जो कोई मुझ में विश्वास करता है, वह अपनी प्यास बुझाये"। जैसा कि धर्मग्रंथ में लिखा है - उसके अन्तस्तल से संजीवन जल की नदियाँ बह निकलेंगी। उन्होंने यह बात उस आत्मा के विषय में कही जो उन में विश्वास करने वालों को प्राप्त होगा। उस समय तक आत्मा प्रदान नहीं किया गया था, क्योंकि येसु महिमान्वित नहीं हुए थे।
प्रभु का सुसमाचार।