मई 3
सन्त फ़िलिप और याकूब, प्रेरित – पर्व

📕पहला पाठ

कुरिंथियों के नाम सन्त पौलुस का पहला पत्र 15:1-8

"प्रभु याकूब को और फिर सब प्रेरितों को दिखाई दिये।"

भाइयो! मैं आप लोगों को उस सुसमाचार का स्मरण दिलाना चाहता हूँ, जिसका प्रचार मैंने आपके बीच किया, जिसे आपने ग्रहण किया, जिस में आप दृढ़ बने रहते हैं और यदि आप उसे उसी रूप में बनाये रखेंगे, जिस रूप में मैंने उसे आप को सुनाया था, तो उसके द्वारा आप को मुक्ति मिलेगी, नहीं तो आपका विश्वास व्यर्थ होगा। जो शिक्षा मुझे मिली थी, वही मैंने सब से पहले आप लोगों को सुनायी। वह इस प्रकार है- मसीह हमारे पापों के प्रायश्चित्त के लिए मर गये, जैसा कि धर्मग्रंथ में लिखा है। वह क़ब्र में रखे गये और तीसरे दिन जी उठे, जैसा कि धर्मग्रंथ में लिखा है। वह केफ़स को और बाद में बारहों को दिखाई दिये। फिर वह एक ही समय पाँच सौ से अधिक भाइयों को दिखाई दिये। उन में से अधिकांश आज भी जीवित हैं, यद्यपि कुछ मर गये हैं। बाद में वह याकूब को और फिर सब प्रेरितों को दिखाई दिये। सबों के बाद वह मुझे भी, मानो ठीक समय से पीछे जन्मे को दिखाई दिये।

प्रभु की वाणी।

📖भजन : स्तोत्र 18:2-5

अनुवाक्य : इसकी गूंज संसार भर में फैल जाती है। (अथवा : अल्लेलूया!)

1. आकाश ईश्वर की महिमा बखानता है, तारा-मंडल उसका सामर्थ्य प्रकट करता है। दिन-दिन को इसकी कहानी सुनाता है। और रात-रात को इसे बताती है।

2. न तो कोई वाणी सुनाई देती है, न कोई शब्द और न कोई स्वर, फिर भी इसकी गूंज संसार भर में फैल जाती है और पृथ्वी के सीमान्तों तक इसकी ध्वनि।

📒जयघोष

अल्लेलूया, अल्लेलूया! प्रभु कहते हैं, "मार्ग, सत्य और जीवन मैं हूँ। फ़िलिप! जिसने मुझे देखा है, उसने पिता को भी देखा है।" अल्लेलूया!

📙सुसमाचार

योहन के अनुसार पवित्र सुसमाचार 14:6-14

"मैं इतने समय तक तुम लोगों के साथ रहा, फिर भी तुमने मुझे नहीं पहचाना?"

येसु ने थोमस से कहा, "मार्ग, सत्य और जीवन मैं हूँ। मुझ से हो कर गये बिना कोई पिता के पास नहीं आ सकता। यदि तुम मुझे पहचानते हो, तो मेरे पिता को भी पहचानोगे। अब तो तुम लोगों ने उसे पहचाना भी है और देखा भी है।" फ़िलिप ने उन से कहा, "प्रभु! हमें पिता के दर्शन कराइए। हमारे लिए इतना ही बहुत है।" येसु ने कहा, "फ़िलिप! मैं इतने समय तक तुम लोगों के साथ रहा, फिर भी तुमने मुझे नहीं पहचाना? जिसने मुझे देखा है, उसने पिता को भी देखा है। फिर तुम यह क्या कहते हो हमें पिता के दर्शन कराइए? क्या तुम विश्वास नहीं करते कि मैं पिता में हूँ और पिता मुझ में है? मैं जो शिक्षा देता हूँ, वह मेरी अपनी शिक्षा नहीं है। मुझ में निवास करने वाला पिता मेरे द्वारा अपने महान् कार्य सम्पन्न करता है। मेरी इस बात पर विश्वास करो कि मैं पिता में हूँ और पिता मुझ में है; नहीं तो उन महान् कार्यों के कारण ही इस पर विश्वास करो। मैं तुम लोगों से कहे देता हूँ जो मुझ में विश्वास करता है, वह स्वयं वे ही कार्य करेगा, जिन्हें मैं करता हूँ। वह उन से भी महान् कार्य करेगा, क्योंकि मैं पिता के पास जा रहा हूँ। तुम मेरा नाम ले कर जो कुछ माँगोगे, मैं तुम्हें वही प्रदान करूँगा, जिससे पुत्र के द्वारा पिता की महिमा प्रकट हो जाये। यदि तुम मेरा नाम ले कर मुझ से कुछ भी माँगोगे, तो मैं तुम्हें वही प्रदान करूँगा।"

प्रभु का सुसमाचार।