मसीह ने इस पृथ्वी पर रहते समय पुकार-पुकार कर और आँसू बहा कर ईश्वर से, जो उन्हें मृत्यु से बचा सकता था, प्रार्थना और अनुनय-विनय की। श्रद्धालुता के कारण उनकी प्रार्थना सुनी गयी। ईश्वर का पुत्र होने पर भी उन्होंने दुःख सह कर आज्ञापालन सीख लिया। वह पूर्ण रूप से सिद्ध बन कर उन सबों के लिए अनन्त मुक्ति का स्त्रोत बन गये, जो उनकी आज्ञाओं का पालन करते हैं।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : तू दयासागर है, मुझे बचाने की कृपा कर।
1. हे प्रभु ! मैं तेरी शरण में आया हूँ। मुझे कभी निराश नहीं होने दे। तू सत्यप्रतिज्ञ है, मेरा उद्धार कर। मेरी सुन और मुझे शीघ्र ही छुड़ाने की कृपा कर।
2. तू मेरे लिए आश्रय की चट्टान और रक्षा का शक्तिशाली गढ़ बन जा, क्योंकि तू ही मेरी चट्टान है और मेरा गढ़। अपने नाम के हेतु तू मेरा पथप्रदर्शन कर।
3. उन्होंने मेरे लिए जो जाल बिछाया है, तू मुझे उस से छुड़ा, क्योंकि तू ही मेरा सहारा है। मैं अपनी आत्मा को तेरे हाथों सौंप देता हूँ। हे प्रभु ! तू ही मेरा उद्धार करेगा।
4. हे प्रभु ! तुझ पर ही मेरा भरोसा है। मैंने कहा, तू ही मेरा ईश्वर है। तेरे ही हाथों मेरा भाग्य है। शत्रुओं और अत्याचारियों से मुझे बचा।
5. हे प्रभु ! तेरी भलाई कितनी अपार है! तू अपने भक्तों के लिए कितना दयालु है! जो तेरी शरण में आते हैं तू उन्हें सबों के सामने आश्रय देता है।
अल्लेलूया, अल्लेलूया ! धन्य है धन्य कुँवारी मरियम ! उन्हें जीते जी, प्रभु के क्रूस के नीचे, शहीद का मुकुट प्राप्त हुआ ! अल्लेलूया!
येसु की माता, उसकी बहन, क्लोपस की पत्नी मरियम और मरियम मगदलेना, उनके क्रूस के पास खड़ी थीं। येसु ने अपनी माता को और उनके पास अपने उस शिष्य को, जिसे वह प्यार करते थे, देखा। उन्होंने अपनी माता से कहा, "भद्रे, यह आपका पुत्र है।" इसके बाद उन्होंने उस शिष्य से कहा, "यह तुम्हारी माता है।" उस समय से उस शिष्य ने उसे अपने यहाँ आश्रय दिया।
प्रभु का सुसमाचार।
बालक के विषय में सिमेयोन की बातें सुन कर उसके माता-पिता अचम्भे में पड़ गये। सिमेयोन ने उन्हें आशीर्वाद दिया और उसकी माता मरियम से यह कहा, "देखिए, इस बालक के कारण इस्राएल में बहुतों का पतन और उत्थान होगा। यह एक चिह्न है जिसका विरोध किया जायेगा, जिससे बहुत-से हृदयों के विचार प्रकट हो जायें और एक तलवार आपके हृदय को आर-पार बेधेगी।"
प्रभु का सुसमाचार।