मैं देख ही रहा था कि सिंहासन रख दिये गये और एक वयोवृद्ध व्यक्ति बैठ गया। उसके वस्त्र हिम की तरह उज्ज्वल थे और उसके सिर के केश निर्मल ऊन की तरह। उसका सिंहासन ज्वालाओं का समूह था और सिंहासन के पहिये धधकती अग्नि। उसके सामने से आग की धारा बह रही थी। सहस्रों उसकी सेवा कर रहे थे। लाखों उसके सामने खड़े थे। न्याय की कार्यवाही प्रारंभ हो रही थी। और पुस्तकें खोल दी गयी थीं। मैं रात का दृश्य देख रहा था। और देखो ! आकाश के बादलों पर मानव पुत्र जैसा कोई आया। वह वयोवृद्ध के यहाँ पहुँचा और उसके सामने लाया गया। उसे प्रभुत्व, सम्मान तथा राजत्व दिया गया। सभी देश, राष्ट्र और भिन्न-भिन्न भाषा-भाषी उसकी सेवा करेगें। उसका प्रभुत्व अनन्त है। वह सदा ही बना रहेगा। उसके राज्य का कभी विनाश नहीं होगा।
प्रभु की वाणी।
तब स्वर्ग में युद्ध छिड़ गया । मिखाएल और उसके दूतों को पंखदार साँप से लड़ना पड़ा। पंखदार साँप और उसके दूतों ने उनका सामना किया, किन्तु वे नहीं टिक सके और स्वर्ग में उनके लिए कोई स्थान नहीं रहा। तब वह विशालकाय पंखदार साँप वह पुराना साँप, जो इबलीस अथवा शैतान कहलाता है - अपने दूतों के साथ पृथ्वी पर पटक दिया गया। मैंने स्वर्ग में से किसी को ऊँचे स्वर से यह कहते सुना, "अब हमारे ईश्वर की विजय, सामर्थ्य तथा राजत्व और उसके मसीह का अधिकार प्रकट हुआ है; क्योंकि हमारे भाइयों का वह अभियोक्ता गिरा दिया गया है, जो दिन-रात ईश्वर के सामने उन पर अभियोग लगाया करता था। वे मेमने के रक्त और अपने साक्ष्य के द्वारा उस पर विजयी हुए, क्योंकि उन्होंने अपने जीवन का मोह छोड़ कर मृत्यु का स्वागत किया। इसलिए स्वर्ग और उसके निवासी आनन्द मनायें।"
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : हे प्रभु ! मैं स्वर्गदूतों के सामने तेरा गुणगान करूँगा।
1. हे प्रभु! मैं सारे हृदय से तुझे धन्यवाद देता हूँ; क्योंकि तूने मेरी सुनी है। मैं स्वर्गदूतों के सामने तेरा गुणगान करूँगा और तेरे पवित्र मंदिर को दण्डवत् करूँगा।
2. तेरे अपूर्व प्रेम तथा सत्यप्रतिज्ञता के कारण मैं तुझे धन्यवाद देता रहूँगा। जिस दिन मैंने तुझे पुकारा, उसी दिन तूने मेरी सुनी और मुझे आत्मबल प्रदान किया।
3. हे प्रभु ! पृथ्वी भर के सभी राजा तेरी प्रतिज्ञा सुन कर तुझे धन्यवाद देंगे। वे प्रभु के कार्यों का बखान करेंगे प्रभु की महिमा सचमुच अपार है।
अल्लेलूया! अल्लेलूया! प्रभु की आज्ञाओं का पालन करने वाले शक्तिशाली स्वर्गदूत प्रभु को धन्य कहें। अल्लेलूया।
येसु ने नथानाएल को अपने पास आते देखा और उसके विषय में कहा, "देखो, यह एक सच्चा इस्राएली है। इस में कोई कपट नहीं है।" नथानाएल ने उन से कहा, "आप मुझे कैसे जानते हैं ?” येसु ने उत्तर दिया, "फ़िलिप द्वारा तुम्हारे बुलाये जाने से पहले ही मैंने तुम को अंजीर के पेड़ के नीचे देखा।" नथानाएल ने उन से कहा, "गुरुवर ! आप ईश्वर के पुत्र हैं, आप इस्राएल के राजा हैं।" येसु ने उत्तर दिया, "मैंने तुम से कहा, मैंने तुम्हें अंजीर के पेड़ के नीचे देखा, इसीलिए तुम विश्वास करते हो। तुम इस से भी महान् चमत्कार देखोगे।" येसु ने उस से यह भी कहा, "मैं तुम से कहे देता हूँ - तुम स्वर्ग को खुला हुआ और ईश्वर के दूतों को मानव पुत्र के ऊपर उतरते-चढ़ते हुए देखोगे।"
प्रभु का सुसमाचार।
आज प्रभु येसु नथानाएल को देखते हैं और कहते हैं, “देखो, यह एक सच्चा इस्राएली है। इस में कोई कपट नहीं।” इस छोटे से संवाद के द्वारा प्रभु येसु यह प्रकट करते हैं कि वह हर हृदय को गहराई से जानते और परखते हैं। नथानाएल चकित होकर पूछते हैं कि प्रभु येसु उन्हें कैसे जानते हैं, और प्रभु प्रकट करते हैं कि वह हमारी ज़िंदगी के हर क्षण से परिचित हैं। प्रभु येसु आगे यह वादा करते हैं कि नथानाएल और भी बड़े चिन्ह देखेंगे: “तुम स्वर्ग को खुला हुआ और ईश्वर के दूतों को मानव पुत्र के ऊपर उतरते-चढ़ते हुए देखोगे”। यह शब्द हमें ईश्वर और मनुष्य के बीच जीवंत संवाद की याद दिलाते हैं, जहाँ स्वर्गदूत ईश्वर के संदेशवाहक बनकर हमारे साथ चलते हैं। आज जब हम संत मिखाएल, गब्रिएल और राफ़ाएल महादूतों का पर्व मनाते हैं, हम उनके कार्यों पर चिंतन करते हैं। मिखाएल बुराई पर विजय के लिए खड़े होते हैं, गब्रिएल ईश्वर की योजना का शुभ समाचार लाते हैं, और राफ़ाएल चंगाई और मार्गदर्शन का स्रोत बनते हैं। उनके जीवन हमें यह याद दिलाते हैं कि ईश्वर कभी हमें अकेला नहीं छोड़ते। क्या मैं इस सत्य पर विश्वास करता हूँ कि ईश्वर ने मेरे जीवन की रक्षा, मार्गदर्शन और चंगाई के लिए स्वर्गदूत भेजे हैं? क्या मैं भी नथानाएल की तरह सच्चा और निष्कपट बनने की कोशिश करता हूँ? आइए, हम यह कृपा माँगें कि सत्य, विश्वास और प्रेम से अपने जीवन को जीते हुए हम स्वर्गदूतों की तरह आज्ञाकारी और ईश्वर के संदेशवाहक बन सकें।
✍ - फ़ादर जॉर्ज मेरी क्लारेट
Today, Jesus looks at Nathanael and says, “Here is a true Israelite in whom there is no deceit.” In this short dialogue, Jesus reveals that He knows every heart deeply and intimately. Nathanael is amazed and asks how Jesus knows him, and Jesus shows that He is aware of every moment of our lives. Jesus then promises something even greater: “You will see heaven opened, and the angels of God ascending and descending upon the Son of Man.” These words remind us of the living connection between God and humanity, where angels serve as messengers, guiding and protecting us. As we celebrate the Feast of the Archangels Michael, Gabriel, and Raphael today, we reflect on their mission. Michael stands as the defender against evil, Gabriel brings God’s message of salvation, and Raphael is sent for healing and guidance. Their lives remind us that God never leaves us alone—He always provides His help through His heavenly messengers. Do I truly believe that God has given me angels to protect, guide, and heal me? Do I, like Nathanael, strive to be sincere and without deceit before God? Let us ask for the grace to live like the angels themselves—faithful, obedient, and messengers of God’s truth, faith, and love in our daily lives.
✍ -Fr. George Mary Claret
सुसमाचार में, हम येसु और नथानाएल के बीच बातचीत का एक अंश सुनते हैं। हम यहाँ बेतेल में याकूब के स्वप्न की प्रतिध्वनि पा सकते हैं (देखें उत्पत्ति 28)। याकूब ने स्वप्न में देखा कि पृथ्वी पर एक सीढ़ी खड़ी है, और उसका सिरा आकाश को छूता है; और ईश्वर के दूत उस पर से चढ़ते उतरते थे।” येसु ने इस सीढ़ी के प्रतीक को स्वयं पर लागू किया। यह सीढ़ी येसु मसीह ही है। येसु ने याकूब के स्वप्न की सीढ़ी की जगह पर मानव पुत्र को रख दिया। हम सीढ़ी का उपयोग उन ऊंचाइयों तक पहुंचने के लिए करते हैं जिन तक हम आसानी से नहीं पहुंच सकते हैं। येसु स्वर्ग तक पहुँचने वाली सीढ़ी है जिस पर ईश्वर के दूत चढ़ते और उतरते हैं। पाप के कारण स्वर्ग अगम्य हो गया था। येसु ने हमारे लिए स्वर्ग को सुलभ बनाया। वे स्वर्ग और पृथ्वी के बीच मध्यस्थ बन गये। 1 तिमथी 2:5-6 में संत पौलुस कहते हैं, “क्योंकि केवल एक ही ईश्वर है और ईश्वर तथा मनुष्यों के केवल एक ही मध्यस्थ हैं, अर्थात् ईसा मसीह, जो स्वयं मनुष्य हैं और जिन्होंने सब के उद्धार के लिए अपने को अर्पित किया। उन्होंने उपयुक्त समय पर इसके सम्बन्ध में अपना साक्ष्य दिया।” इसीलिए कलीसिया की अधिकांश प्रार्थनाएँ "ख्रीस्त हमारे प्रभु के द्वारा" वाक्यांश के साथ समाप्त होती हैं। संत पौलुस यह भी कहते हैं, “तब उन्होंने आ कर दोनों को शान्ति का सन्देश सुनाया - आप लोगों को, जो दूर थे और उन लोगों को, जो निकट थे; क्योंकि उनके द्वारा हम दोनों एक ही आत्मा से प्रेरित हो कर पिता के पास पहुँच सकते हैं।” (एफेसियों 2:17-18)। यह बहुत प्रतीकात्मक है कि परम पवित्र स्थान को ढकने वाला मंदिर का परदा येसु की मृत्यु पर फट जाता है जो ईश्वर तक पहुंच संभव होने को दर्शाता है। आइए हम अपने भाई और प्रभु येसु के द्वारा दया के दिव्य सिंहासन के पास जाएँ।
✍ - फ़ादर फादर फ्रांसिस स्करिया
In the Gospel, we hear a part of the conversation between Jesus and Nathanael. We can find here an echo of the dream of Jacob at Bethel (cf. Gen 28). Jacob dreamed that there was a ladder set up on the earth, the top of it reaching to heaven; and the angels of God were ascending and descending on it”. Jesus applied the image of this ladder to himself. This ladder is a prefiguration of Jesus Christ. Jesus replaces the ladder of the dream of Jacob with the Son of Man. We use a ladder to reach the heights we cannot easily reach. Jesus is the ladder reaching up to heaven on whom the angels of God ascend and descend. Due to sin, heaven had become unreachable. Jesus made heaven accessible to us. He became the mediator between heaven and earth. In 1Tim 2:5-6, St. Paul says, “For there is one God; there is also one mediator between God and humankind, Christ Jesus, himself human, who gave himself a ransom for all - this was attested at the right time.” That is why most of the prayers of the Church end with the phrase “through Christ our Lord”. St. Paul also says, “So he came and proclaimed peace to you who were far off and peace to those who were near; for through him both of us have access in one Spirit to the Father.” (Eph 2:17-18). It is very symbolic that the veil in the temple covering the Holy of Holies was torn at the death of Jesus signifying access to God. Let us approach the divine throne of mercy through Jesus our brother and Lord.
✍ -Fr. Francis Scaria
हम निश्चित रूप से कैसे जान सकते हैं कि येसु वास्तव में वही है जो वे होने का दावा करते है - ईश्वर का पुत्र और संसार का उद्धारकर्ता? नथानिएल बहुत संशय में था क्योंकि उसने नहीं सोचा था कि मसीह का गलीली के एक शहर नाजरेत नासरत से आना संभव है।
जब फिलिप नथानिएल को येसु के पास लाया, तो येसु ने कुछ ऐसा किया जो केवल ईश्वर ही कर सकते थे! उन्होंने नथानिएल के हृदय और उसके अंतरतम विचारों और इच्छाओं को ईश्वर के प्रकाशन या रहस्य के लिए खोल दिया। येसु ने नथानिएल को एक सच्चा "इस्राएली" कहा, जिसमें कोई कपट नहीं। इसी प्रकार ईश्वर ने याकूब को चुना था, जिसे उसके जुड़वां भाई एसाव के ऊपर इज़राइल नाम दिया गया था, क्योंकि याकूब विश्वास का धनी व्यक्ति था, तथा एसाव की तरह बिना कपटी या चालाक था (उत्पत्ति 25:27)। नथानिएल, याकूब की तरह, ईश्वर के लिए भूखा था और ईश्वर की प्रतिज्ञाओं पर विश्वास करता था।
नथानिएल धर्मग्रन्थ को जानता था। और याकूब की तरह, वह अपने देश इस्राएल से परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं के पूरा होने की बाट जोह रहा था। नथानिएल परमेश्वर का एक सच्चा साधक था। उसने न केवल ईश्वर के वचन की समझ में बढ़ने की कोशिश की, बल्कि उसने ईश्वर के साथ एक अंतरंग व्यक्तिगत संबंध भी चाहा। यही कारण है कि वह येसु से मिलने के लिए तैयार था, यह देखने के लिए कि क्या शायद गलीली का यह चमत्कारी येसु लंबे समय से प्रतीक्षित मसीह और उद्धारकर्ता हो सकता है।
✍ - फादर रोनाल्ड वाँन
How can we know with certainty that Jesus is truly who he claims to be - the Son of God and Savior of the world? Nathanial was very sceptical because he didn't think it was possible for the Messiah to come from Nazareth, a town in Galilee.
When Philip brought Nathanael to Jesus, Jesus did something which only God could do! He opened Nathanael's heart and his innermost thoughts and desires to God's revelation. Jesus called Nathanael a true "Israelite in whom there is no guile." God had chosen Jacob, who was given the name Israel, over his twin brother Essau, because Jacob was a man of faith, without guile or cunning like Essau (Genesis 25:27). Nathanael, like Jacob, hungered for God and believed in God's promises. Nathanael knew the Scriptures. And like Jacob he was waiting for the fulfillment of God's promises to his people Israel. Nathanael was an earnest seeker of God. He not only sought to grow in understanding of God's word, but he sought an intimate personal relationship with God as well. That is why he was willing to meet Jesus, to see if perhaps this miracle worker from Galilee might be the long-awaited Messiah and Savior.
✍ -Fr. Ronald Vaughan
आज, माता कलीसिया, महादूत मिखाएल, गाब्रिएल और राफ़ाएल का महापर्व मानती है। प्रभु येसु अपने प्रेरितों और बाकी सभी लोगों के लिए, स्वर्गदूतों की उपस्थिति और उनके साथ उनके संबंध के बारे में बताते है।स्वर्गदूत ईश्वर की स्वर्गीय महिमा में हैं, जहां वे निरंतर मानवपुत्र, का बखान करते रहते हैं, वे उसे घेरे हुए हैं और उसकी सेवा में हैं।
स्वर्गदूतों का चढ़ना उतरना पुराने विधान के याकूब की उस घटना की याद दिलाता है, जब वो अपने पूर्वजों के देश की यात्रा कर रहा था और रस्ते में विश्राम करते वक्त उसे स्वप्न में उन्हें स्वर्गदूतों के दर्शन होते हैं जो एक रहस्यमयी में सीढ़ी से "उतरते और चढ़ते" थे , जो धरती से स्वर्ग तक पहुँची थी। हमें दिव्य संचार अथवा संवाद और स्वर्गदूतों की सक्रिय भूमिका के बीच संबंध पर ध्यान देना चाहिए कि किस प्रकार से ईश्वर स्वर्गदूतों इ माध्यम से अपने लोगों के संपर्क सधता है।
यूँ तो पवित्र बाइबल में स्वर्गदूतों के बारे में कई वर्णन है परन्तु मिखाएल, गाब्रिएल और राफ़ाएल अपनी अलग-अलग भूमिकाओं में दिखाई देते हैं; वे सबसे बड़े मिशनों में भेजे जाते हैं अतः वे महादूत अथवा स्वर्गदूतों के राजकुमार कहलाते हैं।
गेब्रियल को धन्य कुंवारी मारिया के पास मसीह की माँ बनने का संचार लेके भेजा गया था। (cf. लूकस 1: 28-30)। माइकल विद्रोही स्वर्गदूतों से लड़ता है जिन्हें स्वर्ग से बाहर निकाल दिया जाता है (cf. प्रकाशना 12)। आज संत मिखाएल सब प्रकार की शैतानी ताकतों के विरुद्ध हमारे आध्यात्मिक युद्ध में हमारे साथ रहकर हमारी ओर से लड़ता है और हमें विजय दिलाता है। राफ़ाएल युवक तोबियस के साथ जाता है, उसकी रक्षा करता है और उसे सलाह देता है, और आखिरकार, अपने पिता तोबित को चंगा करता है।
आज का यह पर्व हमें याद दिलाता है कि स्वर्गदूत ईश्वर की सेवा निरंतर करते हैं पर वे हमारे खातिर ईश्वर की सेवा में लगे हैं। वे समय- समय पर ईश्वर की तरफ से हमारी मदद करते रहते हैं। इस पापमय दुनिया में बुरी आत्माओं, शैतान और उसकी सब प्रकार की बारे का सामना करने के लिए हम अकेले नहीं है. ये स्वर्गदूत हमारे साथ रहते हैं और हमारी आध्यतमिक लड़ाई में हमें सहारा व बल देते हैं।
आइये हम इन स्वर्गदूतों के सहयोग से इस संसार व सांसारिक प्रलोभनों, रोगों व बुराई की अन्य ताकतों को हराकर विजयमान मेमने के सम्मुख असंख्य दूतों व् संतों के साथ ईश्वर की महिमा गाने के काबिल बन जाएँ।
✍ - फादर प्रीतम वसुनिया (इन्दौर धर्मप्रांत)
Today, the mother Church celebrates the Solemnity of the Archangels Michael, Gabriel, and Raphael.The angels are in the heavenly glory of God, where they are constantly praising the Son of Man; they surround Him and serve Him. The ascending of the angels reminds us of the incident of Jacob of the Old Testament when he was traveling to the land of his ancestors and while resting on the road, he had a vision of angels who ascended and descended the ladder which reached from the earth to heaven.
We should pay attention to the connection between divine communication or dialogue and the active role of angels, how God communicates with people through angels.
Although there are many descriptions of angels in the Holy Bible, but Michael, Gabriel, and Raphael appear in important roles; they are sent in the biggest missions, so they are called the archangel or the prince of Angels. Gabriel was sent to the Blessed Virgin Mary carrying a message to become the mother of Christ. (cf. Lucas 1: 28–30). Michael fights rebellious angels who are cast out of heaven (cf. Revelation 12). Today St. Michael continues to fight on our behalf and gives us victory in our spiritual warfare against all kinds of evil forces. Raphael goes with the young man Tobias, protects and advises him, and finally, heals his father, Tobit.
Today's feast reminds us that angels continue to serve God, but they are engaged in serving God for our sake. They help us from time to time on behalf of God. In this sinful world we are not alone to face evil spirits. These angels are with us and support and provide supernatural powers to us in our spiritual battle.
✍ -Fr. Preetam Vasuniya (Indore Diocese)