अगस्त 22
धन्य कुँवारी मरियम, महाराणी – अनिवार्य स्मरण

पहला पाठ

नबी इसायस का ग्रंथ 9:2-7

"हम को एक पुत्र मिल गया है।"

अन्धकार में भटकने वालों ने एक महती ज्योति देखी है, अन्धकारमय प्रदेश में रहने वालों पर ज्योति का उदय हुआ है। तूने उन लोगों को आनन्द और उल्लास प्रदान किया है। फ़सल लुनते समय या लूट बाँट लेते समय जिस तरह उल्लास होता है, वे उसी तरह तेरे सामने आनन्द मना रहे हैं। उन पर रखा हुआ भारी जूआ, उनके कंधों पर लटकने वाली बहँगी, उन पर अत्याचार करने वाले का डंडा यह सब तूने तोड़ डाला है, जैसा कि मिदयान के दिन हुआ था। यह इसलिए हुआ कि हमारे लिए एक बालक उत्पन्न हुआ है, हम को एक पुत्र मिला है। राज्याधिकार उसके कंधों पर रखा गया है और उसका नाम होगा- अपूर्व परामर्शदाता, शक्तिशाली ईश्वर, शाश्वत पिता, शांति प्रदान करने वाला राजा । वह दाऊद के सिंहासन पर विराजमान हो कर सदा के लिए शांति, न्याय और धार्मिकता का साम्राज्य स्थापित करेगा । विश्वमंडल के प्रभु का अनन्य प्रेम यह कार्य सम्पन्न करेगा ।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 112:1-8

अनुवाक्य : धन्य है प्रभु का नाम अभी और अनन्त काल तक। (अथवा : अल्लेलूया!)

1. प्रभु के सेवको ! स्तुति करो ! प्रभु के नाम की स्तुति करो ! धन्य है प्रभु का नाम, अभी और अनन्तकाल तक !

2. सूर्योदय से ले कर सूर्यास्त तक प्रभु के नाम की स्तुति हो । प्रभु सभी राष्ट्रों का शासक है। उसकी महिमा आकाश से भी ऊँची है।

3. हमारे प्रभु-ईश्वर के सदृश कौन ? वह उच्च सिंहासन पर विराजमान हो कर स्वर्ग और पृथ्वी, दोनों पर दृष्टि रखता है।

4. वह धूल में से दीनों को तथा कूड़े पर से दरिद्रों को ऊपर उठाता है। वह उन्हें शासकों के साथ बैठाता है, अपनी प्रजा के शासकों के साथ ही ।

जयघोष

(अल्लेलूया, अल्लेलूया !) प्रणाम, प्रभु की कृपापात्री ! प्रभु आपके साथ है। आप नारियों में धन्य हैं। (अल्लेलूया !)

सुसमाचार

लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 1:26-38

"आप गर्भवती होंगी और पुत्र प्रसव करेंगी।"

छठे महीने स्वर्गदूत गाब्रिएल, ईश्वर की ओर से, गलीलिया के नाज़रेत नामक नगर में एक कुँवारी के पास भेजा गया, जिसकी मँगनी दाऊद के घराने के यूसुफ़ नामक पुरुष से हुई थी, और उस कुँवारी का नाम था मरियम । स्वर्गदूत ने उसके यहाँ अन्दर आ कर उस से कहा, "प्रणाम, प्रभु की कृपापात्री ! प्रभु आपके साथ है "। वह इन शब्दों से घबरा गयी और मन में सोचने लगी कि इस प्रणाम का क्या अभिप्राय है । तब स्वर्गदूत ने उस से कहा, "मरियम, डरिए नहीं; आप को ईश्वर की कृपा प्राप्त है। देखिए, आप गर्भवती होंगी, पुत्र प्रसव करेंगी और उनका नाम येसु रखेंगी। यह महान् होंगे और सर्वोच्च प्रभु के पुत्र कहलायेंगे । प्रभु-ईश्वर उन्हें उनके पिता दाऊद का सिंहासन प्रदान करेगा। वह याकूब के घराने पर सदा-सर्वदा राज्य करेंगे और उनके राज्य का अंत नहीं होगा ।" पर मरियम ने स्वर्गदूत से कहा, "यह कैसे हो सकता है ? मेरा तो पुरुष से संसर्ग नहीं है।" स्वर्गदूत ने उत्तर दिया, "पवित्र आत्मा आप पर उतरेगा और सर्वोच्च प्रभु की शक्ति की छाया आप पर पड़ेगी। इसलिए जो आप से उत्पन्न होंगे, वह पवित्र होंगे और ईश्वर के पुत्र कहलायेंगे । देखिए, बुढ़ापे में आपकी कुटुम्बिनी एलीज़बेथ के भी बेटा होने वाला है। अब उसका, जो बाँझ कहलाती थी, छठा महीना हो रहा है; क्योंकि ईश्वर के लिए कुछ भी असंभव नहीं है।" मरियम ने कहा, "देखिए, मैं प्रभु की दासी हूँ। आपका कथन मुझ में पूरा हो जाये।" और स्वर्गदूत उसके पास से चला गया।

प्रभु का सुसमाचार।