नवम्बर 2
सभी मृत विश्वासियों का स्मरण दिवस –समारोह

पहला मिस्सा

📕पहला पाठ

नबी इसायस का ग्रंथ 25:6-9

"प्रभु सदा के लिए मृत्यु समाप्त करेगा।"

विश्वमण्डल का प्रभु इस पर्वत पर सब राष्ट्रों के लिए एक भोज की तैयारी करेगा। वह इस पर्वत पर से सब लोगों तथा सब राष्ट्रों के लिए कफ़न और शोक के वस्त्र हटा देगा, वह सदा के लिए मृत्यु समाप्त करेगा। प्रभु-ईश्वर सबों के मुख से आँसू पोंछ डालेगा। वह समस्त पृथ्वी पर से अपनी प्रजा का कलंक दूर कर देगा। क्योंकि प्रभु ने यह कहा है। उस दिन लोग कहेंगे देखो ! यही हमारा ईश्वर है। उसी से हमें अपने उद्धार की आशा थी। यही प्रभु है, उसी पर भरोसा था। हम उल्लसित हो कर आनन्द मनायें, क्योंकि उसने हमारा उद्धार किया है।

प्रभु की वाणी।

📖भजन : स्तोत्र 24:6-7,17-18,20-21

अनुवाक्य : हे प्रभु ! जो तुझ पर भरोसा रखते हैं, वे कभी निराश नहीं होंगे।

1. हे प्रभु ! अपनी करुणा और दयालुता याद कर, जो अनन्त काल से बनी हुई हैं। हे प्रभु! अपनी भलाई के अनुसार मेरी सुधि लेने की कृपा कर।

2. मेरे दुःखी हृदय को सान्त्वना प्रदान कर और मुझे मेरी यातनाओं से छुड़ा ले। मेरी दुर्गति पर दयादृष्टि कर और मेरे सब पाप क्षमा कर दे।

3. मेरे जीवन की रक्षा कर, मुझे बचा। मुझे निराश न होने दे - तू मेरी शरण है। मेरी सच्चरित्रता और धर्मनिष्ठा मेरी रक्षा करें। हे प्रभु ! मैंने तुझ पर भरोसा रखा है।

📘दूसरा पाठ

प्रकाशना-ग्रंथ 21: 1-7

"इसके बाद मृत्यु नहीं रहेगी।"

मैं - योहन - ने एक नया आकाश और एक नयी पृथ्वी देखी। पुराना आकाश तथा पुरानी पृथ्वी, दोनों लुप्त हो गये थे। और समुद्र भी नहीं रह गया था। मैंने पवित्र नगर, नवीन येरुसालेम को ईश्वर के यहाँ से आकाश में उतरते देखा। वह अपने दुलहे के लिए सजायी हुई दुलहिन की तरह अलंकृत था। तब मुझे सिंहासन से एक गंभीर वाणी यह कहती सुनाई पड़ी, देखो, यह है मनुष्यों के बीच ईश्वर का निवास। वह उनके बीच निवास करेगा; वे उसकी अपनी प्रजा होंगे और ईश्वर स्वयं उनके बीच रह कर उनका अपना ईश्वर होगा। वह उनकी आँखों से सब आँसू पोंछ डालेगा। इसके बाद न मृत्यु रहेगी, न शोक, न विलाप और न दुःख; क्योंकि पुरानी बातें बीत चुकी हैं।" तब सिंहासन पर बैठने वाले ने कहा, "मैं सब कुछ नया कर देता हूँ। मैं प्यासे को संजीवन-जल के स्रोत से मुफ़्त में पिलाऊँगा। यह विजयी की विरासत है। मैं उसका ईश्वर होऊँगा और वह मेरा पुत्र होगा।"

प्रभु की वाणी।

📒जयघोष

(अल्लेलूया, अल्लेलूया!) हे पिता! हे स्वर्ग और पृथ्वी के प्रभु! मैं तेरी स्तुति करता हूँ, क्योंकि तूने राज्य के रहस्यों को निरे बच्चों के लिए प्रकट किया है। (अल्लेलूया !)

📙सुसमाचार

सन्त मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 11:25-30

“तूने इन बातों को ज्ञानियों से छिपा कर निरे बच्चों के लिए प्रकट किया है।"

येसु ने कहा, “हे पिता ! हे स्वर्ग और पृथ्वी के प्रभु ! मैं तेरी स्तुति करता हूँ, क्योंकि तूने इन सब बातों को ज्ञानियों और समझदारों से छिपा कर निरे बच्चों के लिए प्रकट किया है; हाँ, पिता ! यही तुझे अच्छा लगा। मेरे पिता ने मुझे सब कुछ सौंपा है। पिता को छोड़ कर कोई भी पुत्र को नहीं जानता; इसी तरह पिता को कोई भी नहीं जानता, केवल पुत्र जानता है और वही, जिसके लिए पुत्र उसे प्रकट करने की कृपा करे। थके-माँदे और बोझ से दबे हुए लोगो ! तुम सब के सब मेरे पास आओ, मैं तुम्हें विश्राम दूँगा। मेरा जूआ अपने ऊपर ले लो और मुझ से सीखो। मैं स्वभाव से नम्र और विनीत हूँ। इस तरह तुम अपनी आत्मा के लिए शांति पाओगे; क्योंकि मेरा जूआ सहज और मेरा बोझ हल्का है।"

प्रभु का सुसमाचार।



दूसरा मिस्सा

📕पहला पाठ

प्रज्ञा-ग्रंथ 3:1-9

"ईश्वर ने उन्हें होम-बलि की तरह स्वीकार किया।"

धर्मियों की आत्माएँ ईश्वर के हाथ में हैं। उन्हें कभी कोई कष्ट नहीं होगा। मूर्ख लोगों को लगा कि वे मर गये हैं। वे उनका संसार से उठ जाना घोर विपत्ति मानते थे और यह समझते थे कि हमारे बीच से चले जाने के बाद उनका सर्वनाश हो गया है। किन्तु धर्मियों को शांति का निवास मिला है। मनुष्यों को लगा विधर्मियों को दण्ड मिल रहा है, किन्तु वे अमरत्व की आशा करते थे। थोड़ा कष्ट सहने के बाद उन्हें महान् पुरस्कार दिया जायेगा। ईश्वर ने उनकी परीक्षा ली और उन्हें अपने योग्य पाया है। ईश्वर ने घरिया में सोने की तरह उन्हें परख लिया और होम-बलि की तरह उन्हें स्वीकार किया। ईश्वर के आगमन के दिन वे दूँठी के खेत में धधकती चिनगारियों की तरह चमकेंगे। वे राष्ट्रों का शासन करेंगे, वे देशों पर राज्य करेंगे, किन्तु प्रभु ही सदा-सर्वदा उनका राजा बना रहेगा। जो ईश्वर पर भरोसा रखते हैं, वे सत्य को जान जायेंगे; जो उनके प्रति ईमानदार हैं, वे बड़े प्रेम से उसके पास रहेंगे; क्योंकि जिन्हें ईश्वर ने चुना है, वे कृपा तथा दया प्राप्त करेंगे।

प्रभु की वाणी।

📖भजन : स्तोत्र 22

अनुवाक्य : प्रभु मेरा चरवाहा है। मुझे किसी बात की कमी नहीं।
अथवा : चाहे अँधेरी घाटी हो कर जाना ही क्यों न पड़े, मुझे किसी अनिष्ट की आशंका नहीं, क्योंकि तू मेरे साथ रहता है।

1. प्रभु मेरा चरवाहा है। मुझे किसी बात की कमी नहीं। वह मुझे हरे मैदानों में चराता है। वह मुझे विश्राम के लिए जल के निकट ले जा कर मुझ में नवजीवन का संचार करता है। वह अपने नाम का सच्चा है, वह मुझे धर्म-मार्ग पर ले चलता है।

2. चाहे अँधेरी घाटी हो कर जाना ही क्यों न पड़े, मुझे किसी अनिष्ट की आशंका नहीं, क्योंकि तू मेरे साथ रहता है। तेरी लाठी, तेरे डण्डे पर मुझे भरोसा है।

3. तू मेरे शत्रुओं के देखते-देखते मेरे लिए खाने की मेज़ सजाता है। तू मेरे सिर पर तेल का विलेपन करता है। तू मेरा प्याला लबालब भर देता है।

4. इस प्रकार तेरी भलाई और तेरी कृपा से मैं जीवन भर घिरा रहता हूँ। प्रभु का मंदिर ही मेरा घर है; मैं उस में अनन्त काल तक निवास करूँगा।

📘दूसरा पाठ

रोमियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 8:31-35,37-39

"कोई भी हम को मसीह के प्रेम से वंचित नहीं कर सकता।"

यदि ईश्वर हमारे साथ है, तो कौन हमारे विरुद्ध होगा ? उसने अपने निज पुत्र को भी नहीं बचा रखा, उसने हम सबों के लिए उसे समर्पित कर दिया, तो इतना देने के बाद क्या वह हमें सब कुछ नहीं देगा ? ईश्वर ने जिन्हें चुन लिया है, उन पर कौन अभियोग लगा सकेगा। ईश्वर ने जिन्हें दोषमुक्त कर दिया है, उन्हें कौन दोषी ठहरायेगा ? क्या येसु मसीह ऐसा करेंगे? वह तो मर गये, बल्कि जी उठे और ईश्वर के दाहिने विराजमान हो कर हमारे लिए प्रार्थना करते रहते हैं। कौन हम को मसीह के प्रेम से वंचित कर सकता है ? क्या विपत्ति या संकट ? क्या अत्याचार, भूख, नग्नता, जोखिम या तलवार? किन्तु इन सब बातों पर हम उन्हीं के द्वारा सहज ही विजय प्राप्त करते हैं, जिन्होंने हमें प्यार किया है। मुझे दृढ़ विश्वास है कि न तो मरण या जीवन, न स्वर्गदूत या नरकदूत, न वर्तमान या भविष्य, न आकाश या पाताल की कोई शक्ति और न समस्त सृष्टि में कोई या कुछ हमें ईश्वर के उस प्रेम से वंचित कर सकता है, जो हमें हमारे प्रभु येसु मसीह द्वारा मिला है।

प्रभु की वाणी।

📒जयघोष

(अल्लेलूया, अल्लेलूया!) येसु मसीह, पुनर्जीवित मृतकों में से पहलौठे हैं। उनकी महिमा और उनका सामर्थ्य अनन्त काल तक बना रहे। आमेन। (अल्लेलूया!)

📙सुसमाचार

सन्त लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 23:44-49; 24:1-5

"हे पिता ! मैं अपनी आत्मा को तेरे हाथों सौंप देता हूँ।"

अब लगभग दोपहर हो रहा था। सूर्य के छिप जाने से तीसरे पहर तक सारे प्रदेश पर अँधेरा छाया रहा। मंदिर का परदा बीच से फट कर दो टुकड़े हो गया। येसु ने ऊँचे स्वर से पुकार कर कहा, "हे पिता! मैं अपनी आत्मा को तेरे हाथों सौंप देता हूँ," और यह कह कर उन्होंनें प्राण त्याग दिये। महासभा का यूसुफ़ नामक सदस्य निष्कपट और धार्मिक था। उसने पिलातुस के पास जा कर येसु का शव माँगा। उसने शव को क्रूस से उतारा और छालटी के कफ़न में लपेट कर एक ऐसी कब्र में रख दिया, जो चट्टान में खुदी हुई थी और जिस में कभी किसी को नहीं रखा गया था। सप्ताह के प्रथम दिन, पौ फटते ही, स्त्रियाँ तैयार किये हुए सुगंधित द्रव्यों को ले कर क़ब्र के पास गयीं। उन्होंने पत्थर को क़ब्र से अलग लुढ़काया हुआ पाया, किन्तु भीतर जाने पर उन्हें प्रभु येसु का शव नहीं मिला। वे इस पर आश्चर्य कर ही रही थीं कि उजले वस्त्र पहने दो पुरुष उनके पास आ कर खड़े हो गये। स्त्रियों ने भयभीत होकर धरती की ओर सिर झुका लिया। उन पुरुषों ने उन से कहा, "आप लोग जीवित को मृतकों में क्यों ढूँढ़ती हैं? वह यहाँ नहीं हैं - वह जी उठे हैं।"

प्रभु का सुसमाचार।



तीसरा मिस्सा

📕पहला पाठ

प्रज्ञा 4: 7-15

“जिसका जीवन निर्दोष है, वही वयोवृद्ध है।"

यदि धर्मी मनुष्य असमय मर जाये, तो वह शांति पायेगा, क्योंकि जो वृद्धावस्था आदरणीय है, वह न तो लम्बी आयु पर निर्भर रहती है और न वर्षों की संख्या मात्र पर। जो मनुष्य बुद्धिमान् है, उसी के बाल सफ़ेद समझो और जिसका जीवन निर्दोष है, उसी को वयोवृद्ध मान लो। वह ईश्वर की इच्छा पूरी करता रहा, इसलिए ईश्वर ने उसे प्यार किया और पापियों के बीच में से उठा लिया। वह इसीलिए उठा लिया गया कि कहीं उसकी बुद्धि का विकार न हो जाये और उसकी आत्मा कुमार्ग पर न भटक जाये, क्योंकि बुराई का सम्मोहन भलाई को धुँधलाता है और लालच की तीव्रता सरलहृदय को विदूषित कर देता है। वह थोड़े समय में पूर्ण बन कर लम्बी आयु तक पहुँच गया है। उसकी आत्मा प्रभु को प्रिय थी, इसलिए प्रभु ने उसे शीघ्र ही चारों ओर की बुराई में से निकाल लिया है। लोग यह बात देख कर नहीं समझ गये; वे यह नहीं जानते हैं कि प्रभु अपने चुने हुओं पर कृपा तथा दया करता है और अपने भक्तों की रक्षा करता है।

प्रभु की वाणी।

📖भजन : स्तोत्र 129

अनुवाक्य : प्रभु ही मेरा आसरा है। मेरी आत्मा उसकी प्रतिज्ञा पर भरोसा रखती है। (अथवा : अल्लेलूया!

1. हे प्रभु ! मैं गहरे गर्त्त में से तेरी दुहाई देता हूँ। हे प्रभु! तू मेरी पुकार सुन और मेरी विनती पर ध्यान देने की कृपा कर।

2. हे प्रभु ! यदि तू हमारे अपराधों को याद रखेगा, तो कौन टिक सकेगा? तुझ से पापों की क्षमा मिलती ही है, इसलिए लोग तुझ पर श्रद्धा रखते हैं।

3. प्रभु ही मेरा आसरा है। मेरी आत्मा उसकी प्रतिज्ञा पर भरोसा रखती है।

4. भोर की प्रतीक्षा करने वाले पहरेदारों से भी अधिक मेरी आत्मा प्रभु की राह देखती है। दयासागर प्रभु उदारतापूर्वक मुक्ति प्रदान करता है। वह इस्राएल को सब अपराधों से मुक्त करेगा।

📘दूसरा पाठ

थेसलनीकियों के नाम सन्त पौलुस का पहला पत्र 4:13-18

"जो येसु में विश्वास करते हुए मर गये हैं, ईश्वर उन्हें येसु के साथ पुनर्जीवित कर देगा।"

भाइयो ! हम चाहते हैं कि आप लोगों को मृतकों के विषय में निश्चित जानकारी हो । कहीं ऐसा न हो कि आप उन लोगों की तरह शोक मनायें, जिन्हें कोई आशा नहीं है। हम तो विश्वास करते हैं कि येसु मर गये और फिर जी उठे । जो येसु में विश्वास करते हुए मर गये हैं, ईश्वर उन्हें उसी तरह येसु के साथ पुनर्जीवित कर देगा । हमें मसीह से जो शिक्षा मिली है, उसके आधार पर हम आप से यह कहते हैं- हम जो प्रभु के आने तक जीवित रहेंगे, मृतकों से पहले ही महिमा में प्रवेश नहीं करेंगे। क्योंकि जब आदेश दिया जायेगा और महादूत की वाणी तथा ईश्वर की तुरही सुनाई पड़ेगी, तो प्रभु स्वयं स्वर्ग से उतरेंगे। जो मसीह में विश्वास करते हुए मर गये, वे पहले जी उठेंगे; इसके बाद हम, जो उस समय तक जीवित रहेंगे, उनके साथ बादलों में आरोहित कर लिये जायेंगे और आकाश में प्रभु से मिलेंगे । इस प्रकार हम सदा प्रभु के साथ रहेंगे। आप इन बातों की चर्चा करते हुए एक दूसरे को सान्त्वना दिया करें।

प्रभु की वाणी।

📒जयघोष

(अल्लेलूया, अल्लेलूया!) प्रभु कहते हैं, "पुनरुत्थान और जीवन मैं हूँ। जो मुझ में विश्वास करते हुए जीता है, वह कभी नहीं मरेगा।" (अल्लेलूया !)

📙सुसमाचार

योहन के अनुसार पवित्र सुसमाचार 11:17-27

"पुनरुत्थान और जीवन मैं हूँ।"

बेथानिया पहुँचने पर येसु को यह पता चला कि लाज़रुस चार दिनों से कब्र में है। बेथानिया येरुसालेम से दो मील से भी कम दूर था, इसलिए भाई की मृत्यु पर संवेदना प्रकट करने के लिए बहुत-से यहूदी मरथा और मरियम से मिलने आये थे। ज्यों ही मरथा ने यह सुना कि येसु आ रहे हैं, वह उन से मिलने गयी। मरियम घर में ही बैठी रही। मरथा ने येसु से कहा, "प्रभु ! यदि आप यहाँ होते, तो मेरा भाई नहीं मरता; और मैं जानती हूँ कि अब भी आप ईश्वर से जो कुछ माँगेंगे, ईश्वर आप को वही प्रदान करेगा।" येसु ने उस से कहा, "तुम्हारा भाई जी उठेगा।" मरथा ने उत्तर दिया, "मैं जानती हूँ कि वह अंतिम दिन के पुनरुत्थान में जी उठेगा।" येसु ने कहा, "पुनरुत्थान और जीवन मैं हूँ। जो मुझ में विश्वास करता है, वह मरने पर भी जीवित रहेगा और जो कोई मुझ में विश्वास करते हुए जीता है, वह कभी नहीं मरेगा। क्या तुम इस बात पर विश्वास करती हो?" उसने उत्तर दिया, "हाँ, प्रभु ! मैं दृढ़ विश्वास करती हूँ कि आप वह मसीह, ईश्वर के पुत्र हैं, जो संसार में आने वाले थे।"

प्रभु का सुसमाचार।