स्वर्ग में ईश्वर का मंदिर खुल गया और मंदिर में विधान की मंजूषा दिखाई पड़ी। आकाश में एक महान् चिह्न दिखाई दिया, सूर्य का वस्त्र ओढ़े एक महिला दिखाई पड़ी; उसके पैरों तले चन्द्रमा था और उसके सिर पर बारह नक्षत्रों का मुकुट। वह गर्भवती थी और प्रसव-वेदना से पीड़ित हो कर चिल्लाती थी। तब आकाश में एक अन्य चिह्न दिखाई पड़ा - लाल रंग का एक बहुत बड़ा पंखदार साँप। उसके सात सिर थे, दस सींग थे और हर एक सिर पर एक मुकुट था। उसकी पूँछ ने आकाश के एक तिहाई तारे बुहार कर पृथ्वी पर फेंक दिये। वह पंखदार साँप प्रसव-पीड़ित महिला के समाने खड़ा रहा जिससे वह नवजात शिशु को निगल जाये। उस महिला ने एक पुत्र प्रसव किया जो लोह-द लोह-दण्ड से सब राष्ट्रों पर शासन करेगा। किसी ने उस शिशु को उठा कर उसे ईश्वर और उसके सिंहासन तक पहुँचा दिया और महिमा मरुभूमि की ओर भाग गयी, जहाँ ईश्वर ने उसके लिए आश्रय तैयार किया था। मैंने स्वर्ग में किसी को उच्च स्वर से यह कहते सुना, " अब हमारे ईश्वर की विजय, सामर्थ्य तथा राजत्व और उसके मसीह का अधिकार प्रकट हुआ है।"
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : ओफ़िर के स्वर्ग से विभूषित हो कर एक महिला तुम्हारे दाहिने खड़ी है।
1. राजकुमारियाँ तुम्हारी प्रिय सखियाँ हैं, ओफ़िर के स्वर्ग से विभूषित हो कर एक महिला तुम्हारे दाहिने खड़ी है पुत्री! इधर देखो और कान लगा कर सुनो। तुम अपने लोगों को और पिता का घर भूल जाओ।
2. राजा तुम्हारे सौन्दर्य की अभिलाषा करेंगे। वह तुम्हारे स्वामी हैं; उन्हें दण्डवत् करो। वे भजन गाते हुए उसे ले जाती और राजा के महल में प्रवेश करती हैं।
मसीह सचमुच मृतकों में से जी उठे हैं। जो लोग मृत्यु में सो गये हैं, उन में से वह सब से पहले जी उठे हैं। चूँकि मृत्यु मनुष्य द्वारा आयी थी, इसलिए मनुष्य द्वारा ही मृतकों का पुनरुस्थान हुआ है। जिस तरह सब मनुष्य आदम में मर जाते हैं, उसी तरह सब मसीह में जीवित कर दिये जायेंगे। सब अपने क्रम के अनुसार : सब से पहले मसीह और बाद में उनके पुनरागमन के समय वे, जो मसीह के बन गये हैं। जब मसीह बुराई की सब शक्तियों को नष्ट करने के बाद अपना राज्य पिता-परमेश्वर को सौंप देंगे, तब अन्त आ जायेगा। क्योंकि वह तब तक राज्य करेंगे, जब तक वह अपने सब शत्रुओं को अपने पैरों तले न डाल दें।
प्रभु की वाणी।
अल्लेलूया, अल्लेलूया! मरियम स्वर्ग में आरोहित कर ली गयी है। स्वर्गदूतगण आनन्द मनाते हैं। अल्लेलूया!
मरियम पहाड़ी प्रदेश में यूदा के एक नगर के लिए शीघ्रता से चल पड़ी। उसने ज़करियस के घर में प्रवेश कर एलीज़बेथ का अभिवादन किया। ज्यों ही एलीज़बेथ ने मरियम का अभिवादन सुना, बच्चा उसके गर्भ में उछल पड़ा और एलीज़बेथ पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो गयी। वह ऊँचे स्वर से बोल उठी, "आप नारियों में धन्य हैं और धन्य है आपके गर्भ का फल। मुझे यह सौभाग्य कैसे प्राप्त हुआ कि मेरे प्रभु की माता मेरे पास आयीं? क्योंकि देखिए, ज्यों ही आपका प्रणाम मेरे कानों में पड़ा, बच्चा मेरे गर्भ में आनन्द के मारे उछल पड़ा। और धन्य हैं आप, जिन्होंने यह विश्वास किया कि प्रभु ने आप से जो कहा, वह पूरा हो जायेगा।" तब मरियम बोल उठी, "मेरी आत्मा प्रभु का गुणगान करती है, मेरा मन अपने मुक्तिदाता ईश्वर में आनन्द मनाता है, क्योंकि उसने अपनी दासी की दीनता पर कृपादृष्टि की है। अब से सब पीढ़ियाँ मुझे धन्य कहेंगी; क्योंकि सर्वशक्तिमान् ने मेरे लिए महान् कार्य किये हैं। पवित्र है उसका नाम! उसकी कृपा अपने श्रद्धालु भक्तों पर पीढ़ी-दर-पीढ़ी बनी रहती है। उसने अपना बाहुबल प्रदर्शित किया है, उसने घमंडियों को तितर-बितर कर दिया है। उसने शक्तिशालियों को उनके आसनों से गिरा दिया और दीनों को महान् बना दिया है। उसने दरिद्रों को सम्पन्न किया और धनियों को खाली हाथ लौटा दिया है। इब्राहीम और उसके वंश के प्रति अपनी चिरस्थायी दया को स्मरण कर, उसने हमारे पूर्वजों के प्रति अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार अपने दास इस्राएल की सुध ली है।" लगभग तीन महीने एलीज़बेथ के साथ रह कर मरियम अपने घर लौट गयी।
प्रभु का सुसमाचार।