अगस्त 15
स्वतंत्रता-दिवस

भारत के लिए विशिष्ट मिस्सा

📕पहला पाठ

नबी येरेमियस का ग्रंथ 31:31-34

"मैं अपना नियम उनके हृदय पर अंकित करूँगा।"

प्रभु यह कहता है वे दिन आ रहे हैं, जब मैं इस्स्राएल के घराने और यूदा के घराने के लिए एक नया विधान निर्धारित करूँगा। यह उस विधान की तरह नहीं होगा जिसे मैंने उस दिन उनके पूर्वजों के लिए निर्धारित किया था, जब मैंने उन्हें मिस्त्र से निकालने के लिए हाथ से पकड़ लिया था। उस विधान को उन्होंने भंग कर दिया, यद्यपि मैं उनका स्वामी था। वह समय बीत जाने के बाद मैं इस्राएल के लिए एक नया विधान निर्धारित करूँगा । प्रभु की यह वाणी है: मैं अपना नियम उनके अभ्यंतर में रख दूँगा, मैं उसे उनके हृदय पर अंकित करूँगा। मैं उनका ईश्वर होऊँगा और वे मेरी प्रजा होंगे। इसकी जरूरत नहीं रहेगी कि वे एक दूसरे को शिक्षा दें और अपने भाइयों से कहें प्रभु का ज्ञान प्राप्त कर लीजिए, क्योंकि छोटे और बड़े, सब के सब मुझे जानेंगे। मैं उनके अपराध क्षमा कर दूँगा। मैं उनके पापों को याद नहीं रखूँगा।

प्रभु की वाणी।

📖भजन : स्तोत्र 90: 1-6,9-10

अनुवाक्य : तू ही मेरा ईश्वर है, तुझ पर ही मैं भरोसा रखता हूँ।

1. तुम जो सर्वोच्च के आश्रय में रहते और सर्वशक्तिमान् की छत्रछाया में सुरक्षित हो, तुम प्रभु से यह कहो, "तू ही मेरी शरण है और मेरा गढ़, तू ही मेरा ईश्वर है, तुझ पर ही मैं भरोसा रखता हूँ।"

2. वह तुम्हें बहेलिये के फन्दे से छुड़ायेगा, जो तुम्हारा सर्वनाश चाहता है। वह तुम्हें अपने पंखों से छिपायेगा और तुम्हें उसके पैरों के नीचे शरणस्थान मिलेगा।

3. तुम्हें न तो रात्रि के आतंक से भय होगा और न दिन में चलने वाले बाण से ही, न अन्धकार में फैलने वाली महामारी से और न दोपहर को उजाड़ने वाली विपत्ति से ही।

4. न तो विपत्ति तुम पर आयेगी और न महामारी तुम्हारे घर के निकट आ पायेगी, क्योंकि उसने तुम्हारे विषय में अपने दूतों को यह आदेश दिया है कि तुम जहाँ कहीं भी जाओ, वे तुम्हारी रक्षा करें।

📘दूसरा पाठ

तिमथी के नाम सन्त पौलुस का पहला पत्र 2:1-6

"ईश्वर चाहता है कि सब मनुष्यों को मुक्ति मिले।"

मैं सब से पहले अनुरोध करता हूँ कि सभी मनुष्यों के लिए, विशेष रूप से राजाओं तथा अधिकारियों के लिए, अनुनय-विनय, प्रार्थना, निवेदन तथा धन्यवाद अर्पित किया जाये, जिससे हम भक्ति तथा मर्यादा के साथ निर्विघ्न तथा शांत जीवन बिता सकें । यह उचित भी है और हमारे मुक्तिदाता ईश्वर को प्रिय भी है, क्योंकि वह चाहता है कि सभी मनुष्य मुक्ति प्राप्त करें और सत्य जान जायें। क्योंकि केवल एक ही ईश्वर है और ईश्वर तथा मनुष्यों के बीच केवल एक ही मध्यस्थ हैं, अर्थात् येसु मसीह, जो स्वयं मनुष्य हैं और जिन्होंने सबों के उद्धार के लिए अपने को अर्पित किया है। उन्होंने उपयुक्त समय पर इसके सम्बन्ध में अपना साक्ष्य दिया है।

प्रभु की वाणी।

📒जयघोष

अल्लेलूया, अल्लेलूया ! हम प्रेम से प्रेरित हो कर सत्य बोलें और इस तरह मसीह की परिपूर्णता प्राप्त करें । अल्लेलूया!

📙सुसमाचार

योहन के अनुसार पवित्र सुसमाचार 8:31-36

"यदि पुत्र तुम्हें स्वतन्त्र बना देगा, तो तुम सचमुच स्वतन्त्र होगे।"

मसीह, ईश्वर की प्रज्ञा जिन यहूदियों ने उन में विश्वास किया, उन से येसु ने कहा, "यदि तुम मेरी शिक्षा पर दृढ़ रहोगे, तो सचमुच मेरे शिष्य सिद्ध होगे । तुम सत्य को पहचान जाओगे और सत्य तुम्हें स्वतंत्र बना देगा।" उन्होंने उत्तर दिया, "हम इब्राहीम की सन्तान हैं, हम कभी किसी के दास नहीं रहे। आप क्या कहते हैं तुम स्वतंत्र हो जाओगे ?" येसु ने उन से कहा, “मैं तुम से कहे देता हूँ - जो पाप करता है, वह पाप का दास है। दास सदा घर में नहीं रहता, पुत्र सदा रहता है। इसलिए यदि पुत्र तुम्हें स्वतंत्र बना देगा, तो तुम सचमुच स्वतन्त्र होगे।"

प्रभु का सुसमाचार।