प्रभु की वाणी मुझे यह कहते हुए सुनाई दी - "माता के गर्भ में तुमको रचने से पहले ही, मैंने तुमको जान लिया। तुम्हारेजन्म से पहले ही, मैंने तुम को पवित्र किया। मैंने तुम को राष्ट्रों का नबी नियुक्त किया।" मैंने कहा, "आह! प्रभु-ईश्वर! मुझे बोलना नहीं आता। मैं तो बच्चा हूँ।" परन्तु प्रभु ने उत्तर दिया "यह न कहो - मैं तो बच्चा हूँ। मैं जिन लोगों के पास तुम्हें भेजूंगा, तुम उनके पास जाओगे और जो कुछ तुम्हें बताऊँगा, तुम वही कहोगे। उन लोगों से मत डरो। मैं तुम्हारे साथ हूँ। मैं तुम्हारी रक्षा करूँगा। यह प्रभु का कहना है।" तब प्रभु ने हाथ बढ़ा कर मेरा मुख स्पर्श किया और मुझ से यह कहा, "मैं तुम्हारे मुख में अपने वचन रख देता हूँ। देखो! उखाड़ने और गिराने, नष्ट करने और ढा देने, निर्माण करने और रोपने के लिए मैं आज तुम्हें राष्ट्रों तथा राज्यों पर अधिकार देता हूँ।"
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : माता के गर्भ से मुझे तेरा सहारा मिला है।
1. हे प्रभु! मैं तेरी शरण में आया हूँ। मुझे कभी निराश न होने दे। तू न्यायी है। तू मेरा उद्धार कर, तू मेरी सुन और मुझे बचा।
2. तू मेरे लिए आश्रय की चट्टान और रक्षा का शक्तिशाली गढ़ बन जा, क्योंकि तू ही मेरी चट्टान और मेरा गढ़ है। हे मेरे ईश्वर! मुझे दुष्टों के हाथ से छुड़ा।
3. हे प्रभु! तू ही है मेरा आसरा। मैं बचपन से तुझ पर ही भरोसा रखता हूँ। मैं जन्म से तुझ पर ही निर्भर रहा हूँ, माता के गर्भ से मुझे तेरा सहारा मिला है।
4. मैं प्रतिदिन तेरे न्याय और तेरी सहायता का बखान करूँगा। हे प्रभु! मुझे बचपन से ही तेरी शिक्षा मिली है। मैं अब तक तेरे महान् कार्य घोषित करता रहा हूँ।
आप लोगों ने येसु मसीह को कभी देखा नहीं, फिर भी आप उन्हें प्यार करते हैं और उन्हें देखे बिना आप अब उनमें विश्वास करते हैं। जब आप अपने विश्वास का प्रतिफल अर्थात् अपनी आत्मा की मुक्ति प्राप्त करेंगे, तो एक अकथनीय तथा दिव्य उल्लास से आनन्दित हो उठेंगे। यही मुक्ति नबियों के चिन्तन तथा अनुसन्धान का विषय था; उन्होंने आप लोगों को मिलने वाले अनुग्रह की भविष्यवाणी की है। मसीह का आत्मा उन में विद्यमान था और मसीह के दुःखभोग तथा इसके बाद आने वाली महिमा की भविष्यवाणी करता था। नबी यह जानना चाहते थे कि आत्मा किस समय और किन परिस्थितियों की ओर संकेत कर रहा है; उन पर प्रकट किया गया था कि जो संदेश वे सुनाते थे, वह उनके लिए नहीं, बल्कि आप लोगों के लिए था। अब सुसमाचार के प्रचारक, स्वर्ग से भेजे हुए पवित्र आत्मा की प्रेरणा से, आप लोगों को वही संदेश सुनाते हैं। स्वर्गदूत भी इन बातों की पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए उत्सुक हैं।
प्रभु की वाणी।
अल्लेलूया, अल्लेलूया! वह साक्षी के रूप में आया, जिससे वह ज्योति के विषय में साक्ष्य दे और प्रभु के लिए एक सुयोग्य प्रजा तैयार करे। अल्लेलूया!
यहूदिया के राजा हेरोद के समय अबियस के दल का ज़करियस नामक एक याजक था। उसकी पत्नी हारून वंश की थी और उसका नाम एलीज़बेथ था। वे दोनों ईश्वर की दृष्टि में धार्मिक थे- वे प्रभु की सब आज्ञाओं और नियमों का निर्दोश अनुसरण करते थे। उनके कोई सन्तान नहीं थी, क्योंकि एलीज़बेथ बाँझ थी और दोनों बूढ़े हो चले थे। जकरियस नियुक्ति के क्रम से अपने दल के साथ याजक का काम कर रहा था। किसी दिन याजकों की प्रथा के अनुसार उसके नाम चिट्ठी निकली कि वह प्रभु के मंदिर में प्रवेश कर धूप जलाये। धूप जलाने के समय सारी जनता बाहर प्रार्थना कर रही थी। उस समय प्रभु का दूत उसे धूप की वेदी की दाईं ओर दिखाई दिया। जकरियस स्वर्गदूत को देख कर घबरा गया और भयभीत हो उठा; परन्तु स्वर्गदूत ने उस से कहा, "ज़करियस! डरिए नहीं; आपकी प्रार्थना सुनी गयी है- आपकी पत्नी एलीज़बेथ के एक पुत्र उत्पन्न होगा; आप उसका नाम योहन रखेंगे। आप आनन्दित और उल्लसित हो उठेंगे और उसके जन्म पर बहुत-से लोग आनन्द मनायेंगे। वह प्रभु की दृष्टि में महान् होगा, अंगूरी और मदिरा नहीं पीयेगा, अपनी माता के गर्भ में ही वह पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो जायेगा और इस्राएल के बहुत से लोगों का मन उनके प्रभु ईश्वर की ओर उन्मुख करेगा। वह एलियस के मनोभाव और सामर्थ्य में प्रभु के आगे चलेगा, जिससे वह पिता और पुत्र का मेल कराये, स्वेच्छाचारियों को धर्मियों की सद्बुद्धि प्रदान करे और प्रभु के लिए एक सुयोग्य प्रजा तैयार करे।"
प्रभु का सुसमाचार।