जब आदम ने वृक्ष का फल खाया था, तो प्रभु ने उसे पुकार कर कहा, "तुम कहाँ हो?” उसने उत्तर दिया, "मैं बगीचे में तेरी आवाज सुन कर डर गया, क्योंकि मैं नंगा हूँ और मैं छिप गया"। प्रभु ने कहा, "किसने तुम्हें बताया कि तुम नंगे हो? क्या तुम ने उस वृक्ष का फल खाया, जिसे खाना मैंने तुम्हें मना किया था?" मनुष्य ने उत्तर दिया, "मेरे साथ रहने के लिए जिस स्त्री को तूने दिया है, उसी ने मुझे फल दिया और मैंने खा लिया"। प्रभु-ईश्वर ने स्त्री से कहा, "तुम ने क्या किया?" और उसने उत्तर दिया, "साँप ने मुझे बहका दिया और मैंने खा लिया"। तब प्रभु-ईश्वर ने साँप से कहा, "चूँकि तूने यह किया है, तू सब घरेलू तथा जंगली जानवरों में शापित होगा। तू पेट के बल चलेगा और जीवन-भर मिट्टी खायेगा। मैं तेरे और स्त्री के बीच, तेरे वंश और उसके वंश में शत्रुता उत्पन्न करूँगा। वह तेरा सिर कुचल देगा और तू उसकी एड़ी काटेगा"।
अनुवाक्य : दयासागर प्रभु उदारतापूर्वक मुक्ति प्रदान करता है।
1. हे प्रभु ! मैं गहरे गर्त्त में से तेरी दुहाई देता हूँ। हे प्रभु ! तू मेरी पुकार सुन और मेरी विनती पर ध्यान देने की कृपा कर।
2. हे प्रभु ! यदि तू हमारे अपराधों को याद रखेगा तो कौन टिक सकेगा? तुझ से पापों की क्षमा मिलती ही है, इसलिए लोग तुझ पर श्रद्धा रखते हैं।
3. प्रभु ही मेरा आसरा है। मेरी आत्मा उसकी प्रतिज्ञा पर भरोसा रखती है। भोर की प्रतीक्षा करने वाले पहरेदारों से भी अधिक मेरी आत्मा प्रभु की राह देखती है।
4. भोर की प्रतीक्षा करने वाले पहरेदारों से भी अधिक इस्राएल प्रभु की राह देखता रहे, क्योंकि दयासागर प्रभु उदारतापूर्वक मुक्ति प्रदान करता है। वह इस्राएल को सब अपराधों से मुक्त करेगा।
धर्मग्रंथ कहता है – मैंने विश्वास किया और इसलिए मैं बोला। हम विश्वास के उसी मनोभाव से प्रेरित हैं। हम विश्वास करते हैं और इसलिए हम बोलते हैं। हम जानते हैं कि जिसने प्रभु येसु को पुनर्जीवित किया है, वही येसु के साथ हम को भी पुनर्जीवित कर देगा। और आप लोगों के साथ हम को भी अपने पास रख लेगा। सब कुछ आप लोगों के लिए हो रहा है, ताकि जिस प्रकार कृपा बहुतों में बढ़ती जाती है, उसी प्रकार ईश्वर की महिमा के लिए धन्यवाद की प्रार्थना करने वालों की संख्या भी बढ़ती जाये। यही कारण है कि हम हिम्मत नहीं हारते। हमारे शरीर की शक्ति भले ही क्षीण होती जा रही हो, किन्तु हमारे अभ्यन्तर में दिन-प्रतिदिन नये जीवन का संचार होता रहता है। क्योंकि हमारी क्षण भर की हल्की-सी मुसीबत हमें हमेशा के लिए अपार महिमा दिलाती है। इसलिए हमारी आँखें दृश्य पर नहीं, बल्कि अदृश्य चीजों पर टिकी रहती हैं; क्योंकि हम जो चीजें देखते हैं, वे अल्पकालिक हैं; अनदेखी चीजें अनन्तकाल तक बनी रहती हैं। हम जानते हैं कि जब यह तम्बू, पृथ्वी पर हमारा यह घर, गिरा दिया जायेगा, तो हमें ईश्वर द्वारा निर्मित एक निवास मिलेगा। वह एक ऐसा घर है जो हाथ का बना नहीं है और अनन्तकाल तक स्वर्ग में बना रहेगा।
प्रभु की वाणी।
अल्लेलूया, अल्लेलूया ! शब्द ने शरीर धारण कर हमारे बीच में निवास किया। जितनों ने उसे अपनाया, उन सबों को उसने ईश्वर की सन्तति बनने का अधिकार दिया है। अल्लेलूया !
येसु घर लौटे और फिर इतनी भीड़ होने लगी कि उन लोगों को भोजन करने की भी फुरसत नहीं रही। जब येसु के संबंधियों ने यह सुना, तो वे उन को बलपूर्वक ले जाने निकले, क्योंकि कहा जाता था कि उन्हें अपनी सुध-बुध नहीं रह गयी है। येरुसालेम से आये हुए शास्त्री कहते थे, "उसे बेलजेबुल सिद्ध है" और "वह नरकदूतों के नायक की सहायता से नरकदूतों को निकालता है"। येसु ने उन्हें अपने पास बुला कर यह दृष्टान्त सुनाया, "शैतान शैतान को कैसे निकाल सकता है? यदि किसी राज्य में फूट पड़ गयी हो, तो वह राज्य टिक नहीं सकता। यदि किसी घर में फूट पड़ गयी हो, तो वह घर टिक नहीं सकता। और यदि शैतान अपने ही विरुद्ध विद्रोह करे और उसके यहाँ फूट पड़ गयी हो, तो वह टिक नहीं सकता, और उसका सर्वनाश हो गया है। कोई किसी बलवान् के घर में घुस कर उसका सामान तब तक नहीं लूट सकता, जब तक कि वह उस बलवान को न बाँध ले। इसके बाद ही वह उसका घर लूट सकता है। मैं तुम लोगों से कहे देता हूँ- मनुष्य चाहे जो भी पाप या ईश-निंदा करें, उन्हें सब की क्षमा मिल जायेगी; परन्तु पवित्र आत्मा की निंदा करने वाले को कभी भी क्षमा नहीं मिलेगी। वह अनन्त पाप का भागी है"। उन्होंने यह इसीलिए कहा कि कुछ लोग कहते थे, "उसे अपदूत सिद्ध है"। किसी दिन येसु की माता और भाई आये। उन्होंने घर के बाहर से उन्हें बुला भेजा। लोग येसु के चारों ओर बैठे हुए थे। उन्होंने येसु से कहा, "देखिए, आपकी माता और आपके भाई-बहनें बाहर हैं। वे आप को खोज रहे हैं"। येसु ने उन्हें उत्तर दिया, "कौन है मेरी माता, कौन हैं मेरे भाई?" उन्होंने अपने चारों ओर बैठे हुए लोगों पर दृष्टि दौड़ायी और कहा, "ये हैं मेरी माता और मेरे भाई ! जो ईश्वर की इच्छा पूरी करता है, वही है मेरा भाई, मेरी बहन और मेरी माता"।
प्रभु का सुसमाचार।