अगस्त 10
संत लौरेन्स, उपयाजक एवं पुरोहित – पर्व

📕पहला पाठ

कुरिंथियों के नाम सन्त पौलुस का दूसरा पत्र 9:6-10

“परमेश्वर खुशी से देने वाले को प्यार करता है।"

जो कम बोता है, वह कम लुनता है और जो अधिक बोता है, वह अधिक लुनता है। हर एक ने अपने मन में जितना निश्चित किया है, उतना ही दे दे। वह अनिच्छा से अथवा लाचारी से ऐसा न करे, क्योंकि "ईश्वर खुशी से देने वाले को प्यार करता है।" ईश्वर आप लोगों को प्रचुर मात्रा में हर प्रकार का वरदान देने में समर्थ है, जिससे आप को कभी किसी तरह की कोई कमी नहीं हो, बल्कि हर भले कार्य के लिए चन्दा देने के लिए भी बहुत कुछ बच जाये। धर्मग्रंथ में लिखा है उदारतापूर्वक दरिद्रों को दान दिया, उसकी धार्मिकता सदा बनी रहती है। उसने जो बोने वाले को बीज और खाने वाले को भोजन देता है, वह आप को बोने के लिए बीज देगा, उसे बढ़ायेगा। और आपकी उदारता की अच्छी फ़सल उत्पन्न कर देगा।

प्रभु की वाणी।

📖भजन : स्तोत्र 111:1-2,5-9

अनुवाक्य : धन्य है वह जो तरस खा कर उधार देता है।

1. अल्लेलूया! धन्य है वह, जो प्रभु पर श्रद्धा रखता और उसकी आज्ञाओं का पालन करता है। उसका वंश पृथ्वी पर फलेगा-फूलेगा। प्रभु की आशिष धर्मियों की संतति पर बनी रहती है।

2. धर्मी तरस खा कर उधार देता और ईमानदारी से अपना कारबार करता है। वह सन्मार्ग से कभी नहीं भटकेगा। उसकी स्मृति सदा बनी रहेगी।

3. वह विपत्ति के समाचार से नहीं डरता, उसका मन दृढ़ रहता है। वह ईश्वर पर भरोसा रखता है। वह न तो घबराता और न डरता है। वह अपने शत्रुओं पर विजयी होगा।

4. वह उदारतापूर्वक दरिद्रों को दान देता है। उसकी न्यायप्रियता सदा बनी रहती है। उसकी शक्ति तथा ख्याति बढ़ती जायेगी।

📒जयघोष

अल्लेलूया, अल्लेलूया! प्रभु कहते हैं, "जो मेरा अनुसरण करता है, वह अन्धकार में भटकता नहीं रहेगा, उसे जीवन की ज्योति प्रप्त होगी।" अल्लेलूया!

📙सुसमाचार

योहन के अनुसार पवित्र सुसमाचार 12:24-26

"जो कोई मेरी सेवा करेगा, मेरा पिता उस को सम्मान प्रदान करेगा।"

येसु ने अपने शिष्यों से कहा, "मैं तुम लोगों से कहे देता हूँ जब तक गेहूँ का दाना मिट्टी में गिर कर नहीं मर जाता, तब तक वह अकेला ही रहता है; परन्तु यदि वह मर जाता है, तो बहुत फल देता है। जो अपने जीवन को प्यार करता है, वह उसका सर्वनाश करता है और जो इस संसार में अपने जीवन से बैर करता है, वह उसे अनन्त जीवन के लिए सुरक्षित रखता है। यदि कोई मेरी सेवा करना चाहे, तो वह मेरा अनुसरण करे। जहाँ मैं हूँ, वहीं मेरा सेवक भी होगा। जो कोई मेरी सेवा करेगा, मेरा पिता उस को सम्मान प्रदान करेगा।"

प्रभु का सुसमाचार।