येरुसालेम के साथ आनन्द मनाओ। तुम जो येरुसालेम को प्यार करते हो, उसके कारण उल्लास के गीत गाओ। जो उसके लिए विलाप करते थे, उसके कारण आनन्दित हो जाओ। तुम उसकी सन्तान होने के नाते सान्त्वना का दूध पीते हुए तृप्त हो जाओगे, तुम उसकी गोद में बैठ कर उसकी महिमा पर गौरव करोगे। क्योंकि प्रभु यह कहता है, "मैं शान्ति को नदी की तरह और राष्ट्रों की महिमा को बाढ़ की तरह येरुसालेम की ओर बहा दूँगा।" उसकी सन्तान को गोद में उठाया और घुटनों पर दुलारा जायेगा। माँ जिस तरह अपने पुत्र को दिलासा देती है उसी तरह मैं तुम्हें सान्त्वना दूँगा। तुम्हें येरुसालेम से दिलासा मिल जायेगा। तुम्हारा हृदय यह देख कर आनन्दित हो उठेगा, तुम्हारी हड्डियाँ हरी-भरी घास की तरह लहलहा उठेंगी। प्रभु अपने सेवकों के लिए अपना सामर्थ्य प्रदर्शित करेगा।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : पुत्री! इधर देखो और कान लगा कर सुनो। (अथवा : अल्लेलूया!)
1. 'पुत्री! इधर देखो और कान लगा कर सुनो।' तुम अपने लोगों को और अपने पिता का घर भूल जाओ। राजा तुम्हारे सौंदर्य की अभिलाषा करेंगे। वह तुम्हारे स्वामी हैं; उन्हें दण्डवत् करो।
2. राजकुमारी का श्रृंगार अपूर्व है। उसके वस्त्र स्वर्ण तथा मोतियों से विभूषित हैं। वह अपनी सहेलियों के साथ राजा के पास जा रही है।
3. वे भजन गाते हुए उसे ले जाती और राजा के महल में प्रवेश करती हैं। पूर्वजों के बदले तुम्हें पुत्र मिलेंगे, वे समस्त पृथ्वी का शासन करेंगे।
प्रेम सहनशील और दयालु है। प्रेम न तो ईर्ष्या करता है, न डींग मारता, न घमण्ड करता है। प्रेम अशोभनीय व्यवहार नहीं करता। वह अपना स्वार्थ नहीं खोजता। प्रेम न तो कुँझलाता है और न बुराई का लेखा रखता है। वह दूसरों के पाप से नहीं, बल्कि उनके सदाचरण से प्रसन्न होता है। वह सब-कुछ ढाँक देता है, सब-कुछ पर विश्वास करता है, सब-कुछ की आशा करता और सब-कुछ सह लेता है। भविष्यवाणियाँ जाती रहेंगी, भाषाएँ मौन हो जायेंगी और ज्ञान मिट जायेगा, किन्तु प्रेम का कभी अन्त नहीं होगा; क्योंकि हमारा ज्ञान तथा हमारी भविष्यवाणियाँ अपूर्ण हैं और जब पूर्णता आ जायेगी, तो जो अपूर्ण है, वह जाता रहेगा। मैं जब बच्चा था, तो बच्चों की तरह बोलता, सोचता और समझता था; किन्तु सयाना हो जाने पर मैंने बचकानी बातों को छोड़ दिया। अभी तो हमें आइने में धुँधला-सा दिखाई देता है, परन्तु तब हम आमने-सामने देखेंगे। अभी तो मेरा ज्ञान अपूर्ण है; परन्तु तब मैं उसी तरह से पूर्ण रूप से जान पाऊँगा, जिस तरह से ईश्वर मुझे जान गया है। अभी तो विश्वास, भरोसा और प्रेम ये तीनों बने हुए हैं। किन्तु उन में से प्रेम ही सब से महान् है।
प्रभु की वाणी।
अल्लेलूया, अल्लेलूया! धन्य हैं वे, जो अपने को दीन-हीन समझते हैं अल्लेलूयां!
शिष्य येसु के पास आ कर पूछने लगे, "स्वर्ग के राज्य में सब से बड़ा कौन है?" येसु ने एक बालक को बुलाया और उसे उनके बीच खड़ा कर कहा, "मैं तुम लोगों से कहे देता हूँ - यदि तुम फिर छोटे बालकों जैसे नहीं बन जाओगे, तो स्वर्ग के राज्य में प्रवेश नहीं करोगे। इसलिए जो अपने को इस बालक जैसा छोटा समझता है, वही स्वर्ग के राज्य में सब से बड़ा है। और जो मेरे नाम पर ऐसे बालक का स्वागत करता है, वह मेरा स्वागत करता है। सावधान रहो! इन नन्हों में से एक को भी तुझ नहीं समझे। मैं तुम से कहता हूँ – उनके दूत स्वर्ग में निरन्तर मेरे स्वर्गिक पिता के दर्शन करते हैं।
प्रभु का सुसमाचार।