सितम्बर 14
पुण्य क्रूस का विजयोत्सव – पर्व

📕पहला पाठ

गणना-ग्रंथ 21:4-9

"जब किसी को साँप काटता था, तो वह काँसे के साँप की ओर दृष्टि डाल कर अच्छा हो जाता था।"

यात्रा करते-करते लोगों का धैर्य टूट गया और वे यह कहते हुए ईश्वर और मूसा के विरुद्ध भुनभुनाने लगे, "आप हमें मिस्त्र देश से निकाल कर यहाँ मरुभूमि में मरने के लिए क्यों ले आये हैं ? यहाँ न तो रोटी मिलती है और न पानी। हम इस रूखी-सूखी भोजन से ऊब गये हैं।" प्रभु ने लोगों के बीच विषैले साँप भेजे; और उनके दंश से बहुत-से इस्राएली मर गये। तब लोग मूसा के पास आये और बोले, "हमने पाप किया। हम प्रभु के विरुद्ध और आपके विरुद्ध भुनभुनाये। प्रभु से प्रार्थना कीजिए कि वह हमारे बीच में से साँपों को हटा दे।" मूसा ने जनता के लिए प्रभु से प्रार्थना की और प्रभु ने मूसा से कहा, "काँसे का साँप बनवाओ और उसे डण्डे पर लगाओ। जो साँप द्वारा काटा गया, वह उसकी ओर दृष्टि डाले और वह अच्छा हो जायेगा।" मूसा ने काँसे का साँप बनवाया और उसे डण्डे पर लगवा दिया। जब किसी को साँप काटता था तो वह काँसे के साँप की ओर दृष्टि डाल कर अच्छा हो जाता था।

प्रभु की वाणी।

📖भजन : स्तोत्र 77:1-2,34-38

अनुवाक्य : ईश्वर के महान् कार्य कभी नहीं भुलाओ।

1. मेरी प्रजा ! मेरी शिक्षा पर ध्यान दो, मेरे मुख के शब्द कान लगा कर सुनो। मैं तुम लोगों को एक दृष्टान्त सुनाऊँगा, मैं अतीत के रहस्य समझा दूँगा।

2. जब उसने उनको मारा, तो वे उसे ढूँढ़ने लगे वे पश्चात्ताप कर ईश्वर को खोजने लगे। तब उन्हें याद आया कि ईश्वर ही उनकी चट्टान है, सर्वोच्च ईश्वर ही उनका मुक्तिदाता है।

3. वे मुख से उसकी चापलूसी करते थे, वे उस से झूठ बोलते थे। उनका हृदय कपट से भरा हुआ था। उन्हें उसके विधान पर विश्वास नहीं था।

4. फिर भी दयासागर प्रभु ने उनका पाप क्षमा कर उन्हें विनाश से बचा लिया। उसने बारम्बार अपना क्रोध दबाया, उसने अपना कोप भड़कने नहीं दिया।

📘दूसरा पाठ

फ़िलिप्पियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 2:6-11

"उन्होंने अपने को दीन बना लिया है, इसलिए ईश्वर ने उन्हें महान् बना दिया है।"

यद्यपि येसु मसीह ईश्वर थे और उनका पूरा अधिकार था, कि वह ईश्वर की बराबरी करें, फिर भी उन्होंने दास का रूप धारण कर तथा मनुष्यों के समान बन कर अपने को दीन-हीन बना लिया है। और मनुष्य का रूप धारण करने के बाद वह मरण तक, हाँ क्रूस के मरण तक, आज्ञाकारी बन गये और इस प्रकार उन्होंने अपने को और भी दीन बना लिया है। इसलिए ईश्वर ने उन्हें महान् बना दिया है, और उन को वह नाम प्रदान किया है, जो सब नामों में श्रेष्ठ है, जिससे येसु का नाम सुन कर आकाश, पृथ्वी तथा पाताल के सब निवासी घुटने टेकें और पिता की महिमा के लिए सब लोग यह स्वीकार करें कि येसु मसीह प्रभु ही हैं।

प्रभु की वाणी।

📒जयघोष

अल्लेलूया, अल्लेलूया! हे मसीह ! हम तेरी आराधना करते और तुझे धन्य कहते हैं। क्योंकि तूने अपने क्रूस द्वारा संसार का उद्वार किया है। अल्लेलूया!

📙सुसमाचार

योहन के अनुसार पवित्र सुसमाचार 3:13-17

“मानव पुत्र को ऊपर उठाया जाना है।"

येसु ने निकोदेमुस से कहा, "मानव पुत्र स्वर्ग से उतरा है। उसके सिवा कोई भी स्वर्ग नहीं पहुँचा है। जिस तरह मूसा ने मरुभूमि में साँप को ऊपर उठाया था, उसी तरह मानव पुत्र को भी ऊपर उठाया जाना है, जिससे जो कोई उस में विश्वास करे, वह अनन्त जीवन प्राप्त करे।" ईश्वर ने संसार को इतना प्यार किया कि उसने उसके लिए अपने एकलौते पुत्र को अर्पित कर दिया, जिससे जो कोई उस में विश्वास करे, उसका सर्वनाश न हो, बल्कि वह अनन्त जीवन प्राप्त करे। ईश्वर ने अपने पुत्र को इसलिए संसार में नहीं भेजा है कि वह संसार को दोषी ठहराये । उसने उसे इसलिए भेजा है कि संसार उसके द्वारा मुक्ति प्राप्त करे।

प्रभु का सुसमाचार।