प्रभु की वाणी मुझे यह कहते हुए सुनाई पड़ी "माता के गर्भ में तुम को रचने से पहले ही, मैंने तुमको जान लिया। तुम्हारे जन्म से पहले ही, मैंने तुम को पवित्र किया। मैंने तुमको राष्ट्रों का नबी नियुक्त किया।" मैंने कहा, “आह, प्रभु-ईश्वर! मुझे बोलना नहीं आता। मैं तो बच्चा हूँ।" परन्तु प्रभु ने उत्तर दिया, "यह न कहो - मैं तो बच्चा हूँ। मैं जिन लोगों के पास तुम्हें भेजूंगा, तुम उनके पास जाओगे और जो कुछ तुम्हें बताऊँगा, तुम वही कहोगे। उन लोगों से मत डरो। मैं तुम्हारे साथ हूँ। मैं तुम्हारी रक्षा करूँगा।
प्रभु की वाणी।
परिषद् के सामने खड़ा होकर पौलुस ने यह कहा, "आथेंस के सज्जनो! मैं देख रहा हूँ कि आप लोग देवताओं पर बहुत अधिक श्रद्धा रखते हैं। आपके मन्दिरों का परिभ्रमण करते समय मुझे एक वेदी पर यह अभिलेख मिला- 'अज्ञात देवता को।' आप लोग अनजाने जिसकी पूजा करते हैं, मैं उसी के विषय में आप को बताने आया हूँ। "जिस ईश्वर ने विश्व तथा उस में जो कुछ है, वह सब बनाया है, और जो स्वर्ग और पृथ्वी का प्रभु है, वह हाथ से बनाये हुए मन्दिरों में निवास नहीं करता। वह इसलिए मनुष्यों की पूजा स्वीकार नहीं करता कि उसे किसी वस्तु का अभाव है। वह तो सबों को जोवन, प्राण और सब कुछ प्रदान करता है। उसने एक ही मूलपुरुष से मानव जाति के सब राष्ट्रों की सृष्टि की और उन्हें सारी पृथ्वी पर बसाया। उसने उनके इतिहास के युग और उनके क्षेत्रों के सीमान्त निर्धारित किये। यह इसलिए हुआ कि मनुष्य ईश्वर का अनुसन्धान करें और उसे खोजते हुए सम्भवतः उसे प्राप्त करें, यद्यपि वास्तव में वह हम में से किसी से भी दूर नहीं है।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : मैं तेरी ही न्यायप्रियता घोषित करता हूँ।
1. प्रभु! मैं तेरी शरण आया हूँ। मुझे कभी निराश न होने दे। तू न्यायी है मुझे छुड़ा, मेरा उद्धार कर; मेरी सुन और मुझे बचा।
2. तू मेरे लिए आश्रय की चट्टान और रक्षा का सुदृढ़ गढ़ बन जा; क्योंकि तू ही मेरी चट्टान और मेरा गढ़ है। मेरे ईश्वर! मुझे दुष्टों के हाथ से, कुकर्मियों और अत्याचारियों के पंजे से छुड़ा।
3. प्रभु-ईश्वर! युवावस्था से तू ही मेरी आशा और भरोसा है। मैं दिन भर तेरी न्यायप्रियता और तेरे मुक्ति-विधान की चर्चा करता रहता हूँ। यद्यपि मैं उसकी थाह नहीं ले सकता।
4. मैं प्रभु-ईश्वर के महान् कार्यों का बखान करता हूँ। मैं तेरी ही न्यायप्रियता घोषित करता हूँ। ईश्वर! मुझे युवावस्था से तेरी शिक्षा मिली है, मैं अब तक तेरे महान् कार्य घोषित करता रहा।
यह अमूल्य निधि हम में मिट्टी के पात्रों में रखी रहती है, जिससे यह स्पष्ट हो जाये कि यह अलौकिक सामर्थ्य हमारा अपना नहीं, बल्कि ईश्वर का है। हम कष्टों से घिरे रहते हैं, परन्तु कभी हार नहीं मानते। हम परेशान होते हैं, परन्तु कभी निराश नहीं होते। हम पर अत्याचार किया जाता है, परन्तु हम अपने को परित्यक्त नहीं पाते। हम को पछाड़ दिया जाता है, परन्तु हम नष्ट नहीं होते। हम हर समय अपने शरीर में ईसा के दुःखभोग तथा मृत्यु का अनुभव करते हैं, जिससे ईसा का जीवन भी हमारे शरीर में प्रत्यक्ष हो जाये। हमें जीवित रहते हुए ईसा के कारण निरन्तर मृत्यु का सामना करना पड़ता है, जिससे ईसा का जीवन भी हमारे नश्वर शरीर में प्रत्यक्ष हो जाये। इस प्रकार हम में मृत्यु क्रियाशील है और आप लोगों में जीवन। धर्मग्रन्थ कहता है – मैंने विश्वास किया और इसलिए मैं बोला। हम विश्वास के उसी मनोभाव से प्रेरित हैं। हम विश्वास करते हैं और इसलिए हम बोलते हैं। हम जानते हैं कि जिसने प्रभु ईसा को पुनर्जीवित किया, वही ईसा के साथ हम को भी पुनर्जीवित कर देगा और आप लोगों के साथ हम को भी अपने पास रख लेगा। सब कुछ आप लोगों के लिए हो रहा है, ताकि जिस प्रकार बहुतों में कृपा बढ़ती जाती है, उसी प्रकार ईश्वर की महिमा के लिए धन्यवाद की प्रार्थना करने वालों की संख्या बढ़ती जाये।
प्रभु की वाणी।
इसलिए मैं, जो आप गैर-यहूदियों की भलाई के लिए ईसा मसीह के कारण कैदी हूँ, आप से एक प्रार्थना करना चाहता हूँ। आप लोगों ने अवश्य सुना होगा कि ईश्वर ने आप लोगों की भलाई के लिए मुझे अपनी कृपा का सेवा-कार्य सौंपा है। उसने मुझ पर वह रहस्य प्रकट किया है, जिसका मैं संक्षिप्त विवरण ऊपर दे चुका हूँ। उसे पढ़ कर आप लोग जान सकते हैं कि मैं मसीह का रहस्य समझता हूँ। वह रहस्य पिछली पीढ़यों में मनुष्य को नहीं बताया गया था और अब आत्मा के द्वारा उसके पवित्र प्रेरितों और नबियों पर प्रकट किया गया है। वह रहस्य यह है कि सुसमाचार के द्वारा यहूदियों के साथ गैर-यहूदी एक ही विरासत के अधिकारी हैं, एक शरीर के अंग हैं और ईसा मसीह-विषयक प्रतिज्ञा के सहभागी हैं। ईश्वर ने अपने सामर्थ्य के अधिकार से मुझे यह कृपा प्रदान की कि मैं उस सुसमाचार का सेवक बनूँ। मुझे, जो सन्तों में सब से छोटा हूँ, यह वरदान मिला है कि मैं गैर-यूहदियों को मसीह की अपार कृपानिधि का सुसमाचार सुनाऊँ और मुक्ति- विधान का वह रहस्य पूर्ण रूप से प्रकट करूँ, जिसे समस्त विश्व के सृष्टिकर्त्ता ने अब तक गुप्त रखा था। इस तरह, कलीसिया के माध्यम से स्वर्ग के दूतगण ईश्वर की बहुविध प्रज्ञा का ज्ञान प्राप्त करेंगे। ईश्वर ने अनन्त काल से जो उद्देश्य अपने मन में रखा था, उसने उसे हमारे प्रभु ईसा मसीह द्वारा पूरा किया। हम मसीह में विश्वास करते हैं और इस कारण हम पूरे भरोसे के साथ निर्भय हो कर ईश्वर के पास जाते हैं। इसलिए आप लोगों से मेरी प्रार्थना है कि आप लोगों के लिए मैं जो कष्ट सह रहा हूँ, उसके कारण आप हिम्मत न हारें, क्योंकि इसी में आप लोगों का गौरव है।
प्रभु की वाणी।
अल्लेलूया, अल्लेलूया! प्रभु कहते हैं, "तुम लोग जा कर सब राष्ट्रों को शिष्य बनाओ। मैं संसार के अंत तक तुम्हारे साथ हूँ।" अल्लेलूया!
इसके बाद प्रभु ने अन्य बहत्तर शिष्य नियुक्त किये और जिस-जिस नगर और गाँव में वह स्वयं जाने वाले थे, वहाँ दो-दो करके उन्हें अपने आगे भेजा। उन्होंने उन से कहा, "फ़सल तो बहुत है, परन्तु मज़दूर थोड़े हैं; इसलिए फ़सल के स्वामी से विनती करो कि वह अपनी फ़सल काटने के लिए मज़दूरों को भेजे। जाओ, मैं तुम्हें भेड़ियों के बीच भेड़ों की तरह भेजता हूँ। तुम न थैली, न झोली और न जूते ले जाओ और रास्ते में किसी को नमस्कार मत करो। जिस घर में प्रेवश करते हो, सब से पहले यह कहो, 'इस घर को शान्ति।' यदि वहाँ शान्ति के योग्य कोई होगा, तो तुम्हारी शान्ति उस पर ठहरेगी, नहीं तो वह तुम्हारे पास लौट आयेगी। उसी घर में ठहरे रहो और जो उनके पास हो, वही खाओ-पियो; क्योंकि मज़दूर को मज़दूरी का अधिकार है। घर पर घर बदलते न रहो। जिस नगर में प्रवेश करते हो और वे तुम्हारा स्वागत करते हैं, तो जो कुछ तुम्हें परोसा जाये, वही खा लो। वहाँ के रोगियों को चंगा करो और उन से कहो, 'ईश्वर का राज्य तुम्हारे निकट आ गया है।' परन्तु यदि किसी नगर में प्रवेश करते हो और वे तुम्हारा स्वागत नहीं करते, तो वहाँ के बाज़ारों में जा कर कहो, 'अपने पैरों में लगी तुम्हारे नगर की धूल तक हम तुम्हारे सामने झाड़ देते हैं। तब भी यह जान लो कि ईश्वर का राज्य आ गया है।' मैं तुम से यह कहता हूँ - न्याय के दिन उस नगर की दशा की अपेक्षा सोदोम की दशा कहीं अधिक सहनीय होगी। "धिक्कार तुझे, रे कोरेज़न! धिक्कार तुझे, रे बेथसाइदा! जो चमत्कार तुम में किये गये हैं, यदि वे तीरुस और सिदोन में किये गये होते, तो न जाने कब से टाट ओढ़ कर और भस्म रमा कर उन्होंने पश्चात्ताप किया होता। इसलिए न्याय के दिन तुम्हारी दशा की अपेक्षा तीरुस और सिदोन की दशा कहीं अधिक सहनीय होगी। और तू, रे कफ़रनाहूम! क्या तू स्वर्ग तक ऊँचा उठाया जायेगा? नहीं, तू अधोलोक तक नीचे गिरा दिया जायेगा। "जो तुम्हारी सुनता है, वह मेरी सुनता है और जो तुम्हारा तिरस्कार करता है, वह मेरा तिरस्कार करता है। जो मेरा तिरस्कार करता है, वह उसका तिरस्कार करता है जिसने मुझे भेजा है।"
प्रभु का सुसमाचार।