सुलेमान ने, ईश्वर की वेदी के सामने खड़ा हो कर और अपने हाथ स्वर्ग की ओर ऊपर उठा कर कहा, "यदि कोई परदेशी, जो तेरी प्रजा का सदस्य नहीं है, तेरे नाम के कारण दूर देश से आये - क्योंकि लोग तेरे महान् नाम, तेरे शक्तिशाली हाथ तथा समर्थ भुजबल की चर्चा करेंगे - यदि वह इस मंदिर में विनती करने आये, तो तू अपने निवास स्थान स्वर्ग में उसकी प्रार्थना सुन और जो कुछ परदेशी माँगे, उसे दे दे। इस प्रकार पृथ्वी के सभी राष्ट्र, तेरी प्रजा इस्राएल की भाँति, तेरा नाम जान जायेंगे, तुझ पर श्रद्धा रखेंगे और यह समझ जायेंगे कि यह मंदिर, जिसे मैंने बनवाया है, तेरे नाम को समर्पित है।"
अनुवाक्य : संसार के कोने-कोने में जा कर सारी सृष्टि को सुसमाचार सुनाओ। (अथवा : अल्लेलूया।)
1. अल्लेलूया ! हे समस्त जातियो ! प्रभु की स्तुति करो। हे समस्त राष्ट्रो ! उसकी महिमा गाओ। क्योंकि उसका प्रेम हमारे प्रति समर्थ है। उसकी सत्यप्रतिज्ञता सदा-सर्वदा बनी रहती है।
यह पत्र पौलुस की ओर से है, जो न तो मनुष्यों की ओर से और न किसी मनुष्य द्वारा प्रेरित नियुक्त हुआ है, बल्कि येसु मसीह द्वारा और पिता-परमेश्वर द्वारा, जिसने उन्हें मृतकों में से पुनर्जीवित किया है। मैं और जितने भाई मेरे साथ हैं गलातियों की कलीसिया का अभिवादन करते हैं। मुझे आश्चर्य होता है कि जिसने आप लोगों को मसीह के अनुग्रह द्वारा बुलाया है, उसे आप इतने शीघ्र त्याग कर एक दूसरे सुसमाचार के अनुयायी बन गये हैं। दूसरा तो है ही नहीं, किन्तु कुछ लोग आप में अशांति उत्पन्न करते और मसीह का सुसमाचार विकृत कर देना चाहते हैं। लेकिन जो सुसमाचार मैंने आप को सुनाया, यदि कोई चाहे वह मैं स्वयं या कोई स्वर्गदूत ही क्यों न हो उस से भिन्न सुसमाचार सुनाये, तो वह अभिशप्त हो। मैं जो कह चुका हूँ, उसे दुहराता हूँ - जो सुसमाचार आप को मिला है, यदि कोई उस से भिन्न सुसमाचार सुनाये, तो वह अभिशप्त हो। मैं अब किसका कृपापात्र बनने की कोशिश कर रहा हूँ? मनुष्यों का अथवा ईश्वर का? क्या मैं मनुष्यों को प्रसन्न करना चाहता हूँ? यदि मैं अब तक मनुष्यों को प्रसन्न करना चाहता, तो मैं मसीह का दास नहीं होता।
प्रभु की वाणी।
अल्लेलूया, अल्लेलूया ! यदि कोई मुझे प्यार करेगा, तो वह मेरी शिक्षा पर चलेगा। मेरा पिता उसे प्यार करेगा और हम सब उसके पास आ कर उस में निवास करेंगे। अल्लेलूया !
जनता को अपने ये उपदेश सुनाने के बाद येसु कफ़रनाहूम आये। वहाँ एक शतपति का अत्यंत प्रिय नौकर किसी रोग से मर रहा था। शतपति ने येसु की चर्चा सुनी थी; इसलिए उसने यहूदियों के कुछ प्रतिष्ठित नागरिकों को येसु के पास यह निवेदन करने के लिए भेजा कि आप आ कर मेरे नौकर को बचायें। वे येसु के पास आ कर उन से आग्रह के साथ विनय करने लगे, "वह शतपति इस योग्य है कि आप उसके लिए ऐसा करें। वह हमारी जाति से प्रेम रखता है। और उसी ने हमारे लिए सभागृह बनवाया है"। येसु उनके साथ गये। वह उसके घर के निकट पहुँचे ही थे कि शतपति ने मित्रों के द्वारा येसु के पास यह कहला भेजा, "प्रभु ! कष्ट न करें, क्योंकि मैं इस योग्य नहीं हूँ कि आप मेरे यहाँ आयें। इसी कारण मैंने अपने को इस योग्य नहीं समझा कि आपके पास आऊँ। आप एक ही शब्द कह दीजिए और मेरा नौकर अच्छा हो जायेगा। मैं एक छोटा-सा अधिकारी हूँ। मेरे अधीन सिपाही रहते हैं। जब मैं एक से कहता हूँ- जाओ, तो वह जाता है और दूसरे से आओ, तो वह आता है और अपने नौकर से - यह करो, तो वह यह करता है।" येसु यह सुन कर चकित हो गये और अपने पीछे आते हुए लोगों की ओर मुड़ कर उन्होंने कहा, "मैं तुम लोगों से कहे देता हूँ इस्राएल में भी मैंने इतना दृढ़ विश्वास नहीं पाया"। और भेजे हुए लोगों ने घर लौट कर रोगी नौकर को भला चंगा पाया।
प्रभु का सुसमाचार।