अन्धकार में भटकने वालों ने एक महती ज्योति देखी है, अन्धकारमय प्रदेश में रहने वालों पर ज्योति का उदय हुआ है। तूने उन लोगों को आनन्द और उल्लास प्रदान किया है। फ़सल लुनते समय या लूट बाँट लेते समय जिस तरह उल्लास होता है, वे उसी तरह तेरे सामने आनन्द मना रहे हैं। उन पर रखा हुआ भारी जूआ, उनके कंधों पर लटकने वाली बहँगी, उन पर अत्याचार करने वाले का डंडा यह सब तूने तोड़ डाला है, जैसा कि मिदयान के दिन हुआ था। यह इसलिए हुआ कि हमारे लिए एक बालक उत्पन्न हुआ है, हम को एक पुत्र मिला है। राज्याधिकार उसके कंधों पर रखा गया है और उसका नाम होगा- अपूर्व परामर्शदाता, शक्तिशाली ईश्वर, शाश्वत पिता, शांति प्रदान करने वाला राजा । वह दाऊद के सिंहासन पर विराजमान हो कर सदा के लिए शांति, न्याय और धार्मिकता का साम्राज्य स्थापित करेगा । विश्वमंडल के प्रभु का अनन्य प्रेम यह कार्य सम्पन्न करेगा ।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : धन्य है प्रभु का नाम अभी और अनन्त काल तक। (अथवा : अल्लेलूया!)
1. प्रभु के सेवको ! स्तुति करो ! प्रभु के नाम की स्तुति करो ! धन्य है प्रभु का नाम, अभी और अनन्तकाल तक !
2. सूर्योदय से ले कर सूर्यास्त तक प्रभु के नाम की स्तुति हो । प्रभु सभी राष्ट्रों का शासक है। उसकी महिमा आकाश से भी ऊँची है।
3. हमारे प्रभु-ईश्वर के सदृश कौन ? वह उच्च सिंहासन पर विराजमान हो कर स्वर्ग और पृथ्वी, दोनों पर दृष्टि रखता है।
4. वह धूल में से दीनों को तथा कूड़े पर से दरिद्रों को ऊपर उठाता है। वह उन्हें शासकों के साथ बैठाता है, अपनी प्रजा के शासकों के साथ ही ।
(अल्लेलूया, अल्लेलूया !) प्रणाम, प्रभु की कृपापात्री ! प्रभु आपके साथ है। आप नारियों में धन्य हैं। (अल्लेलूया !)
छठे महीने स्वर्गदूत गाब्रिएल, ईश्वर की ओर से, गलीलिया के नाज़रेत नामक नगर में एक कुँवारी के पास भेजा गया, जिसकी मँगनी दाऊद के घराने के यूसुफ़ नामक पुरुष से हुई थी, और उस कुँवारी का नाम था मरियम । स्वर्गदूत ने उसके यहाँ अन्दर आ कर उस से कहा, "प्रणाम, प्रभु की कृपापात्री ! प्रभु आपके साथ है "। वह इन शब्दों से घबरा गयी और मन में सोचने लगी कि इस प्रणाम का क्या अभिप्राय है । तब स्वर्गदूत ने उस से कहा, "मरियम, डरिए नहीं; आप को ईश्वर की कृपा प्राप्त है। देखिए, आप गर्भवती होंगी, पुत्र प्रसव करेंगी और उनका नाम येसु रखेंगी। यह महान् होंगे और सर्वोच्च प्रभु के पुत्र कहलायेंगे । प्रभु-ईश्वर उन्हें उनके पिता दाऊद का सिंहासन प्रदान करेगा। वह याकूब के घराने पर सदा-सर्वदा राज्य करेंगे और उनके राज्य का अंत नहीं होगा ।" पर मरियम ने स्वर्गदूत से कहा, "यह कैसे हो सकता है ? मेरा तो पुरुष से संसर्ग नहीं है।" स्वर्गदूत ने उत्तर दिया, "पवित्र आत्मा आप पर उतरेगा और सर्वोच्च प्रभु की शक्ति की छाया आप पर पड़ेगी। इसलिए जो आप से उत्पन्न होंगे, वह पवित्र होंगे और ईश्वर के पुत्र कहलायेंगे । देखिए, बुढ़ापे में आपकी कुटुम्बिनी एलीज़बेथ के भी बेटा होने वाला है। अब उसका, जो बाँझ कहलाती थी, छठा महीना हो रहा है; क्योंकि ईश्वर के लिए कुछ भी असंभव नहीं है।" मरियम ने कहा, "देखिए, मैं प्रभु की दासी हूँ। आपका कथन मुझ में पूरा हो जाये।" और स्वर्गदूत उसके पास से चला गया।
प्रभु का सुसमाचार।
प्रभु येसु संसार में आने वाले मसीह हैं। कुछ लोग उन्हें सांसारिक राजा के रूप में समझते थे, लेकिन यह उनकी गलतफहमी थी। प्रभु के जन्म के समय राजा हेरोद ने उन्हें सांसारिक राजा समझ लिया और उन्हें मार डालना चाहा। मृत्यु से पूर्व यहूदियों ने उन पर आरोप लगाया कि यह अपने आप को राजा कहता है। कई शिष्य भी यही समझते थे कि प्रभु येसु एक दिन रोमी साम्राज्य को हराकर यहूदी राज्य स्थापित करेंगे। कुछ शिष्य इसीलिए प्रभु के साथ हो लिए थे। बल्कि कुछ ने तो प्रभु के राज्य में पद भी माँग लिया था। लेकिन प्रभु येसु हर बार यही स्पष्ट करते हैं कि उनका राज्य इस संसार का नहीं है। अर्थात वे सांसारिक राजा नहीं बल्कि आध्यात्मिक राजा हैं, वह शांति के राजा हैं, स्वर्ग के राजाधिराज हैं। स्वर्गदूत उनके जन्म के समय उनके सदा-सर्वदा रहने वाले राज्य की भी भविष्यवाणी करता है। अगर प्रभु येसु राजा हैं, तो उनकी माँ भी महारानी हुई। और माता मरियम हमारी पुकार सुनेंगी और जरूर अपने पुत्र तक पहुंचाएंगी। स्वर्ग की महारानी माता मरियम को शत-शत प्रणाम!
✍फादर जॉन्सन बी. मरिया (ग्वालियर)The Lord Jesus is the Messiah who was to come into the world. Some people thought of Him as an earthly king—but this was their misunderstanding. At the time of His birth, King Herod mistook Him for an earthly ruler and sought to kill Him. Before His death, the Jews accused Him of claiming to be a king. Even many disciples thought that one day the Lord Jesus would overthrow the Roman Empire and establish a Jewish kingdom. Some had joined Him for this very reason, and a few even asked for positions in His kingdom. But the Lord Jesus made it clear each time that His kingdom is not of this world. In other words, He is not an earthly king but a spiritual one—the King of Peace, the King of Heaven. At His birth, the angel foretold that His kingdom would last forever and ever. And if the Lord Jesus is King, then His mother is indeed the Queen. Mother Mary hears our cries and surely brings them to her Son. Hail, Queen of Heaven, Mother Mary!
✍ -Fr. Johnson B. Maria (Gwalior)