जून 29
सन्त पेत्रुस और पौलुस, प्रेरित- समारोह – दिन

📕पहला पाठ

प्रेरित-चरित 12:1-11

“अब मुझे निश्चय हो गया है कि प्रभु ने मुझे हेरोद के पंजे से छुड़ाया है।"

राजा हेरोद कलीसिया के कुछ सदस्यों पर अत्याचार करने लगा। उसने योहन के भाई याकूब को तलवार के घाट उतार दिया और जब उसने देखा कि यह यहूदियों को अच्छा लगा, तो उसने पेत्रुस को भी गिरफ़्तार कर लिया। उन दिनों बेख़मीर रोटियों का पर्व था। उसने पेत्रुस को पकड़वा कर बंदीगृह में डलवाया और उसे चार-चार सैनिकों के चार दलों के पहरे में दे दिया। वह पास्का पर्व के बाद उसे लोगों के सामने पेश करना चाहता था। जब पेत्रुस पर इस प्रकार बंदीगृह में पहरा बैठा हुआ था, तो कलीसिया उसके लिए आग्रह के साथ ईश्वर से प्रार्थना करती थी। जिस दिन हेरोद उसे पेश करने वाला था, उसके पहले की रात को पेत्रुस, दो हथकड़ियों से बँधा हुआ, दो सैनिकों के बीच सो रहा था और द्वार के सामने संतरी पहरा दे रहे थे। प्रभु का दूत अचानक आ खड़ा हुआ और कोठरी में ज्योति चमक उठी। उसने पेत्रुस की बग़ल थपथपा कर उसे जगाया और कहा, "जल्दी उठिए!" इस पर पेत्रुस की हथकड़ियाँ गिर पड़ीं। तब दूत ने उस से कहा, “कमर बाँधिए और चप्पल पहन लीजिए।" उसने ऐसा ही किया। दूत ने फिर कहा, "चादर ओढ़ कर मेरे पीछे चले आइए।" पेत्रुस उसके पीछे-पीछे बाहर निकल गया। उसे पता नहीं था कि जो कुछ दूत द्वारा हो रहा है, यह सच ही है। वह समझ रहा था कि मैं स्वप्न देख रहा हूँ। वे पहला पहरा और फिर दूसरा पहरा पार कर उस लोहे के फाटक तक पहुँचे, जो शहर की ओर ले जाता है। वह उनके लिए अपने आप खुल गया। वे बाहर निकले और गली के छोर तक आये कि दूत अचानक उसे छोड़ कर चला गया। तब पेत्रुस होश में आ कर बोल उठा, "अब मुझे निश्चय हो गया है कि प्रभु ने अपने दूत को भेज कर मुझे हेरोद के पंजे से छुड़ाया और यहूदियों की सारी आशाओं पर पानी फेर दिया है।"

प्रभु की वाणी।

📖भजन : स्तोत्र 18:2-5

अनुवाक्य : प्रभु का दूत उसके भक्तों की रक्षा करता है।

1. मैं सदा ही प्रभु को धन्य कहूँगा, मेरा कंठ निरन्तर उसकी स्तुति करता रहेगा। मेरी आत्मा प्रभु पर गौरव करेगी। विनम्र, सुन कर, आनन्दित हो उठेंगे।

2. मेरे साथ प्रभु की महिमा का गीत गाओ, हम मिल कर उसके नाम की स्तुति करें। मैंने प्रभु को पुकारा। उसने मेरी सुनी और मुझे हर प्रकार के भय से मुक्त कर दिया।

3. जो प्रभु की ओर दृष्टि लगाता है, वह आनन्दित होगा उसे कभी लज्जित नहीं होना पड़ेगा। दीन-हीन ने प्रभु की दुहाई दी। प्रभु ने उसकी सुनी और उसे हर प्रकार की विपत्ति से बचा लिया।

4. प्रभु का दूत उसके भक्तों के पास डेरा डाल कर उनकी रक्षा करता है। परख कर देखो कि प्रभु कितना भला है। धन्य है वह, जो उसकी शरण में जाता है।

📘दूसरा पाठ

तिमथी के नाम सन्त पौलुस का दूसरा पत्र 4:6-8,17-18

“अब मेरे लिए धार्मिकता का मुकुट तैयार रखा है।"

प्रिय पुत्र! मैं प्रभु को अर्पित किया जा रहा हूँ। मेरे चले जाने का समय आ गया है। मैं अच्छी लड़ाई लड़ चुका हूँ, अपनी दौड़ पूरी कर चुका हूँ, और पूर्ण रूप से ईमानदार रहा हूँ। अब मेरे लिए धार्मिकता का वह मुकुट तैयार है, जिसे न्यायी विचार-पति प्रभु मुझे उस दिन प्रदान करेंगे, मुझे ही नहीं, बल्कि उन सबों को जिन्होंने प्रेम के साथ उनके प्रकट होने के दिन की प्रतीक्षा की है। प्रभु ने मेरी सहायता की और मुझे बल प्रदान किया, जिससे मैं सुसमाचार का प्रचार कर सकूँ और सभी राष्ट्र उसे सुन सकें। मैं सिंह के मुँह से बच निकला। प्रभु मुझे दुष्टों के हर फंदे से छुड़ायेगा। वह मुझे सुरक्षित रखेगा और अपने स्वर्गराज्य तक पहुँचा देगा। उसी को अनन्त काल तक महिमा! आमेन!

प्रभु की वाणी।

📒जयघोष

अल्लेलूया, अल्लेलूया! तुम पेत्रुस अर्थात् चट्टान हो और इस चट्टान पर मैं अपनी कलीसिया बनाऊँगा और अधोलोक के फाटक इसके सामने टिक नहीं पायेंगे। अल्लेलूया!

📙सुसमाचार

मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 16:13-19

“तुम पेत्रुस हो। मैं तुम्हें स्वर्गराज्य की कुंजियाँ प्रदान करूँगा।"

येसु ने कैसरिया फ़िलिपी प्रदेश पहुँच कर अपने शिष्यों से पूछा, "मानव पुत्र कौन है, इसके विषय में लोग क्या कहते हैं?" उन्होंने उत्तर दिया, "कुछ लोग कहते हैं: योहन बपतिस्ता; कुछ कहते हैं: एलियस; और कुछ लोग कहते हैं : येरेमियस अथवा नबियों में से कोई।" इसपर येसु ने कहा, "और तुम क्या कहते हो कि मैं कौन हूँ?" सिमोन पेत्रुस ने उत्तर दिया, "आप मसीह हैं, आप जीवन्त ईश्वर के पुत्र हैं।" इस पर येसु ने उस से कहा, "सिमोन, योनस के पुत्र! तुम धन्य हो, क्योंकि किसी निरे मनुष्य ने नहीं, बल्कि मेरे स्वर्गिक पिता ने तुम पर यह प्रकट किया है। मैं तुम से कहता हूँ कि तुम पेत्रुस अर्थात् चट्टान हो और इस चट्टान पर मैं अपनी कलीसिया बनाऊँगा और अधोलोक के फाटक इसके सामने टिक नहीं पायेंगे। मैं तुम्हें स्वर्गराज्य की कुंजियाँ प्रदान करूँगा। तुम पृथ्वी पर जिसका निषेध करोगे, स्वर्ग में भी उसका निषेध रहेगा, और पृथ्वी पर जिसकी अनुमति दोगे, स्वर्ग में भी उसकी अनुमति रहेगी।"

प्रभु का सुसमाचार।