ईश्वर ने कहा, "हम मनुष्य को अपना प्रतिरूप बनायें; वह हमारे सदृश हो । वह समुद्र की मछलियों, आकाश के पक्षियों, घरेलू और जंगली जानवरों और जमीन पर रेंगने वाले सब जीव-जन्तुओं पर शासन करे।" ईश्वर ने मनुष्य को अपना प्रतिरूप बनाया; उसने उसे ईश्वर का प्रतिरूप बनाया; उसने नर और नारी के रूप में उनकी सृष्टि की। ईश्वर ने यह कह कर उन्हें आशीर्वाद दिया, "फलो-फूलो । पृथ्वी पर फैल जाओ और उसे अपने अधीन कर लो। समुद्र की मछलियों, आकाश के पक्षियों और पृथ्वी पर विचरने वाले सब जीव-जन्तुओं पर शासन करो।" ईश्वर ने कहा, "मैं तुम को पृथ्वी भर के बीज पैदा करने वाले सब पौधे, और बीजदार फल देने वाले सब पेड़ दे देता हूँ। यह तुम्हारा भोजन होगा। मैं सब जंगली जानवरों को, आकाश के सब पक्षियों को, पृथ्वी पर विचरने वाले जीव-जन्तुओं को उनके भोजन के लिए पौधों की हरियाली दे देता हूँ।" और ऐसा ही हुआ। ईश्वर ने अपने द्वारा बनाया हुआ सब कुछ देखा और यह उस को अच्छा लगा। संध्या हुई और फिर भोर हुआ यह छठा दिन था। इस प्रकार आकाश तथा पृथ्वी, और जो कुछ इन में है, सब की सृष्टि पूरी हुई। सातवें दिन ईश्वर का किया हुआ कार्य समाप्त हुआ। उसने अपना समस्त कार्य समाप्त कर, सातवें दिन विश्राम किया। ईश्वर ने सातवें दिन को आशीर्वाद दिया और उसे पवित्र माना; क्योंकि उस दिन उसने, सृष्टि का समस्त कार्य समाप्त कर, विश्राम किया था।
प्रभु की वाणी।
आप आपस में प्रेम-भाव बनाये रखें। वह सब कुछ एकता में बाँध कर पूर्णता तक पहुँचा देता है। मसीह की शांति आपके हृदयों में राज्य करे। इसी शांति के लिए आप लोग, एक शरीर के अंग बन कर, बुलाये गये हैं। आप जो कुछ भी कहें या करें, वह सब प्रभु येसु के नाम पर किया करें। उन्हीं के द्वारा आप लोग पिता-परमेश्वर को धन्यवाद देते रहें। आप लोग जो भी काम करें, मन लगा कर कीजिए, मानो मनुष्यों के लिए नहीं, बल्कि प्रभु के लिए काम कर रहे हों; क्योंकि आप जानते हैं कि प्रभु पुरस्कार के रूप में आप को विरासत प्रदान करेगा। आप लोग प्रभु के दास हैं।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : हे प्रभु! हमारे सब कार्यों पर तेरी आशिष! (अथवा : अल्लेलूया!)
1. पर्वतों के बनने के पहले से, पृथ्वी तथा संसार की उत्पत्ति के पहले से, तू ही अनादि-अनन्त ईश्वर है।
2. तू मनुष्य को फिर मिट्टी में मिला कर कहता है, "हे मनुष्य की सन्तान! लौट जाओ।" एक हज़ार वर्ष भी तुझे बीते कल की तरह लगते हैं, वे तेरी गिनती में रात के पहर के सदृश हैं।
3. हमें जीवन की क्षणभंगुरता सिखा, जिससे हम में सद्बुद्धि आये। हे प्रभु! क्षमा कर, हम कब तक तेरी प्रतीक्षा करें? तू अपने सेवकों पर दया कर।
4. तू भोर को हमें अपना प्रेम दिखा, जिससे हम दिन भर आनन्द के गीत गा सकें। तेरे सेवक तेरे महान् कार्य देखें और उनकी सन्तान तेरी महिमा के दर्शन करे।
अल्लेलूया, अल्लेलूया! हम प्रतिदिन प्रभु को धन्यवाद दिया करें। वह हमारा भार हल्का कर देता और हमारी रक्षा करता है। अल्लेलूया!
येसु अपने नगर आये और लोगों को उनके सभागृह में शिक्षा देने लगे। वे अचंभे में पड़ कर कहने लगे, "इसे यह ज्ञान और यह सामर्थ्य कहाँ से मिला? क्या यह बढ़ई का बेटा नहीं है? क्या मरियम इसकी माँ नहीं? क्या यह याकूब, यूसुफ़, सिमोन और यूदस इसके भाई नहीं? क्या इसकी सब बहनें हमारे ही बीच नहीं रहतीं? तो यह सब इसे कहाँ से मिला?" और वे उन में विश्वास नहीं कर सके। येसु ने उन से कहा, "अपने नगर और अपने घर में नबी का आता नहीं होता।" लोगों के अविश्वास के कारण उन्होंने वहाँ बहुत कम चमत्कार दिखाये।
प्रभु का सुसमाचार।