प्रभु की वाणी नातान को यह कहती हुई सुनाई पड़ी, "मेरे सेवक दाऊद के पास जा कर कहना - प्रभु यह कहता है। जब तुम्हारे दिन पूरे हो जायेंगे और तुम अपने पुरखों के साथ विश्राम करोगे, तो मैं तुम्हारे पुत्र को तुम्हारा उत्तराधिकारी बनाऊँगा और उसका राज्य बनाये रखूँगा। वह मेरे आदर में एक मंदिर बनवायेगा और मैं उसका सिंहासन सदा के लिए सुदृढ़ बना दूँगा। मैं उसका पिता होऊँगा और वह मेरा पुत्र होगा। तुम्हारा वंश और तुम्हारा राज्य मेरे सामने बने रहेंगे और उसका सिंहासन अनन्त काल तक सुदृढ़ रहेगा।"
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : उसका वंश सदा-सर्वदा बना रहेगा।
1. हे प्रभु! मैं सदा ही तेरी कृपा का गीत गाता रहूँगा, मैं पीढ़ी-दर-पीढ़ी तेरी सत्यप्रतिज्ञता घोषित करता रहूँगा। तूने कहा "मेरी कृपा सदा ही बनी रहेगी। मेरी सत्यप्रतिज्ञता आकाश की तरह चिरस्थायी है।
2. "मैं अपने कृपापात्र को प्रतिज्ञा दे चुका हूँ। मैंने शपथ खा कर अपने सेवक दाऊद से कहा मैं तुम्हारा वंश सदा-सर्वदा के लिए स्थापित करूँगा, तुम्हारा सिंहासन युग युगों तक सुदृढ़ बनाये रखूँगा।
3. "वह मुझ से कहेगा - तू ही मेरा पिता, मेरा ईश्वर और मेरा उद्धारक है। मेरी कृपा उस पर बनी रहेगी। मेरी प्रतिज्ञा उसके लिए चिरस्थायी है।"
ईश्वर ने इब्राहीम और उसके वंश को प्रतिज्ञा की थी कि वे पृथ्वी के उत्तराधिकारी होंगे। यह इसलिए नहीं हुआ कि इब्राहीम ने संहिता का पालन किया, बल्कि इसलिए कि उसने विश्वास किया और ईश्वर ने उसे धार्मिक माना है। वह प्रतिज्ञा विश्वास पर, और इसलिए कृपा पर भी, निर्भर रहती है। वह न केवल उन लोगों पर, जो संहिता का पालन करते हैं, बल्कि समस्त वंश पर लागू होती है उन सबों पर जो इब्राहीम की तरह विश्वास करते हैं। इब्राहीम हम सबों का पिता है। जैसा कि लिखा है मैंने तुम को बहुत-से राष्ट्रों का पिता नियुक्त किया है। ईश्वर की दृष्टि में इब्राहीम हमारा पिता है। उसने ईश्वर में विश्वास किया, जो मृतकों को जिलाता है और शब्द मात्र कह कर चीज़ों की सृष्टि करता है। इब्राहीम ने निराशाजनक परिस्थिति में भी आशा रख कर विश्वास किया और वह बहुत-से राष्ट्रों का पिता बन गया, जैसा कि उस से कहा गया था - तेरे असंख्य वंशज होंगे। उस विश्वास के कारण ईश्वर ने उसे धार्मिक माना है।
प्रभु की वाणी।
अल्लेलूया, अल्लेलूया ! हे प्रभु! तेरे मंदिर में रहने वाले धन्य हैं! वे सदा तेरी स्तुति गाते हैं। अल्लेलूया !
याकूब से मरियम का पति यूसुफ़ उत्पन्न हुआ और मरियम से येसु उत्पन्न हुए, जो मसीह कहलाते हैं। मसीह का जन्म इस प्रकार हुआ। उनकी माता मरियम की मँगनी यूसुफ़ से हुई थी, परन्तु ऐसा हुआ कि उनके एक साथ रहने से पहले ही मरियम पवित्र आत्मा से गर्भवती हो गयी। उसका पति यूसुफ़ उसे चुपके से त्याग देने की सोच रहा था, क्योंकि वह धर्मी था और मरियम को बदनाम नहीं करना चाहता था। वह इस पर विचार कर ही रहा था कि उसे स्वप्न में प्रभु का दूत यह कहते हुए दिखाई दिया, "हे यूसुफ़, दाऊद की सन्तान ! अपनी पत्नी मरियम को अपने यहाँ लाने से नहीं डरें, क्योंकि उनके जो गर्भ है वह पवित्र आत्मा से है। वह पुत्र प्रसव करेंगी और आप उसका नाम येसु रखेंगे, क्योंकि वह अपने लोगों को उनके पापों से मुक्त करेगा।" यह सब इसलिए हुआ जिससे नबी के मुख से प्रभु ने जो कहा था, वह पूरा हो जाये - देखो, एक कुँवारी गर्भवती होगी और पुत्र प्रसव करेगी, और उसका नाम एम्मानुएल रखा जायेगा, जिसका अर्थ है : ईश्वर हमारे साथ है। यूसुफ़ नींद से उठ कर प्रभु के दूत के आज्ञानुसार अपनी पत्नी को अपने यहाँ ले आया। यूसुफ़ का उससे तब तक संसर्ग नहीं हुआ जब तक उसने पुत्र प्रसव नहीं किया और यूसुफ़ ने उसका नाम येसु रखा।
प्रभु का सुसमाचार।
येसु के माता-पिता प्रति वर्ष पास्का पर्व के लिए येरुसालेम जाया करते थे। जब बालक बारह वर्ष का था, तो वे प्रथा के अनुसार पर्व के लिए येरुसालेम गये। पर्व समाप्त हुआ और वे लौट पड़े; परन्तु बालक येसु अपने माता-पिता के अनजान में येरुसालेम में रह गया। वे यह समझ रहे थे कि वह यात्रीदल के साथ है; इसलिए वे एक दिन की यात्रा पूरी करने के बाद ही उसे अपने कुटुम्बियों और परिचितों के बीच ढूँढ़ने लगे। उन्होंने उसे नहीं पाया और उसे ढूँढ़ते-ढूँढ़ते वे येरुसालेम लौटे। तीन दिनों के बाद उन्होंने येसु को मंदिर में शास्त्रियों के बीच बैठे, उनकी बातें सुनते और उन से प्रश्न करते पाया। सभी सुनने वाले उसकी बुद्धि और उसके उत्तरों पर चकित रह जाते थे । उसके माता-पिता उसे देख कर अचंभे में पड़ गये और उसकी माता ने उस से कहा, "बेटा! तुमने हमारे साथ ऐसा क्यों किया ? देखो तो, तुम्हारे पिता और मैं दुःखी हो कर तुम को ढूँढ़ रहे थे।" उसने अपने माता-पिता से कहा, "मुझे ढूँढ़ने की क्या ज़रूरत थी ! क्या आप यह नहीं जानते थे कि मैं निश्चय ही अपने पिता के घर में होऊँगा ?" परन्तु येसु का यह कथन उनकी समझ में नहीं आया। येसु उनके साथ नाज़रेत गये और उनके अधीन रहे।
प्रभु का सुसमाचार।