आप लोग अब परदेशी अथवा प्रवासी नहीं रहे, बल्कि सन्तों के सह-नागरिक तथा ईश्वर के घराने के सदस्य बन गये हैं। आप लोगों का निर्माण उस भवन के रूप में हुआ है, जो प्रेरितों तथा नबियों की नींव पर खड़ा है और जिसका कोने का पत्थर स्वयं येसु मसीह हैं। उन्हीं के द्वारा समस्त भवन संघटित हो कर प्रभु के लिए पवित्र मंदिर का रूप धारण कर रहा है। उन्हीं के द्वारा आप लोग भी इस भवन में जोड़ दिये जाते हैं, जिससे आप ईश्वर के लिए एक आध्यात्मिक निवास बन जायें।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : इसकी गूंज संसार भर में फैल जाती है।
1. आकाश ईश्वर की महिमा बखानता है, तारा-मंडल उसका सामर्थ्य प्रकट करता है। दिन-दिन को इसकी कहानी सुनाता है और रात-रात को इसे बताती है।
2. न तो कोई वाणी सुनाई देती है, न कोई शब्द और न कोई स्वर, फिर भी इसकी गूंज संसार भर में फैल जाती है और पृथ्वी के सीमान्तों तक इसकी ध्वनि।
अल्लेलूया, अल्लेलूया! हे ईश्वर ! हम तुझे धन्य कहते हैं, हम तुझे प्रभु मानते हैं। हे प्रभु! प्रेरितों का महिमामय समुदाय तेरा गुणगान करता है। अल्लेलूया!
येसु प्रार्थना करने के लिए एक पहाड़ी पर चढ़े और वह रात भर ईश्वर की प्रार्थना में लीन रहे । दिन होने पर उन्होंने अपने शिष्यों को पास बुलाया और उन में से बारह को चुन कर उनका नाम 'प्रेरित' रखा सिमोन (जिसे उन्होंने पेत्रुस नाम दिया) और उसके भाई अंद्रेयस को; याकूब और योहन को; फ़िलिप और बरथोलोमी को; मत्ती और थोमस को; अलफ़ाई के पुत्र याकूब और सिमोन को, जो 'उत्साही' कहलाता है; याकूब के पुत्र यूदस और यूदस इसकारियोती को, जो विश्वासघाती निकला।
प्रभु का सुसमाचार।